Monday 18 December 2023

सभी झंझट के जड़ ये Patwari हैं | Heated Argument between Tahsildar & judge | Highcourt live

रायपुर के चंगोराभाठा और अमलेश्‍वर सीमा से लगे जमीन के कब्‍जे से संबंधित राजस्‍व विवाद में एफआईआर दर्ज होने पर नाराज हुए माननीय न्‍यायाधीश श्री नरेन्‍द्र कुमार व्‍यास। सीमांकन के आधार पर धारा 420 के अंतर्गत अपराध दर्ज किए जाने पर थानेदार से पूछा गया कि कैसे धारा 420 IPC का अपराध इसमें आकर्षित होता है, जबकि छ.ग.भू-राजस्‍व संहिता की धारा 250 का उपचार प्राथमिक तौर पर उपलब्‍ध हो। इस केस में रायपुर के नामी-गिरामी बिल्‍डर्स और रसूखदारों का नाम सामने आया है। कोर्ट नें फिलहाल आरोपी को बेल दे दिया है किन्‍तु राज्‍य के वकील को निर्देश दिया है कि इस केस से संबंधित पुराने रिकार्ड कोर्ट में प्रस्‍तुत किए जांए ताकि पता चल सके कि पटवारियों के द्वारा राजस्‍व रिकार्ड में छेड़-छाड़ तो नहीं किया गया है।

Tuesday 24 January 2023

CG State Vrs Sandeep Jain (Ravalmal Jain Mani Murder Mystery Case) 2

45- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके लिखित तर्क में उल्लेखित किया गया है कि, अभियोजन द्वारा पिता-पुत्र के मध्य विवाद बताकर इस कारण ही आरोपी संदीप द्वारा रावलमल की हत्या किए जाने की कहानी को बल दिया जा रहा है और इसे ही हेतुक बताने का प्रयास किया जा रहा है जबकि पिता-पुत्र के मध्य विवाद था ऐसा प्रमाणित कर पाने में अभियोजन पूर्णतः असफल रहा है और ऐसा कोई भी साक्ष्य प्रकरण में उपस्थित नहीं है, इसके विपरीत अ.सा.-5 जो कि, स्वतंत्र साक्षी है, ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-17 में पिछले 4-5 साल से मृतक रावलमल जैन के घर ड्राईवरी करना स्वीकार किया है। अभियोजन द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है कि, आरोपी संदीप जैन ने सम्पत्ति के लालच में रावलमल एवं सूरजीबाई की हत्या करने के आशय से जानबूझकर अपनी पत्नि संतोष जैन एवं पुत्र संयम जैन को दल्‍ली राजहरा छोड़ दिया था जबकि इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-19 में यह स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, संयम की स्कूल की गर्मी एवं सर्दी की छुट्टी होने पर संतोष जैन अक्सर अपने मायके अपने पुत्र के साथ जाती थी। यह कहना सही है कि, अधिकांशत: संदीप जैन उन्हें छोड़ने जाता था और छोड़कर आ जाता था। इस साक्षी के उक्त कथन के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि, 26-12-2017 को आरोपी संदीप हत्या करने की नीयत से अपनी पत्नि एवं बच्चे को दल्‍्लीराजहरा छोड़ा था। @46- ऐसी स्थिति में उक्त तथ्य का लाभ अभियोजन प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है, इसके अतिरिक्त इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-20 एवं 21 में यह स्वीकार किया है कि, जब भी रावलमल की तबियत खराब होती थी तो संदीप जैन उन्हें अस्पताल ले जाता था एवं उनकी हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने वाला केवल संदीप जैन ही था तथा इस तथ्य का समर्थन अ.सा.-7 रोहित कुमार देशमुख एवं अ.सा.8 सौरभ गोलछा तथा ब.सा.-1 श्रीमती संतोष जैन ने भी किया है। @47- इस प्रकार मृतक रावलमल जैन एवं आरोपी संदीप जैन के बीच विवाद संबंधी अभियोजन की कहानी स्वमेव ध्वस्त हो जाती है। इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-22 में यह स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, कई बार ऐसा अवसर आता था कि, घर में केवल रावलमल, सूरजीबाई एवं संदीप जैन ही अकेले निवास करते थे। यह कहना सही है कि, इस घटना के तीन-चार माह पूर्व भी संतोष जैन व संयम अपने परिवार के साथ 62 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 तीर्थ यात्रा पर गए थे, उक्त आठ-दस दिनों में केवल उक्त तीन लोग ही घर पर थे तथा कंडिका-23 में यह भी स्वीकार किया है कि, आरोपी संदीप जैन के घर में पारिवारिक माहौल अच्छा था। उपरोक्त सभी तथ्यों की पुष्टि अ.सा.-7, 8 एवं ब.सा.-1 ने भी की है। इस प्रकार रावलमल द्वारा डांट-डपट करने एंव रावलमल से संदीप के डरने के कारण एवं सम्पत्ति के लालच में संदीप द्वारा अपनी पत्नि एवं बच्चे को मायके भेजकर अपने माता-पिता की हत्या किए जाने की अभियोजन की कहानी मनगढ़ंत सिद्ध होती है। साथ ही अभियोजन द्वारा इस अभियोग पत्र में यह बताने का प्रयास किया गया है कि, रावलमल जैन द्वारा संदीप को सम्पत्ति से बेदखल करने की धमकी दिए जाने के कारण एवं इकलौता वारिस होने से सम्पत्ति हथियाने की गरज से संदीप द्वारा रावलमल जैन की षड्यंत्रपूर्वक हत्या की गई है परन्तु अभियोजन अपनी उक्त कहानी को पुष्ट करने के संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है । @48- आरोपी संदीप जैन की ओर से यह भी उलल्‍्लेखित किया गया है कि, जहाँ तक संदीप जैन के इकलौते वारिस होने का अभिकथन है तो इस संबंध में बचाव पक्ष का तर्क है कि, यदि वह इकलौता वारिस है तो अंततः: सम्पत्ति उसी की ही है, अतः उक्त आधार पर हत्या जैसे जघन्य अपराध की परिकल्पना नहीं की जा सकती, साथ ही प्रकरण में यह भी स्थापित है कि, संदीप, रावलमल एवं सूरजीबाई की सम्पत्ति का इकलौता वारिस नहीं है क्योंकि अ.सा.-8, रावलमल की सगी पुत्री का बेटा है और माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के परिप्रेक्ष्य में विवाहित पुत्री को भी अपने माता-पिता की सम्पत्ति में समान अधिकार प्राप्त करने का अधिकार है, ऐसी स्थिति में अभियोजन का यह तर्क भी अविश्वसनीय हो जाता है कि, एक मात्र वारिस होने के कारण सम्पत्ति हथियाने के आशय से संदीप जैन ने अपने माता-पिता की हत्या की है। आरोपी संदीप जैन की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क में यह भी उलल्‍्लेखित किया गया है कि, आपराधिक विचारण में अभियोजन की परिकल्पनाओं पर निर्भर होकर आरोपी को दण्डित नहीं किया जा सकता, इसके विपरीत अभियोजन को उसकी कहानी संदेह से परे प्रमाणित करनी होगी जिसे करने में इस प्रकरण में अभियोजन पूर्णत: असफल रहा है। @49- आरोपी संदीप जैन की ओर से प्रकरण में जप्त पिस्टल के संबंध में व्यक्त किया गया है कि, शस्त्र जाँच प्रतिवेदन प्रदर्श डी-5 में आरमोरर के पास भेजे गए पिस्टल में बाएं साईड पर यूएस.ए. लिखा तथा बेरल के ऊपर ओनली आर्मी लिखे होने का उल्लेख किया है एवं उक्त पिस्टल को आरमोरर से जाँच के पश्चात्‌ सीलबंद कर वापस करने का उल्लेख भी प्रदर्श डी-5 में है तत्पश्चात्‌ पिस्टल को बैलेस्टिक एक्सपर्ट को भेजा जाना कहा गया है तथा बैलेस्टिक एक्सपर्ट ने अपने मुख्य परीक्षण की कंडिका-14 में यह कथन किया है कि, उनके कार्यालय में दिनांक 18-01-2018 को सीलबंद नौ पैकेट प्राप्त हुआ जो क्रमशः # से [ तक चिन्हांकित था, पैकेट में पाई गई सील नमूना सील के सदृश्य थी जबकि अन्वेषण अधिकारी भावेश साव ने यह स्वीकार किया है कि, लाईन की अलग सील है, ऐसी स्थिति में उक्त पिस्टल के पैकेट पर आरमोरर अर्थात पुलिस लाईन की सील ना होकर बैलेस्टिक एक्सपर्ट को थाना दुर्ग की सील मिलना संदिग्धता को जन्म देता है, जिससे यह उपधारणा किया जा सकता है कि, कहीं ना कहीं अन्वेषण अधिकारी द्वारा पिस्तौल को बदल दिया गया है और फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट उपलब्ध होने के बाद भी आरोपी के फिगर प्रिंट नहीं लिए गए क्योकि उक्त पिस्टल का उपयोग आरोपी ने नहीं किया था तथा जप्ती पत्र प्र.पी.53 में पिस्टल में यू. एस.ए. एवं ओनली आर्मी लिखे होने का उल्लेख नहीं है जो इस तथ्य का प्रमाण है कि, अन्वेषण अधिकारी द्वारा पिस्टल बदलकर साक्ष्य निर्मित किया गया है। @50- आरोपी संदीप जैन की ओर से यह भी उलल्‍्लेखित किया गया है कि, प्रकरण के साक्षी अ.सा.7 रोहित कुमार देशमुख के कथन में आये तथ्यों को उद्धरित किया गया है जिसमें उसके व्दारा यह कथन किया गया है कि,....“पुलिस वाले ने स्टेट बैंक के पास, पुराना थाना दुर्ग में तीनों जगह पूछताछ किए थे यह कहना सही है कि, तीनों जगह पुलिस वालों ने बयान लिया था” परन्तु प्रकरण में केवल एक बयान प्रस्तुत किया गया है इससे साधारण: यह अनुमान लगाया जा सकता है कि, पुलिस वाले अपने अनुरूप इस साक्षी का बयान लिखे हैं, यद्यपि इस साक्षी ने पुलिस वालों द्वारा धमकी देने से इंकार किया है परन्तु इस साक्षी के दो बयान को प्रकरण में प्रस्तुत ना करना एवं उन्हें छिपाया जाना अभियोजन की कहानी एवं विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है एवं संदिग्ध बनाता है। @51- आरोपी संदीप जैन की घटना स्थल पर उपस्थिति के संबंध में मुख्य रूप से प्रकरण के साक्षी सौरभ गोलछा (अ.सा.8) के साक्ष्य का उल्लेख करते हुये यह वर्णित किया है कि :- “4. सौरभ गोलछा इस प्रकरण का अत्यंत महत्त्वपूर्ण साक्षी है, उसने अपने मुख्य परीक्षण में कथन किया है कि, 01.01.2018 को सुबह करीब 6:00 बजे उसकी नानी सूरजीबाई का मेरे मोबाईल पर फोन आया कि, नाना जी गिर गए हैं, जल्दी से आ जाओ फिर वह अपनी कार से उनके घर गंजपारा गया, अंदर जाने पर उसने देखा कि, नाना जी कॉरिडोर में गिर थे, मैंने अपने नाना को हिलाने-डुलाने की कोशिश की मगर वह नहीं उठे तो मैं नानी जी के कमरे में गया तो देखा कि, नानी अपने बिस्तर पर लहठु-लुहान अपने बिस्तर पर गिरी थी, नानी की शरीर में गोली लगी थी और बाजू में बुलेट भी पड़ी थी फिर मैं अपने नानाजी के पास गया 66 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 तो मैंने देखा उन्हें भी गोली लगी है, उसके बाद मैं अपने मामा आरोपी संदीप जैन के कमरे में उन्हें उठाने गया फिर हम दोनों नीचे आए तो मेरे मामा नाना-नानी जी से लिपटकर फुट-फुटकर रोने लगे मेरे मामा ने कहा कि, सब रिश्तेदारों को फोन करो और फिर पुलिस में खबर करो तब मैंने डॉक्टर संजय गोलछा, गौतमचंद बोथरा आदि लोगों को फोन किया और थाने में जाकर खबर किया उसके बाद मेरे साथ एक हवलदार आए थे ।” @“2. उसके मामी का नाम संतोष है, उनके लड़के का नाम संयम है जो कि, घटना दिनांक को दल्‍लीराजहरा में थे, इस साक्षी ने अपने द्वारा लिखाए गए प्रथम सूचना रिपोर्ट प्र. पी.-27 से एवं मर्ग इंटीमेशन को प्र.पी.--28 एवं 29 से चिन्हांकित कराया है, शव पंचनामा नोटिस को प्र.पी.-30 एवं 31 तथा शव पंचनामा को क्रमशः प्र.पी.-32 एवं 33 से चिन्हांकित कराया है तथा प्रकरण में 01-01-2018 को बयान देना कहा है। घटना दिनांक को चौकीदार के नहीं आने एवं घर में प्रवेश करने का एक मात्र दरवाजा होने का कथन किया है, अब यदि इस साक्षी के प्रति परीक्षण का अवलोकन करें तो इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-13 में यह स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, आरोपी संदीप जैन के घर का महौल शांतिप्रिय था, यह कहना सही है कि, मैंने कभी भी आरोपी संदीप जैन एवं उसके माता-पिता का वाद-विवाद होते नहीं देखा था। यह कहना सही है कि, मेरे नाना मृतक रावलमल और आरोपी संदीप जैन प्रत्येक कार्य लगभग साथ-साथ करते थे तथा यह भी स्वीकार किया है कि, मृतक रावलमल जैन ने अपने जीवन काल में आरोपी संदीप जैन को नगपुरा मंदिर का मैनेजिंग ट्रस्टी एवं आरोग्यम अस्पताल का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए थे तथा पैरा-14 में यह भी स्वीकार किया है कि, मृतक रावलमल जैन के मंदिर का कार्य और उनके ईलाज से संबंधित कार्य आरोपी संदीप जैन ही करता था, इस साक्षी की उक्त स्वीकारोक्ति से अभियोजन की यह कहानी स्वयं ध्वस्त हो जाती है कि, मृतक रावलमल और संदीप के मध्य संबंध अच्छे नहीं थे जिसके कारण संदीप ने रावलमल की हत्या की है। इस प्रकार रावलमल की हत्या के पीछे आरोपी संदीप के हेतुक को प्रमाणित कर पाने में अभियोजन पूर्णत: असफल रहा है। इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-16 में यह भी स्वीकार किया है कि, “उसके सामने पुलिस वाले ने रावलमल जैन के ऑफिस में काले रंग के बैग में रखे दो-दो हजार के 37 बंडल उठाया था जिसकी पुष्टि बचाव साक्षी संतोष जैन _ के कथनों से एवं दैनिक समाचार पत्र प्र.डी.-8 से भी होती _ है ।” चूंकि रावलमल जैन, सूरजीबाई के मृत्यु के पश्चात्‌ उक्त रकम को क्लेम करने वाला एक मात्र संदीप जैन ही था, अतः उक्त रकम को हड़प करने के आशय से और संदीप क्लेम ना कर सके इस आशय से पुलिस ने संदीप को झूठी कहानी का निर्माण कर जेल भेज दिया, इससे यह स्पष्ट है कि, आरोपी संदीप पर झूठा दोषारोपण करने का पुलिस के पास पर्याप्त हेतुक था तथा इस तथ्य को अभियोजन द्वारा साक्षी सौरभ गोलछा, साक्षी संतोष जैन एवं प्रिंट मिडिया में छपी खबर से लाख प्रयास के बाद भी खण्डित नहीं किया जा सका है ।” @“3. इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-19 में बचाव पक्ष के इस महत्वपूर्ण सुझाव को जो अभियुक्त संदीप की निर्दोषिता को प्रकट करता है, स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, जब वह संदीप के कमरे में गया तो बाहर से दरवाजा खटखटाया था, उसे लगा कि, संदीप सोई हुई स्थिति में है उसने कहा कि, कौन है। तब उसने आरोपी संदीप को बताया कि, वह सौरभ है, नीचे नाना-नानी को गोली लग गई है जल्दी दरवाजा खोलो, संदीप ने दरवाजा खोला किन्तु दरवाजा नहीं खुला, उसने देखा कि, बाहर से कुंडी लगी है, तब उसने कुंडी खोला । आरोपी संदीप के कमरे में जाने का वही एकमात्र दरवाजा है उस दरवाजे के खोले बिना ना तो कोई अंदर जा सकता है ना ही बाहर निकल सकता है। साक्षी की उक्त स्वीकारोक्ति से यह तथ्य संदेह से परे प्रमाणित हो जाता है कि, रावलमल एवं सूरजी देवी को मारने वाला कोई अन्य व्यक्ति था जिसने चालाकी पूर्वक पहले संदीप को उसके कमरे में बाहर से बंद किया और हत्या कर फरार हो गया, क्योंकि संदीप यदि हत्या करता तो अन्य व्यक्ति की सहायता के बैगर उसके रूम के दरवाजे के बाहर की कुंडी लगा पाने की सोच भी नामुमकिन है, जहाँ एक ओर अभियोजन द्वारा न्यायालय के समक्ष यह प्रकट करने का प्रयास किया गया है कि, घर में एक प्रवेश द्वार है इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति दूसरे रास्ते से प्रवेश नहीं कर सकता, वहीं दूसरी ओर इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-20 में स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, घटना स्थल घर के पीछे गली है उस गली से सीढ़ी आदि के माध्यम से कोई व्यक्ति चढ़कर दीवार के ऊपर लगी जाली में पहुंच सकता है जिससे जाली का ही गेट लगा है जो घटना दिनांक तक खुला रहता था और वहाँ से कोई आदमी घर के भीतर हॉल में प्रवेश कर सकता है और हॉल से नीचे घटना स्थल पर पहुंच सकता है तथा अ.सा.-15 अन्वेषण अधिकारी भावेश साव ने भी अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-47 में यह स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, टाटा-एस जहाँ खड़ी थी उससे लगी घटना स्थल वाले मकान की रेलिंग तक की ऊँचाई 8.5 फीट है। यह कहना सही है कि, रेलिंग से उसका आशय जाली से है।” जाली के ऊपर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है स्वतः कहा कि, जाली के ऊपर छत है जहाँ जाकर उसने नहीं देखा तथा साक्षी सौरभ अ.सा.-8 ने भी अपने प्रति परीक्षण की अंतिम दो लाईनों में यह कथन किया है कि, “उसने पुलिस को पूछने पर उक्त बात बता दी थी पर पुलिस वालों ने कोई मुआयना नहीं किया। इसका अर्थ यह कि, पुलिस द्वारा जानबूझकर मकान में प्रवेश के अन्य रास्तों को छिपाने का प्रयास किया है। इस साक्षी ने कंडिका-22 में आरोपी को धार्मिक प्रवृत्ति का होने धार्मिक कार्यों में रूचि लेने तथा समाज में प्रतिष्ठित होने एवं कवि होने के संबंध में भी कथन किया है जो कि, आरोपी के चरित्र को स्पष्ट करता है ।” @“4. कंडिका-24 में इस साक्षी ने घटना दिनांक के लगभग माह डेढ़ माह पूर्व अपने पिता के साथ तीर्थ यात्रा पर जाना एवं उसमें आरोपी की पत्नि एवं पुत्र का जाना भी स्वीकार किया है तथा उस समय भी घर पर आरोपी संदीप एवं नाना-नानी मात्र का रहना व्यक्त किया है जिसकी पुष्टि गवाह रोहित के बयान से होती है इससे यह स्पष्ट है कि, कई मौकों पर संदीप अपने माता-पिता के साथ अकेले घर में निवास करता था, अतः ऐसी स्थिति में अभियोजन की यह उपधारणा खण्डित हो जाती है कि, संदीप ने अपने माता-पिता की हत्या कारित करने के आशय से अपनी पत्नि एवं पुत्र को दल्‍लीराजहरा छोड़ दिया था। @“5. जहाँ एक ओर अ.सा.-7 रोहित ने अपने कथन में दिनांक 30-12-2017 को उसे आरोपी द्वारा 31-12-2017 की रात आने से मना किये जाने का कथन किया है एवं दिनांक 30-12-2017 की शाम संदीप के नहीं होने से इंकार किया है। वहीं दूसरी ओर साक्षी सौरभ ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-24 में यह स्वीकार किया है कि, यह कहना सही है कि, दिनांक 30-12-2017 एवं 31-12-2017 दोनों दिन आरोपी संदीप रायपुर गया था और शाम 700 बजे के बाद घर लौटा था । इस प्रकार साक्षी रोहित देशमुख का बयान भी संदिग्ध एवं अकल्पनीय प्रतीत होता है एवं साक्षी सौरभ के उक्त कथन को अभियोजन द्वारा चुनौती नहीं दी गई है। इस साक्षी के प्रति परीक्षण की समाप्ति के पश्चात विद्वान विशेष लोक अभियोजक ने इस साक्षी का पुनः परीक्षण एवं प्रति परीक्षण किया। पुनः परीक्षण के दौरान इस साक्षी ने कंडिका-33 में विशेष लोक अभियोजक के सुझाव से इंकार किया है कि, आरोपी संदीप के कमरे का दरवाजा लुढ़का हुआ था जिसे वह धक्का देकर अंदर घुस गया तथा विशेष लोक अभियोजक के प्रति परीक्षण की कंडिका-58 में भी अपने पुलिस बयान प्र.पी.-85 में संदीप के कमरे का दरवाजा लुढ़का होने तथा धक्का देकर अंदर घुसने और संदीप को उठाकर पूरी बात बताने का कथन नहीं देना व्यक्त किया है तथा कंडिका-64 में भी ऐसा कथन देने से इंकार किया है।”' “6. कंडिका-36 में यह स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, उसके द्वारा प्रति परीक्षण में यह बताया गया है कि, पुलिस वाले कमरे में रखे 74 लाख रू. को ले गये । वह कोतवाली थाना पुलिस वालों द्वारा 74 लाख रू. ले जाने वाली बात बताने गया था लेकिन पुलिस वालों ने बोला कि, यहाँ बताने की जरूरत नहीं है, कोर्ट में बताना ।” @52- उपरोक्त समीक्षा से यह स्पष्ट है कि, अभियोजन द्वारा साक्षी के इस कथन को कि, पुलिस वाले 74 लाख रू. रावलमल जैन के ऑफिस के कमरे से ले गए थे, साक्षी को विचलित नहीं किया जा सका है बल्कि कंडिका-40 में ले जाने वाले का नाम भावेश साव (अन्वेषण अधिकारी) बताया है तथा पैरा-45 के कथन के संदर्भ में साक्षी ने पैरा-79 में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि, वह गलत लिखा है तथा इस साक्षी ने अपने पुनः परीक्षण की कंडिका-47 में यह कथन किया है कि, “उसने मर्ग एवं एफ.आई.आर. दर्ज कराते हुए 74 लाख रू. ले जाने की बात नहीं बताई थी, स्वतः कहा कि, बयान देते समय बताई थी, वास्तविकता यह है कि, इस साक्षी को 74 लाख रू. पुलिस द्वारा ले जाने के कथन के संबंध में अभियोजन ऐनकेन प्रकारेण तोड़ने का प्रयास किया है परन्तु यह साक्षी अडिग रहा है। वैसे भी पुलिस द्वारा 74 लाख रू. ले जाने की घटना मर्ग और एफ. आई.आर. के बाद की है, अतः मर्ग और एफ.आई.आर. में लिखाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता, पश्चात इस साक्षी को विशेष लोक अभियोजक द्वारा पक्ष विरोधी घोषित कर प्रति परीक्षण किया है परन्तु यह साक्षी अपने न्यायालयीन कथन में अडिग रहा है एवं अपने पुलिस कथनों का खण्डन किया है जिससे यह स्पष्ट है कि, जब तक साक्षी घटना स्थल पर दोनों शव देखकर आरोपी के कमरे में पहुंचा तो आरोपी के कमरे की बाहर की कुंडी लगी हुई थी तथा पुलिस वाले रावलमल के ऑफिस से 74 लाख रू. ले गये थे, कुत्ते ने जालीदार टोपी सुंघा था उक्त तथ्य सिद्ध होते हैं जो कि, अभियुक्त की निर्दोषिता को इंगित करते हैं । @53- प्रकरण में परीक्षित अ.सा.10 एम.एम. जैदी, नोडल आफिसर, वोडाफोन आईडिया लिमिटेड के साक्ष्य में आये तथ्यों अनुसार संदीप जैन के सीम नं.-7697562121 को प्र.पी.-35 से चिन्हांकित कराया है एवं सी.डी.आर. दिनांक 01-12-2017 से 01-01-2018 को प्र.पी.36 तथा 65(वी) के प्रमाण-पत्र का प्र.पी.--37 टॉवर आइ.डी. डिटेल को प्र.पी.-38 से चिन्हांकित कराया है, जिसके अनुसार 31-12-2017 की रात्रि से 01-01-2018 की सुबह 6:43:40 बजे तक आरोपी संदीप का टॉवर लोकेशन गंजपारा दुर्ग होना बताया है, इस संबंध में बचाव पक्ष को विश्लेषित किये जाने की आवश्यकता नहीं है क्योकि घटना की रात्रि से सुबह तक आरोपी संदीप जैन अपने घर में ही था, इस तथ्य से इंकार नहीं किया गया है परन्तु मेमोरेण्डम के अनुसार संदीप के मोबाईल पर उसकी माता का घटना की सुबह फोन आना प्रस्तुत दस्तावेजों से प्रमाणित नहीं होता, उक्त तथ्य भी मेमोरेण्डम कथन एवं अभियोजन की कहानी को ध्वस्त करता है। @54- आरोपी संदीप जैन की ओर से लिखित तर्क में मेमोरेंडम और जप्ती के संबंध में उल्लेखित किया गया है कि, अभियोजन द्वारा अपने पक्ष में जप्ती एवं मेमोरे्डम के गवाह के रूप अ.सा.-13 शेख कलीम का परीक्षण कराया है, इसने अपने मुख्य परीक्षण में आरोपी संदीप द्वारा मेमोरण्डम कथन दिए जाने तथा इसके समक्ष प्र.पी.-48 का नक्शा पंचनामा, प्र.पी.-49 की नोटिस, जप्ती पत्र प्र.पी.-50 एवं 51 तथा मेमोरेण्डम प्र.पी.-.52, जप्ती पत्र प्र. पी.-53 एवं 54 की कार्यवाही किए जाने का कथन किया है। तत्पश्चात्‌ विशेष लोक अभियोजक द्वारा इस साक्षी को पक्ष विरोधी घोषित कर कूट परीक्षण किया गया है जिसमें इस साक्षी ने आरोपी संदीप द्वारा सम्पूर्ण मेमोरेण्डटम कथन लेखबद्ध कराया जाना कहा है, परन्तु इस संबंध में बचाव पक्ष का तर्क है कि, मेमोरेण्डम का मात्र वह भाग जो सम्पत्ति के अधिग्रहण के लिए है उतना ही मात्र सुसंगत होता है तथा इस साक्षी ने आरोपी से हाफ कुर्ता, ओप्पो कंपनी का मोबाईल प्र.पी.-54 एवं 55 के जप्ती पत्र के माध्यम से जप्त किया गया है अथवा नहीं याद नहीं होना कहा है तथा आरोपी भगत सिंग गुरूदत्ता के मेमोरेण्डम प्र.पी.-56 एवं आरोपी शैलेन्द्र सागर के मेमोरेण्डम प्र.पी.57 तथा पहचान कार्यवाही प्र.पी.-58 के संबंध में याद होना नहीं कहा है। यह साक्षी पुलिस का पॉकेट विटनेस है और ऐसे साक्षियों का साक्ष्य प्रथम दृष्टया ग्राहय नहीं है। @55- इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-27 में यह कथन किया है कि, “यह कहना सही है कि, सामान्यतः उसे पुलिस वाले प्रकरणों में गवाह बनाते है और वह 20-25 से अधिक मामलों में गवाह बना है।” यह कहना सही है कि, पुलिस वाले उसे सामान्यतः जप्ती व मेमोरेण्डम का गवाह बनाते है।” गवाह स्वतः कहता है कि, वह वहाँ मौजूद रहता है, पुलिस वाले हर मामले में नोटिस देकर बुलाते है, इस प्रकार यह साक्षी पुलिस का पॉकेट विटनेस है जहाँ तक धारा-100(4) द.प्र.सं. का प्रश्न है तो संहिता के अनुसार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को गवाह बनाया जाना चाहिए तथा इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-28 में यह स्वीकार किया है कि, “यह कहना सही है कि, जब वह घटना स्थल पर पहुंचा तब वहाँ पर जैन समाज के एवं मोहल्ले के काफी प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे ।” उक्त तथ्य को अन्वेषण अधिकारी अ.सा.-15 भावेश साव ने भी अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-120 में स्वीकार करते हुए कथन किया है कि, घटना स्थल पर उसके पहुंचने के पहले काफी भीड़ लग गई थी। यह कहना सही है कि, प्रकरण में जप्ती एवं मेमोरेण्डम के दौरान उक्त लोगों में से किसी को गवाह नहीं बनाया है, ऐसी स्थिति में उपस्थित लोगों को गवाह ना. बनाकर अन्वेषण अधिकारी द्वारा इस साक्षी को नोटिस देकर बुलाया जाना अपने आप में दूषित कार्यवाही एवं मिथ्या साक्ष्य गढ़ने का प्रयास प्रतीत होता है। @56- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा साक्षी शेख कलीम (अ.सा.13) के साक्ष्य के संबंध में उल्लेखित किया गया है कि, कंडिका-38 में स्वीकार किया है कि, रावलमल जैन के घर में ही उनकी आफिस है परन्तु आगे कथन करता है कि, उसे जानकारी नहीं है कि, रावलमल जैन के आफिस से क्या-क्या चीजें बरामद हुई थी, इस प्रकार स्पष्ट है, पुलिस का पॉकेट विटनेस होने के कारण यह जानबूझकर रावलमल के आफिस में हुई 74 लाख रा सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 रू. की बरामदगी को छिपा रहा है क्योंकि एक ओर यह साक्षी पुलिस द्वारा रचित मेमोरेण्डम एवं जप्ती का उल्लेख करता है परन्तु रावलमल के आफिस से हुई बरामदगी की जानकारी नहीं होना कहता है। इसी प्रकार इस साक्षी ने पैरा-39 में यह स्वीकार किया है कि, वह पुलिस वालों के साथ रावलमल जैन के घर के छत पर गया था परन्तु अभियोजन की कहानी घर पर प्रवेश के अन्य रास्ते नहीं होने की है, इसलिए उक्त तथ्य को छिपाने के आशय से यह साक्षी तत्काल बाद में कहता है कि, वहं छत पर नहीं गया था, इस प्रकार इस साक्षी को विश्वसनीय साक्षी नहीं कहा जा सकता। @57- इस साक्षी ने अपने मुख्य परीक्षण की कंडिका-7 में आरोपी संदीप के कमरे में एक शर्ट व सफेद रंग का दस्ताना जिसे डॉक्टर लोग हाथ में पहने हुए रहते है, प्र.पी.-54 के अनुसार जप्त किए जाने का कथन किया है परन्तु विशेष लोक अभियोजक द्वारा पक्ष विरोधी घोषित किए जाने के बाद कंडिका-15 में काले रंग के दस्ताने जप्त करने की बात कहता है एवं यह कहता है कि, “वह मुख्य परीक्षण में समय गुजर जाने कारण सफेद दास्ताना बताया था तथा प्रति परीक्षण की कंडिका-41 में सफेद दस्ताना होने की बात पर पूछने पर उत्तर देता है कि, ऐसे ही मुंह से निकल गया था परन्तु आगे बचाव पक्ष के इस सुझाव को कंडिका-41 में स्वीकार करता है और यह कहता है कि, यह कहना सही है कि, डॉक्टर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सफेद दास्ताना एवं काला दस्ताना जो आम लोग पहनते है, उसमें मूलभूत अंतर होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि, यदि इस साक्षी के सामने जप्ती की कार्यवाही होती तो यह अपने मुख्य परीक्षण में मूलभूत अंतर नहीं करता, इस प्रकार भी यह सिद्ध होता है कि यह साक्षी पुलिस का पॉकेट विटनेस है। इस साक्षी ने कंडिका-42 में यह स्वीकार किया है कि, घटना स्थल पर 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक संदीप उनके साथ था एवं संदीप को पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी उसे उसके कमरे में रोक रखे थे, यह कहना सही है कि, जब वे लोग घटना स्थल का मुआयना कर रहे थे तब उनके साथ संदीप नहीं था, यह कहना सही है कि, उसकी अनुपस्थिति में यदि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने संदीप पर बयान देने के लिए कोई दबाव डाला हो उसे उत्पीड़न दिया हो या प्रताड़ित किया गया हो तो वह नहीं बता सकता। इस प्रकार कथित मेमोरेण्डम को स्वतंत्र मेमोरेण्डम नहीं कहा जा सकता तथा कंडिका-43 में जप्ती पत्र प्र.पी.-50 एवं 51 में सादी मिट्टी जप्त करना लिखा हो तो वह गलत है, कहता है। इसका अर्थ यह हुआ कि, यह साक्षी पुलिस के कहने पर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया है तथा पिस्टल खरीदने वालों की पहचान कार्यवाही प्र.पी.-.58 में आरोपी संदीप के हस्ताक्षर ही नहीं है, जिसे इस साक्षी के कंडिका-44 में स्वीकार किया है, इस प्रकार भगत सिंग गुरूदत्ता से आरोपी द्वारा पिस्तौल खरीदने की कहानी परिस्थितियों की श्रृंखला को तोड़ती है क्योंकि अभियोजन ने आरोपी संदीप द्वारा भगत सिंह गुरूदत्ता से पिस्तौल खरीदने का कोई प्रमाणिक साक्ष्य प्रस्तुत ही नहीं किया है। इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-46 में बचाव पक्ष द्वारा यह पूछे जाने पर कि, आरोपी संदीप ने मेमोरेण्डम प्र.पी.-52 में दस्ताना बरामद कराने वाली बात नहीं बताई थी, इस पर गवाह का उत्तर है कि, आज उसे याद नहीं जबकि अपने मुख्य परीक्षण एवं विशेष लोक अभियोजक द्वारा किए गए कूटपरीक्षण में दस्ताना बरामद कराने की बात स्वीकार करता है इस प्रकार यह साक्षी विश्वसनीय साक्षी नहीं कहा जा सकता है, इस साक्षी ने पैरा-46 में भी यह स्वीकार किया है कि, आरोपी के मेमोरेण्डम जप्ती के पूर्व ही सम्पत्तियों की जाँच कर ली थी एवं फोटो खींच लिए थे ऐसी स्थिति में भी कथित मेमोरेण्डम मूल्यहीन हो जाता है। @58- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता व्दारा मर्ग के समय में आई विसंगतियों बाबत्‌ अन्वेषक साक्षी भावेश साव के साक्ष्य में आये तथ्यों को अपने लिखित तर्क में इस प्रकार उल्लेखित किया है :- “इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-54 में घटना स्थल से शासकीय अस्पताल, दुर्ग की दूरी लगभग 3 से 4 किलो मीटर होना बताया है जो पूर्णतः गलत है, क्योंकि घटना स्थल से शासकीय अस्पताल की दूरी 1 किलोमीटर से अधिक नहीं है। इस साक्षी ने उक्त कंडिका में दोनों मृतकों के शव को चार पहिया वाहन से पोस्टमार्टम हेतु भेजना बताया है परन्तु आगे यह कथन किया है कि, आज अंदाज से वह समय नहीं बता सकता कि, शव को चार पहिया वाहन से शासकीय अस्पताल, दुर्ग ले जाने में कितना समय लगा होगा इस साक्षी ने यह भी स्वीकार किया है कि, यह कहना सही है कि, किसी भी स्थिति में घटना स्थल से शासकीय अस्पताल दुर्ग चार पहिया वाहन में जाने में एक घण्टे का समय नहीं लगेगा, आगे इस साक्षी ने यह भी स्वीकार किया है कि, उसने दोनों शवों को प्र.पी.-3 एवं 5 के माध्यम से पोस्टमार्टम हेतु दोपहर 1:00 बजे शासकीय अस्पताल, दुर्ग रवाना करने का समय लेख किया था तथा प्रपी.-3 एवं 5 के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि, डॉ. को उक्त शव क्रमश: 2000 बजे एवं 2:10 बजे प्राप्त हुआ, प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि, आखिर एक घण्टे शव कहाँ रहा जिसका उत्तर यह हो सकता है कि, एक घण्टे की अवधि में अन्वेषण अधिकारी द्वारा साक्ष्य गढ़ा गया है। @59- आरोपी संदीप जैन की ओर से लिखित तर्क में यह भी उलल्‍्लेखित किया गया है कि, साक्षी प्रभात वर्मा (फोटोग्राफर) व्दारा बिल भुगतान का कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है और ना ही फोटोग्राफर प्रभात वर्मा के फोटोग्राफर होने के संबंध में कोई दस्तावेज पेश किया है ऐसी स्थिति में प्रस्तुत जप्तशुदा फोटोग्राफ का साक्ष्य की दृष्टि से कोई महत्व नहीं रह जाता और वे दस्तावेज ग्राहय नहीं हैं। जहां एक ओर इस साक्षी ने अपने मुख्य परीक्षण की कंडिका-2, 3 एवं 4 में मर्ग सूचना एवं प्रथम सूचना पत्र सौरभ गोलछा के दर्ज कराने पर क्रमश: 6:15, 6:20 एवं 6:25 बजे दर्ज किए जाने का कथन किया है, वहीं दूसरी ओर इस साक्षी ने प्रकरण में सौरभ गोलछा का मोबाईल रिकार्ड प्र.पी.--46 प्रस्तुत किया है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि, सौरभ गोलछा का मोबाईल 01-01-2018 को सुबह 6:04:58 बजे से 6:38:23 बजे तक लगातार व्यस्त रहा है तथा इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-53 में यह कथन किया है कि, वह आज नहीं बता सकता कि, प्रार्थी सौरभ थाना आने के बाद अन्य लोगों से अपने मोबाईल से बातचीत कर रहा था। वह आज यह भी नहीं बता सकता कि, प्रार्थी सौरभ थाने में मर्ग सूचना लिखाते समय अन्य लोगों से अपने मोबाईल से बातचीत कर रहा था या नहीं। मर्ग सूचना उसने अपनी हस्तलिपि में दर्ज किया है। इस प्रकार यह साक्षी विश्वसनीय साक्षी नहीं कहा जा सकता क्योंकि जब यह स्वतः: मर्ग दर्ज किया है ऐसी स्थिति में सौरभ उस समय मोबाईल पर लगातार व्यस्त था या नहीं यह बताने में असमर्थ नहीं रहता तथा दूसरा तथ्य यह भी है कि, सौरभ के मोबाईल रिकार्ड के अनुसार मर्ग दर्ज कराते समय उसका मोबाईल लगातार व्यस्त था अतः ऐसी स्थिति में उस समय मर्ग दर्ज कराना संभव नहीं था ऐसी स्थिति में भी एन्टीडेटेड-एन्डी टाईम मर्ग एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट की परिकल्पना से इंकार नहीं किया जा सकता। @60- प्रकरण में यह महत्वपूर्ण है. एवं. विशेष अवलोकनीय है कि, साक्षी डॉ. टी.एल.चन्द्रा ने घटना स्थल पहुंचने का समय 11:30 बजे से 3:00 बजे तक निरीक्षण करना कंडिका-47 में बताया है तथा. अ.सा.-15 भावेश साव द्वारा उन्हें प्र.डी.-3 का नोटिस दोपहर 3:00 बजे देना स्वीकार किया है। साक्षी से यह पूछे जाने पर कि, जब डॉ. टी.एल.चन्द्रा 300 बजे तक घटना स्थल का मुआयना एवं वस्तुओं की जाँच कर लिए थे तब उन्हें घटना स्थल निरीक्षण करने एवं वस्तुओं की जाँच करने हेतु नोटिस क्यों दिया इस पर साक्षी कहता है कि, उसके द्वारा शासकीय दस्तावेजों कि पूर्ति हेतु नोटिस देना आवश्यक समझा जो कि इस तथ्य का प्रमाण है कि, विधिक नियमों को ताक में रखकर इस अन्वेषण अधिकारी ने कार्यवाही की है, जिसका उद्देश्य मात्र आरोपी संदीप को प्रकरण में झूठा आलिप्त करना रहा है। यहाँ यह भी महत्वपूर्ण है कि, इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-76 में यह स्वीकार किया है कि, प्रकरण में सामग्रियों को प्र.डी.-3 का नोटिस देने के पूर्व जप्त किया 83 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 जा चुका था जप्ती प्र.पी.-53 एवं 54 जप्ती पत्रक में. क्रमशः 15:30 एवं 16:00 बजे का समय लिखा गया है, इस प्रकार साक्षी का उक्त उत्तर जप्ती प्र.पी.-53 एवं 54 के फर्जी होने की पुष्टि करता है। @61- इस साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-76 में यह भी स्वीकार किया है कि, प्र.पी.-50 एवं 51 के जप्ती पत्र के द्वारा प्रकरण में सामग्रियों को प्र.डी.-3 की नोटिस देने के पूर्व जप्त किया जा चुका था तथा प्र.पी.-50 एवं 51 इस जप्ती का समय क्रमशः 10:00 बजे एवं 10:30 बजे का उल्लेख है, उक्त दोनों जप्ती पत्रक को यह साक्षी पैरा-72 के अनुसार क्रमशः 10:00 बजे एवं 10:30 बजे लेख करना प्रारंभ करने का कथन किया है और झूठी कार्यवाही से बचने के लिए बिना पूछे ही स्वतः कथन करता है कि, चूंकि एफ.एस.एल. टीम नहीं पहुंची थी इसलिए उसने सामग्रियों को यथास्थिति वैसे ही रखा था और सीलबंद नहीं किया था पर साक्षी पैरा-77 में प्र.पी.-50 का लेखन कब समाप्त किया, यह बताने पाने में भी असमर्थ है, पुनः अपनी फर्जी जप्ती कार्यवाही को ढ़कने के आशय से बिना पूछे स्वत: कथन करता है कि, वैज्ञानिक अधिकारी के जप्ती / निरीक्षण पश्चात्‌ उसने जप्ती एवं सीलबंद की कार्यवाही किया था। आगे यह स्वीकार करता है कि, उसके द्वारा प्र.पी.-50 के लेखन कार्यवाही के पश्चात्‌ प्र.पी.-51 की कार्यवाही प्रारंभ की गई यह कहना सही है कि, प्र.पी.-50 एवं 51 में “स से स” भाग पर मौके पर जप्त सामग्रियों को गवाहों के समक्ष सीलबंद किया गया एवं “द से द” भाग पर निम्नलिखित सम्पत्ति पैक एवं सील की गई उल्लेख है। इस प्रकार स्पष्ट है कि, वैज्ञानिक अधिकारी के पहुंचने के पूर्व ही प्रपी.-50 एवं 51 में उल्लेखित वस्तुएं सीलबंद कर ली गई थी । इसका अभिप्राय यह हुआ कि, जो वस्तुएँ जप्त कर सीलबंद की गई थी वे घटना से संबंधित नहीं थी तथा वैज्ञानिक अधिकारी द्वारा उपरोक्तानुसार राय देने पर वस्तुएं बदल दी गई क्योंकि सीलबंद वस्तुओं का बिना सील खोले वैज्ञानिक अधिकारी द्वारा निरीक्षण कर पाना किसी भी स्थिति में संभव नहीं है तथा प्रकरण में वैज्ञानिक अधिकारियों के आने पर प्र.पी.-50 एवं 51 के अनुसार जप्त वस्तुओं के सील खोलने का कोई उल्लेख ना तो प्रकरण में है और ना ही केस डायरी में । इस प्रकार स्पष्ट है कि, न्यायालय में प्रस्तुत प्र.पी.50 एवं 51 अनुसार जप्त सामग्री फर्जी है एवं घटना स्थल से संबंधित नहीं है। उक्त संबंध में इस साक्षी के प्रति परीक्षण की कंडिका-78 एवं 79 अवलोकनीय है, उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट होता है कि, अन्वेषण अधिकारी अ.सा.-15 भावेश साव द्वारा आरोपी संदीप को प्रकरण में झूठा आलिप्त करने के आशय से मिथ्या साक्ष्य गढ़ा गया है, तथा प्र.पी.-50 एवं 51 के जप्ती पत्र एवं प्र.डी.-3 में नोटिस की कार्यवाही फर्जी साक्ष्य गढ़ने एवं परिस्थितियों की चैन टूटे होने की पुष्टि करता है इसलिए इस साक्षी ने चूंकि वस्तुएं बदल गई थी इसलिए प्र.पी.-22 के प्रतिवेदन के साथ नमूना सील एफ.एस.एल. में नहीं भेजा है, जिसे साक्षी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-80 में स्वीकार किया है। @62- इस प्रकरण में यह स्थापित है कि, घटना का कोई चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है परन्तु अन्वेषण अधिकारी ने अपने प्रति परीक्षण की कंडिका-135 में पूछे गए प्रश्न की रावलमल जैन के शव पंचनामा प्र.पी.-33 में मृत्यु का समय 5:30 बजे से 5:50 बजे प्रातः लिखा हुआ है, उक्त समय कैसे लिखा है, के उत्तर में साक्षी कहता है कि, उक्त समय उसने पंचानों के बताए अनुसार लिखा है, इसी प्रकार यह साक्षी जैसा पूर्व में विश्लेषण किया गया है कि, मर्ग सूचना एवं प्रथम सूचना पत्र में घटना का समय साक्षी सौरभ के बताए अनुसार लिखना बताया है, साक्षी के उक्त आचरण से यह स्पष्ट होता है कि, इस साक्षी ने स्वच्छ एवं निष्पक्ष अन्वेषण नहीं किया है एवं आरोपी संदीप को प्रकरण में झूठा आलिप्त करने के आशय से बिना अन्वेषण किए एकतरफा कार्यवाही किया है, जिसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि, मृतिका अर्थात सूरजीबाई की मृत्यु का समय निश्चित किया जा सकता था परन्तु उसके शव पंचनामा प्र.पी.-32 में मृत्यु के समय का उल्लेख नहीं है। @63- इस साक्षी ने आरोपी संदीप जैन को प्र.पी.--69 के अनुसार 01-01-2018 के 20:15 बजे गिरफ्तार करना बताया है परन्तु कंडिका-143 के अंतिम लाईनों में यह स्वीकार किया है कि, वह नहीं बता सकता कि, आरोपी संदीप को उसने दिनांक 01-01-2018 को कितने बजे अभिरक्षा में लिया जिसका मुख्य कारण यह है कि, अभिरक्षा की अवधि में इस साक्षी ने आरोपी संदीप के सभी कागजातों में दबावपूर्वक हस्ताक्षर कराए हैं तथा आरोपी संदीप जैन प्रकरण में ना तो कोई मेमोरेण्डम दिया है और ना ही संदीप जैन के मेमोरेण्डम के आधार पर कोई जप्ती की कार्यवाही अभियुक्त से की गई है। प्रकरण में जप्तशुदा कुर्ता एवं दास्ताना बाजार में आम तौर पर मिलता है, इस प्रश्न के उत्तर में कंडिका-147 में साक्षी कहता है कि, वह यह नहीं बता सकता कि, प्रकरण में प्रस्तुत कुर्ता एवं दस्ताना बाजार में आम तौर पर मिलता है अथवा नहीं । यद्यपि इस साक्षी ने कंडिका-147 में कथन किया है कि, यह कहना गलत है जप्तशुदा कुर्ता और दस्ताना दोनों वस्तुएँ आरोपी संदीप जैन का नहीं है परन्तु उक्त दोनों वस्तु संदीप जैन का होने के समर्थन में कोई प्रमाण पेश नहीं किया है। दिनांक 09-03-2022 को इस साक्षी का विशेष लोक अभियोजक द्वारा पुनः परीक्षण किया गया है जिसमें इस साक्षी ने साक्षी सौरभ गोलछा के धारा-161 द.प्र.सं. के कथन की पुष्टि करने का प्रयास किया है एवं न्यायालयीन कथन को खण्डित करने का प्रयास किया जो कि, विधि में संधार्य नहीं है, क्योंकि विधि का शाश्वत नियम है कि, अन्वेषण के दौरान पुलिस को दिया गया बयान सारवान साक्ष्य नहीं है, इसका प्रयोग केवल साक्षी के अभिकथनों का खण्डन करने के लिए किया जा सकता है। @64- अभियोजन द्वारा प्रकरण में इस तथ्य पर बल दिया जा सकता है कि, घटना स्थल पर एक मात्र अभियुक्त की उपस्थिति सुस्थापित है, ऐसी स्थिति में धारा-106 साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत अपने आपको निर्दोष साबित करने का भार अभियुक्त पर है परन्तु इस प्रकरण में गौरतलब है कि, उक्त मकान में प्रवेश के अन्य रास्ते है और उन अन्य रास्तों से कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर घटना को अंजाम दे सकता है। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता यद्यपि अभियोजन द्वारा मौखिक रूप से यह साबित करने का प्रयास किया गया है कि, घटना स्थल पर प्रवेश के मुख्य द्वार को छोड़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है इसके विपरीत बचाव पक्ष ने संदेह से परे घटना स्थल पर पहुंचने के लिए पीछे जाली के रास्ते एवं ऊपर छत के रास्ते के होने को सिद्ध किया है तथा अभियोजन द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य अथवा नक्शा अथवा पटवारी नक्शा प्रस्तुत नहीं किया है जिससे यह अनुमानित किया जा सके कि, मुख्य द्वार को छोड़कर घटना स्थल में प्रवेश का कोई अन्य रास्ता नहीं है, ऐसी स्थिति में घटना स्थल पर बाहरी व्यक्ति का प्रवेश कर घटना कारित किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता तथा अभियोजन घटना के कथानक को संदेह से परे सिद्ध करने के भार से विमुक्‍्त नहीं हो सकता। @65- प्रकरण में एक आशंका यह भी बलवती होती है कि, किसी भी बाहरी व्यक्ति द्वारा जो उस घर के संबंध में जानकार थे षड्यंत्रपूर्वक रावलमल जैन के द्वारा सुबह दरवाजा खोलने के पश्चात्‌ घर में घुसकर या किसी अन्य रास्ते से प्रवेश कर उनकी हत्या कर दिया हो और सूरजीबाई के देख लेने और सौरभ को फोन करने के बाद साक्ष्य मिटाने के आशय से सूरजीबाई की भी हत्या कर दिया हो। चूंकि अभियुक्त संदीप अपने घर पर अकेले था इसलिए अन्वेषण अधिकारी द्वारा हत्या जैसे जघन्य अपराध का दोष उस पर डाल दिया गया है। जहाँ तक प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य का प्रश्न है तो साक्षी सौरभ गोलछा के साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि, जब वह अपने मामा अर्थात्‌ आरोपी संदीप के कमरे में गया तो उसके दरवाजे की कुंडी बाहर से लगी हुई थी ऐसी स्थिति में आरोपी संदीप के द्वारा ६ 'टना कारित किए जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता और परिस्थितियों की श्रृंखला पूर्णतः: टूट जाती है। @66- जहाँ तक आरोपी संदीप के कुर्ते में खून मिलने का प्रश्न है तो इस संबंध में बचाव पक्ष का तर्क है कि, अभियोजन साक्षी सौरभ ने अपने मुख्य परीक्षण की कंडिका-2 में यह कथन किया है कि, “वे दोनों नीचे आए तो उसके मामा (आरोपी संदीप) नाना, नानी जी से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगे, उक्त स्थिति में भी आरोपी संदीप के कुर्ता में खून आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता तथा दूसरा तथ्य यह है कि, प्रकरण में प्रस्तुत कुर्ता आरोपी संदीप का ही है यह प्रमाणित कर पाने में अभियोजन पूर्णतः असफल रहा है तथा तीसरा तथ्य यह है कि, जप्तशुदा कुर्ते में पाए गए खून का आर.एच.फैक्टर (ब्लड ग्रुप) क्या था तथा क्या वह मृतकों के खून से मिलता था यह प्रमाणित कर पाने में भी अभियोजन पूर्णतः असफल रहा है। @67- अंततः आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा यह उल्‍्लेखित किया गया है कि, परिस्थितिजन्य साक्ष्य के इस मामले में परिस्थितियों की श्रृंखला को जोड़ने में अभियोजन पूर्णतः: असफल रहा है और अभियोजन की इस कहानी पर कि, घटना स्थल पर प्रवेश करने का कोई अन्य रास्ता नहीं है, विश्वास नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार आरोपी के मेमोरेण्डम के पूर्व ही सम्पत्ति (हथियार) की जानकारी अभियोजन पक्ष को हो जाना ऐसे मेमोरेण्डम को ध्वस्त कर देता है साथ ही पुलिस द्वारा मृत्तक रावलमल जैन के आफिस से ले जाई गई रकम 74 लाख रू. हड़प करने की नीयत से आरोपी के विरूद्ध षडयंत्रपूर्वक अभियोग पत्र प्रस्तुत करना संदेह से परे प्रमाणित होता है, उपरोक्त विवेचन से यह भी स्पष्ट है कि, उक्त प्रकरण में अभियोजन अधिकारी द्वारा कूटरचित दस्तावेजों का निर्माण किया गया है तथा हथियार को बदल दिया गया है, साथ ही मालखाने की कोई पर्ची /रजिस्टर प्रस्तुत नहीं किया गया है एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों को साक्षी ना बनाकर पुलिस ने अपने पॉकेट विटनेस को इस प्रकरण में साक्षी बनाया है। उपरोक्त सभी तथ्य अभियुक्त की निर्दोषिता को प्रकट करते हैं तथा अभियोजन अभियुक्त के विरूद्ध अपना प्रकरण संदेह से परे प्रमाणित कर पाने में पूर्णतः विफल रहा है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियुक्त संदीप जैन को सभी आरोपों से दोषमुक्त किये जाने का निवेदन किया गया है। @।। निष्कर्ष के कारण ।। @68- सर्वप्रथम यह उल्लेख करना उचित होगा कि, अभियोजन का यह मामला प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य पर आधारित न होकर विशुद्धतः परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है क्योंकि किसी भी साक्षी ने अभियुक्त द्वारा मृतकगण की मृत्यु कारित किये जाते हुए नही देखा है। परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित प्रकरणों के संबंध में यह स्पष्ट है कि, परिस्थतिजन्य साक्ष्य को स्वीकार किये जाने से पहले यह देखा जाना होगा कि, क्या अभियोजन ठोस ,/८ सुसंगत साक्ष्य / निश्चयात्मक साक्ष्य के माध्यम से आरोपी के व्दारा ही कथित अपराध को कारित करना पूर्ण रूप से सिद्ध कर पाया है या नहीं? यदि हां तो क्या निश्चयात्मक साक्ष्य के संबंध में, साक्ष्य की कड़ियां एक-दूसरे से ऐसी जुड़ी हुई है जिससे कि, आरोपी के अलावा अन्य किसी व्यक्ति व्दारा कथित अपराध को कारित किया जाना माना ही नहीं जा सकता। सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि, परिस्थितिजन्य साक्ष्य के संबंध में लागू होने वाली विधि का उल्लेख किया जावे। इस संबंध में निम्न न्यायिक विनिश्चय अवलोकनीय है :- xxx xxx xxx xxx @धारा-299 भा.द.सं. आपराधिक मानव वध :- जो कोई मृत्यु कारित करने के आशय से, या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से जिससे मृत्यु कारित हो जाना संभाव्य हो, या यह ज्ञान 97 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 रखते हुए कि यह संभावब्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे, कोई कार्य करके मृत्यु कारित कर देता है, वह आपराधिक मानव वध का अपराध करता है। @स्पष्टीकरण 1- वह व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को, जो किसी विकार, रोग या अंग शैथिल्य से ग्रस्त है, शारीरिक क्षति कारित करता है और एतद्‌द्वारा उस दूसरे व्यक्ति की मृत्यु त्वरित कर देता है, उसकी मृत्यु कारित करता है, यह समझा जायेगा । स्पष्टीकरण 2- जहाँ की शारीरिक क्षति से मृत्यु कारित की गयी हो, वहीँ जिस व्यक्ति ने, ऐसी शारीरिक क्षति कारित की हो, उसने वह मृत्यु कारित की है, यह समझा जायेगा, यद्यपि उचित उपचार और कौशलपूर्ण चिकित्सा करने से वह मृत्यु रोकी जा सकती थी। अभियोजन द्वारा प्रस्तावित परिस्थितियां @75- इस प्रकरण में अभियोजन ने आरोपीगण के अपराध को प्रमाणित करने हेतु निम्नलिखित परिस्थितियों को प्रस्तावित किया है :- @01... मृतकगण की मृत्यु दिनांक 01/01/2018 के प्रातः 04:30 बजे से 05:54 बजे के मध्य की प्रकृति मानवघाती या हत्यात्मक थी । @02... आरोपी संदीप जैन गंजपारा आलोकचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स के सामने अपने माता-पिता के साथ अपनी पत्नि और लड़के के साथ मकान के उपर में रहता था, उसके माता-पिता नीचे रहते थे। @03... आरोपी संदीप जैन अपने माता-पिता की इकलौती संतान है तथा अपने घर के बाजू में ही स्थित स्वयं की दुकान में साड़ी विकय का व्यवसाय करता था। उसके साथ उसका भांजा सौरभ गोलछा भी व्यवसाय में उसकी मद्‌द करता था। @04... अपराध का हेतुक- आरोपी संदीप जैन के पिता स्व. रावलमल जैन पुरानी रूढ़ीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे तथा वह स्वतंत्र तथा खुले विचारों का इंसान होने से उसके पिता का उससे अक्सर हर काम में टकराव होता था। मृतक रावलमल जैन उसे अक्सर टोका करते थे कि, जैसे पूजा के लिये शिवनाथ नदी से प्रतिदिन नौकर से पानी मंगवाते थे तथा घर के नल के पानी को ही उपयोग करने को कहने पर उसे डॉट-डपट करते थे। @05... अपराध का हेतुक- आरोपी संदीप जैन के पिता को आरोपी संदीप जैन का उसकी महिला मित्रों से मेलजोल काफी नागवार गुजरता था। कई बार मृतक रावलमल जैन अपने पुत्र अर्थात्‌ आरोपी संदीप जैन को संपत्ति से बेदखल करने की धमकी देते थे जिसके कारण में व्यथित होकर पिता को मारने की योजना बनाया। @06... आरोपी संदीप जैन ने इन्हीं कारणों से पहले से ही एक देशी पिस्टल एवं कारतूस भगत सिंग गुरूदत्ता, निवासी अग्रसेन चौक, दुर्ग से 1,35,000/-रू में खरीद कर रखा था। @07... आरोपी संदीप जैन ने योजना को अंजाम देने के लिये दिनांक 27.12.2020 को पत्नि और बच्चे को मायके दल्‍ली राजहरा भेज दिया और नौकर रोहित देशमुख जो रात्रि में घर में रोज सोता था उसे आगामी रात्रि में घर आने से मना कर दिया। @08... आरोपी संदीप जैन ने उसके बाद योजनानुसार घटना दिनांक को प्रात: लगभग 05.45 बजे अपने रूम से उपर से नीचे आकर अपनी माँ के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। उस समय उसके पिता कारीडोर में बाथरूम तरफ से वापस आ रहे थे और कारीडोर का दरवाजा बंद कर रहे थे, तभी उसने अपने पिता को पीछे से पीठ में गोली मार दिया। @09... आरोपी संदीप जैन ने गोली की आवाज सुनकर उसकी माँ के चिल्‍लाने पर वह अपने उपर कमरे में भाग गया फिर उसके मोबाईल पर उसकी माँ का फोन आने लगा लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया और नीचे मॉ के कमरे के पास पुनः वापस आया तो उसकी मां, सौरभ को फोन करके बुला रही थी तब उसने अपनी मां के कमरे का दरवाजा खोला और उसका राज खुल जाने के डर से उन्हे भी गोली मारकर हत्या कर दिया। @10... आरोपी संदीप जैन ने उसके बाद बाहर जाने वाले कारीडोर का दरवाजा और बैठक का दरवाजा खोल दिया तथा सबसे बाहर मेन गेट का ताला खोलकर चाबी उसी में छोड़ दिया ताकि लगे कि कोई बाहर का आदमी आकर हत्या कर चला गया है। @11. आरोपी संदीप जैन ने गोली मारते समय काले रंग के दस्ताने पहन रखे थे जो उसके कमरे के बिस्तर में सिराहने के नीचे रखे मिले थे तथा घटना के समय पहना चेक आसमानी कलर का हॉप कुर्ता जिसमें खून के दाग लगे थे, को बिस्तर के नीचे छिपाकर रखा। @12... आरोपी संदीप जैन ने जिस पिस्टल से अपने माता-पिता की हत्या की उसे घर के पीछे उपर बालकनी के नीचे फेंक दिया। जो वही पर खड़ी टाटा एस. गाड़ी में गिरा तथा साथ में एक लोडेड मैग्जीन और 02 झिल्ली में जिंदा कारतूस को भी नीचे गली में फेंक दिया। @76- अब अभियोजन द्वारा प्रस्तावित परिस्थितियों के संबंध में प्रकरण में प्रस्तुत अभियोजन के साक्ष्य पर विचार किया जा रहा है। @।। परिस्थिति कमांक-1 पर निष्कर्ष ।। परिस्थिति :- मृतकगण रावलमल जैन एवं श्रीमती सूरजी बाई की मृत्यु दिनांक 01/01/2018 के प्रात: 04:30 बजे से 05:54 बजे के मध्य की प्रकृति मानवघाती या हत्यात्मक थी । @ उपरोक्त विवेचित परिस्थितियों के अनुकम में यदि इस प्रकरण के संबंध में विचार करें तो अ.सा. 3 डॉ. बी.एन. देवांगन का कथन है कि, दिनांक 01/01/18 को आरक्षक मुन्नालाल यादव, थाना दुर्ग द्वारा मृतक रावलमल जैन (मणी) को पोस्टमार्टम के लिए लाया था, पोस्टमार्टम उसी दिनांक को 02:15 बजे प्रांरम किया, शव की पहचान उसके चचेरे भाई भीखमचंद जैन द्वारा एवं परिचित प्रकाश देशलहरा द्वारा की गयी जांच रिपोर्ट प्रपी. 2 पर उसने पाया कि, दोनो आंखे बंद थी, पुतली फैली हुई थी, कंज्कटिवा पेल था, मुंह थोड़ा सा खुला हुआ था, जीभ थोड़ा सा बाहर निकला हुआ था, उसके हाथ के नाखुनों मे साइनोनिस उपस्थित था । मृतक के शरीर पर निम्न मृत्यु पूर्व चोट के निशान थे - @1. एक प्रवेश चोंट विथ जिगजेग मार्जिन विथ खरोंच उपरी भाग में जिसका आकार 1.5 हू 1 सेमी सीने के गहरे भाग तक था, जो अंदर एवं नीचे की ओर रास्ता बना रहा था, जो बांया सीने के पिछले मध्य भाग में था । @2. एक प्रवेश वुंड॒ 1.5 हू 1 सेमी .र॒ सीने के गहरे भाग तरफ दाहिने तरफ, सीने के पिछले भाग में था तथा सीने के सामने वाले भाग मे सुजन था, जिससे एक मेटेलिक पीला कलर का बुलेट था, जिसें निकालकर सुरक्षित कर सील कर उसी आरक्षक को सौंप दिया था। @3. एक लीनियर एब्रेजन, दो सेमी. लंबी बाये कलाई के सामने भाग में था । @4. एब्रेजनस 14 हू आधा सेमी, 1.5 ऊ 1 सेमी, आधा डू आधा सेमी दाहिने एक्जीला मे था । @5. एक एब्रेजन आधा रू आधा सेमी दाहिने सीने के उपरी भाग मे सामने की तरफ था । रा-(0). इसी साक्षी का कथन है कि, पोस्टमार्टम लिविडिटी विकसित होना शुरू हो गई थी, जो स्थिर नहीं हुई थी, वह चित्त अवस्था की ओर थी, रायगर मार्टिस हाथ एवं पैर दोनों में उपस्थित था, सड़ान विकसित नही हुई थी, उसकी शारीरिक बनावट सामान्य कद काठी की थी अंदरूनी जांच में उसने पाया कि, खोपड़ी झिल्ली स्वस्थ थी, मस्तिष्क पेल था, दाहिने तरफ सीना मे खून उपस्थित था तथा रक्त का थकक्‍का उपस्थित था, फुसफुस एवं श्वास नली स्वस्थ थी, दाहिना फेफड़ा फटा हुआ था फुला हुआ था तथा सीने में खून जमा था तथा खून का थकक्‍्का मॉजुद था, बांया फेफड़ा भी फटा हुआ था, हृदय की झिल्ली फटी हुई थी तथा रक्त का थक्का बड़े साइज मे उपस्थित था, हृदय की बायां वेंटकिल फटा हुआ था तथा उसमे भी खून का थकक्‍का पेरिकार्डियल मे उपस्थित था, परदा आंतो की झिल्‍ली मुंह तथा ग्रसनी मूत्राशय भीतरी एवं बाहरी जनेनइंन्द्रिया तथा छोटी एंव बड़ी आंत स्वस्थ थी, लीवर, राईट लोब फटा हुआ था, प्लीहा गुर्दा पेल था, शरीर के हडिडयों में कुछ चोट के निशान थे । उपरोक्त सभी चोटें मृत्यु पूर्व की थी, मृत्यु से दो घंटे के अंदर की थी, प्रवेश चोट एवं अंदरूनी चोट गन शाट इंज्युरी से आयी थी, खरोंच कड़े एवं खुरदुरे वस्तु से आयी है। शरीर से एक बुलेट पीला मेटेलिक दाहिने सीने के सामने भाग से निकालकर उसी आरक्षक को सौंपा गया। बुलेट की स्थिति जानने के लिए एक्स रे फिल्‍म लिया गया था, जिसमे दो मेटेलिक बुलेट सीने के उपरी भाग में तथा एक मेटेलिक बुलेट दाहिने पेट की उपरी भाग में उपस्थित था । उसके पहने हुए कपड़े एक भूरे रंग का हाफ स्वेटर जिसमें एक फटा हुआ था, 15 गुणित 1 सेमी. का, दोनो तरफ सीने के मध्य भाग में था, एक फटा 14 गुणित आधा सेमी. सीने के बायें पिछले भाग में था तथा 1.5 गुणित 1 सेमी. राईट साइड फटा हुआ निचला सीने के दाहिना भाग में था, कपड़े में खून जैसे धब्बे उपस्थित थे, एक सफेद रंग का बनियान जिसमें दोनो तरफ सीने के पिछले भाग में फटा हुआ जिसका साइज 1.5 गुणित 1 सेमी. था । दाहिने तरफ भी पिछले भाग में बनियान फटा था उसका साइज 1.5 गुणित आधा सेमी था बनियान में भी खुन जैसे धब्बे उपस्थित थे, एक भूरे रंग का अण्डरवियर था, जो सामान्य था, सभी कपड़ों को सीलबंद कर उसी आरक्षक को सौंप दिया गया था। उसके अभिमत अनुसार उसकी मृत्यु शॉक एवं हेमरेज से हुई होना जो मृत्यु पूर्व सीने मे चोट लगने के कारण होना जिसे गन शॉट इंज्युरी से आना बताया है एवं मृत्यु का समय उसकी मृत्यु पोस्टमार्टम के समय से 6 से 12 घंटे के बीच का होना बताया है। मृत्यु की प्रकृति हत्यात्मक होना बताते हुये शव परीक्षण के आवेदन पर पावती प्रदर्श पी 03 होना व जिसके निचले हिस्से में उसके हस्ताक्षर होने का कथन किया गया है। 7-0). आगे. इस चिकित्सक साक्षी ने. उसी आरक्षक द्वारा उसी तारीख को 02:10 बजे मृतक सूरजी बाई को पोस्टमार्टम के लिए लाया जाना तब पोस्टमार्टम उसी दिनांक को 03:40 बजे प्रांभ किये जाने का कथन किया है। शव की पहचान उसके जेठ भीखमचंद जैन द्वारा एवं परिचित प्रकाश देशलहरा द्वारा की गयी। परीक्षण रिपोर्ट प्रदर्श पी. 4 के अनुसार, जांच पर उसने पाया कि बायीं आंख खुली थी, दांयी आंख बंद थी, पुतली फैली हुई थी, कंजक्टिवा कंजस्टेड था, मुंह थोड़ा सा खुला हुआ था, उपरी जबड़े का दांत दिख रहा था, जीभ मुंह के अंदर थी, उसके हाथ के नाखूनों में साइनोनिस उपस्थित था। इसी साक्षी का कथन है कि, उसके शरीर पर निम्न मृत्यु पूर्व चोट के निशान थे :- @1. . एक प्रवेश चोंट राईट साइड सिर में जिसका आकार 1.5 ऊ आधा सेमी हू मस्तिष्क की गहराई तक था तथा दाहिना पैराइटल हडडी मे अस्थि भंग था तथा मस्तिष्क फटा हुआ था तथा रक्त का थकक्‍का उपस्थित था तथा साथ में एक बाहरी 105 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 निकला वुंड बायें सिर की तरफ 2 गुणित 1 सेमी. था तथा कान फटा हुआ था। @2. . एक प्रवेश वुंड 1 रू आधा सेमी रू सीना के गहरे भाग तक दाहिने तरफ, सीने के पिछले भाग में था। @3... एक प्रवेश वुंड॒ 1 रू आधा सेमी हू. सीना की गहराई तक था। @4... एक प्रवेश वुंड॒ 1.5 रू आधा सेमी दाहिना भुजा के निचले भाग में था । @5... एक प्रवेश वुंड॒ 1.5 झू 1 सेमी जो. दाहिना कोहिनी के नीचे था । . @6... पोस्टमार्टम लिविडिटी विकसित होना शुरू हो गया था, जो स्थिर नहीं हुआ था, वह चित्त अवस्था की ओर था, रायगर मार्टिस हाथ एवं पैर दोनों मे उपस्थित था, सड़ान विकसित नहीं हुआ था, उसकी शारीरिक बनावट सामान्य कद काठी की थी । 77-08). आगे साक्षी का कथन है कि, अंदरूनी जांच में उसने पाया कि, खोपड़ी में उपर लिखित चोट नंबर 1 उपस्थित थी, दाहिने तरफ सीना मे खून उपस्थित था तथा रक्त का थक्का उपस्थित था, फुसफुस एवं श्वांस नली स्वस्थ थी, दाहिना फेफड़ा फटा हुआ था, बाया फेफड़ा पेल था एवं हृदय की झिल्ली, इृदय वृहद वाहिका स्वस्थ थी। इसी साक्षी का कथन है कि, परदा, आंतों की झिल्ली, मुंह तथा ग्रसनी, मूत्राशय, भीतरी एवं बाहरी जनेन्द्रिया तथा छोटी एंव बड़ी आंत स्वस्थ थे, लीवर, प्लीहा, गुर्दा पेल थे। उपरोक्त सभी चोटें मृत्यु पूर्व की थी, मृत्यु से दो घंटे के अंदर की थी, सभी चोट गन शाट इंज्युरी से आयी थी। एक बुलेट सीने के सामने भाग से तथा एक बुलेट सीने के पिछले भाग से निकालकर सीलबंद कर उसी आरक्षक को सौंपा गया एवं एफएसएल से जांच कराने की सलाह दी गयी थी। बुलेट की स्थिति जानने के लिए एक्स रे फिल्‍म लिया गया था, जिसमे दो बुलेट सीने के दाहिने तरफ थे। उसके पहने हुए कपड़े एक सफेद साड़ी में पिंक कलर का प्रिंट था, साड़ी में खून का धब्बा उपस्थित था, एक सफेद रंग का पेटीकोट था, जिसमें खून के धब्बे उपस्थित थे, एक सफेद रंग का ब्रा था जिसमे खून के धब्बे उपस्थित थे, एक गुलाबी रंग का ब्लाउज था, जिसमें खून के धब्बे उपस्थित थे। सभी कपड़ो को सीलबंद कर उसी आरक्षक को सौंप दिया गया था तथा एफएसएल जांच की सलाह दी गयी थी । @7-0). इस चिकित्सक साक्षी के अभिमत अनुसार सूरजी बाई की मृत्यु शॉक एवं हेमरेज से होना जो मृत्यु पूर्व सिर एवं सीने में आयी चोट के कारण गन शॉट इंज्युरी से आयी चोट के कारण होना बताया है। मृत्यु का समय उसके पोस्टमार्टम के समय से 6 से 12. घंटे के बीच का होना बताया गया है तथा मृत्यु की प्रकृति हत्यात्मक होने का कथन किया गया है। इस संबंध में शव की पावती प्रदर्श पी 05 होना जिसमें अ से अ भाग पर उसके हस्ताक्षर होने का कथन किया गया है। आगे इस साक्षी का कथन है कि, दिनांक 08,//01,/18 को कार्यालय थाना प्रभारी दुर्ग का पत्र प्राप्त हुआ था, जिसके पृष्ठ भाग पर उसके द्वारा, पुलिस द्वारा पूछे गये प्रश्न कितनी दूरी से पिस्टल चलाया गया था, का उत्तर निश्चित रूप से नहीं बता सकना फिर भी जिगजैक मार्जिन होने के कारण यह कहा जा सकता है कि, गोली बहुत नजदीक से चलायी गयी थी, सही दूरी की जानकारी के लिए उसके बैलेस्टिक जांच की सलाह दी थी, उक्त संबंध में क्वेरी रिपोर्ट प्रदर्श पी 06 होना बताया है । @77-66). आगे इस साक्षी का कथन है कि, दिनांक 16/01/18 को प्रधान आरक्षक मुसाफिर सिंह थाना दुर्ग द्वारा एक पेपर के पैकेट में बिना सील लगा पैकेट में अपराध कमांक 01,८18, थाना दुर्ग के संबंध में लाया था, जिसमे उसने एक हल्का नीले रंग का एवं सफेद रंग का चेक हॉफ कुर्ता, खून जैसा भूरा रंग का दाग उपस्थित था, जो सीने के दाहिने तरफ था, जिसे उसने गोला करके चिन्हांकित किया था, खून जैसे और दाग दाहिनें भुजा में सामने तरफ था, जिसको भी चिन्हांकित किया था तथा सीने के पिछले भाग में खून जैसा धब्बा उपस्थित था, कपड़ो को सीलबंद कर उनकी रासायनिक जांच की सलाह देते हुए उसी आरक्षक को सौंप दिया था। दिनांक 05/01,/18 को थाना प्रभारी, दुर्ग द्वारा क्वेरी चाही 108 गयी थी कि, मृतक रावलमल जैन के शरीर मे कुल तीन गोली दिखायी दे रही है, पी.एम के दौरान सिर्फ एक गोली निकाली गयी है शेष दो गोली क्यों नही निकली, जिस पर उसने यह अभिमत दिया था कि, पी.एम के पहले आरक्षक द्वारा गोली की स्थिति की जानकारी के लिए दोनों शवों के साथ दोनो का एक्स रे. कराकर 01/01/2018 को दो बजे लाया गया था। एक्स रे फिल्‍म का लेटरेटल व्यू नहीं लिया गया है, लेटरेटल व्यू नहीं होने के कारण गोली की सही स्थिति अर्थात आगे या पीछे या कितनी गहराई में है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, एक्स रे के अनुसार दो गोली सीने के दाहिने तरफ उपरी भाग में तथा एक गोली पेट की उपरी भाग में थी, पी.एम. 2.15 बजे प्रारभे किया गया तथा लगभग 3:35 पर समाप्त हुआ जिसमे लगभग 14 घंटे तक सिर्फ एक ही गोली दाहिने सीने से निकालकर उसी आरक्षक को सौंप दी गई थी। पी.एम. एक घंटा 20 मिनिट शेष दो गोली नहीं मिलने पर गोली ढदूढंना बताकर उसके तत्काल पश्चात्‌ पी.एम 3:40 बजे प्रारंभ किया था जिसमें दाहिने सीने मे उपस्थित दोनो गोली मिल गयी थी, उसकी क्वेरी रिपोर्ट प्रपी 08 है। एक्स रे फिल्‍म का लेटरेटल व्यू नहीं होने के कारण तथा एक घंटे तक गोली ढूंढने से नहीं मिलने के कारण दोनों गोली स्वर्गीय रावलमल जैन के शरीर मे छुट गयी, जो किसी मांसपेशी या हडडी में फंसी होगी । उसने मृतक रावलमल जैन 109 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 एवं मृतिका सूरजीबाई के एक्स रे परीक्षण की रिपोर्ट प्रदर्श पी. 9 एवं 10 तथा फिल्‍म पुलिस को दिया था, उक्त दोनों एक्स रे रिपोर्ट के साथ चार एक्स रे फिल्‍म भी संलग्न है रावलमल जैन का एक्स रे रिपोर्ट प्रपी. 9 है, जिसमें आर्टिकल 52 से 55 एक्स-रे प्लेट संलग्न है। सूरजीबाई का एक्स रे रिपोर्ट प्रपी. 10 है, जिसमें आर्टिकल 56 से 58 तक है । 78- तत्समय आरक्षी केन्द्र-दुर्ग में पदस्थ विवेचक अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव के द्वारा मृतिका सूरजी देवी का प्रदर्श पी. 28 का मर्ग इंटीमेशन दर्ज किया गया। इसी दिनांक को 06.20 बजे सौरभ गोलछा ने रावलमल जैन की मृत्यु के संबंध में मर्ग सूचना प्रदर्श पी. 29 दर्ज कराया। मर्ग सूचना के उपरांत दिनांक 01.01.18 को प्रातः 06.25 बजे सौरभ गोलछा की रिपोर्ट पर प्रदर्श पी. 27 की प्रथम सूचना रिपोर्ट, मृतिका सूरजी देवी एवं मृतक रावलमल जैन के संबंध में धारा 302 भा.दं.सं. के अंतर्गत पंजीबद्ध की गई। विवेचक के द्वारा घटना की जानकारी तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों एवं काईम ब्रांच तथा एफ.एस.एल. रायपुर को दी गई एवं कंट्रोल रूम को भी अवगत कराने हेतु निर्देशित किया गया। तत्पश्चात्‌ मौके पर रावलमल जैन के निवास स्थान गंजपारा, दुर्ग में पहुंचकर धारा 175 दं.प्रसं. का नोटिस प्रपी. 30 एवं 31 साक्षियों को घटना स्थल पर उनकी उपस्थिति हेतु जारी किया। उसके पश्चात्‌ प्रदर्श पी. 32 के अनुसार 110 सूरजी देवी एवं प्रपी. 33 के अनुसार रावलमल जैन का शव पंचनामा तैयार किया गया। विवेचक व्दारा शव पंचनामा में सूरजी देवी को तीन गोली तथा रावलमल जैन को तीन गोली मारकर हत्या करना पाया गया। रावलमल जैन का शव गलियारे में बाथरूम के पास तथा सूरजी देवी का शव कमरे में पलंग पर चित्त हालत में पड़ा था, जिसमें रावलमल जैन के पीठ में गोली लगने के निशान थे एवं सूरजी देवी के बांये छाती में, दाहिने हाथ के कोहनी के पास एवं सिर के पास गोली लगने के निशान थे। उसने उक्त दोनों शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल, दुर्ग रवाना किया। उसके पश्चात्‌ शव परीक्षा के लिए दिए गए आवेदन पत्र प्रदर्श पी 3 और प्रदर्श पी. 5 की कार्यवाही उपनिरीक्षक आर.डी. मिश्रा के व्दारा की गई । पोस्टमार्टम उपरांत दोनों शव का सुपुर्दनामा मृतक के भाई भीखमचंद जैन को प्रदर्श पी. 61 एवं 62 दिया गया। 79- अ.सा. 3 डॉ. बी.एन. देवांगन के अभिमत अनुसार रावलमल जैन की मृत्यु शॉक एवं हेमरेज से हुई होना जो मृत्यु पूर्व सीने मे चोट लगने के कारण होना जिसे गन शॉट इंज्युरी से आना बताया है एवं मृत्यु का समय उसकी मृत्यु पोस्टमार्टम के समय से 6 से 12 घंटे के बीच का होना बताया है। मृत्यु की प्रकृति हत्यात्मक होना बताते हुये शव परीक्षण के आवेदन पर पावती प्रदर्श पी 03 होना व जिसके निचले हिस्से में उसके हस्ताक्षर होने का कथन 111 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 किया गया है। मृतिका सूरजी देवी के संबंध में इस चिकित्सक साक्षी व्दारा उसके अभिमत अनुसार उसकी मृत्यु शॉक एवं हेमरेज से होना जो मृत्यु पूर्व सिर एवं सीने में आयी चोट के कारण होना जो गन शॉट इंज्युरी से आयी होना व मृत्यु का समय उसके पोस्टमार्टम के समय से 6 से 12 घंटे के बीच की होना तथा मृत्यु की प्रकृति हत्यात्मक होना बताया है। 80- इस तरह उपरोक्त समस्त साक्ष्य के आधार पर मृतकगण रावलमल जैन एवं श्रीमती सूरजी बाई की मृत्यु स्वाभाविक कारणों से या आत्महत्या के कारण या दुर्घटनाजनित न होकर मानव वध कारित प्रतीत होने से इस न्यायालय का निष्कर्ष है कि, मृतक गण रावलमल जैन एवं श्रीमती सूरजी बाई की मृत्यु आपराधिक मानव वध स्वरूप की थी । 11 परिस्थिति कमांक-2 से 12 पर निष्कर्ष ।। 81- चूंकि उपरोक्त सभी परिस्थितियाँ अर्थात्‌ परिस्थिति कं.2 से लगायत परिस्थति कं. 12 (जिन्हें इस निर्णय की कंडिका कमांक-75 में उल्लेखित किया गया है) एक-दूसरे से जुड़ी हुई है इसलिये साक्ष्य की पुनरावुत्ति को रोकने के उद्देश्य से इन सभी परिस्थितियों पर एक साथ विचार किया जा रहा है। 82- उपरोक्त परिस्थितियों के विवेचन, निष्कर्ष के अनुकम में सर्वप्रथम प्रकरण के महत्वपूर्ण अभियोजन साक्षी सौरभ गोलछा 112 (अ.सा.08) के न्यायालयीन कथन का उल्लेख किया जाना उचित प्रतीत हो रहा है जो इस प्रकार है :- इस अभियोजन साक्षी ने अपने न्यायालयीन कथन में बताया है कि, वह आरोपी संदीप को जानता है, जो उसका मामा हैं, मृतिका सूरजीबाई उसकी नानी एवं मृतक रावलमल उसके नाना थे। वह अपने मामा आरोपी संदीप के साथ साड़ी के व्यापार का कार्य करता था। दिनांक 01 जनवरी, 2018 को सुबह करीब 6.00 बजे उसकी नानी सूरजीबाई का उनके मोबाइल नंबर 9406419291 से, उसके मोबाइल नंबर 7000291510 पर फोन आया कि, नाना जी गिर गये हैं, जल्दी से आ जाओ, तब वह अपनी कार से गंजपारा उनके घर गया। घर के अंदर जाने पर उसने देखा कि, नाना जी कॉरीडोर में गिरे थे, उसने अपने नाना को हिलाने-डुलाने की कोशिश की, मगर वह नहीं उठे फिर वह नानी जी के कमरे में गया, तो देखा कि नानी बिस्तर पर लहुलूहान स्थिति में गिरी थी । उसने देखा कि नानी के शरीर में गोली लगी थी और बाजू में बुलेट भी पड़ी थी, उन्हें भी हिलाने डुलाने की कोशिश की फिर वह अपने नाना जी के पास गया तो देखा कि उन्हें भी गोली लगी थी। उसके बाद वह अपने मामा अर्थात्‌ आरोपी संदीप के कमरे में आरोपी संदीप को उठाने गया फिर वे दोनों नीचे आये, तो उसके मामा, नाना-नानी से लिपटकर फूट फूटकर रोने लगे। आरोपी संदीप ने कहा कि, सब रिश्तेदारों को 113 फोन करो और पुलिस में खबर करो तब उसने डॉक्टर संजय गोलछा, गौतम चंद बोथरा आदि लोगों को फोन किया और थाने में जाकर खबर किया । उसके बाद उसके साथ एक हवलदार आये थे । 83- अभियोजन साक्षी अ.सा. 8 सौरभ गोलछा ने अपने न्यायालयीन कथन में आगे बताया है कि, उसकी मामी और उनके लड़के घटना दिनांक को दल्‍ली राजहरा में थे । उसके द्वारा उसकी नानी सूरजी बाई के संबंध में दर्ज कराई गई मर्ग सूचना में उसने बताया था कि, सूरजीबाई बेडरूम में बिस्तर पर लहुलुहान मृत पड़ी थी, किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसी तरह रावलमल से संबंधित मर्ग सूचना प्रदर्श पी 29 उसने लिखाया था कि, उनकी भी किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। दिनांक 01/01/2018 को उसे सूरजीबाई एवं रावलमल के शव पंचनामा के लिए नोटिस प्रदर्श पी. 30 एवं 31 प्राप्त हुआ था। उसके समक्ष पुलिस ने सूरजीबाई का शव पंचनामा प्रदर्श पी. 32 तैयार किया था उसके समक्ष पुलिस ने रावलमल का शव पंचनामा प्रदर्श पी. 33 तैयार किया था। उसके सामने शवों का अवलोकन कर लिखा पढ़ी की गयी थी एवं प्रदर्श पी. 32 एवं प्रदर्श पी. 33 में उनके शरीर में आयी चोटों एवं गोली लगने का उल्लेख किया गया था एवं शव के पास खाली खोखों का पड़ा होने का उल्लेख है, पुलिस ने उससे दिनांक 114 01/01/2018 को इस प्रकरण से संबंधित बयान लेखबद्ध किया था। 84- आगे इस साक्षी का कहना है कि, घटना दिनांक को चौकीदार, उसके नाना के घर नहीं आया था घर में अंदर प्रवेश करने का एकमात्र दरवाजा है, जो आलोकचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स के सामने है, जो गंजपारा में है। वह संदीप जैन के साड़ी दुकान में दो साल से काम कर रहा था एवं साक्ष्य तिथि के समय काम नहीं करना बताया है। वह घटना दिनांक 01/01/2018 को आरोपी संदीप जैन की साड़ी दुकान में काम करता था । घटना दिनांक 31/01/2017 एवं 01/01/2018 की दरम्यानी रात्रि में घटना स्थल वाले मकान में उसकी जानकारी के अनुसार मृतक रावलमल जैन, मृतिका सूरजीबाई एवं आरोपी संदीप जैन तीन ही लोग मौजूद थे। उसकी नानी सूरजीबाई का फोन सुबह 05:54:50 बजे उसके मोबाइल पर आया कि, उसके नाना गिर है, जल्दी आओ तब वह तुरंत 06 बजकर 02 मिनट 25 सेंकड पर घर पहुंच गया तब उसने पाया कि, सूरजीबाई एवं रावलमल को गोली लगने से उनकी मृत्यु हो गई थी और आरोपी संदीप जैन कमरे मे सही सलामत मिला था। जब वह घटना स्थल पर पहुंचा तो घर का मुख्य दरवाजा खुला हुआ था, मुख्य दरवाजा से अंदर प्रवेश करने के बाद बैठक के रूम का दरवाजा लुढ़का हुआ था, चिटकनी नहीं लगी थी, जिसे धक्का देकर 115 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 वह गलियारे मे गया उसके बाद वह सीढ़ी चढ़कर आरोपी संदीप जैन के कमरे में गया। आगे इस साक्षी का कहना है कि, पुलिस कुत्ते ने जालीदार टोपी और बैग को सूंघा था उसने जब मर्ग एवं प्रथम सूचना प्रतिवेदन दर्ज कराया था उस समय आरोपी संदीप जैन उसके साथ नहीं था। वह मकान के नीचे हिस्से में मर्ग कायम के समय था और मकान के उपरी हिस्से में आरोपी संदीप जैन था। मर्ग एवं प्रथम सूचना प्रतिवेदन उसके द्वारा बोल बोल कर लिखाये जाने के बाद दर्ज किया गया था उसके बाद उसने हस्ताक्षर किया था। उसके नाना रावलमल जैन, समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । 85- अभियोजन साक्षी अ.सा. 8 सौरभ गोलछा ने अपने न्यायालयीन कथन में आगे बताया है कि, नाना-नानी की स्थिति देखने के बाद उसने थाना जाकर प्रथम सूचना पत्र एवं मर्ग दर्ज कराया । नगर निरीक्षक भावेश साव ने दिनांक 01/01/2018 को ही उसका कथन लेखबद्ध किया था। उसने पुलिस को दिये कथन मे यह बताया था कि, मृतक रावलमल जैन उसके नाना है, पहले वह उसके पापा के साथ जबलपुर में रहता लेकिन वहाँ बिजनेस नही चलने के कारण उसके नाना-नानी ने यहा बुला लिया और समता साड़ी सेंटर में ही काम करने लगा, उसके नाना-नानी उसे आर्थिक रूप से मदद करते थे। उसने बयान की कंडिका 15 मे यह बताया है कि, जब वह अपने नाना रावलमल जैन के घर गया तो 116 बाहर का दरवाजा खुला हुआ था और बाहरी कोई व्यक्ति नहीं था और घर के सभी सामान सुरक्षित अवस्था में थे । आरोपी संदीप जैन, मृतक रावलमल जैन एवं सूरजीबाई का इकलौता पुत्र है। घटना के पहले भी वह हमेशा उसके घर ऋषभनगर से उसने नाना रावलमल जैन के घर स्थित उनकी साड़ी दुकान में सुबह आता था और दिन भर काम करके रात को वह अपने घर ऋषभनगर वापस जाता था। 86- अ.सा. 5 राजू सोनवानी ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, वह आरोपी संदीप जैन के घर में ड्रायवर की नौकरी करता है। वह दिनांक 31/12/2017 को शाम 7 बजे नगपुरा मंदिर से रावलमल जैन को लेकर आने के बाद उन्हे घर पर छोड़ा और वापस अपने घर चला गया। वह रावलमल जैन के यहाँ पहले स्विफूट डिजायर चलाता था और अभी आई 10 गाड़ी चलाता है । वह 26/12/2017 को संदीप की पत्नी संतोष जैन, संदीप जैन एवं उसके पुत्र संयम को लेकर दल्‍ली राजहरा छोड़ने गया था और दल्‍ली राजहरा में संतोष जैन एवं संयम को छोड़कर वह और संदीप जैन शाम को 5:30 से 6.00 के बीच वापस आ गये थे । रावलमल जैन गुस्से के तेज व्यक्ति थे उनसे सब डरते थे, आरोपी संदीप बहुत कम बात करता था, जो भी बात करता था अपनी माँ सूरजीबाई के माध्यम से करता था। दिनांक 31/12/2017 की रात को घर पर केवल आरोपी संदीप जैन, उसके पिता रावलमल जैन एव उसकी माँ 117 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 सूरजीबाई ही थे। जब वह सुबह 9:30 से 10 बजे जब रावलमल जैन के घर काम पर गया, तब उसे जानकारी हुई कि, रावलमल जैन एवं सूरजीबाई की हत्या हो गयी है। उस समय पुलिस जांच के लिए आयी थी और भीड़ लगी थी । 87- अ.सा. 7 रोहित कुमार देशमुख ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, वह पिछले 30 वर्षो से रावलमल जैन के घर पर कार्य कर रहा है, वह उनके घर में स्थित आफिस में भृत्य का कार्य करता है। रावलमल जैन के घर में उनकी पत्नी सूरजी बाई, पुत्र संदीप जैन, उसकी पत्नी संतोष जैन और पुत्र संयम निवास करते थे। वह उनके घर में चौकीदारी का कार्य रात में करता था। दिनांक 30/12/2017 को वह रावलमल जैन के घर कार्य किया और शाम को उसे आरोपी संदीप ने कहा कि “तुम 31/12/2017 की रात में सोने मत आना” तब वह दिनांक 31/12/2017 को रावलमल जैन के घर नहीं आया । दिनांक 30/12/2017 को जब वह छुटटी लेकर गया, तब रावलमल जैन के घर, आरोपी संदीप, रावलमल जैन एवं उनकी पत्नी सूरजीबाई केवल तीन लोग थे । उसे दिनांक 01/01/2018 को सुबह व्हाट्सएप के जरिए गांव में पता चला कि, सेठ रावलमल जैन एवं उनकी पत्नी का मर्डर हो गया हें, तब वह अपने गांव से रावलमल जैन के घर आया, पुलिस वाले उसे घर के अदंर घुसने नहीं दिये। घटना के दो-तीन पहले आरोपी 118 संदीप जैन अपनी पत्नी और बच्चे को दल्‍ली राजहरा पहुंचाकर वापस आ गया था। रावलमल जैन शिवनाथ नदी से पूजा के लिए रोज पानी मंगाते थे, आरोपी संदीप ने पानी लाने के लिए मना किया था रात को सोते समय मुख्य गेट पर ताला लगाकर चाबी बैठक मे टांग देते थे । 88- साक्षी अ.सा. 2 प्रभात कुमार वर्मा, रिटायर्ड पुलिस फोटोग्राफर ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, दिनांक 01/01/2018 को सुबह करीब 8:30 बजे थाना दुर्ग से सूचना मिली कि, गंजपारा आ जाईये, तो वह गंजपारा में स्टेट बैंक के बगल से गली है, में घटना स्थल गया थ। घटनास्थल जाकर उसने ६ 'टनास्थल का अवलोकन किया एवं वहां फोटोग्राफस लिए, उसने ६. 'टनास्थल के अंदर का एवं बाहर का फोटोग्राफ लिया था, घटना स्थल घर के अंदर का है उसने फोटो केनन 60 डी डिजीटल कैमरा से लिया है। आगे इस साक्षी का कहना है कि, आर्टिकल ए 1, आर्टिकल ए 5, आर्टिकल ए 6, आर्टिकल ए 7, में लाल स्याही से घेरे गये भाग मकान के पीछे का है आर्टिकल ए 2, आर्टिकल ए 3, आर्टिकल ए 4, आर्टिकल ए 8, आर्टिकल ए 9 में लाल स्याही से घेरा गया भाग मकान के सामने का भाग है. आर्टिकल ए 10 में दो फोटोग्राफस है, जो कि घर के पीछे खड़ी हुई वाहन टाटा मैजिक (छोटा हाथी) का है, आर्टिकल ए-11 का फोटोग्राफस गाड़ी के हुड 119 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 के उपर रखी हुई रिवाल्वर का है, आर्टिकल ए-12. एवं आर्टिकल ए-13 में रिवाल्वर का क्लोज फोटो है, आर्टिकल ए 14 मकान के पीछे का वह स्थल है, जहाँ रिवाल्वर की गोलियां पड़ी थी, जो अ से अ एवं ब से ब भाग पर है। 89- आगे इस साक्षी का कथन है कि, आर्टिकल ए 15 एवं आर्टिकल ए 146, आर्टिकल ए 17 झिल्ली में रखा हुआ कारतूस, जो पहले मकान के पीछे रखी हुई थी, उसे उठाकर बगल में रखा गया। साक्षी कहता है कि, धूप पड़ रही थी, जिसके कारण फोटो ठीक नहीं आ रही थी, जिसके कारण सरकाकर किनारे रखा गया, उसका फोटोग्राफस है।. आर्टिकल ए 18, टाटा मैजिक के डाले में पड़ी हुई रिवाल्वर का वह हिस्सा है जिसमे गोलियां लगती है, आर्टिकल ए 19 एवं आर्टिकल ए 20, बेडरूम के सामने बरामदा का है। आर्टिकल ए 21 से लेकर आर्टिकल ए 24 तक बाथरूम के सामने मृतक की लाश की फोटो है। आर्टिकल ए 25, मृतक के शरीर में जहाँ गोली लगी थी वहाँ की फोटो है, आर्टिकल ए 26 एवं आर्टिकल ए 27 मे पीठ का पिछला हिस्सा है जहाँ खून निकला हुआ था। आर्टिकल ए 28, एवं आर्टिकल ए 29, मृतक के स्वेटर को उठाकर फोटो ली गयी है, जहाँ से गोली बाहर निकली थी, आर्टिकल ए 30 मृतक के पैर के पास खाली कारतूस है, जो नीली स्याही से घिरा हुआ है, की फोटो है आर्टिकल ए 31 से आर्टिकल 120 33 तक खाली कारतूस की फोटो है जो घटना स्थल पर पड़ी हुई थी। 90- आगे इस साक्षी का कथन है कि, आर्टिकल ए 34, आर्टिकल ए 35, आर्टिकल ए 36 की तीनो फोटो बेडरूम की है, जहाँ मृतिका की बॉडी पलंग पर पड़ी हुई थी। आर्टिकल ए 37, आर्टिकल ए 38, आर्टिकल ए 39, आर्टिकल ए 40, आर्टिकल ए 41, आर्टिकल ए 42, सभी मृतिका की फोटो है, जो नजदीक एवं दूर से ली गयी है. आर्टिकल ए 43, आर्टिकल ए 44 ये दोनों फोटो मृतिका के बांये हाथ के तरफ की है, जहाँ दो खाली कारतूस नीली स्याही से घिरे हुये स्थान पर दिख रहे है आर्टिकल ए 45, आर्टिकल ए 46 मृतिका की चोटो के क्लोज अप फोटोग्राफस है. आर्टिकल ए 47 से आर्टिकल ए 51 तक मृतिका के शरीर के फोटो है, जिसमें आसपास की चीजे भी दिखायी गयी है आर्टिकल ए 52, आर्टिकल 53 दरवाजे के उपर आये हुए संभावित अंगूल चिन्ह के फोटोग्राफस है । 91-- अ.सा. 4 आरक्षक डॉग मास्टर अमित कुमार कुर्र का कथन है कि, थाना कोतवाली दुर्ग से फोन से सूचना प्राप्त होने पर कि, गंजपारा में मर्डर हो गया है, तो डॉग को लेकर आना है तब वह डॉग लेकर घटना स्थल गंजपारा गया। घटना स्थल जाने पर उसे दो लाश मिली, एक महिला की लाश कमरे के बिस्तर एवं एक 121 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 पुरूष की लाश बरामदे मे पड़ी थी । उसने डॉग को महिला के कमरे की सुगंध लेने के लिए चादर, बिस्तर, पैर के निशान की सुंगध सुंघायी एवं बरामदे में पड़ी पुरूष की लाश के आसपास की भी सुगंध दी। सुगंध लेने के बाद डॉग सीढ़ी चढ़कर उपर के कमरे में गया, जहाँ पर एक आदमी था, उसे देखकर डॉग भोंकने लगा उसने उस आदमी से नाम पूछा तो उसने अपना नाम संदीप जैन बताया, वह उसके बाद प्रदर्श पी 11 का प्रतिवेदन बनाकर पुलिस को दिया था । 92- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, वह एक्सीडेंट केस में थाना गया था, तब वहाँ पर अभियुक्तगण बंद थे, दिनांक 01.01.2018 को जानकारी होने पर कि, आरोपी संदीप जैन अपने मां-बाप को गोली मार दिया है, वह भी. घटनास्थल पर गया था. वहां पर पुलिस वाले उपस्थित थे, पुलिस वाले उसे बुलाये और नाम पूछे, तब उसने अपना नाम बताया था। पुलिस वाले एक कागज में दस्तखत लिये और वह आरोपी संदीप जैन के घर .के अंदर पुलिस वालों के साथ गया तो देखा कि, घर के अंदर बरामदे में बाथरूम के पास रावलमल जैन पडा हुआ था, उनकी पीठ में दो गोली लगने का निशान दिख रहा था। पुलिस वाले वहीं पर उसकी लिखा पढी किये थे, फिर आरोपी संदीप जैन की मां के कमरे में गये तो देखा कि, संदीप जैन की मां बिस्तर में चित पडी हुई थी, उसने देखा कि, उसके सिर में और हाथ में गोली 122 लगने के निशान थे और दीवाल में भी गोली लगने के निशान थे और बिस्तर में एक गोली पड़ी हुई थी उसके बाद, उपर संदीप जैन के कमरे में गये, उससे पुलिस वाले पूछताछ किये। पूछताछ करने पर आरोपी संदीप जैन ने बताया कि, उसने रावलमल जैन को मारा है और बंदूक तथा गोली को बालकनी की जाली से नीचे फेंक दिया है, फिर रायपुर से आये हुए साहब लोग घटनास्थल देखे और चेक किये और कार्यवाही किये, दुर्ग के साहब लोग लिखा पढी किये। वह घटनास्थल पर सुबह 10 बजे से 03.30-4.00 बजे शाम तक था, प्रदर्श पी-48 नक्शा पंचनामा एवं प्रदर्श पी-49 के नोटिस के अ से अ भाग पर उसका हस्ताक्षर है। 93- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, पुलिस ने उसके सामने सूरजी देवी के कमरे से तीन गोली जप्ती पत्र प्रदर्श पी. 50 के अनुसार जप्त किया था, पुलिस ने उसके सामने जहाँ रावलमल की लाश पडी थी, वहाँ से दो गोली जप्ती पत्रक प्रदर्श पी. 51 के अनुसार जप्त किया था। आरोपी संदीप जैन ने उसके सामने पुलिस वालों को बताया था कि, उसका अपने पिता से संपत्ति को लेकर विवाद होता रहता था आरोपी संदीप जैन ने यह भी बताया था कि, उसके आने जाने वाले दोस्तों को लेकर भी विवाद होते रहता था, इसी कारण आरोपी संदीप जैन के पिता ने उसे अपनी संपत्ति से बेदखल करने के लिए कहते 123 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 थे, फिर उसने अपने पिताजी को मारने का प्लान बनाया, उसके बाद अपनी पत्नी को कहीं भेज दिया, नौकरों को भी छुट्टी में भेज दिया और दो चार आठ दिन बाद अपने पिता को मार दिया। उक्त मेमोरेण्डम प्रदर्श पी-52 है, रायपुर के अधिकारियों के जाने के बाद लगभग 3 से 4 बजे के बीच उसके सामने पुलिस वालों ने, संदीप ने अपनी बालकनी की जाली से जो बंदूक और गोली का खोखा, जिसमें शायद 6 गोली थी और बंदूक खाली थी, उसे घर के पीछे खडे टाटा मालवाहक के गाडी के केबिन जहाँ रिवाल्वर पडा था, उसे प्रदर्श पी. 53 के अनुसार जप्त किया था, उसे वे लोग उठाकर लाये थे । 94- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, पुलिस ने उसके सामने आरोपी संदीप जैन के कमरे से एक शर्ट, एक सफेद रंग का दस्ताना, जिसे डॉक्टर लोग हाथ में पहने हुए रहते है, उस टाईप का प्रदर्श पी. 54 के अनुसार जप्त किया था। उसने घटना दिनांक 01.01.2018 को थाना प्रभारी, दुर्ग के साथ पूरे घटनास्थल का अंदर एवं बाहर से अवलोकन किया था। उसके बाद थाना प्रभारी ने उसका विवरण प्रपी-48 नक्शा पंचायतनामा में लिखा है। मृतक रावलमल के घर में घुसने का सिर्फ एक मुख्य दरवाजा है, जिसे अंदर से बंद करने पर भीतर का ही सदस्य खोल सकता है। मकान के प्रथम तल पर जहाँ संदीप का 124 कमरा है, उसकी बालकनी पूरी तरह से ग्रिल से बंद है, पीछे से आने जाने का रास्ता नहीं हैं। टाटा मैजिक संदीप के कमरे के ठीक नीचे खडा था, संदीप के घर के पीछे गैरेज लाईन हैं जहाँ गाडिया खडी रहती है। 95- अ.सा. 13 शेख कलीम ने स्वीकार किया है कि, रावलमल के घर के आजू-बाजू मकान बने हैं, कोई खाली जगह नहीं है। ग्रिल में एक छोटे जगह में ताला लगा है, जो जंग लगा हुआ है और ऐसा प्रतीत होता है कि, वर्षों से नहीं खोला गया है। इस साक्षी ने स्वीकार किया है कि, मकान के सामने एवं पीछे कहीं पर भी कोई क्षति नहीं हैं, जो किसी व्यक्ति के अंदर प्रवेश करने को इंगित करता हो। गवाह से पूछे जाने पर कि उसने पूरे घटनास्थल का मुआयना करने के बाद नक्शा पंचायतनामा में हस्ताक्षर किया था, तो गवाह ने प्रपी-48 पर हस्ताक्षर करना स्वीकार किया है। इसी साक्षी ने आगे यह भी स्वीकार किया है कि, घटनास्थल के मुआयने के पश्चात्‌ सूरजी बाई के कमरे से जप्ती की गई थी। पुलिस ने सूरजीबाई के कमरे से उसके शव के पास से एक मोबाईल जप्त किया था। बरामदे में जहाँ रावलमल की लाश पडी थी, उस स्थान से पुलिस ने गोली का खोखा जप्त किया था। पुलिस ने उसके समक्ष अभियुक्त संदीप को अभिरक्षा में लेकर घटनास्थल पर पूछताछ किया था जिसमें संदीप ने बताया था कि, वह आलोकचंद त्रिलोकचंद्र 125 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 ज्वेलर्स के सामने स्थित अपने मकान में माता-पिता के साथ रहता है। पुलिस ने उसके समक्ष अभियुक्त संदीप को अभिरक्षा में लेकर घटना स्थल पर पूछताछ किया था जिसमें संदीप ने बताया था कि, उसकी पत्नी और उसके बच्चे के साथ वह मकान के उपरी हिस्से में रहता है, माता पिता नीचे रहते हैं और वह अपने माता पिता का इकलौता पुत्र है। 96- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, पुलिस ने उसके समक्ष अभियुक्त संदीप को अभिरक्षा में लेकर घटना स्थल पर पूछताछ किया था जिसमें संदीप ने बताया था कि, मकान के बाजू में ही साड़ी बेचने का व्यवसाय करता है और उसका भांजा सौरभ गोलछा व्यवसाय में उसकी मदद करता है जो ऋषभ कॉलोनी में रहता है । आरोपी संदीप ने पुलिस को बताया था कि, रावलमल जैन पुरानी रूठी विचारधारा के व्यक्ति थे, वह स्वतंत्र खुले विचारों का व्यक्ति है। आरोपी संदीप ने बताया था कि, उपरोक्त बात को लेकर उसके एवं उसके पिता में हर काम में टकराव होता था तथा वे उसे अक्सर टोका करते थे जैसे पूजा के लिए शिवनाथ नदी से प्रतिदिन नौकर से पानी मंगवाते थे तथा घर के नल के पानी को ही उपयोग करने को कहने पर उसे डांट-डपट करते थे, जिसके कारण उसने व्यथित होकर अपने पिता को मारने की योजना बनाई। उसने इस कारण पहले से ही एक 126 देशी पिस्टल और कारतूस अग्रसेन चौक दुर्ग निवासी भगत सिंह गुरूदत्ता से एक लाख पैतीस हजार रूपये में खरीद रखा था । 97- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, आरोपी ने योजना को अंजाम देने के लिए दिनांक 27.12.2017 को उसकी पत्नी और उसके बच्चे को मायके दल्‍्लीराजहरा भेज दिया और नौकर रोहित देशमुख जो रात्रि में घर में रोज सोता था उसे रात्रि में घर आने से मना कर दिया था, उसने योजना अनुसार घटना दिनांक की प्रातः 05.45 बजे वह उपर से नीचे आकर मां के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया उस समय उसके पिता कॉरीडोर से बाथरूम तरफ से वापस आ रहे थे और कॉरीडोर का दरवाजा बंद कर रहे थे उनकी पीठ उसकी तरफ थी तभी उसने अपने पिता को पीछे से पीठ में गोली मार दिया। गोली की आवाज सुनकर उसकी मां के चिल्‍लाने पर वह अपने उपर कमरे में भाग गया फिर उसके मोबाईल पर उसकी मां का फोन आने लगा लेकिन उसनें नहीं उठाया, उसके बाद नीचे उसकी मां के कमरे के पास पुन: वापस आया तो वह सौरभ को फोन करके बुला रही थी तब उसनें मां के कमरे के दरवाजे को खोला और उसके राज खुल जाने के डर से उन्हे भी गोली मारकर हत्या कर दिया । उसके बाद उसनें बाहर जाने वाले कॉरीडोर का दरवाजा और फिर बैठक दरवाजा खोल दिया तथा सबसे बाहर मेनगेट का ताला खोलकर 127 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 चाबी उसी में छोड दिया ताकि लगे कि, कोई बाहर का आदमी आकर हत्या कर चला गया है। गोली मारते समय काले रंग के दास्ताने पहन रखे थे जो उसने उसके कमरे में बिस्तर में सिरहाने के नीचे रखे है। 98- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, संदीप ने बताया था कि, घटना के समय पहना गया चेक आसमानी कलर का हाफ कुर्ता जिसमें खून के दाग लगे हैं, को बिस्तर के नीचे छिपाकर रखा है, जिस पिस्टल से उसने अपने माता पिता की हत्या की है उसे घर के पीछे उपर बालकनी से नीचे फेंक दिया जो वहीं पर खडी टाटा एस गाडी में गिरा, साथ में एक लोडेड मैग्जीन और दो झिल्ली में जिंदा कारतूस को भी नीचे गली में फेंक दिया जाना बताया। आरोपी संदीप ने बताया कि, मेनगेट का ताला चाबी गेट में ही खुले रखे हैं तथा फेंके गए स्थान और सामान को दिखाया । आरोपी के उक्त बयान देने के बाद मेमोरेण्डम प्रदर्श पी-52 के अ से अ भाग पर हस्ताक्षर किया था। उसी दिन 03.30 बजे दोपहर में घर के पीछे जाकर एक नग 7. 65 केलीवर का देशी पिस्टल और खाली मैग्जीन को टाटा एस के केबिन के उपर से जप्त किया था। आगे इस साक्षी ने कथन किया है कि, एक मैग्जीन लोडेड थी, जिसमें 6 गोली थी, उसे भी टाटा एस के डाले से जप्त किया गया था, कारतूस जो झिल्ली में 128 रखे थे, उसे भी जप्त किया था, इस संबंध में जप्ती पत्रक प्रदर्श पी-53 है। 99- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी का. कथन है कि, वह 2 जुलाई 2009 से वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला, रायपुर मे पदस्थ है। दिनांक 01/01/2018 को वह थाना कोतवाली के अपराध कमांक 01/2018, धारा 302 भादवि का निरीक्षण करने के लिए रायपुर से प्रातः 11:30 बजें घटना स्थल गंजपारा, स्थित दुग्गड़ सदन अपनी टीम के सदस्य रवि चंदेल, डॉक्टर संदीप कुमार वैष्णव एवं डॉक्टर दिनेश कुमार साहू के साथ पहुंचा वह टीम का सबसे वरिष्ठ सदस्य था। घटनास्थल में अति. पुलिस अधीक्षक एवं थाना प्रभारी, दुर्ग उपस्थित मिले, थाना प्रभारी ने उसे घर के अंदर के ६. 'टना स्थल को दिखाया। घर के अदंर प्रवेश करने पर मृतक रावलमल जैन कॉरीडोर में गिरी हुई अवस्था में पाये गये तथा दाई दिशा में स्थित शयन कक्ष में मृतिका श्रीमती सूरजीबाई को बिस्तर पर मृत अवस्था में पाया गया । घटनास्थल में प्रार्थी सौरभ गोलछा ने बताया कि, वह घटनास्थल पर उपस्थित था। घटना स्थल के निरीक्षण करने पर पाया कि, मृतक रावलमल जैन का निवास दुग्गड़ सदन का फोटोग्राफस, जिसे उसके द्वारा नंबर 01 से चिन्हित किया गया है, वह प्रदर्श पी 13 है, रेखाचित्र कमांक 1 में द्शये अनुसार 129 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 ड्राइंग रूम में स्थित शयन कक्ष में पहुंचें कक्ष में दरवाजे के सामने कोने में स्थित बेड पर मृतिका सूरजीबाई का शव रक्त रंजित अवस्था मे पड़ा था, जो प्रदर्श पी 13 के फोटो कमांक 05 एवं 06 है, जिसके अ से अ भाग पर उसका हस्ताक्षर है एवं सील लगी हुई है। मृतिका के दाहिने भाग में सिर के पास लगभग दस सेंटीमीटर की दूरी में बुलेट रक्त रंजित अवस्था में पाया गया, जो फोटोग्राफ कमांक 07 है, मृतिका के बाई तरफ बायें हाथ के पास से लगभग 25 सेंटीमीटर की दूरी पर 7.65 एम.एम. केलीबर के एफ.के. के दो फायर किए हुए कारतूस के खाली खोखे पाये गये, जो फोटोग्राफ कमांक 08 से 10 मे वर्णित है। 100- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी का. आगे कहना है कि, मृतिका के शरीर का अवलोकन करने पर दाहिने हाथ की कोहनी के नीचे एक गोली का प्रवेश पाया गया, जिसका आकार 0.8 सेमी. गुणित 1.0 सेमी. बायें सीने के पार्शर्व भाग में गोली का एक प्रवेश छेद पाया गया, जिसका आकार 0.8 गुणित 0.9 सेमी. जिसे कमशः फोटोग्राफ कमांक 8 से 12 अंकित किया गया है, जो प्रदर्श पी 14 है। उपरोक्त सभी प्रवेश छेद के किनारे के प्राथमिक परीक्षण पर नाइट्राइट का रासायनिक परीक्षण धनात्मक पाया गया। मृतिका के सिर के बायें भाग में कान के उपर एक प्रवेश छेद एवं इसके संगत निर्गम छेद दाये कान के पास 130 पाये गये, इनका आकार कमशः 0.9 सेमी. गुणित 1.0 सेमी. एवं 1.2 सेमी गुणित 1.5 सेमी. पाया गया तथा पीठ के मध्य भाग मे एक गोली का प्रवेश छेद पाया गया जिसका आकार 0.9 सेमी गुणित 1.0 सेमी. पाये गये जिसे फोटोग्राफ कमांक 13 एवं 14 अंकित किया गया है। 101-- आगे इस साक्षी का कहना है कि, इसके अतिरिक्त कक्ष में मृतक के बेड के समीप सोफा, कार्नर टेबल, टी टेबल, डबल बेड एवं टी. वी. भी पाया गया, कार्नर टेबल पर दवाईयां, रिमोट एवं अन्य सामान तथा टी. टेबल पर पानी की गुंडी, गिलास आदि रखे हुए थे, डबल बेड पर चादर एवं तकिया बिखरे हुए थे, जो फोटोग्राफ कमांक 15 से 18 है, जिसे प्रदर्श पी 15 अंकित किया गया। कक्ष के दरवाजे के पास एक 7.65 एम.एम केलीबर के.एफ. का फायर किया हुआ खाली खोखा पाया गया ।। तत्पश्चात्‌ कक्ष से सटे आगे कॉरीडोर में स्थित मृतक रावलमल जैन का शव फर्श पर पेट के बल रक्त रंजित अवस्था में पड़े हुए अवस्था में पाया गया, जो फोटोग्राफ कमांक 19 से 24 है, जिसे प्रदर्श पी 16 अंकित किया गया। 102- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी का. आगे कहना है कि, मृतक के पहने हुए स्वेटर में पीछे मध्य भाग में गोली के आघात से निर्मित दो प्रवेश छेद उपस्थित थे, 131 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 जिनके आकार 0.8 सेमी गुणित 1.2 सेमी. एवं 1.2 सेमी गुणित 1.5 सेमी. तथा प्रवेश छेद के पास रक्त के धब्बे पाये गये, मृतक के कपड़े को हटाकर सूक्ष्म अवलोकन करने पर पीठ के उपरी एवं मध्य भाग में गोली के आघात के दो प्रवेश छेद निर्मित पाये गये, जिनका आकार कमश: 0.8 सेमी गुणित 1.1 सेमी. एवं 1.2 सेमी. गुणित 1.5 सेमी. के थे, जो कमश: फोटोग्राफस कमांक 25 से 30 है, जिसे प्रदर्श पी 17 अंकित किया गया। तत्पश्चात्‌ शव को पलटकर देखने पर शरीर पर अन्य कोई चोट के निशान नहीं पाये गये। उपरोक्त सभी प्रवेश छेद एक किनारे पर प्राथमिक परीक्षण करने पर नाइट्राइट का रासायनिक परीक्षण धनात्मक पाया गया । 103- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी का आगे कहना है कि, मृतक के बायें पैर के पास एवं पैर से लगभग 30 सेमी. की दूरी पर तथा दायी ओर दरवाजे के पास कमशः: तीन 7.65 एम.एम. केलीबर के.एफ.के खाली खोखे पाये गये । इसके पश्चात्‌ घर के पीछे तरफ अवलोकन करने पर दीवार के पास खड़ी टाटा एस. गाड़ी नंबर सी.जी.04-जे.ए.-8984 के ड्रायवर केबिनेट के उपर मैग्जीन युक्त 7.65 एम.एम केलीबर का देशी पिस्तौल पाया. गया, जिसका मैग्जीन पूर्णतः खाली था, जिसे उसके द्वारा कॉकिग करके विवेचना अधिकारी को दिया गया। गाड़ी के ट्राली के पीछे भाग में 7.65 केलीबर एम.एम के 6 जिंदा कारतूस 132 युक्त एक मैग्जीन पाया गया, जो कमशः फोटोग्राफस कमांक 31 से 34 तक का फोटोग्राफ घर के अंदर का घटना स्थल का चित्रण है तथा फोटोग्राफ कमांक 35 एवं 36 घर के बाहर का चित्रण है, जिसे प्रदर्श पी 18 अंकित किया गया। देसी पिस्तौल एवं गाड़ी के उपर केबिनेट को ध्यान से अवलोकन किया गया, उक्त गाड़ी केबिनेट में उपस्थित डेंट तथा मैग्जीन के उपरी भाग आंशिक पिचकी हुई अवस्था मे पायी गयी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि, उक्त पिस्तौल एवं मैग्जीन को दुग्गड़ निवास के प्रथम तल की बालकनी से फेंका जाना प्रतीत होता है तत्पश्चात्‌ गाड़ी के आगे सड़क के मध्य दुग्गड़ निवास के पीछे के दीवार से लगभग 5.8 मीटर एवं 4.3 मीटर की दूरी पर कारतूस से भरे हुए दो पॉलीथीन के पैकेट पाये गये, जिसके अंदर कमशः 12 एवं 14 जिंदा कारतूस तथा 2 कारतूस के खाली खोखे पाये गये, जो कि फोटोग्राफ कमांक 37 से 42 तक अंकित है, जो प्रदर्श पी 19 है। उसके मत में उपरोक्त से स्पष्ट है कि, मृतक रावलमल जैन के उपर पीछे से टैटुइंग रेंज से फायर किया जाना प्रतीत होता है, तत्पश्चात्‌ मृतिका के उपर कमरे के दरवाजे के पास एक राउण्ड तथा कमरे के अंदर से फायर किया गया जो कि टैटुइंग रेंज से फायर किया जाना संभावित है। 104- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी का आगे कहना है कि, घटना स्थल से जप्त किए गये 133 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 पिस्तौल, जिंदा कारतूस, फायर किया हुआ बुलेट, कारतूस के खाली खोके, फर्श एवं बेड पर लगे रक्त के धब्बे एवं अन्य भौतिक साक्ष्य को नियम अनुसार सीलबंद करने का सुझाव दिया गया एवं रक्त के घब्बे को सादे कॉटन में उठाकर नियमानुसार सीलबंद करने का सुझाव दिया. गया, जप्त सामग्रियो को. आवश्यक. परीक्षण हेतु एफ.एस.एल., रायपुर भेजने का निर्देश दिया गया उसके द्वारा दी गयी रिपोर्ट प्रदर्श पी 20 है, जो कि 2 पन्ने में है, जिसके दूसरे पन्‍ने के नीचे अ से अ भाग पर उसका हस्ताक्षर है एवं प्रत्येक पृष्ठ पर उसके साथ गयी टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर है, जिसकी प्रतिलिपि अधिकारियों को भेजी गयी है जो प्रदर्श पी 21 है। 105- आगे इस साक्षी ने कथन किया है कि, पुलिस अधीक्षक, दुर्ग के. पत्र कमांक / पु.अ. ,/ दुर्ग / रीडर ,/ 35 ,/ 2018 दिनांक 17.01.2018 के पत्र द्वारा अपराध कमांक 01,//2018 धारा 302, 34 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 25,27 आर्म्स एक्ट थाना दुर्ग, जिला दुर्ग, आरोपी संदीप जैन के प्रदर्शों का परीक्षण बाबत प्राप्त हुआ, जो 2 पन्नों में है, जिसे प्रदर्श पी 22 अंकित किया गया है। उपरोक्त पत्र कमांक के माध्यम से संबंधित अपराध के सीलबंद 9 पैकेट प्रधान आरक्षक कमांक 384, नागेन्द्र कुमार एवं आरक्षक महेश, थाना दुर्ग द्वारा उनके कार्यालय में दिनांक 18/01/2018 को प्राप्त हुआ जो कमश: & रो 1 तक चिन्हांकित था, पैकेट मे पायी गयी 134 सील, नमुना सील के सदृश्य थी, उसके द्वारा प्रदर्श प्राप्ति का विवरण निम्नानुसार है- ए. पैकेट &# मे चार नग 7.65 एम.एम केलीबर के खाली खोके पाये गये, जिसे उसने प्रयोगशाला मे परीक्षण हेतु प्रदर्श ई सी 1 से ई सी 4 तक अंकित किया । बी. पैकेट 3 में 7.65 एम.एम. केलीबर का देशी पिस्तौल पाया गया, जिसें प्रयोगशाला परीक्षण हेतु प्रदर्श 3 अंकित किया गया है। सी. पैकेट (0 में 14 नग, 7.65 एम.एम. केलीबर के जिंदा कारतूस एवं दो नग 7.65 एम.एम केलीबर के खाली खोके पाये गये, जिसे कमशः प्रदर्श 1. 1-1 से लगातार 1. ४-14 तथा खाली खोके को प्रदर्श ई सी 5 एवं ई सी 6 अंकित किया गया। डी. पैकेट 1) में 12 नग 7.65 एम.एम. केलीबर के जिंदा कारतूस पाया गया, जिसे प्रयोगशाला मे परीक्षण हेतु कमश: प्रदर्श 1. 1३ 15 से लगातार 1. ५ि 26 अंकित किया गया। ई. पैकेट £, में एक सिलवर कलर का मैग्जीन एवं 6 नग 7.65 कैलिबर के जिंदा कारतूस पाए गए, जिसे प्रयोगशाला में परीक्षण हेतु प्रदर्श 1. 1 27 से लगातार 1. 1९ 32 अंकित किया गया है। एफ.पैकेट £' में दो नग बुलेट है, जिसे प्रयोगशाला परीक्षण हेतु कमशः 13 1 एवं 1.3 2 अंकित किया गया है। जी. पैकेट (9 में एक बुलेट है, जिसे प्रयोगशाला परीक्षण हेतु शछ 3 अंकित किया गया है। एच.पैकेट में दो काले रंग का दस्ताना (ग्लब्स) है, जिसे प्रयोगशाला में परीक्षण हेतु प्रदर्श पति एवं ता. अंकित किया गया है। आई. पैकेट 1 में चार नग 7.65 कैलिबर के जिंदा कारतूस है, जिसे देशी पिस्तोल के टेस्ट फायर हेतु 135 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 भेजा गया है। 106- आगे इस साक्षी ने बताया है कि, उपरोक्त प्राप्त सभी प्रदर्शों के परीक्षण उपरांत उसका अभिमत परीक्षण रिपोर्ट प्रपी. 23 के अनुसार इस प्रकार है कि, प्रदर्श 'ए' एक 7.65 एम.एम. कैलिबर देशी पिस्तौल है, जो कि चालू हालत में है, जिससे पूर्व में फायर किया गया हैं, प्रदर्श 'एल आर 1' से लगातार 'एल आर 32' 7.65 गुणित 17 एम.एम. केलिबर के जिंदा कारतूस है, जो कि इंडियर ऑर्डिनेंस फेक्ट्री से निर्मित है जिसमें से 'एल आर 1', 'एल आर 12', 'एल आर 17, 'एल आर 24', 'एल आर 27' को प्रदर्श 'ए' के 7.65 एम.एम कैलिबर के देशी पिस्तौल से प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक टेस्ट फायर किया गया है। 107- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी का आगे कहना है कि, उसके अभिमत अनुसार प्रदर्श ई 7. 65 एम.एम कैलिबर के मैग्जीन चालू हालत में थे। प्रदर्श ई सी 1 से लगातार प्रदर्श 'ई सी-6' 7.65 गुणित 17 एम.एम. कैलिबर के फायर किए हुए खाली खोखे हैं, जो इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से निर्मित है जिसमें प्रदर्श ई सी-1 से लगातार ई सी-5 एवं "(टी सी एस ए) टेस्ट फॉयर कारतूस के खोखे पर उपस्थित फायरिंग पिन इंप्रेशन एवं ब्रीच फेस मार्क की विशिष्ट विशेषताओं को प्रयोगशाला में कम्परीजन माईकोस्कोप की सहायता से तुलनात्मक परीक्षण किया गया, जो 136 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 कि एक समान प्रकार के पाए गए हैं, अतः प्रदर्श ई-सी-1 से लगातार ई-सी-5 प्रदर्श ए के 7.65 एम.एम. देशी पिस्तौल से फायर किया गया है। उसके अभिमत अनुसार प्रदर्श ई-बी-1 से ई-बी-3 7.65 एम.एम. कैलिबर के फायर किए हुए बुलेट है जिसमें लैन एंड ग्रुप्स 6+6 राईट हैंड ट्वीस्ट निर्मित है, इनमें से प्रदर्श ई-बी-1, ई-बी-2 एवं ई-बी-3 तथा प्रदर्श ए के 7.65 एम.एम. कैलिबर के देशी पिस्तौल से फायर किए हुए टेस्ट फायर बुलेट (टी.बी.एस-ए) पर उपस्थित रायफलिंग मार्क के विशिष्ट विशेषताओं को प्रयोगशाला में कम्परीजन माईकोस्कोप की सहायता से तुलनात्मक परीक्षण किया गया, जो कि एक समान प्रकार के पाए गए, अतः प्रदर्श ई-बी-1, प्रदर्श ई-बी-2 एवं प्रदर्श ई-बी-3, प्रदर्श-ए के 7.65 एम.एम. देशी पिस्तौल से फायर किया गया. है। उसके अभिमत अनुसार प्रदर्श एच-आर एवं एच-एन दस्ताना है, प्रदर्श एच-आर में गन शॉट रेसीड्यूस उपस्थित है । 108- आगे इस साक्षी ने बताया है कि, जांच पश्चात्‌ प्रदर्श पी. 23 का परीक्षण प्रतिवेदन एवं उपरोक्त समस्त प्रदर्श पत्र कं.रा.न.वि.प्र. / बीए / 05 / 2018 रायपुर, दिनांक 22/03/2018 द्वारा एस.पी. दुर्ग को प्रेषित किया जाना तथा उक्त पत्र प्रदर्श पी 24 होना बताया है। उसने घटनास्थल का मुआयना दिनांक 01/01/2018 को किया है, जिसका सपूर्ण रेखाचित्र अपनी रिपोर्ट प्रदर्श पी. 20 के 137 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 साथ प्रस्तुत किया है, उसके द्वारा बनाया गया रेखाचित्र कमश: प्रदर्श पी. 25 एवं प्रदर्श पी. 26 है। प्रदर्श पी. 25 घर के अंदर का नक्शा है, जिसमें कमांक 1 एवं 2 शव पड़े होने का स्थान है, जिसे लाल स्याही से. घेरा बनाकर दर्शाया गया है तथा प्रदर्श पी. 26 घर के बाहर का नक्शा है न्यायालय में संबंधित थाने से प्रकरण से संबंधित जप्तशुदा मुददेमाल प्रस्तुत किया गया जिसका परीक्षण साक्षी ने किया और उक्त सभी मुददेमाल खाकी रंग के कागज से लिपटा हुआ सीलबंद अवस्था में रस्सियों सें बंधा होना जिस पर बी ई नंबर पी. एस दुर्ग, एस.पी. दुर्ग एवं अपराध कमांक का उल्लेख है, जिसे न्यायालय के समक्ष खोला गया। न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति में सर्वप्रथम ए से चिन्हित पैकेट को जो सीलबंद अवस्था में है, खोला गया जो सील बी.ए. के सदृश्य है। खाकी रंग के कागज के अंदर अर्टिकल ए से चिंहित सफेद बेण्टेड कपड़े से लिपटा एक पैकेट निकला, जिस पर. सफेद रंग की एक चिट जिसमें थाना, अपराध कमांक, धारा तथा जप्ती कॉटन के टुकड़े में मृतिका सूरजीदेवी के बिस्तर मे फैले खून के अंश लिखा गया है, उक्त पैकेट के अंदर दो कॉटन के टुकड़े मिले जिसमें से एक कॉटन के टुकड़े में काले / भूरे रंग का दाग है, उक्त दोनो कॉटन के टुकड़े को वापस सफेद बेण्टेड कपड़े के अंदर डाला गया और उसे पुनः खाकी रंग के कागज मे लपेटकर न्यायालय के सील से सीलबंद किया गया । 138 109- आगे इस साक्षी अर्थात्‌ अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी द्वारा 09 संपत्तियों का परीक्षण किया जाना बताया गया है। उक्त संपत्तियाँ खाखी रंग के कागज में सीलबंद होना तथा सबसे पहले ए से चिहिंत संपत्ति को खोला गया जिसमें सफेद कागज की चिट लगी है जिसमे सील भी लगी है, जिस पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है इसका उल्लेख है, थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है। उक्त संपत्ति खुली हुई है जिसमें 4 नग, 7.65 एम.एम. केलीबर खाली खोके है जो फायर किए हुए है, खाली खोखों में ई सी 1 से ई सी 4 साक्षी द्वारा अंकित किया गया है, खाली खोखों को बी 1 से बी 4 अंकित किया गया । 110- न्यायालय में प्रस्तुत ए बी से चिंहित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज मे लिपटी है और सीलबंद है, गौर से देखने पर कुछ अस्पष्ट दिखायी दे रहा है, जो पढ़ने में नहीं आ रहा है, मैग्नीफाई ग्लास की सहायता से देखने पर बी ए 1 दिखायी दे रहा है, उक्त पैकेट को खोला गया, जिसमें एक खाखी कलर के कागज में लिपटा आर्टिकल बी से चिहिंत सीलयुक्त, जिस पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है इसका उल्लेख हैँ, थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है, उक्त पैकेट साइड से खुला है, जिसके अंदर देशी पिस्तौल है, पिस्तौल पर यू एस.ए. लिखा हुआ है, देशी पिस्तौल 139 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 को आर्टिकल बी 5 अंकित किया गया । न्यायालय में प्रस्तुत आर्टिकल सी से चिंहित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज में लिपटी है और सीलबंद है, गौर से देखने पर कुछ अस्पष्ट दिखायी दे रहा है, जो पढ़ने में नही आ रहा है, मैग्नीफाई ग्लास की सहायता से देखने पर सील अस्पष्ट दिखायी दे रही है, उक्त पैकेट को खोला गया, जिसमें एक खाखी कलर के कागज मे लिपटा आर्टिकल सी से चिहिंत सीलयुक्त, जिस पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है इसका उल्लेख है थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है, उक्त पैकेट के अंदर एल.आर. 1 से एल.आर. 14 जिसमें से एल.आर. 1 एवं एल.आर. 12 को फायर करने के बाद उनके खाली खोके को पैकेट के साथ रखा एवं उसमें ई सी. 5 एवं ई सी. 6 के खाली खोके भी रखे हुए है, जिसमे से टेस्ट फायर किया हुआ एक बुलेट उपस्थित है दूसरा बुलेट फायरिंग रेंज में मिटटी मे धंस जाने से उसका रिकवर नही किया जाता है, जिसे खाली खोको को आर्टिकल बी 6 से बी 7 एवं. शेष आर्टिकल को बी 8 से एवं बी 22 तक अंकित किया गया । 1१- न्यायालय में प्रस्तुत आर्टिकल डी से चिंहित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज मे लिपटी है और सीलबंद है, मैग्नीफाई ग्लास की सहायता से देखने पर बी 6 आर. एफ इस तरह के शब्द अस्पष्ट रूप से दिख रहे है, उक्त पैकेट को खोला गया, 140 जिसमें एक खाखी कलर के कागज मे लिपटा आर्टिकल डी से चिहिंत सीलयुक्त, जिस पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है इसका उल्लेख है थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है, उक्त पैकेट साइड से खुला है जिसमे 10 नग जिंदा कारतूस एवं दो खोखे पाये गये, खाली खोखे मे एल.आर. 24 से एल. आर. 17 अंकित है तथा जिंदा कारतूस एल.आर. 15 से एल. आर 26 अंकित है, उक्त खोके जिंदा कारतुस का टेस्ट फायर का है, जिसे आर्टिकल में बी 23 से बी. 34 अंकित किया गया। 112- आगे इस साक्षी का कथन है कि, न्यायालय में प्रस्तुत आर्टिकल ई से चिन्हित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज में लिपटी है और सीलबंद नहीं है, उक्त पैकेट को खोला गया, जिसमें एक खाखी कलर के कागज में लिपटा आर्टिकल ई से चिन्हित सीलयुक्त, जिस पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है, इसका उल्लेख है थाना प्रभारी के हस्ताक्षर हैं, उक्त पैकेट साइड से खुला है जिसमें एक मैग्जीन और 5 नग जिंदा कारतुस एवं एक नग खाली खोका एल.आर. 27 अंकित किया हुआ प्राप्त हुआ उक्त संपत्तियों को आर्टिकल बी 35 से आर्टिकल बी. 41 तक अंकित किया गया । 113- आगे इस साक्षी का कथन है कि, न्यायालय में प्रस्तुत आर्टिकल एफ से चिंहित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज में 141 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 लिपटी है और सीलबंद है, गौर से देखने पर कुछ अस्पष्ट दिखायी दे रहा है, जो पढ़ने में नही आ रहा है, मैग्नीफाई ग्लास की सहायता से देखने पर सील बी ए 1 के सदृश्य प्रतीत हो रही है जिसके किनारे पी और आर. अक्षर दिखायी दे रहा है, उक्त पैकेट को खोला गया, जिसमें एक खाखी कलर के कागज मे लिपटा एक आसमानी रंग का ढक्‍्कन युक्त प्लास्टिक का डिब्बा जो आर्टिकल एफ से चिहिंत सीलयुक्त, जिस पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है, इसका उल्लेख है थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है, उक्त डिब्बे को खोलने पर दो 7.65 एम.एम. केलीबर के फायर किए हुए बुलेट है, जिसे आर्टिकल बी 42 एवं आर्टिकल बी 43 अंकित किया गया । 114 आगे इस साक्षी का कथन है कि, न्यायालय में प्रस्तुत आर्टिकल जी से चिंहित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज मे लिपटी है और सीलबंद है, गौर से देखने पर रस्सी के उपर कुछ अस्पष्ट अक्षर दिखायी दे रहे है, मैग्नीफाई ग्लास की सहायता से देखने पर सील अस्पष्ट है उक्त पैकेट को खोला गया, जिसमें एक खाखी कलर के कागज मे लिपटा एक पीलें रंग का ढकक्‍्कन युक्त प्लास्टिक का डिब्बा जो आर्टिकल जी से चिहिंत सीलयुक्त, जिस पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है इसका उल्लेख है थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है, प्लास्टिक के डिब्बे को खोला 142 गया खोलने पर एक नग 7.65 एम.एम.केलीबर का फायर किया हुआ बुलेट है, जिसे आर्टिकल बी 44 अंकित किया गया । 115- आगे इस साक्षी का कथन है कि, न्यायालय में प्रस्तुत आर्टिकल एच से चिंहित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज में लिपटी है और सीलबंद है, गौर से देखने पर सील के उपर कुछ अस्पष्ट अक्षर दिखायी दे रहे है, मैग्नीफाई ग्लास की सहायता से देखने पर सील मे बी ए 1 दिखायी दे रहा है, उक्त पैकेट को खोला गया, जिसमें एक खाखी कलर के कागज मे लिपटा हुआ एक सफेद चिट लगा हुआ जिसे आर्टिकल एच से चिन्हिंत किया गया है चिट पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया है इसका उल्लेख है थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है, पैकेट साइड से खुला है जिसके अदंर सफेद पालीथीन मे रखा एक जोड़ी काले रंग का दस्ताना पाया गया, जिसे आर्टिकल बी 45 से चिंहित किया गया । 116- आगे इस साक्षी का कथन है कि, न्यायालय में प्रस्तुत आर्टिकल आई से चिंहित संपत्ति जो खाखी रंग के कागज मे लिपटी है और सीलबंद है, मैग्नीफाई ग्लास की सहायता से देखने पर सील मे आर.पी अक्षर दिखायी दे रहा है , उक्त पैकेट को खोला गया, जिसमें एक खाखी कलर के कागज मे लिपटा हुआ एक सफेद चिट लगा हुआ जिसे आर्टिकल आई से चिन्हित किया गया है, चिट पर थाना, अपराध कमांक, धारा, जप्ती, किससे जप्त किया गया 143 है इसका उल्लेख है थाना प्रभारी के हस्ताक्षर है, पैकेट साइड से खुला है पैकेट के अंदर टेस्ट फायर किया हुआ कारतुस के 3 खोके, दो नग बुलेट एव एक नग जिंदा कारतुस है, जिसे आर्टिकल बी 46 से आर्टिकल बी 51 से चिंहित किया गया। इसी साक्षी का कथन है कि, पुलिस अधीक्षक दुर्ग को प्रेषित किए गए घटना स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन जिसका पत्र कमांक रा.्न्या. वि. प्र. / बी.ए. / 01/ 2018 रायपुर दिनांक 06/01/2018 का है। 117- अ.सा. 1 पटवारी छगनलाल सिन्हा का कथन है कि, उसे दिनांक 05.01.2018 को नायब तहसीलदार दुर्ग का आदेश प्राप्त होने पर वह दिनांक 22.01.2018 को उक्त आदेश के परिपालन में घटनास्थल पर जाकर गवाह सौरभ गोलछा निवासी ऋषभ नगर, दुर्ग से पूछताछ कर उनके बतलाये अनुसार घटनास्थल का नजरी नक्शा प्रपी. 1 तैयार किया था, घटनास्थल ए एवं बी को लाल स्याही से चिन्हांकित किया था। गवाह सौरभ गोलछा ने बताया था कि, दिनांक 01.01.2018 को समय सुबह लगभग 6.10 बजे पर ६. 'टनास्थल 'ए' पर रावलमल जैन पिता मांगी लाल जैन तथा 'बी' स्थान पर सूरजी बाई पति रावलमल जैन दोनों मृत अवस्था में पड़े थे एवं दोनों के शरीर से खून बह रहा था तथा प्रकरण के आरोपी संदीप जैन पिता रावलमल जैन उक्त आवासीय मकान के प्रथम तल पर निर्मित अपने कमरे में सोया हुआ था। 144 118-- अ.सा. 9 आरक्षक सुरेन्द्र साहू का कथन है कि, वह जुलाई 2013 से वर्तमान तक काइम ब्रांच भिलाई में आरक्षक के पद पर पदस्थ है, थाना दुर्ग के प्रधान आरक्षक नागेन्द्र बंछोर के द्वारा थाने से लाकर सी.डी. पैकेट जो कि सीलबंद हालत मे है उसे दिया गया है, जिसे उसने न्यायालय के समक्ष पेश किया है। न्यायालय में प्रस्तुत सी.डी. पैकेट, जो कपड़े की थैली में सीलबंद हालत में है, उसे न्यायालय द्वारा खोला गया, पैकेट के उपर अपराध कमांक, थाना, धारा, का उल्लेख है, सीलबंद पैकेट खोलने पर उसके अंदर 10 नग सी.डी /डी.वी.डी कैसेट पाये गये, उक्त सी.डी. कैसेट को रिकार्ड में लिया गया। . उसके द्वारा घटना स्थल के पास प्रीतिसुधा ज्वेलर्स की दुकान में बैठकर उनकी दुकान में लगे सी.सी. टी. वी. कैमरे की फुटेज को दिनांक 01/01/2018 की प्रातः 8 बजे के बाद जो दिनांक 31/12/2017 की रात्रि 12 से लेकर दिनांक 01/01/2018 की सुबह 07:30 बजे तक का था उसे देखा गया । उक्त सी.सी.टी.वी. फुटैज के कैमरे से रावलमल जैन के घर के सामने का हिस्सा दिखायी देता है, उसे दिनांक 01/01/2018 की सुबह लगभग 06:00 बजे एक मोटा हट्टा कट्टा व्यक्ति रावलमल जैन के घर के अदंर प्रवेश करता दिखायी दिया । प्रदर्श पी-34 का पंचनामा सीसीटीव्ही फुटेज देखने के बाद टी0आई0 दुर्ग द्वारा तैयार किया गया। सीडी कमांक-7 को न्यायालय में प्रदर्शित किया गया, 145 समय 06.02 मिनट 36 सेकेण्ड पर (गवाह के कथनानुसार मृतक रावलमल जैन के घर) एक कार आकर रूकी जिसमें से एक व्यक्ति उतरते दिखा, उक्त सीडी को आर्टिकल-54 अंकित किया गया । 119- अ.सा. 11 कुशल प्रसाद दुबे, गन डीलर का कथन है कि, वह माँ शारदा ट्रेडर्स आर्म्स एंड एमोनिशन का प्रोपाईटर है, वे लोग बंदूक और कारतूस का विकय करते है। उसकी दुकान वर्ष 2004 से अस्तित्व में है। दिनांक 11.01.2018 को थाना दुर्ग कोतवाली से उपनिरीक्षक आर.डी. मिश्रा उसकी दुकान में आया और जिला दण्डाधिकारी का आदेश कमांक 631/ अनु.-नि. / 10.01.2018, डी.एम. दुर्ग, छ0ग0 प्रस्तुत किया और चार पिस्टल का कारतूस 7.65 (32 बोर) को शासकीय कार्य के लिए मांग किया, जिसका उसने विकय रजिस्टर में सरल कमांक-499 में इन्द्राज किया तथा चार कारतूस प्रदान किया जिसकी कीमत 500,//- रूपये थी, जिसे उसने नगद प्राप्त किया और रसीद काटकर दिया, जो प्रदर्श पी-39 है तथा प्रकरण में संलग्न उसकी फोटोप्रति प्रदर्श पी-39 सी है । रजिस्टर प्रदर्श पी-40 है, जिसके अ से अ भाग पर उपनिरीक्षक आर.डी. मिश्रा का हस्ताक्षर है। 120- अ.सा. 10 हुसैन एम. जैदी, नोडल आफिसर वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का कथन है कि, मोबाइल नंबर 76975-62121 का सिम कार्ड संदीप मित्र पुत्र रावलमल जैन, 146 निवासी-109 गंजपारा, दुर्ग, वार्ड कमांक 36, के नाम से दिनांक 01/02//13 से जारी किया गया है। सबस्काइबर डिटेल प्रदर्श पी 35 है, जिसमें कंपनी का सील एवं तत्कालीन नोडल आफिसर का हस्ताक्षर है। इस सिम का सीडीआर दिनांक 01/12/2017 से 01/01/2018 तक का है, जो उनकी कंपनी द्वारा जारी की गयी है, जो प्रदर्श पी 36 है, जिसमें कंपनी की सील एवं तत्कालीन नोडल आफिसर के हस्ताक्षर है। उपरोक्त कॉल डिटेल के संबंध में धारा 65 बी साक्ष्य अधिनियम का प्रमाण पत्र कंपनी द्वारा जारी किया गया है, जिसमें कंपनी का सील एवं तत्कालीन नोडल आफिसर का हस्ताक्षर है, जो प्रदर्श पी 37 है। दिनांक 31/12/2017 को रात्रि 23:43:38 समय पर उपरोक्त मोबाइल नंबर टावर आई डी. 40478- 43101-432121 मे उपस्थित था, जो कि गंजपारा दुर्ग के क्षेत्र का है। दिनांक 01/01/2018 को प्रातः 06:43:40 समय पर भी उक्त नंबर इसी टावर पर दर्शित है। टावर आई.डी. डिटेल प्रदर्श पी 38 है, जिसके अ से अ भाग पर उसका हस्ताक्षर एवं कंपनी की सील लगी है। टावर आई डी डिटेल प्रदर्श पी 38 के अनुसार सिम के मालिक का लोकेशन दुर्ग शहर का ही है। 121-- अ.सा. 12 संजीव नेमा, नोडल आफिसर रिलायंस जियो का कथन है कि, वह वर्ष 2015 से रिलायंस जियो, रायपुर में नोडल अधिकारी के पद पर पदस्थ है।. उसे पुलिस 147 अधीक्षक, दुर्ग द्वारा पत्र कमाक-128//19, दिनांक 19.02.2019 का पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें मोबाईल नंबर 7000291510 का ग्राहक आवेदन पत्र एवं 01.01.2018 के दिन का सी.डी.आर. उपलब्ध कराने हेतु मांग किया गया था, जिसके तारतम्य में उसके द्वारा प्रदर्श पी-41 का पत्र जो पुलिस अधीक्षक दुर्ग को संबोधित है, दिया गया है जिसमें उपरोक्त मोबाईल नंबर का सी.डी.आर. एवं ग्राहक आवेदन पत्र एवं धारा 65 बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम का प्रमाण पत्र के साथ प्रेषित किया गया था। दिनांक 07.03.19 को प्र.पी.-41 का पत्र एवं 65 बी का प्रमाण पत्र मोबाईल नंबर 70002-91510 के संबंध में साथ लाया, जो प्रदर्श पी-42 है, ग्राहक आवेदन पत्र प्रदर्श पी-43 है, प्रदर्श पी-44 आवेदक सौरभ गोलछा का एड्रेस प्रूफ है, प्रदर्श पी-45 एस.पी. का पत्र है, जो उसे संबोधित है । सी.डी.आर. मोबाईल नंबर 70002-91510 प्रपी-46 है, जो कि दिनांक 01.01.18 के दिन का है। प्रदर्श पी-47 मोबाईल नंबर 7000291510, दिनांक-01.01. 2018 के दिन का टावर लोकेशन है। प्रपी-46 एव 47 के अ से अ भाग पर उसका हस्ताक्षर है एवं कंपनी की सील लगी हुई है, प्रदर्श पी-41 से लेकर प्रदर्श पी-44 तक के दस्तावेजों में उसका हस्ताक्षर एवं कंपनी की सील लगी है। दिनांक-01.01.18 के सुबह 05:54:50 पर इनकमिंग काल है, जो मोबाईल नंबर 94064-19291 से आया है, जिसका टावर लोकेशन बसंत कटारिया पता तुषार निगम 148 ऋषभ हैरिटेज है एवं इसी दिनांक का दूसरा कॉल एक आउट गोंईग कॉल है जो मोबाईल नंबर 70002-91510 रो. मोबाईल नंबर 700049985 पर किया गया है जिसका टावर लोकेशन मि0 अनूप शर्मा गंजपारा, दुर्ग है । 122- अ.सा. 14 नरसिंह राम का कथन है कि, वह कलेक्टर कार्यालय दुर्ग में माह मई 1987 से पदस्थ है तथा वर्तमान में लायसेंस शाखा में प्रभारी लिपिक के पद पर पदस्थ है। पुलिस अधीक्षक, दुर्ग के पत्र कमांक पु.अधी. ,/ दुर्ग / रीडर / 3418 दुर्ग दिनांक 18/04/2018... एवं... पु.अधी. / दुर्ग / रीडर ,/ 34ए ,/ 2018 दिनांक 24 / 04 / 2018 के पत्र के आधार पर एवं थाने के प्रकरण के अंतिम प्रतिवेदन, प्रथम सूचना पत्र के अवलोकन के उपरांत अपराध कमांक 01, 2018, अंतर्गत धारा 30234 भा.दं.वि. एवं 25, 27 आर्म्स एक्ट मे आरोपी संदीप जैन, आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता, आरोपी शैलेन्द्र सागर, के विरूद्ध धारा 25, 27 आर्म्स एक्ट मे अभियोजन की स्वीकृति आयुध अधिनियम की धारा 39 के तहत जिला मजिस्टेट के अनुमोदन के उपरांत अति. जिला दंडाधिकारी द्वारा अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गयी है जो प्रदर्श पी. 59 है। प्रदर्श पी 59 के अ से अ भाग पर अति. जिला दंडाधिकारी संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर हैं। न्यायालय में साक्षी ने प्रकरण की नस्ती प्रस्तुत किया, जिसमें अपराध क. 01// 2018, अंतर्गत धारा 302 भा.दं.सं. एवं 25, 27 आर्म्स 149 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 एक्ट, थाना दुर्ग के प्रकरण में पत्र क. 631 / अनु.लि. / 2018, दिनांक 10/01/2018 द्वारा 7.65 कैलीबर के 04 नग कारतुस खरीदने की अनुमति जिला दंडाधिकारी द्वारा प्रदान की गई है, जो प्रपी. 84 है, जिसकी प्रतिलिपि प्रपी. 84-सी है। 123- प्रकरण के विवेचक अ;सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का कथन है कि, वह थाना दुर्ग, कोतवाली में अगस्त 2016 से अप्रैल 2018 तक थाना प्रभारी, निरीक्षक के पद पर पदस्थ था। दिनांक 01/01/2018 के प्रातः 06.15 बजे प्रार्थी सौरभ गोलछा, निवासी ऋषभ नगर, दुर्ग की सूचना एवं रिपोर्ट पर उसके द्वारा मृतिका सूरजी बाई का प्रदर्श पी. 28 का मर्ग इंटीमेशन दर्ज किया गया। इसी दिनांक को 06.20 बजे सौरभ गोलछा ने रावलमल जैन की मृत्यु के संबंध में मर्ग सूचना प्रपी. 29 दर्ज कराया था। मर्ग सूचना के उपरांत दिनांक 01.01.2018 को प्रातः 06.25 बजे सौरभ गोलछा की रिपोर्ट पर प्रपी. 27 की प्रथम सूचना रिपोर्ट, मृतिका सूरजी बाई एवं मृतक रावलमल जैन के संबंध में धारा 302 भा.दं.सं. के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया था। अपराध पंजीबद्ध कर उसने प्रकरण की विवेचना शुरू की। उसके द्वारा घटना की जानकारी तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को एवं काईम ब्रांच तथा एफ.एस.एल., रायपुर को दी गई एवं कंट्रोल रूम को भी अवगत कराने हेतु निर्देशित किया गया। तत्पश्चात्‌ मौके पर रावलमल जैन के निवास 150 स्थान गंजपारा दुर्ग में पहुंचकर धारा 175 दं.प्रसं. का समन साक्षियों को जारी किया, नोटिस प्रपी. 30 एवं 31 है। उसके द्वारा प्रपी. 32 के अनुसार सूरजी बाई एवं प्रपी. 33 के अनुसार रावलमल जैन का शव पंचनामा तैयार किया गया। दोनों शव पंचनामा में सूरजी बाई को तीन गोली तथा रावलमल जैन को तीन गोली मारकर हत्या करना पाया गया । रावलमल जैन का शव गलियारे में बाथरूम के पास तथा सूरजी देवी का शव कमरे में पलंग पर चित्त हालत में पड़ा था, जिसमें रावलमल जैन के पीठ में गोली लगने के निशान थे एवं सूरजी बाई के बांये छाती में, दाहिने हाथ के कोहनी पास एवं सिर के पास गोली लगने के निशान थे। वह उक्त दोनों शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल दुर्ग रवाना किया । 124- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, शव परीक्षा के लिए दिए गए आवेदन पत्र प्रपी 3 और प्रपी. 5 के ब से ब भाग पर उसके अधीनस्थ उपनिरीक्षक आर.डी.मिश्रा के हस्ताक्षर हैं। पोस्टमार्टम उपरांत दोनों शव का सुपुर्दनामा मृतक के भाई भीखमचंद जैन को दिया गया, जो प्रदर्श पी. 61 एवं 62 है। उसके द्वारा मौके पर प्रपी. 49 का नोटिस जारी कर गवाह शेख कलीम को तलब किया गया। उसके द्वारा घटनास्थल का नक्शा प्रपी. 63 तैयार किया गया है, जिसमें घटनास्थल का पूर्ण विवरण है। प्रपी. 64 रावलमल जैन के घर के पीछे का नजरी नक्शा है. प्रपी. 64 151 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 के नक्शा के अनुसार घटनास्थल के पीछे एक वाहन का नक्शा बनाया गया है, जिसमें वाहन का डाला, वाहन की छत को नक्शे में दर्शाया गया है और दीवार से जो वाहन टाटा-एस खड़ी है, उसकी दूरी 52 ईच दर्शायी गई है, साथ ही इसमें 5.8 मीटर की दीवार की दूरी से 'सी' दर्शाया गया है और एक अन्य 4.3 मीटर की दूरी पर पुनः 'सी' दर्शाया गया है, जिसमें *सी' का अर्थ कारतूस से है एवं बनाये गये नक्शे में उसके द्वारा “मकान के पीछे गली, जहां से पिस्टल और कारतूस बरामद हुए”, लेखबद्ध किया गया है। संकेत में 'एम' का अर्थ मैग्जीन, 'पी' का अर्थ पिस्तौल एवं 'सी' का अर्थ कारतूस दर्शाया गया है, साथ ही जहां टाटा-एस. की छत पर पिस्टल पड़ी थी, वहां से आरोपी के घर की रैलिंग की उंचाई 8.5 फीट लेखबद्ध है। उसके द्वारा मृतक के निवास स्थान का वीडियोग्राफी एवं. फोटोग्राफी कराई गई। मौके पर घटनास्थल निरीक्षण के दौरान मृतिका सूरजी देवी एवं रावलमल जैन के शव के आसपास चले हुए गोली के खाली खोखे, कॉटन, खून आलूदा कॉटन को गवाहों के समक्ष मुताबिक जप्ती पत्र तैयार किया गया । 125- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, उसने घटनास्थल को सुरक्षित रखते हुए एफ.एस.एल. टीम, जो रायपुर से आ रही थी, उनके आने तक उसी तरह से सुरक्षित रहने दिया । एफ.एस.एल. टीम के पूरा घटनास्थल का मुआयना करने 152 एवं मकान के पीछे का हिस्सा जहां पर पिस्टल, कारतूस, मैग्जीन आदि पड़ी थी, उसको भी उसके द्वारा मुआयना करने एवं फोटोग्राफी, विडियोग्राफी कराने के बाद सुरक्षित एफ.एस.एल. टीम के आने तक रखा गया। उसके द्वारा मुताबिक जप्तीपत्र लिखा-पढी में जप्ती दर्शित किया गया है, किंतु एफ.एस.एल. टीम के आने के पश्चात्‌ ही मौके पर जप्तशुदा सामग्री को सीलबंद किया गया । 126- आगे इस विवेचक साक्षी का कथन है कि, दिनांक 01.01.2018 को उसके द्वारा प्रदर्श पी. 50 के अनुसार गवाहों के समक्ष घटनास्थल मृतिका सूरजी बाई के शव के सिर के पास से पिस्टल के गोली का बुलेट खून लगा 01 नग, सूरजी देवी के बांए हाथ के कोहनी के पास से गोली का खाली खोखा, एक कॉटन के टुकड़े में लिया गया तथा मृतिका सूरजी देवी के सीने के पास बिस्तर से गोली का खाली खोखा, दोनों खाली खोखे के पेंदे में 7.65 के.एफ. लिखा है, मृतिका के बिस्तर जहां मृतिका मृत पड़ी थी, के पास मृतिका का सैमसंग कंपनी का एक मोबाईल, एक मेहरून कलर का चादर का टुकडा जिसमें खून का दाग लगा है, एक कॉटन के टुकड़े में बिस्तर में फैले खून के अंश, एक कॉटन के टुकड़े में बिस्तर के पास के सादी मिट्टी के अंश, मुताबिक जप्तीपत्र जप्त किया गया । 153 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 127- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, प्रदर्श पी. 51 के अनुसार घटनास्थल जहां मृतक रावलमल जैन के लाश के पास से मुताबिक जप्तीपत्र जप्त किया गया, जिसमें घटनास्थल से दरवाजे के चौखट के पास गोली का एक खाली खोखा, मृतक के पैर के पास एक खोखा, दाहिने पैर के एक फीट पर एक खोखा, दरवाजे के चौखट से 5-6 ईच दूर एक खाली खोखा, कूल गलियारे में चार नग खाली खोखा सभी खोखे के पेंदे में 7.65 के.एफ. लिखा है, एक कॉटन के टुकडे में मृतक रावलमल के शव के पास फैले खून के अंश, एक कॉटन के टुकडे में घटनास्थल के पास से सादी मिट्टी का अंश मुताबिक जप्ती पत्र जप्त किया गया है। उसके द्वारा विवेचना के दौरान डॉग स्कॉड को तलब कर ६ 'टनास्थल का निरीक्षण कराया गया था । डॉग मास्टर के द्वारा अपने दिए गए सर्टिफिकेट में बताया गया कि, डॉग घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद मृतक के पुत्र संदीप जैन के कमरे में जाकर भौंका, जो सर्टिफिकेट प्रपी. 11 है । 128- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, उसके द्वारा विवेचना के दौरान घटनास्थल पहुंचने के तुरंत बाद एवं गवाहों को तलब करने के पश्चात दिनांक 01.01.2018 के 07.30 बजे पूरे. घटनास्थल का मुआयना कर नक्शा पंचनामा ६. 'टनास्थल तैयार किया था, जो प्रपी. 48 है । प्रदर्श पी. 48 में उसने 154 पाया था कि मृतक के घर में घुसने का सिर्फ एक मुख्यद्वार है, जो कि ताला से अंदर से बंद रहता है, जिसे घर के अंदर का कोई सदस्य ही खोल सकता है, पीछे, उपर ग्रील लगा है, जिसमें हाथ डालकर नीचे खड़े टाटा-एस में हत्या में प्रयुक्त पिस्टल को फेंका गया है तथा जमीन में पॉलीथीन झिल्ली में पैक कर फेंका गया है, जो कि स्पष्ट रूप से मृतक के घर जहां मृतक के पुत्र संदीप का कमरा है, उससे जुडा है मृतक के मकान का दांया हिस्सा लोकेश शर्मा का तथा बांये पर प्रहलाद रूंगटा का मकान है, जो कि पैक्ड है, पीछे, उपर ग्रिल में पैक्ड जंग लगा ताला है, जिसमें से कोई प्रवेश नहीं कर सकता, जिसको देखने से कभी खोला नहीं गया, दिख रहा है, कहीं भी आगे और पीछे के हिस्से किसी भी बाहरी व्यक्ति के घर के अंदर प्रवेश करने का कोई साक्ष्य नहीं है। 129- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, घटनास्थल का. पृथक से. फोटोग्राफ्स उसके द्वारा तथा एफ.एस.एल. टीम के द्वारा भी लिया गया एवं पुष्टि की गई । विवेचना के दौरान परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपी संदीप जैन से पूछताछ करने पर उसने अपने मेमोरेण्डम में गवाहों के समक्ष बताया कि “वह स्वतंत्र तथा खुले विचारों का इंसान है एवं उसके पिता रावलमल जैन पुरानी रूढठीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे, वे अक्सर इसे हर काम पर टोका करते थे, जैसे पूजा के लिए शिवनाथ 155 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 नदी से प्रतिदिन नौकर से पानी मंगवाते थे, तथा उसके द्वारा घर के नल के पानी को ही उपयोग करने को कहने पर उसे डांट-डपट करते थे, उसके पिता का उसकी महिला मित्रो से मिलना नागवार गुजरता था एवं कई बार संपत्ति से बेदखल करने की धमकी देते थे, जिसके कारण उसने व्यथित होकर अपने पिता को मारने की योजना बनाई, इस कारण उसने एक देसी पिस्टल और कारतूस अग्रसेन चौक निवासी भगत सिंह गुरूदत्ता से 1,35,000/- रू. में खरीदा एवं. 27.12.2017 को पत्नी और बच्चो को मायके दल्‍ली राजहरा भेज दिया और नौकर रोहित देशमुख जो रात्रि में घर में रोज सोने आता था, उसे 31.12.2017 की रात्रि घर आने से मना कर दिया, फिर योजनानुसार सुबह 05.45 बजे वह उपर से नीचे आकर मां के दरवाजे को बाहर से बंद किया, उस समय उसके पिता कॉरीडोर में बाथरूम से वापस आ रहे थे और कॉरीडोर का दरवाजा बंद कर रहे थे, उनकी पीठ उसकी तरफ थी, तभी उसने अपने पिता को पीछे से पीठ में गोली मार दिया, गोली की आवाज सुनकर उसकी मां के चिल्‍्लाने पर वह अपने उपर कमरे में भाग गया, फिर उसके मोबाईल पर मां का फोन आने लगा, लेकिन उसने नहीं उठाया और नीचे मां के कमरे के पास पुनः वापस आया तो वह सौरभ को फोन लगाकर बुला रही थी, तब उसने मां के कमरे का 156 दरवाजा खोला और उसका राज खुल जाने के डर से मां को भी गोली मारकर हत्या कर दिया। 130- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, उसके बाद उसने बाहर जाने वाले कॉरीडोर का दरवाजा और फिर बैठक का दरवाजा खोल दिया तथा सबसे बाहर मेनगेट का ताला खोलकर चाबी उसी में छोड़ दिया, ताकि लगे कि कोई बाहर का आदमी आकर हत्या कर चला गया है, उसने गोली मारते समय काले रंग के दस्ताने पहन रखे थे, जो उसके कमरे में बिस्तर के सिरहाने के नीचे रखे हैं तथा घटना के समय पहना गया चेक आसमानी कलर का हाफ कुर्ता जिसमें खून के दाग लगे हैं, को बिस्तर के नीचे छिपाकर रखा है एवं जिस पिस्टल से अपने माता-पिता की हत्या की है, उसे घर के पीछे उपर बाल्कनी से नीचे फेंक दिया, जो नीचे खड़ी टाटा-एस गाड़ी में गिरा है, साथ में एक लोडेड मैग्जीन और दो झिल्ली में जिंदा कारतूस को भी नीचें गली में फेंक दिया, मेनगेट का ताला-चाबी गेट में खुले रखे हैं तथा फेंके गए स्थान और सामान को दिखाया । 131- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, इस संबंध में आरोपी का मेमोरेण्डम प्रपी. 52 है । विवेचना के दौरान आरोपी द्वारा मेमोरेण्डम प्रपी. 52 में बताए गए तथ्यों के खुलासा के आधार पर आरोपी के बतायेनुसार मकान के पीछे घटना 157 कारित करने के बाद फेंके गए 01 नग 7.65 कैलीबर का देसी पिस्टल सिल्वर कलर का खाली मैग्जीन सहित, वाहन टाटा-एस क. सी.जी. 04 / जे.ए-8984 के केबिन के उपर से, एक झिल्‍ली में 14 नग कारतूस एवं 02 नग खाली खोखा, सभी में 7.65 के.एफ. लिखा हुआ, एक झिल्ली में 12 नग कारतूस, 7.65 कैलीबर का, एक सिल्वर कलर का मैग्जीन जिसमें 06 नग कारतूस हैं, वाहन टाटा-एस. क. सी.जी. 04 / जे.ए-8984 के डाला के पीछे दरवाजे के पास जिसमें 7. 65 लिखा है, समक्ष गवाहान जप्त किया गया, जप्तीपत्र प्रपी. 53 है । आरोपी संदीप जैन के मेमोरेण्डम के आधार पर प्रपी. 54 के अनुसार 02 नग काले रंग का उलन का दस्ताना, 02 नग नोज मास्क क़ीम रंग का, एक आसमानी रंग चेकदार गोल कॉलर का कुर्ता जिसके दाहिने तरफ जेब के पास खून के दाग लगे हैं, एक ओप्पो कंपनी का मोबाईल, एक नग ताला एवं चाबी जिसमें अंग्रेजी में “50000 लिखा है, समक्ष गवाहान जप्त किया गया । इस साक्षी को न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति जो सीलबंद हालत में है, उसमें से आर्टिकल-बी-5 खोलकर दिखाए जाने पर यही पिस्टल तथा मैग्जीन जो खाली है टाटा वाहन सी.जी. 04 / जे.ए. 8984 के केबिन के उपर से जप्त करना बताया। साक्षी को न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल- बी 08 से बी-22 जो सीलबंद हालत में है; उसे खोलकर दिखाए जाने पर एक झिल्ली में 12 नग कारतूस एवं 04 नग खाली खोखा पाए 158 गए, साक्षी का कथन है कि टेस्ट फायर में दो कारतूस फायर किये गये जिसका दो खाली खोखा भी आर्टिकल बी-08 से बी-22 में रखा हुआ है । इनके अतिरिक्त साक्षी को न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल बी-23 से 34 जो सीलबंद हालत में है, उसे खोलने पर उसके अंदर 10 जिंदा और 02 खाली खोखा पाए गए जो कुल 12 में से 02 बुलेट टेस्ट फायर किये गये थे, उक्त आर्टिकल की वस्तु को दिखाकर साक्षी से पूछने पर इन्हीं वस्तुओं को मौके से जप्त करना बताया । न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल बी-35 से बी-41 जो सीलबंद हालत में है उसे खोलने पर उसके अंदर एक मैग्जीन और 05 नग जिंदा कारतूस एवं 01 नग खाली खोखा प्राप्त हुआ, उक्त संपत्तियों को दिखाकर पूछने पर साक्षी ने बताया कि यही मैग्जीन और जिंदा कारतूस को टाटा वाहन सी.जी. 04 / जे.ए.8984 के केबिन के उपर से जप्त करना बताया । इसके अलावा न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल-बी-45 जो सीलबंद हालत में है उसे खोलने पर उसके अंदर सफेल पॉलीथीन में रखा एक जोडी काले रंग का दस्ताना पाया गया साक्षी को दिखाकर पूछने पर यही दस्ताना को प्रदर्श पी-54 के अनुसार जप्त करना बताया । 132- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, विवेचना के दौरान आरक्षक 1291 मुन्ना यादव के द्वारा डॉक्टर द्वारा सीलबंद किये गये पैकेट जिसमें सीलबंद डिब्बी में पर्ची 1 में दो नग बुलेट लिखा है, एक सीलबंद पैकेट में मृतिका सूरजी देवी के घटना के समय पहने साडी एवं ब्लाउज खून लगा हुआ शासकीय अस्पताल दुर्ग से आरक्षक मुन्ना लाल के पेश करने पर जप्तीपत्र के मुताबिक जप्त किया गया था, जो प्रदर्श पी-65 होना तथा आरक्षक मुन्नालाल द्वारा शासकीय अस्पताल से लाये गये सीलबंद डिब्बी के उपर पर्ची में मृतक रावलमल जैन लिखा होना जिसमें पी.एम. के दौरान मृतक रावलमल जैन के शरीर से निकाली गई बुलेट थी, तथा एक सीलबंद पैकेट में मृतक रावलमल द्वारा घटना के समय पहने हुए कपडे जिसमें खून लगे हुए दाग लगे हैं, जिसमें शासकीय अस्पताल दुर्ग का पर्ची लगा है जिसे उसके द्वारा जप्तीपत्र प्रपी. 66 के अनुसार जप्त किया गया। 133- आगे इस विवेचक साक्षी का कथन है कि, विवेचना के दौरान दिनांक 24.01.2018 को फोटोग्राफर प्रभात वर्मा के पेश करने पर वजह सबूत में घटनास्थल मृतक रावलमल जैन दुर्ग के निवास स्थान दुगड़ निवास गंजपारा में खीचें गए अंदर, बाहर एवं मृतक एवं मृतिका के कुल 45 नग फोटोग्राफस पेश करने पर मुताबिक जप्ती पत्र प्रपी. 67 के अनुसार जप्त किया गया है। विवेचना के दौरान उसके द्वारा डॉ0 बी.एन.देवांगन जिला अस्पताल दुर्ग को आरोपी के द्वारा चलाई गई पिस्टल की क्यूरी बाबत प्रेषित किया था,जो प्रदर्श पी-6ए है। इसी तरह उसके द्वारा आरोपी के पेश 160 करने पर जप्तशुदा कुर्ता जिसमें खून के दाग लगे हैं, को मुलाहिजा हेतु जिला चिकित्सालय भेजा था, जो पत्र प्रदर्श पी-7ए है। उसके द्वारा डॉ० बी0एन0देवांगन, जिला अस्पताल, दुर्ग को पोस्टमार्टम के दौरान रावलमल जैन के शरीर के पी0एम0 के पूर्व कराए गए एक्सरे में तीन गोलियाँ दिखाई दे रही है, किन्तु पी0एम0 के दौरान एक गोली मिली है एवं शेष दो गोली क्यों नहीं मिली है, इसके लिए राय मांगा गया था जो प्रदर्श पी-8ए है । उसके द्वारा छ. 'टना दिनांक को डाग स्कवाड प्रभारी को पत्र लिखा गया था, जो प्रदर्श पी-68 है। 134- आगे. इस विवेचक साक्षी का कथन है कि, उसके द्वारा विवेचना के दौरान्‌ आरोपी संदीप जैन के मेमोरेण्डम के आधार पर कि उसने जिस कटटे से सूरजी देवी एवं रावल मल जैन की हत्या किया है, उसे आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता से खरीदना बताने पर, आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता को हिरासत में लिया गया । दिनांक. 03.01.18 को 09.15 बजे आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता से पूछताछ करने पर उसने बताया कि - “संदीप जैन निवासी गंजपारा दुर्ग जो उसका बचपन का दोस्त था जो आज से पांच छँ: माह पूर्व मेरे पास आया था और मुझसे एक लाख पैंतीस हजार रूपये में एक पिस्टल सिल्वर 7.65 कैलीबर का एवं 38 रांउड भी दिया था”। आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता का मेमोरेण्डम प्रदर्श पी-56 होना बताया 161 है। इसी दिनांक 03.01.18 के 10.35 बजे उसके द्वारा आरोपी शैलेन्द्र सागर का मेमोरेण्डम प्रपी. 57 लिया गया था जिसमें आरोपी शैलेन्द्र सागर ने बताया था कि “उससे भगत सिंह ने एक पिस्टल संदीप जैन को देने के लिए मांगी थी जो कि, वह सागर तरफ काम करने गया था तो दो तीन साल पहले एक व्यक्ति से 38 कारतूस और 01 पिस्टल उस समय 40-50 हजार रूपये में खरीदी थी, जिससे खरीदा था उससे खास पहचान नहीं थी आज के दिन वह कहाँ रहता है, नहीं जानता जिस पिस्टल से संदीप जैन ने हत्या की है, वह वही पिस्टल है, बताया था” । उसके द्वारा दिनांक 03.01.18 को गवाहों के समक्ष आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता के द्वारा पिस्टल पहचान पंचनामा प्रपी. 58 तैयार किया गया था, जिसने जप्तशुदा पिस्टल को ही बेचना बताया था। विवेचना के दौरान उसने दिनांक- 01.01.2018 के 20.15 बजे आरोपी संदीप जैन को गिरफतार कर गिरफतारी पंचनामा प्रपी. 69 बनाया था। उसके द्वारा आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता एवं शैलेन्द्र सागर को दिनांक 03.01.2018 को. गिरफतार कर गिरफतारी पंचनामा कमश: प्रपी, 70 एवं 71 बनाया था । 135- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, उसने आरोपी संदीप जैन, भगत सिंह गुरूदत्ता एवं शैलेन्द्र सागर के परिजनों को उनकी गिरफतारी की सूचना कमशः प्रदर्श पी-72, प्रदर्श पी-73 एवं प्रदर्श पी-74 के अनुसार दी थी। 162 उसके द्वारा तहसीलदार, तहसील दुर्ग को घटनास्थल पटवारी नक्शा के लिए पत्र जारी किया गया था जो प्रदर्श पी-75 है उसके द्वारा पुलिस अधीक्षक जिला दुर्ग को इस प्रकरण में साक्ष्य की दृष्टिकोण से चलाई गई कारतूसों के बैलेस्टिक परीक्षण के लिए मिलान हेतु 04 नग कारतूस खरीदने हेतु अनुमति बाबत पत्र लिखा जाना तथा जिला दंडाधिकारी द्वारा दिनांक 10.01.2018 को 04 कारतूस खरीदने की अनुमति प्रदान किया किया जाना जिसके आधार पर उसने माँ शारदा ट्रेडर्स, आर्म्स एवं ऐमोनिसन डीलर से दिनांक 11.01.2018 को 500/- रूपये में 04 कारतूस 7.65 बोर का पिस्टल कारतूस खरीदना बताया है तथा डीलर द्वारा दिया गया बिल प्रदर्श पी-39 सी होना जिसमें उसके द्वारा पेड बाई मी लिखकर हस्ताक्षर करना इसके बाद उसने पुलिस अधीक्षक, दुर्ग को दिनांक 12.01.2018 को उक्त बिल के अनुसार खरीदे गए कारतूस की कीमत के आहरण के लिए पत्र लिखा, जो प्रदर्श पी-77 है। दिनांक 01.01.18 को उसने वरिष्ठ वैज्ञानिक एफएसएल, रायपुर को प्रदर्श पी-03 का पत्र लिखकर घटनास्थल निरीक्षण के लिए आवेदन दिया था। 136- आगे इस विवेचना साक्षी का कथन है कि, पुलिस अधीक्षक दुर्ग कार्यालय द्वारा प्रदर्श पी-78, प्रदर्श पी-79 एवं प्रदर्श पी-80 का पत्र नोडल आफिसर जियो, आईडिया एवं रिलायंस को लिखा था, जिसके परिपालन में नोडल आफिसरों द्वारा सीडीआर 163 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 और 65 बी का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था। पुलिस अधीक्षक, दुर्ग द्वारा प्रदर्श पी-60 सी का पत्र जिला दंडाधिकारी दुर्ग को आरोपी संदीप जैन, आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता एवं आरोपी शैलेन्द्र सागर के विरूद्ध आर्म्स एक्ट में अभियोजन अनुमति बाबत पत्र लिखा गया था एवं पत्र के साथ प्रकरण की डायरी एवं दस्तावेज भेजे गए थे जिसके आधार पर अभियोजन अनुमति जिला दंडाधिकारी द्वारा दिया गया था। उसके द्वारा विवेचना के दौरान्‌ जप्तशुदा संपत्तियों को रासायनिक परीक्षण हेतु पुलिस अधीक्षक दुर्ग के माध्यम से एफएसएल रायपुर भेजा गया था जो प्रदर्श पी-81 है। उक्त संपत्तियों की जांच पश्चात्‌ एफएसएल रायपुर से परीक्षण प्रतिवेदन प्रपी. 82 प्राप्त होना बताया है । 137- अब प्रकरण में आरोपी संदीप जैन की ओर से ली गई प्रतिरक्षा पर विचार किया जा रहा है। आरोपी संदीप जैन की ओर से यह प्रतिरक्षा ली गई है कि, जैसा कि अभियोजन व्दारा यह प्रकरण बनाया गया है कि, आरोपी संदीप जैन व्दारा अपने माता-पिता की पिस्टल के वार से मृत्यु कारित कर हत्या की गई है, किंतु इसके विपरीत प्रकरण के साक्षी अ.सा.8 सौरभ गोलछा ने अपने कथन में बताया है कि, जब उसकी नानी व्दारा उसे फोन कर बुलाया तथा वह अपने नाना मृतक रावलमल जैन के घर आया तो देखा आरोपी संदीप जैन के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था। 164 उक्त आधार पर बचाव पक्ष की ओर से यह तर्क किया गया है कि, चूंकि आरोपी संदीप जैन के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था इसलिये अवश्य ही किसी बाहर के व्यक्ति व्दारा आकर घटना कारित की गई है। 138- आरोपी संदीप जैन की ओर से ली गई उक्त प्रतिरक्षा के संबंध में प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य पर विचार करें तो इस संबंध में प्रकरण के महत्वपूर्ण साक्षी अ.सा.8 सौरभ गोलछा ने अपने परीक्षण में यह स्पष्ट रूप से बताया है कि, 01 जनवरी 2018 को सुबह करीब 6 बजे उसकी नानी सूरजी बाई का उसके मोबाईल में फोन आया कि, नाना जी गिर गये हैं जल्दी आ जाओ तो अपनी कार से वह गंजपारा उनके घर गया था तब अंदर जाकर उसने देखा उसके नाना जी कॉरीडार में गिरे थे तथा नानी बिस्तर पर लहुलुहान स्थिति में थी। उसके बाद वह अपने मामा आरोपी संदीप जैन के कमरे में गया। इस साक्षी ने कंडिका 11 में यह स्पष्ट रूप से बताया है कि, घटना दिनांक को चौकीदार उसके नाना के घर नहीं आया था, घर में अंदर प्रवेश करने का एकमात्र दरवाजा है जो आलोकचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स के सामने गंजपारा में हैं। इस साक्षी ने प्रतिपरीक्षण की कंडिका 15 में यह स्वीकार किया है कि, जब वह अपने नाना रावलमल जैन के घर गया तब बाहर का दरवाजा खुला 165 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 हुआ था और बाहरी कोई व्यक्ति नहीं था। यह भी स्वीकार किया है कि, घर के सभी सामान सुरक्षित अवस्था में थे । 139- आरोपी संदीप जैन की ओर से ली गई उक्त प्रतिरक्षा के संबंध में यदि प्रकरण में परीक्षित साक्षी फोटोग्राफर अ.सा. 2 प्रभात कुमार वर्मा के साक्ष्य का अवलोकन करें तो इस साक्षी ने घटना स्थल के फोटोग्राफ डिजिटल कैमरा से लिया जाना जिसमें आर्टिकल ए-1, ए-5, ए-6 एवं ए-7 को घटना स्थल मकान के पीछे का होना बताया है एवं ए-2, ए-3, ए-4, ए-8 एवं ए-9 को मकान के सामने भाग का होना बताया है। मकान के फोटोग्राफ से स्पष्ट है कि, मकान के अंदर प्रवेश करने का एक ही दरवाजा है जो कि, घटना की सुबह अ.सा.8 सौरभ गोलछा को खुला मिला था। प्रकरण में प्रस्तुत फोटोग्राफ के अवलोकन से यह दर्शित हो रहा है कि, मकान में कोई तोड़फोड़ के निशान नहीं है, फोटोग्राफ एवं साक्षियों के कथनानुसार मकान चारों तरफ से सुरक्षित है अर्थात्‌ घरातल के तल पर कोई खिड़की नहीं है एवं प्रथम तल की बालकनी पूर्णत ग्रिल से बंद है इससे यह स्पष्टतः सिद्ध हो रहा है कि, बाहर का कोई व्यक्ति घटना के समय घर के अंदर नहीं आया है। प्रकरण में आरोपी संदीप जैन की ओर से ऐसी कोई पुष्टिकारक साक्ष्य पेश नहीं की गई है जिसके आधार पर यह निर्धारित किया जा सके कि, आरोपी संदीप जैन के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था तथा... ६ 166 'टना किसी अन्य बाहरी व्यक्ति के व्दारा कारित की गई होगी। इस प्रकार प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य से आरोपी संदीप जैन की ओर से ली गई यह प्रतिरक्षा कि, घटना के समय आरोपी संदीप जैन के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था तथा घटना किसी बाहर के व्यक्ति व्दारा कारित की गई होगी, के तर्क को उपरोक्त विवेचन के प्रकाश में स्वीकार नहीं किया जा सकता। 140- आरोपी संदीप जैन के अधिवक्ता व्दारा यह तर्क किया गया है कि, अभियोजन व्दारा प्रकरण में आरोपी संदीप जैन और उसके पिता रावलमल जैन के मध्य अर्थात्‌ पिता पुत्र के मध्य विवाद होने से आरोपी संदीप व्दारा अपने माता पिता की हत्या किये जाने की झूठी कहानी निर्मित की गई है जबकि पिता पुत्र के मध्य सदभाविक संबंध थे । वि आरोपी संदीप जैन की ओर से लिये गये उक्त तर्क के संबंध में प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य पर विचार करें तो आरोपी संदीप जैन से पूछताछ करने पर उसने अपने मेमोरेण्डम में गवाहों के समक्ष बताया कि “वह स्वतंत्र तथा खुले विचारों का इंसान है एवं उसके पिता रावलमल जैन पुरानी रूढीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे, वे अक्सर इसे हर काम पर टोका करते थे, जैसे पूजा के लिए शिवनाथ नदी से प्रतिदिन नौकर से पानी मंगवाते थे, तथा उसके द्वारा घर के नल के पानी को ही उपयोग करने को कहने पर 167 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 उसे डांट-डपट करते थे। आरोपी के पिता को उसकी महिला मित्रों से मिलना नागवार गुजरता था एवं उसे संपत्ति से बेदखल करने की धमकी देते थे । 14ि2- इस संबंध में अ.सा. 5 राजू सोनवानी ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, वह आरोपी संदीप जैन के घर में ड्राययर की नौकरी करता है। इस साक्षी नें बताया है कि, रावलमल जैन गुस्से के तेज व्यक्ति थे उनसे सब डरते थे, आरोपी संदीप बहुत कम बात करता था, जो भी बात करता था अपनी मां सूरजीबाई के माध्यम से करता था। इस साक्षी की साक्ष्य से भी स्पष्ट हो रहा है कि, आरोपी संदीप जैन और उसके पिता अर्थात्‌ मृतक रावलमल जैन के मध्य संबंध सामान्य नहीं थे। इस प्रकार प्रकरण में उपरोक्त विवेचित साक्ष्य से यह प्रमाणित हो रहा है कि, आरोपी संदीप जैन एवं उसके पिता अर्थात्‌ मृतक रावलमल जैन के मध्य संबंध सामान्य नहीं थे। बचाव पक्ष व्दारा मात्र सरसरी तौर पर लिखित तर्क में अभियोजन पक्ष व्दारा मात्र झूठी साक्ष्य गढ़ने की बात कह दी गई है किंतु उसके समर्थन में कोई पुष्टिकारक साक्ष्य पेश नहीं किया गया है। 143- आरोपी संदीप जैन की ओर से लिया गया यह बचाव कि, मृतक रावलमल जैन ने अपने जीवन काल में आरोपी संदीप जैन को नगपुरा मंदिर का मैनेजिंग ट्रस्टी एवं आरोग्यम 168 अस्पताल का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए थे। मृतक रावलमल जैन के मंदिर का कार्य और उनके ईलाज से संबंधित कार्य आरोपी संदीप जैन ही करता था। आगे यह वर्णित किया गया है कि, पुलिस वाले ने रावलमल जैन के ऑफिस में काले रंग के बैग में रखे दो-दो हजार के 37 बंडल उठाया था जिसकी पुष्टि बचाव साक्षी संतोष जैन के कथनों से एवं दैनिक समाचार पत्र प्र.डी.-8 से भी होती है। चूंकि रावलमल जैन, सूरजीबाई के मृत्यु के पश्चात्‌ उक्त रकम को क्लेम करने वाला एक मात्र संदीप जैन ही था, अतः उक्त रकम को हड़पने के आशय से और संदीप क्लेम ना कर सके इस आशय से पुलिस ने संदीप को झूठी कहानी का निर्माण कर जेल भेज दिया। इस प्रकार आरोपी संदीप पर झूठा दोषारोपण करने का पुलिस के पास पर्याप्त हेतुक था तथा इस तथ्य को अभियोजन द्वारा साक्षी सौरभ गोलछा, साक्षी संतोष जैन एवं प्रिंट मिडिया में छपी खबर से लाख प्रयास के बाद भी खण्डित नहीं किया जा सका है। विव- आरोपी संदीप जैन की ओर से ली गई उक्त प्रतिरक्षा के संबंध में यदि प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य पर विचार करें तो साक्षी शेख कलीम (अ.सा.13) के साक्ष्य की कंडिका-38 में उसने स्वीकार किया है कि, रावलमल जैन के घर में ही उनकी आफिस है परन्तु उसे जानकारी नहीं है कि, रावलमल जैन के आफिस से क्या-क्या चीजें बरामद हुई थी। यह साक्षी प्रकरण का महत्वपूर्ण 169 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 साक्षी जिसने प्रकरण में हुई जप्ती कार्यवाही का समर्थन किया है, कितु रावलमल जैन के आफिस से राशि जप्त किये जाने के बिन्दु पर अपनी अनभिज्ञता जाहिर कर रहा है। आरोपी संदीप जैन की ओर से इस आशय की कोई पुष्टिकारक साक्ष्य प्रकरण में पेश नहीं की गई है जिसके आधार पर यह मान्य किया जा सके कि, प्रकरण में विवेचना के दौरान मृतक रावलमल जैन के ऑफिस से विवेचना अधिकारी व्दारा 74 लाख रूपये की बरामदगी की गई तथा उक्त संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया गया। आरोपी द्दारा प्रिन्ट मिडिया में छपी खबर को आधार बनाकर यह प्रतिरक्षा को साबित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है जो कि समर्थित साक्ष्य के अभाव में स्वीकार योग्य नहीं होना प्रकट हो रही है। यदि तर्क के लिये प्रिन्ट मीडिया में छपी खबर को तवज्जो भी दी जावे तो प्रिन्ट मीडिया में ही यह खबर भी छपी थी कि, आरोपी संदीप जैन व्दारा अपने माता-पिता की हत्या कारित की गई है। जहां तक आरोपी संदीप जैन को उसके पिता अर्थात्‌ मृतक रावलमल जैन व्दारा नगपुरा मंदिर का मैनेजिंग ट्रस्टी एवं आरोग्यम अस्पताल का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए जाने एवं मंदिर का कार्य और मृतक के ईलाज से संबंधित कार्य आरोपी संदीप जैन से ही कराये जाने का प्रश्न है, तो यह सर्वविदित है कि, आरोपी संदीप जैन, मृतक रावलमल जैन का पुत्र था इसी कारण सामाजिक एवं नैतिक दायित्वों के निर्वहन ,/ परिपूर्ति 170 के अनुकम में स्वाभाविकतः पुत्र होने के कारण एवं इस हेतु उनके पास और कोई विकल्प उपलब्ध न होने से मृतक व्दारा आरोपी संदीप जैन को यह जिम्मेदारी न चाहते हुये भी दी गई हो, किंतु इससे आरोपी संदीप जैन व्दारा जो कृत्य किया गया है उस पर परदा नहीं डाला जा सकता या यह कह सकते हैं कि, इससे प्रकरण की किन्‍्हीं परिस्थितियों पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ना प्रतीत नहीं होता तथा इससे प्रतिरक्षा पक्ष को अभियुक्त की निर्दोषिता के बाबत्‌ कोई लाभ प्राप्त नहीं होता । 145- अभियुक्त संदीप जैन की ओर से लिये गये उपरोक्त बचाव के संबंध में अब यदि प्रकरण में एकमात्र परीक्षित बचाव साक्षी की साक्ष्य का अवलोकन करें तो साक्षी संतोष जैन (ब. सा.1) जो कि, आरोपी संदीप जैन की पत्नि है, ने अपने परीक्षण में बताया है कि, आरोपी संदीप जैन उसका पति है, मृतकगण रावलमल जैन और सूरजी देवी उसके कमशः: ससुर एवं सास थे। इस साक्षी ने कथन की है कि, गंजपारा दुर्ग में वह अपने विवाह के बाद से अपने सास, ससुर एवं पति के साथ रहती है। विवाह के पश्चात्‌ एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम संयम जैन है, वे सभी लोग एक साथ गंजपारा, दुर्ग में स्थित मकान में निवास करते हैं। उनका परिवार शांत और प्रतिष्ठित परिवार है, उनके घर में आपस में कोई लड़ाई-झगड़ा एवं विवाद नहीं रहा है। आगे इस साक्षी ने बताई है 171 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 कि, दिनांक 26 दिसम्बर 2017 को सुबह लगभग 10:30 बजे वह अपने पुत्र संयम को लेकर शीतकालीन अवकाश में अपने मायके दल्‍्ली राजहरा गई थी। उसके पति एवं वाहन चालक राजू उनके साथ गये थे। उसके पति एवं वाहन चालक उसके मायके में तीन-चार घण्टे रूककर वापस आ गये थे, वह और उसका पुत्र संयम उसके मायके में ही रूके थे। इस साक्षी ने आगे कथन की है कि, 01 जनवरी 2018 को सुबह 06, 06:30 बजे उसके पिता के फोन पर किसी ने फोन किया कि, उसके सास, ससुर को किसी ने गोली मारकर हत्या कर दिया है तब उसके माता-पिता एवं पुत्र संयम तत्काल दल्‍ली राजहरा से दुर्ग के लिये कार से रवाना होकर सुबह करीब 8 बजे दुर्ग उसके ससुराल पहुंचे थे। उसके ससुराल के सामने काफी भीड़ थी। जब वह अंदर गई तो उसके सास के कमरे के सामने कॉरीडोर में पुलिस वालों ने उसे रोक दिया, आगे नहीं बढ़ने दिया, वहां से उसने देखी कि उसके ससुर कॉरीडोर में सामने जमीन पर गिरे थे एवं कमरे में उसकी सास बिस्तर पर खून से लथपथ पड़ी थीं । 146- इस बचाव साक्षी ने आगे कथन किया है कि, पुलिस वाले उसके ससुर के ऑफिस से काले बैग में नोट डालकर ले गये थे, नोट 2000 //-रूपये के थे तथा 37 बंडल थे। दूसरे दिन दैनिक समाचार पत्र में उसने पढ़ा था कि, पुलिस वाले उसके ससुर 172 के ऑफिस से 74,00,000 /-रूपये बरामद किये थे। दिनांक 01.01. 2018 को पुलिस दव्दारा नोटों को बैग में ले जाने के बाद उसके सास, ससुर के मृत देह को पोस्टमार्टम के लिये गये थे। उसके सास-ससुर का अन्तिम संस्कार उसके पुत्र संयम ने किया था, पुलिस वालों ने संदीप जैन को अन्तिम संस्कार नहीं करने दिया था। उसके ससुराल घर में मुख्य प्रवेश व्दार सामने से एक ही है एवं पीछे रेलिंग में दो जाली के गेट लगे हैं जिसमें एक गेट खुला रहता है एवं एक गेट बंद रहता है और छत से भी उसके घर में प्रवेश का रास्ता है। वि अभियोजन पक्ष की ओर से नोटों के संबंध में पूछे गये प्रश्न के संबंध में इस साक्षी ने प्रति परीक्षण की कंडिका 17 में यह स्वीकार किया है कि, पुलिस वाले उसके सामने नोटों को नहीं गिने थे, साक्षी से विशिष्ट रूप से यह पूछे जाने पर कि, नोट कहां रखे गये थे, इसने बताया है कि, नोट कहां रखे गये थे उसे नहीं मालूम, लेकिन पुलिस वालों ने उसके सामने नोटों का बण्डल गिना था। आगे यह स्वीकार किया है कि, वह यह बताने में असमर्थ है कि, जिन नोटों को जप्त किया गया वे ऑफिस में किस जगह पर रखे गये थे, उसने यह नहीं देखा कि, पुलिस वाले किस जगह से नोट उठाये थे। इस साक्षी ने प्रति परीक्षण की कंडिका 19 में यह स्वीकार की है कि, उसने पुलिस वालों के व्दारा नोट ले जाने के 173 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 संबंध में न्यायालय में पुलिस अधिकारियों अथवा कहीं भी इसके संबंध में शिकायत नहीं की। इस साक्षी ने प्रति परीक्षण की कंडिका 20 में यह स्वीकार की है कि, पुलिस वालों ने जो पैसा जप्त किया था वह अपराध से संबंधित पैसा नहीं था। प्रति परीक्षण की कंडिका 22 में यह स्वीकार की है कि, आरोपी संदीप जैन अपने पिता रावलमल जैन एवं माता सूरजी बाई की मृत्यु के बाद उनकी सभी चल अचल सम्पत्तियों का अकेला वारिस है। आगे कंडिका 23 में यह भी स्वीकार किया है कि, रावलमल जैन एवं सूरजी बाई के जीवित रहने तक आरोपी संदीप जैन सम्पत्ति का अधिकारी नहीं हो सकता था। 148- इस साक्षी ने प्रतिपरीक्षण की कंडिका 26 में यह स्वीकार की है कि, उसके ससुराल घर में एकमात्र मुख्य दरवाजा है जिससे वे लोग आना-जाना करते हैं। इस साक्षी ने प्रति परीक्षण की कंडिका 33 में यह स्वीकार की है कि, उसके ससुर रावलमल दुर्ग छ.ग. जैन समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे और दुर्ग शहर और पूरे छत्तीसगढ़ में सभी वर्गों में उनकी प्रतिष्ठा थी। इस साक्षी ने प्रति परीक्षण की कंडिका 34 में यह स्वीकार की है कि, प्रदर्श डी.08 के समाचार पत्र में अ से अ भाग में यह लेख है कि “घटना के समय घर में रावलमल जैन और उसकी पत्नि के अलावा पुत्र संदीप ही मौजूद था। संदीप ने अपनी पत्नि एवं पुत्र को मायके 174 दल्‍ली राजहरा भेज दिया था। पुलिस पूछताछ में आरोपी संदीप जैन ने गोली की आवाज नहीं सुनने की जानकारी दी वहीं चौहत्तर लाख रूपये चोरी होने की जानकारी देकर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया। विरोधाभासी बयान के चलते सन्देह की सुई संदीप पर जाकर अटक गई, पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ की तो उसने अपने माता-पिता की हत्या करना स्वीकार कर लिया, उसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। आगे यह भी स्वीकार की है कि, उक्त समाचार पत्र को उसने पुलिस वालों व्दारा रकम ले जाने के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की है। प्रति परीक्षण की कंडिका 37 में इस तथ्य से इंकार की है कि, उसने पुलिस को चौहत्तर लाख रूपये ले जाने का झूठा आरोप लगाया है। 149- इस बचाव साक्षी के सम्पूर्ण साक्ष्य के सूक्ष्म अवलोकन से यह दर्शित हो रहा है कि, प्रतिरक्षा पक्ष व्दारा इस बचाव साक्षी के माध्यम से यह तथ्य लाने का प्रयास किया गया है कि, पुलिस वाले उसके ससुर रावलमल जैन के ऑफिस से 74,00,000 /-रूपये बरामद किये थे तथा इस साक्षी के ससुराल घर में मुख्य प्रवेश व्दार एक ही है एवं पीछे रेंलिंग में दो जाली के गेट लगे है जिसमें एक गेट खुला रहता है एवं एक गेट बंद रहता है और उपर छत से भी उसके घर में प्रवेश का रास्ता है। प्रतिरक्षा पक्ष व्दारा बचाव साक्षी के माध्यम से लाई गई साक्ष्य के संबंध में पूर्व में 175 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 विस्तृत विवेचन किया जा चुका है तथा उक्त विवेचन के अनुकम में यह पाया गया है कि, घटना स्थल में एक ही प्रवेश व्दार से प्रवेश किया जा सकता है अन्य किन्‍हीं भी माध्यमों से प्रवेश नहीं किया जा सकता। जहां तक पुलिस वालों व्दारा 74,00,000/-रूपये इस बचाव साक्षी के ससुर अर्थात्‌ रावलमल जैन के ऑफिस से बरामद किये जाने का प्रश्न है तो इस संबंध में प्रकरण में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, मात्र समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर इस साक्ष्य के संबंध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता क्योंकि इस साक्षी व्दारा ही उक्त तथाकथित बरामद नोटों के संबंध में अपने प्रति परीक्षण में नोट कहां रखे थे, इसकी जानकारी नहीं होना, पुलिस वाले नोट किस जगह से उठाये थे इस संबंध में भी कोई जानकारी नहीं होना, पुलिस वालों के व्दारा नोट ले जाने के संबंध में न्यायालय में पुलिस अधिकारियों अथवा कहीं भी इसके संबंध में कोई शिकायत नहीं किया जाना स्वीकार किया है। ऐसी स्थिति में इस बचाव साक्षी के साक्ष्य से आरोपी संदीप जैन को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता बल्कि इस साक्षी व्दारा प्रति परीक्षण में की गई स्वीकारोक्ति जो कि उसके द्दारा प्रति परीक्षण की कंडिका 21, 22 एवं 23 में की गई है जिसमें उसके मृत ससुर रावलमल जैन के पैसों का एकमात्र उत्तराधिकारी आरोपी संदीप जैन को होना, आरोपी संदीप जैन के पिता एवं माता की मृत्यु के बाद उनकी सभी चल अचल सम्पत्तियों का अकेला वारिस 176 होना एवं आरोपी के माता-पिता के जीवित रहने तक संपत्ति का अधिकारी आरोपी नहीं हो सकना बताया गया है, से यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि, आरोपी के माता-पिता की मृत्यु के पश्चात्‌ सबसे अधिक साम्पत्तिक लाभ यदि किसी को हुआ है या होगा तो वह आरोपी संदीप जैन ही है क्योंकि उसके पिता रावलमल जैन व्दारा उसे उसकी हरकतों के कारण सम्पत्ति से बेदखल किये जाने की धमकी दी जाती थी, ऐसी स्थिति में बचाव पक्ष की ओर से परीक्षित उक्त साक्षी की स्वीकारोक्ति से एक प्रकार से अपराध के हेतुक (मोटिव) की पुष्टि होती है क्योंकि आरोपी संदीप जैन को यह आशंका थी कि, उसके पिता उसे सम्पूर्ण सम्पत्ति से बेदखल कर सकते हैं । 150- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा यह प्रतिरक्षा ली गई है कि, परिस्थितिजन्य साक्ष्य के इस मामले में परिस्थितियों की श्रृंखला को जोड़ने में अभियोजन पूर्णतः असफल रहा है। मेमोरेंडम और जप्ती कार्यवाही को अभियोजन पक्ष प्रमाणित करने में पूर्णतः: असफल रहा है। प्रकरण में अभियोजन अधिकारी द्वारा कूटरचित दस्तावेजों का निर्माण किया गया है तथा हथियार को बदल दिया गया है, साथ ही मालखाने की कोई पर्ची /रजिस्टर प्रस्तुत नहीं किया गया है एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों को साक्षी ना बनाकर पुलिस ने अपने पॉकेट विटनेस को इस प्रकरण में 177 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 साक्षी बनाया है, अभियोजन, अभियुक्त संदीप जैन के विरूद्ध अपना प्रकरण संदेह से परे प्रमाणित कर पाने में पूर्णतः विफल रहा है। 151-- आरोपी संदीप जैन की ओर से ली गई उक्त प्रतिरक्षाओं के संबंध में यदि विचार करें तो, न्याय शास्त्र का यह सिद्धांत है कि, व्यक्ति झूठ बोल सकता है लेकिन परिस्थितियां कभी झूठ नहीं बोलती। यह भी सर्वविदित है कि, सबसे पहले जो बोला जाता है या आचरण में लाया जाता है उसे ही सत्य मान्य किया जाता है क्योंकि अधिकांशत: बाद में किन्‍्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिये सत्य विरत होकर असत्य कथन करता है। उक्त न्याय शास्त्र के सिद्धांत के आलोक में यदि विचार करें तो प्रकरण के महत्त्वपूर्ण साक्षी अ.सा.08 सौरभ गोलछा ने अपने मुख्य परीक्षण एवं धारा 161 दंड प्रकिया संहिता अंतर्गत लिये कथन में यह बताया है कि, उसकी नानी सूरजी बाई ने उसे फोन किया था तब वह नाना मृतक रावलमल जैन के घर आया तो देखा उसके नाना जी कॉरीडोर में गिरे पड़े हैं तथा नानी बिस्तर में लहुलुहान पड़ी है, दोनों के शरीर में गोली लगी थी तथा खून निकल रहा था। आरोपी संदीप जैन अपने कमरे में था तब इस साक्षी ने जाकर आरोपी संदीप जैन को उठाया। प्रकरण में आई साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि, मृतकगण के घर आने-जाने का एक ही रास्ता है तथा उसके माता-पिता को गोली लगी होने पर भी उसके व्दारा कोई प्रतिक़िया व्यक्त नहीं की गई है, 178 न ही आरोपी संदीप जैन के द्दारा प्रकरण में कोई मर्ग सूचना या प्रथम सूचना प्रतिवेदन दर्ज कराया गया है, न ही पुलिस या किसी रिश्तेदार को फोन कर घटना की सूचना दी गई है। यदि सामान्य रूप से विचार किया जावे कि, किसी व्यक्ति के माता-पिता की हत्या हो जाये तो उससे यही अपेक्षा होगी कि, वह तत्काल पुलिस को इस संबंध में सूचना देगा, आसपास के लोगों से मदद की गुहार करेगा या अपने संबंधियों को फोन करेगा, किंतु ऐसी कोई मदद्‌ आरोपी व्दारा ली गई हो यह प्रकरण में उपलब्ध अभिसाक्ष्य से प्रकट नहीं हो रहा है यहां तक जिस घर में वह अपने माता-पिता के साथ था, उसी घर में उसके माता पिता की पिस्टल से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी जाती है इसकी उसे कोई जानकारी नहीं होना यह तथ्य उसे उक्त अपराध में संलिप्त होने की ओर इंगित करता है, बल्कि प्रकरण में यह साक्ष्य आई है कि, जब अ.सा.08 सौरभ गोलछा को उसकी नानी सूरजी देवी व्दारा मोबाईल फोन के जरिये बुलाया गया तथा वह आया तो आरोपी संदीप जैन अपने घर में कमरे में था तथा अ.सा.08 सौरभ गोलछा व्दारा न्यायालय में दी गई साक्ष्य से ऐसा प्रकट हो रहा है कि, आरोपी संदीप जैन उसके घर में उसके माता-पिता की हत्या हो गई थी इस बात से अनभिज्ञ था क्योकि साक्षी अ.सा.08 सौरभ गोलछा ने अपने कथन में बताया है कि, उसने आरोपी संदीप जैन को घटना के बारे में 179 जानकारी दिया था। ऐसी स्थिति में यह सहज ही उपधारित किया जा सकता है कि, आरोपी संदीप जैन का यह व्यवहार पूर्णतः असामान्य व्यवहार था क्योंकि वह जिस घर में अपने माता-पिता के साथ वह घटना दिनांक को था, उसी घर में उसके माता-पिता की पिस्टल के माध्यम से हत्या कर दी गई हो और वह इस घटना से अनभिज्ञ हो यह पूर्णतः अविश्वसनीय प्रतीत हो रहा है तथा उसका यह आचरण उसकी अपराध में सहभागिता की ओर संकेत कर रहा है। 152- प्रकरण में आई साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि, ६. 'टना के समय आरोपी संदीप जैन एवं उसके माता-पिता अर्थात्‌ मृतक गण रावलमल जैन एवं सूरजी बाई कुल तीन सदस्य ही घर में थे, इनके अलावा और कोई घर में नहीं था। उक्त संबंध में यदि साक्षियों की साक्ष्य का अवलोकन करें तो अ.सा. 5 राजू सोनवानी ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, वह आरोपी संदीप जैन के घर में ड्रायवर की नौकरी करता है। वह रावलमल जैन के यहाँ पहले स्विफूट डिजायर चलाता था और अभी आई 10 गाड़ी चलाता है। वह दिनांक 26/12/2017 को संदीप की पत्नी संतोष जैन, संदीप जैन एवं उसके पुत्र संयम को लेकर दल्‍ली राजहरा छोडने गया था और दल्‍ली राजहरा में संतोष जैन एवं संयम को छोड़कर वह और संदीप जैन शाम को 5:30 से 6.00 के बीच वापस आ गये थे। 180 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 153- अ.सा. 7 रोहित कुमार देशमुख ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, वह पिछले 30 वर्षों से रावलमल जैन के घर पर कार्य कर रहा है, वह उनके घर में स्थित आफिस में भृत्य का कार्य करता है। रावलमल जैन के घर में उनकी पत्नी सूरजी बाई, पुत्र संदीप जैन, उसकी पत्नी संतोष जैन और पुत्र संयम निवास करते थे। वह उनके घर में चौकीदारी का कार्य रात में करता था। दिनांक 30/12/2017 को वह रावलमल जैन के घर कार्य किया और शाम को उसे आरोपी संदीप ने कहा कि. “तुम 31/12/2017 की रात में सोने मत आना” तब वह दिनांक 31/12/2017 को रावलमल जैन के घर नहीं आया। दिनांक 30/12/2017 को जब वह छुटटी लेकर गया, तब रावलमल जैन के घर, आरोपी संदीप, रावलमल जैन एवं उनकी पत्नी सूरजीबाई केवल तीन लोग थे। आरोपी संदीप जैन का यह आचरण साक्ष्य अधिनियम की धारा 07 एवं 08 के तहत्‌ असंगत है। 154-- हालांकि अ.सा.8 सौरभ गोलछा ने प्रतिपरीक्षण की कंडिका 19 में यह स्वीकार किया है कि, जब वह संदीप के कमरे में गया तो बाहर से दरवाजा खटखटाया था, उसे लगा कि संदीप सोई हुई स्थिति में है, तब उसने संदीप को बताया कि, नीचे नाना-नानी को गोली लग गई है। उसने देखा कि संदीप के कमरे के दरवाजे की कुन्डी बाहर से लगी है तब उसने कुन्डी खोला था। 181 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 आगे इस साक्षी ने यह भी कहा है कि, उस दरवाजे के खोले बिना न तो कोई अंदर आ सकता है और न ही कोई बाहर निकल सकता है, उसने उक्त बातें पुलिस को बताया था कितु उसे पुलिस वालों ने कहा था कि, इसे बताने का कोई मतलब नहीं है। आगे प्रतिपरीक्षण की कंडिका 20 में यह साक्ष्य दिया है कि, घटना स्थल घर के पीछे गली है, उस गली से सीढ़ी आदि के माध्यम से कोई व्यक्ति चढ़कर दीवार के उपर लगी जाली में पहुंच सकता है जिसमें जाली का ही गेट लगा है जो घटना दिनांक तक खुला रहता था और वहां से कोई भी आदमी घर के भीतर हॉल में प्रवेश कर सकता है। उसने उक्त बातें पुलिस को बता दिया था, किंतु पुलिस ने कोई मुआयना नहीं किया। इस साक्षी व्दारा प्रति परीक्षण में दी गई उक्त साक्ष्य, उसके व्दारा दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट व उसके पुलिस व्दारा धारा 161 दंड प्रकिया संहिता अंर्तगत दर्ज किये गये पुलिस कथन से पूर्णतः मेल नहीं खाती। यदि इस साक्षी व्दारा दर्ज कराई गई मर्ग सूचना प्रदर्श पी.28 एवं 29 तथा प्रथम सूचना पत्र प्रदर्श पी. 27 एवं इसके धारा 161 दंड प्रकिया संहिता अंतर्गत लिये गये पुंलिस कथन का अवलोकन करें तो इनमें इस साक्षी के व्दारा संदीप के कमरे के दरवाजे की कुन्डी बाहर से लगे होने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इस साक्षी ने अपने धारा 161 दंड प्रकिया संहिता अंतर्गत लिये गये कथन में यह अभिलिखित कराया है कि, आरोपी 182 संदीप जैन के कमरे का दरवाजा लुढ़का हुआ था, उसे धक्का देकर वह अंदर गया था। इस साक्षी का पुलिस कथन घटना दिनांक 01. 01.2018 को ही दर्ज किया गया था इसलिये स्वाभाविक रूप से विश्वसनीय प्रकट हो रहा है। न्यायालय में इस साक्षी का साक्ष्य लगभग 10 महीनों के पश्चात्‌ हुआ है जिसमें उसके व्दारा आरोपी संदीप जैन के कमरे की कुंडी बाहर से लगी होने का कथन किया गया है। यदि इस साक्षी की साक्ष्य को उक्त विशिष्ट बिन्दु के संबंध में सत्यता की कसौटी पर कसा जावे तो प्रकरण में उपलब्ध अन्य साक्ष्य के प्रकाश में इसकी साक्ष्य उक्त विशिष्ट बिन्दु के संबंध में पूर्णतः अविश्वसनीय प्रकट हो रही है तथा यह संभाव्य होना प्रकट हो रहा है कि, मृतकगण की मृत्यु के पश्चात्‌ आरोपी ही सम्पूर्ण सम्पत्ति का एकमात्र स्वामी होगा ऐसी स्थिति में बचाव पक्ष से प्रभावित होकर उसके व्दारा यह सोची-विचारी साक्ष्य न्यायालय में दी गई हो। इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय दव्दारा प्रतिपादित न्याय दृष्टान्त भगवान दास वि. राज्य (एन.सी.टी.) दिल्‍ली 09 मई 2011, आपराधिक अपील कं.1117 2011, स्पेशल लीव पिटीशन (आपराधिक) कं.1208 // 2011 अवलोकनीय है जिसकी कंडिका-08 की उपकंडिका 05 में निम्नानुसार मार्गदर्शक सिद्धांत प्रतिपादित किये गये हैं :-- 8. The circumstances which connect the accused to the crime are : - v) The mother of the accused, Smt. Dhillo Devi stated before the police that her son (the accused) had told her that he had killed Seema. No doubt a statement to the police is ordinarily not admissible in evidence in view of Section 162(1) Cr.PC, but as mentioned in the proviso to Section 162(1) Cr.PC it can be used to contradict the testimony of a witness. Smt. Dhillo Devi also appeared as a witness before the trial court, and in her cross examination, she was confronted with her statement to the police to whom she had stated that her son (the accused) had told her that he had killed Seema. On being so confronted with her statement to the police she denied that she had made such statement.We are of the opinion that the statement of Smt. Dhillo Devi to the police can be taken into consideration in view of the proviso to Section 162(1) Cr.PC, and her subsequent denial in court is not believable because she _ obviously had afterthoughts and wanted to save her son (the accused) from punishment. In fact in her statement to the police she had stated that the dead body of Seema was removed from the bed and placed on the floor. When she was confronted with this statement in the court she denied that she had made such statement before the police. We are of the opinion that her statement to the police can be taken into consideration in view of the proviso of Section 162(1) Cr.PC. No doubt Smt. Dhillo Devi was declared hostile by the prosecution as she resiled from her earlier statement to the police. However, as observed in State vs. Ram Prasad Mishra & Anr. : "The evidence of a hostile witness would not be totally rejected if spoken in favour of the prosecution or the accused, but can be subjected to close scrutiny and the portion of the evidence which is consistent with the case of the prosecution or defence may be accepted." Similarly in Sheikh Zakir vs. State of Bihar AIR 1983 SC 911 this Court held : "It is not quite strange that some witnesses do turn hostile but that by itself would not prevent a court from finding an accused guilty if there is otherwise acceptable evidence in support of the conviction." In Himanshu alias Chintu_ vs. State (NCT of Delhi), (2011) 2 SCC 36 this Court held that the dependable part of the evidence of a hostile witness can be relied on. Thus it is the duty of the Court to separate the grain from the chaff, and the maxim "falsus in uno falsus in omnibus" has no application in India vide Nisar Alli vs. The State of Uttar Pradesh AIR 1957 SC 366. In the present case we are of the opinion that Smt. Dhillo Devi denied her earlier statement from the police because she wanted to save her son. Hence we accept her statement to the police and reject her statement in court. The defence has not shown that the police had any enmity with the accused, or had some other reason to falsely implicate him. 155- प्रकरण में बचाव पक्ष की ओर से घटना के दौरान आरोपी संदीप जैन के कमरे का दरवाजा बाहर से किसी ने बंद किया हो या दरवाजा बंद रहा हो इसके समर्थन में ऐसी कोई विशिष्ट साक्ष्य पेश नहीं की गई है जिससे प्रतिरक्षा पक्ष व्दारा लिये गये इस बचाव को स्वीकार किया जा. सके। इसके अलावा तार्किक रूप से भी यदि विचार किया जावे तो अ.सा.08 सौरभ गोलछा का यह न्यायालयीन साक्ष्य कि, आरोपी संदीप जैन के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था, अस्वाभाविक प्रकट हो रहा है क्योंकि एक परिवार में कोई व्यक्ति अपने माता-पिता के साथ है तथा बकौल कोई बाहरी व्यक्ति उसके घर में घुसकर उसके माता-पिता की 186 पिस्टल से गोली मारकर हत्या कर दे और पुत्र को जीवित छोड़ दे इस बात की उसे जानकारी ही न हो, पूर्णतः: अस्वाभाविक एवं अविश्वसनीय प्रकट हो रहा है। ऐसी स्थिति में बचाव पक्ष व्दारा लिया गया यह बचाव कि, घटना स्थल पर अन्य किसी व्यक्ति की उपस्थिति भी संभव हो सकती है, उपरोक्त विवेचित समग्र साक्ष्य के प्रकाश में मान्य किये जाने योग्य नहीं है। 156- प्रकरण में आई साक्ष्य अनुसार दिनांक 31.12. 2017 से 01.01.2018 की सुबह 06:02:36 में घटना स्थल पर आरोपी संदीप उसके मृतक पिता रावलमल एवं आरोपी संदीप की माता मृतिका सूरजी देवी घटना स्थल पर एक साथ निवासरत थे, इस साक्ष्य का न तो प्रति परीक्षण में खण्डन किया गया है और न ही चुनौती दी गई है न ही इस संबंध में कोई अतिरिक्त साक्ष्य पेश की गई है। दिनांक 01.01.2018 को 06:02:36 बजे सूरजी देवी के फोन करने पर अ.सा.08 सौरभ गोलछा घटना स्थल पर गंजपारा स्थित रावलमल के घर पहुंचा तो यह पाया कि, सूरजी देवी एवं रावलमल की हत्या हो गई है एवं आरोपी संदीप जैन अपने कमरे में स्वस्थ एवं जीवित पाया गया है। यदि घटना स्थल पर मृतकगण रावलमल जैन, सूरजी देवी एवं आरोपी संदीप जैन के अलावा अन्य कोई बाहरी व्यक्ति भी था, यह यह तर्क के लिये मान भी ले किंतु प्रकरण में आई साक्ष्य अनुसार अ.सा.08 सौरभ गोलछा के प्रति परीक्षण की कंडिका 187 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 20 में इस साक्षी को सुझाव दिया गया है कि, घटना स्थल के पीछे गली है उस गली से सीढ़ी या रस्सी के माध्यम से कोई व्यक्ति चढ़कर दीवार के उपर लगी जाली में पहुंच सकता है जिसमें जाली का ही गेट लगा है जो घटना दिनांक तक खुला रहता था और वहां से कोई आदमी घर के भीतर हॉल में प्रवेश कर सकता है और हॉल से नीचे घटना स्थल पर पहुंच सकता है। इस संबंध में आरोपी संदीप जैन की ओर से लिया गया बचाव विरोधाभासी स्वरूप का है क्योंकि अ.सा.08 सौरभ गोलछा के प्रति परीक्षण की कंडिका 20 में गली से सीढ़ी से चढ़कर जाली के द्दारा प्रवेश कर सकने के संबंध में पूछा गया है जबकि विवेचक से इस बिन्दु पर कोई सुझाव नहीं लिया गया है बल्कि नया बचाव लिया गया है कि, मृतक रावलमल जैन के घर के छत से लगे हुये पड़ोसी के छत से प्रवेश किया जा सकता है क्‍या? इस तरह आरोपी संदीप जैन के व्दारा लिया गया बचाव संभावनाओं पर है जबकि प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य से यह सिद्ध हुआ है कि, एक सुरक्षित मकान जहां तीन व्यक्ति घटना के समय उपस्थित थे जिसमें से दो की मृत्यु हो जाती है तथा एक व्यक्ति जीवित मिलता है तो जीवित मिलने वाले व्यक्ति के संबंध में धारा 106 साक्ष्य अधिनियम के अनुसार उसका यह दायित्व है कि, वह स्पष्ट करें कि, उसके साथ के दो व्यक्तियों की मृत्यु कैसे हो गई। यह आपराधिक विधि का सर्वमान्य सिद्धान्त है कि, धारा 106 188 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार कोई तथ्य आरोपी के विशेष जानकारी में है तो सबूत का भार उस आरोपी पर है। 157- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 08 के तहत अपराध हेतु तैयारी और पूर्व का या पश्चात्‌ का आचरण युक्तियुक्त रुप से सुसंगत है। उक्त धारा के अनुकम में यदि इस प्रकरण के संबंध में विशिष्ट रूप से विचार करें तो आरोपी संदीप जैन का अपराध के पूर्व का आचरण जैसे हत्या कारित करने के पूर्व इसने अपने परिचित भगत सिंह गुरूदत्ता से देशी पिस्टल और कारतूस खरीदा, दिनांक 27.12.2017 को इसने अपनी पत्नि संतोष जैन और पुत्र संयम जैन को स्वयं वाहन चालक के साथ जाकर दल्‍ली राजहरा छोड़कर आया, घर में सोने आने वाले चौकीदार रोहित देशमुख को दिनांक 31.12.2017 को रात्रि में सोने आने से मना किया तथा सारी रात जागकर हत्या का अवसर तलाश किया तथा दिनांक 31.12.2017 को हत्या करने के लिये दिन निश्चित किया क्योंकि इस दिन रात्रि के 12 बजे से अगले दिन की सुबह तक नये साल के उत्साह में खूब आतिशबाजी करते हैं जिससे फायरिंग करने पर कोई व्यक्ति एवं आस पड़ोस के लोग का ध्यान आकर्षित न हो। यदि आरोपी के हत्या कारित करने के पश्चात्‌ का आचरण का उल्लेख किया जावे तो आरोपी संदीप व्दारा अपराध की सूचना थाना में नहीं दिया जाना, स्वयं होकर प्रथम सूचना प्रतिवेदन या मर्ग कायम नहीं कराया जाना, 189 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 आरोपी संदीप जैन के कमरे में मोबाईल था, यदि यह अपराधी नहीं होता तो रावलमल एवं सूरजी देवी को तीन-तीन गोली मारने पर तत्काल थाने में फोन करता जबकि थाना घटना स्थल से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है। आरोपी संदीप जैन द्दारा मृतक गण की मृत्यु की सूचना किसी रिश्तेदार को नहीं दिया जाना, आरोपी संदीप जैन ने अपने भांजे सौरभ गोलछा को भी फोन नहीं किया तथा घटना की जानकारी नहीं दिया, देशी पिस्टल जिससे हत्या कारित किया उन सभी कारतूसों को अपने कमरे के पीछे लगे हुये ग्रील से नीचें फेंक दिया, घर के सामने के दरवाजे को खोल दिया जिससे लगे कि, बाहर के व्यक्ति ने हत्या कारित किया है, आरोपी संदीप जैन ने घटना के समय, घटना के पश्चात्‌ आसपास आवाज नहीं दिया, एक पूर्णरुप से सुसंगत साक्ष्य है, जिसे अभियोजन ने प्रमाणित किया है। 158- इस प्रकार उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि, घटना दिनांक को आरोपी संदीप जैन अपने माता-पिता के साथ घर में था तथा उसके माता-पिता की हत्या हो जाती है तब ऐसी स्थिति में आरोपी संदीप जैन पर यह नैतिक दायित्व था कि, वह इस तथ्य को प्रकाशित करें कि, आखिर उसके माता-पिता की मृत्यु कैसे हुई, किंतु आरोपी संदीप जैन के व्दारा इस संबंध में अपना कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। 190 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 159- इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय का. न्यायदृष्टांत “सुरेश एवं एक अन्य वि0 स्टेट ऑफ हरियाणा” 2015 कि. लॉ जर्नल पेज क. 661 का पैरा 08 अवलोकनीय है जो इस प्रकार है :-- 0811 फि0गाए 16 890छए€, पिंड 15 8 (856 ए71121€ $6€८घं001 106 0. 6 छपफ्रंता८€ /(टा. 15. 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'पा८ फृध्द (0पा1 पा ५८ ए0घ(€£ा एप शीघ58 ।व>ा॥0 वा वे वा) ४५5 996 0 (व0ी वे शिवे0651 085 06 85 प्राएंटा :- 4. ॥ 101501वा"॥ 3व0व0ध 50ा४/व४/४वा१5 वेा00 (015. ४5५. 996 0 (५धव0वा95001व; (2012) 10 $(00': 373, घ15 (:0पा1 005£ा४८० : "23. 15... 58616 धिफ्ा . प81 ए6५पाए[ृपवएए एव थि0ए। 15 8 पट पा 0 ८श्टा0€ 91. &. घिए।. 00156 0०फ०पि। 08५. 0६. ॥लिक6€0 फिणएए ८टाधा॥ 0021 ०४६१ एड... ाटा। प्ालिएाए8 पाट 194 €8टा0€ 0. 8. 8ि0ए।. फिणएए 0५6 56 एप ०४६१ धि८ा5, फि६. 00पा1 €ूटाटाइ€5 8 [006५५ 0... 1५002 घा00 1680165 10छांटघ1 0णाटीपिघाणा 85. पि€ ा05.. 00906 7०800. फट क्00४६ ... 000. 15 5$पटाशफ16160 1 शं८फा 0. 56000) 114 0. 112 ५िशिवटा८्ट 0८, 1872. 1 हा ?0फ़ाटाई 12 ८0पा। (00. फ6५पा1€ पि८. 6दाडटिा0€ एप... धार चिट. काटी] 1 पि्ाादड पटाप् (0. ॥8४८ पघूएहा८0,. व ५9... 00655, प्रा 00पाद5 शी] 8४६ 1८ छाए (0 ८ ८00 00पा5८ एव घापाव €6रटा5, ॥पावा 0000८, 6८. पा 80ताघ00ा (0 फिट थिएा$ एव प्रा ८856. व 165८ टाएपाा58घा ८८५, पा. 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देते थे, जिसके कारण उसने व्यथित होकर अपने पिता को मारने की योजना बनाई, इस कारण उसने एक देसी पिस्टल और कारतूस अग्रसेन चौक निवासी भगत सिंह गुरूदत्ता से 1,35,000,//-रू. में खरीदा एवं दिनांक 27.12.2017 को पत्नी और बच्चो को मायके दल्‍ली राजहरा भेज दिया और नौकर रोहित देशमुख जो रात्रि में घर में रोज सोने आता था, उसे 31.12.2017 की रात्रि घर आने से मना कर दिया, फिर योजनानुसार सुबह 05.45 बजे वह उपर से नीचे आकर मां के दरवाजे को बाहर से बंद किया, उस समय उसके पिता कॉरीडोर में बाथरूम से वापस आ रहे थे और कॉरीडोर का दरवाजा बंद कर रहे थे, उनकी पीठ उसकी तरफ थी, तभी उसने अपने पिता को पीछे से पीठ में गोली मार दिया, गोली की आवाज सुनकर उसकी मां के चिल्लाने पर वह अपने उपर कमरे में भाग गया, फिर उसके मोबाईल पर मां का फोन आने लगा, लेकिन उसने नहीं उठाया और नीचे मां के कमरे के पास पुनः वापस आया तो वह सौरभ को फोन लगाकर 201 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 बुला रही थी, तब उसने मां के कमरे का दरवाजा खोला और उसका राज खुल जाने के डर से मां को भी गोली मारकर हत्या कर दिया। उसके बाद उसने बाहर जाने वाले कॉरीडोर का दरवाजा और फिर बैठक का दरवाजा खोल दिया तथा सबसे बाहर मेनगेट का ताला खोलकर चाबी उसी में छोड़ दिया, ताकि लगे कि कोई बाहर का आदमी आकर हत्या कर चला गया है, उसने गोली मारते समय काले रंग के दस्ताने पहन रखे थे, जो उसके कमरे में बिस्तर के सिरहाने के नीचे रखे हैं तथा घटना के समय पहना गया चेक आसमानी कलर का हाफ कुर्ता जिसमें खून के दाग लगे हैं, को बिस्तर के नीचे छिपाकर रखा है एवं जिस पिस्टल से अपने माता-पिता की हत्या की है, उसे घर के पीछे उपर बालकनी से नीचे फेंक दिया, जो नीचे खड़ी टाटा-एस गाड़ी में गिरा है, साथ में एक लोडेड मैग्जीन और दो झिल्ली में जिंदा कारतूस को भी नीचें गली में फेंक दिया, मेनगेट का ताला-चाबी गेट में खुले रखे हैं तथा फेंके गए स्थान और सामान को दिखाया । 163- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव ने कथन किया है कि, इस संबंध में आरोपी संदीप जैन का मेमोरेण्डम प्रपी. 52 है । विवेचना के दौरान आरोपी द्वारा मेमोरेण्डम प्रपी. 52 में बताए गए तथ्यों के खुलासा के आधार पर आरोपी के बताये अनुसार मकान के पीछे घटना कारित करने के बाद फेंके गए 01 नग 7.65 कैलीबर का 202 देसी पिस्टल सिल्वर कलर का खाली मैग्जीन सहित, वाहन टाटा-एस क. सी.जी. 04 / जे.ए-8984 के केबिन के उपर से, एक झिल्ली में 14 नग कारतूस एवं 02 नग खाली खोखा, सभी में 7.65 के.एफ. लिखा हुआ, एक झिल्ली में 12 नग कारतूस, 7.65 कैलीबर का, एक सिल्वर कलर का मैग्जीन जिसमें 06 नग कारतूस हैं, वाहन टाटा-एस. क. सी.जी. 04 / जे.ए-8984 के डाला के पीछे दरवाजे के पास जिसमें 7.65 लिखा है, समक्ष गवाहान जप्त किया गया, जप्तीपत्र प्रपी. 53 है। आरोपी संदीप जैन के मेमोरेण्डम के आधार पर प्रपी. 54 के अनुसार 02 नग काले रंग का उलन का दस्ताना, 02 नग नोज मास्क कीम रंग का, एक आसमानी रंग चेकदार गोल कॉलर का कुर्ता जिसके दाहिने तरफ जेब के पास खून के दाग लगे हैं, एक ओप्पो कंपनी का मोबाईल, एक नग ताला एवं चाबी जिसमें अंग्रेजी में “50000” लिखा है, समक्ष गवाहान जप्त किया गया। इस साक्षी को न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति जो सीलबंद हालत में है, उसमें से आर्टिकल-बी-5 खोलकर दिखाए जाने पर यही पिस्टल तथा मैग्जीन जो खाली है टाटा वाहन सी.जी. 04 / जे.ए. 8984 के केबिन के उपर से जप्त करना बताया। साक्षी को न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल- बी 08 से बी-22 जो सीलबंद हालत में है; उसे खोलकर दिखाए जाने पर एक झिल्ली में 12 नग कारतूस एवं 04 नग खाली खोखा पाए गए, साक्षी का कथन है कि टेस्ट फायर में दो कारतूस 203 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 फायर किये गये जिसका दो खाली खोखा भी आर्टिकल बी-08 से बी-22 में रखा हुआ है । इनके अतिरिक्त साक्षी को न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल बी-23 से 34 जो सीलबंद हालत में है, उसे खोलने पर उसके अंदर 10 जिंदा और 02 खाली खोखा पाए गए जो कुल 12 में से 02 बुलेट टेस्ट फायर किये गये थे, उक्त आर्टिकल की वस्तु को दिखाकर साक्षी से पूछने पर इन्हीं वस्तुओं को मौके से जप्त करना बताया । न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल बी-35 से बी-41 जो सीलबंद हालत में है उसे खोलने पर उसके अंदर एक मैग्जीन और 05 नग जिंदा कारतूस एवं 01 नग खाली खोखा प्राप्त हुआ, उक्त संपत्तियों को दिखाकर पूछने पर साक्षी ने बताया कि यही मैग्जीन और जिंदा कारतूस को टाटा वाहन सी.जी. 04 / जे.ए.8984 के केबिन के उपर से जप्त करना बताया । इसके अलावा न्यायालय में प्रस्तुत संपत्ति आर्टिकल-बी-45 जो सीलबंद हालत में है उसे खोलने पर उसके अंदर सफेल पॉलीथीन में रखा एक जोडी काले रंग का दस्ताना पाया गया साक्षी को दिखाकर पूछने पर यही दस्ताना को प्रदर्श पी-54 के अनुसार जप्त करना बताया । 164- अ.सा. 15 निरीक्षक भावेश साव का आगे कथन है कि, विवेचना के दौरान आरक्षक 1291 मुन्ना यादव के द्वारा डॉक्टर द्वारा सीलबंद किये गये पैकेट जिसमें सीलबंद डिब्बी में पर्ची 204 में दो नग बुलेट लिखा है, एक सीलबंद पैकेट में मृतिका सूरजी देवी के घटना के समय पहने साडी एवं ब्लाउज खून लगा हुआ शासकीय अस्पताल दुर्ग से आरक्षक मुन्ना लाल के पेश करने पर जप्तीपत्र के मुताबिक जप्त किया गया था, जो प्रदर्श पी-65 होना तथा आरक्षक मुन्नालाल द्वारा शासकीय अस्पताल से लाये गये सीलबंद डिब्बी के उपर पर्ची में मृतक रावलमल जैन लिखा होना जिसमें पी.एम. के दौरान मृतक रावलमल जैन के शरीर से निकाली गई बुलेट थी, तथा एक सीलबंद पैकेट में मृतक रावलमल द्वारा घटना के समय पहने हुए कपडे जिसमें खून लगे हुए दाग लगे हैं, जिसमें शासकीय अस्पताल दुर्ग का पर्ची लगा है जिसे उसके द्वारा जप्तीपत्र प्रपी. 66 के अनुसार जप्त किया गया। विवेचना के दौरान दिनांक 24.01.2018 को फोटोग्राफर प्रभात वर्मा के पेश करने पर वजह सबूत में घटनास्थल मृतक रावलमल जैन दुर्ग के निवास स्थान दुगड़ निवास गंजपारा में खीचें गए अंदर, बाहर एवं मृतक एवं मृतिका के कुल 45 नग फोटोग्राफस पेश करने पर मुताबिक जप्ती पत्र प्रपी. 67 के अनुसार जप्त किया गया है। 165- आगे इस विवेचक साक्षी का कथन है कि, उसके द्वारा विवेचना के दौरान्‌ आरोपी संदीप जैन के मेमोरेण्डम के आधार पर कि उसने जिस कटटे से सूरजी देवी एवं रावल मल जैन की हत्या किया है, उसे आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता से खरीदना 205 बताने पर, आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता को हिरासत में लिया गया । दिनांक 03.01.2018 को 09.15 बजे आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता से पूछताछ करने पर उसने बताया कि - “संदीप जैन निवासी गंजपारा दुर्ग जो उसका बचपन का दोस्त था जो पांच छः माह पूर्व उसके पास आया था और उससे एक लाख पैंतीस हजार रूपये में एक पिस्टल सिल्वर 7.65 कैलीबर का एवं 38 रांउड भी दिया था”।। आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता का मेमोरेण्डम प्रदर्श पी-56 होना बताया है। इसी दिनांक 03.01.2018 के 10.35 बजे उसके द्वारा आरोपी शैलेन्द्र सागर का मेमोरेण्डम प्रपी. 57 लिया गया था जिसमें आरोपी शैलेन्द्र सागर ने बताया था कि “उससे भगत सिंह ने एक पिस्टल संदीप जैन को देने के लिए मांगी थी जो कि, वह सागर तरफ काम करने गया था तो दो तीन साल पहले एक व्यक्ति से 38 कारतूस और 01 पिस्टल उस समय 40-50 हजार रूपये में खरीदी थी, जिससे खरीदा था उससे खास पहचान नहीं थी आज के दिन वह कहाँ रहता है, नहीं जानता जिस पिस्टल से संदीप जैन ने हत्या की है, वह वही पिस्टल है, बताया था” । उसके द्वारा दिनांक 03.01. 2018 को गवाहों के समक्ष आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता के द्वारा पिस्टल पहचान पंचनामा प्रपी. 58 तैयार किया गया था, जिसने जप्तशुदा पिस्टल को ही बेचना बताया था। 206 166- मेमोरेंडम और जप्ती कार्यवाही के स्वतंत्र साक्षी अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में बताया है कि, पूछताछ करने पर आरोपी संदीप जैन ने बताया कि, उसने रावलमल जैन को मारा है और बंदूक तथा गोली को बालकनी की जाली से नीचे फेंक दिया है, फिर रायपुर से आये हुए साहब लोग घटनास्थल देखे और चेक किये और कार्यवाही किये, दुर्ग के साहब लोग लिखा पढी किये। वह घटनास्थल पर सुबह 10 बजे से 03.30-4.00 बजे शाम तक था, प्रदर्श पी-48 नक्शा पंचनामा एवं प्रदर्श पी-49 के नोटिस के अ से अ भाग पर उसके हस्ताक्षर है। 167- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, पुलिस ने उसके सामने सूरजी देवी के कमरे से तीन गोली, जप्ती पत्र प्रदर्श पी. 50 के अनुसार जप्त किया था, पुलिस ने उसके सामने जहाँ रावलमल की लाश पडी थी, वहाँ से दो गोली जप्ती पत्रक प्रदर्श पी. 51 के अनुसार जप्त किया था। आरोपी संदीप जैन ने उसके सामने पुलिस वालों को बताया था कि, उसका अपने पिता से संपत्ति को लेकर विवाद होता रहता था आरोपी संदीप जैन ने यह भी बताया था कि, उसके आने जाने वाले दोस्तों को लेकर भी विवाद होते रहता था, इसी कारण आरोपी संदीप जैन के पिता ने उसे अपनी संपत्ति से बेदखल करने के लिए कहते थे, फिर उसने अपने पिताजी को मारने का प्लान बनाया, उसके बाद 207 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 अपनी पत्नी को कहीं भेज दिया, नौकरों को भी छुट्टी में भेज दिया और दो चार आठ दिन बाद अपने पिता को मार दिया। उक्त मेमोरेण्डम प्रदर्श पी-52 है, रायपुर के अधिकारियों के जाने के बाद लगभग 3 से 4 बजे के बीच उसके सामने पुलिस वालों ने, संदीप ने अपनी बालकनी की जाली से जो बंदूक और गोली का खोखा, जिसमें शायद 6 गोली थी और बंदूक खाली थी, उसे घर के पीछे खडे टाटा मालवाहक के गाडी के केबिन जहाँ रिवाल्वर पडा था, उसे प्रदर्श पी. 53 के अनुसार जप्त किया था, उसे वे लोग उठाकर लाये थे। 168- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, पुलिस ने उसके सामने आरोपी संदीप जैन के कमरे से एक शर्ट, एक सफेद रंग का दस्ताना, जिसे डॉक्टर लोग हाथ में पहने हुए रहते है, उस टाईप का प्रदर्श पी. 54 के अनुसार जप्त किया था। आरोपी संदीप ने पुलिस को बताया था कि, रावलमल जैन पुरानी रूढी विचारधारा के व्यक्ति थे, वह स्वतंत्र खुले विचारों का व्यक्ति है। आरोपी संदीप ने बताया था कि, उपरोक्त बात को लेकर उसके एवं उसके पिता में हर काम में टकराव होता था तथा वे उसे अक्सर टोका करते थे जैसे पूजा के लिए शिवनाथ नदी से प्रतिदिन नौकर से पानी मंगवाते थे तथा घर के नल के पानी को ही उपयोग करने को कहने पर उसे डांट-डपट करते थे, जिसके 208 कारण उसने व्यथित होकर अपने पिता को मारने की योजना बनाई। उसने इस कारण पहले से ही एक देशी पिस्टल और कारतूस अग्रसेन चौक, दुर्ग निवासी भगत सिंह गुरूदत्ता से एक लाख पैतीस हजार रूपये में खरीद रखा था । 169- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, आरोपी ने योजना को अंजाम देने के लिए दिनांक 27.12.2017 को उसकी पत्नी और उसके बच्चे को मायके दल्‍्लीराजहरा भेज दिया और नौकर रोहित देशमुख जो रात्रि में घर में रोज सोता था उसे रात्रि में घर आने से मना कर दिया था, उसने योजना अनुसार घटना दिनांक की प्रातः 05.45 बजे वह उपर से नीचे आकर मां के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया उस समय उसके पिता कॉरीडोर से बाथरूम तरफ से वापस आ रहे थे और कॉरीडोर का दरवाजा बंद कर रहे थे उनकी पीठ उसकी तरफ थी तभी उसने अपने पिता को पीछे से पीठ में गोली मार दिया। गोली की आवाज सुनकर उसकी मां के चिल्‍लाने पर वह अपने उपर कमरे में भाग गया फिर उसके मोबाईल पर उसकी मां का फोन आने लगा लेकिन उसनें नहीं उठाया, उसके बाद नीचे उसकी मां के कमरे के पास पुन: वापस आया तो वह सौरभ को फोन करके बुला रही थी तब उसनें मां के कमरे के दरवाजे को खोला और उसके राज खुल जाने के डर से उन्हे भी गोली मारकर हत्या कर दिया । उसके बाद 209 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 उसनें बाहर जाने वाले कॉरीडोर का दरवाजा और फिर बैठक दरवाजा खोल दिया तथा सबसे बाहर मेनगेट का ताला खोलकर चाबी उसी में छोड दिया ताकि लगे कि, कोई बाहर का आदमी आकर हत्या कर चला गया है। गोली मारते समय काले रंग के दास्ताने पहन रखे थे जो उसने उसके कमरे में बिस्तर में सिरहाने के नीचे रखे है। 170- अ.सा. 13 शेख कलीम ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में आगे बताया है कि, संदीप ने बताया था कि, घटना के समय पहना गया चेक आसमानी कलर का हाफ कुर्ता जिसमें खून के दाग लगे हैं, को बिस्तर के नीचे छिपाकर रखा है, जिस पिस्टल से उसने अपने माता पिता की हत्या की है उसे घर के पीछे उपर बालकनी से नीचे फेंक दिया जो वहीं पर खडी टाटा एस गाडी में गिरा, साथ में एक लोडेड मैग्जीन और दो झिल्ली में जिंदा कारतूस को भी नीचे गली में फेंक दिया जाना बताया। आरोपी संदीप ने बताया कि, मेनगेट का ताला चाबी गेट में ही खुले रखे हैं तथा फेंके गए स्थान और सामान को दिखाया । आरोपी के उक्त बयान देने के बाद मेमोरेण्डम प्रदर्श पी-52 के अ से अ भाग पर हस्ताक्षर किया था। उसी दिन 03.30 बजे दोपहर में घर के पीछे जाकर एक नग 7.65 केलीवर का देशी पिस्टल और खाली मैग्जीन को टाटा एस के केबिन के उपर से जप्त किया था। आगे इस साक्षी ने कथन किया 210 है कि, एक मैग्जीन लोडेड थी, जिसमें 6 गोली थी, उसे भी टाटा एस के डाले से जप्त किया गया था, कारतूस जो झिल्ली में रखे थे, उसे भी जप्त किया था, इस संबंध में जप्ती पत्रक प्रदर्श पी-53 है। 7-- न्याय दृष्टान्त अनुज कुमार गुप्ता उर्फ सेठी गुप्ता बनाम बिहार राज्य, ए.आई.आर. 2013 सुप्रीम कोर्ट 3013 में धारा 27 साक्ष्य अधिनियम के तहत जहां मृतक का शव रखा गया है, इस तथ्य को मेमोरेण्डम बयान में प्रकट किया गया, यह तथ्य साक्ष्य में ग्राहय होना पाया है। 172- न्याय दृष्टान्त धरम देव यादव बनाम उत्तरप्रदेश राज्य, 2014 किमिनल ली जर्नल, 2371 में भी माननीय सर्वाच्च न्यायालय दव्दारा साक्ष्य अधिनियम की धारा 45-डी एन ए टेस्ट के साक्षियक मूल्य की विवेचन की गई है। मृतक का कंकाल अभियुक्त के घर से बरामद हुआ। डीक्टर व्दारा नरककाल का परीक्षण करने पर और बॉयोलाजिकल सेम्पल से रक्त नमूने का मिलान करने पर अभियुक्त के घर से बरामद शव मृतक का पाया गया था। ऐसी स्थिति में भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए और तथ्यों का प्रकटीकरण अभियुक्त के माध्यम से होने के आधार पर धारा 27 साक्ष्य अधिनियम को आधार मानते हुए दोषसिध्दि की है। 211 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 173- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 का साक्ष्य में क्या महत्व है एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत की गई स्वीकृति का कौन-कौन सा अंश तथ्य के रूप में ग्राहय होता है। इस संबंध में इस प्रकरण के तथ्यों से अनुरूप तथ्य और परिस्थितियों वाले न्यायदृष्टांत का अवलम्ब लेते हुए आरोपी संदीप जैन के अधिवक्ता व्दारा मेमोरेंडम के संबंध में किये किये गये तर्कों का समाधान किया जा रहा है। 174- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के संबंध में न्यायदृष्टांत मोहम्मद इनायतुल्ला वि. महाराष्ट्र राज्य (1976)1 एस. सी.सी.828 में भी मागदर्शक सिद्धांत प्रतिपादित किये गये हैं, जो इस प्रकार है :-- #11. हाफ़िठण्टी फिट उफा्टाफ़ाडाविपिंणा 0 5006 0 560घं00 27 985 9६६ 016 5फशुं6८टा 8€एथटा89। घप्फण0ांघिपिंए€ .. फा0णएा0पा1९शा।शाड, 105 घफुफृनंटकांणा (0... 0णाटाश€ ९8565... 15... 00 थछिधप्र8 .. श6९८... श्णिए फॉस्टिपाफ्, व... छापा पाटार८€णिट 0९ फ़ण्पिं1€ रथ 801: 0पा55€, (0 ॥घए€ 8 8001 वात 507 छाघा1८€ मा. प1€ _ &€टं0ा घात 9६. क्हाधात॑&त 0... उड 1€पुपांस्टा1शाषड, 116 56टघं0ा &8]्5: #27. प्ण्तभ प्रापटी। 0 घार्णिएघ्ांणा 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(०0. फंड (5€€ एपापात्पापं 10182 फ् 8 छाएटा0ण 27; एवघां छाक्षा ए. 586 0 ए.ए.28).* (शा ॥85ांड 10 णांछ्रांपा8ा) 175- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के संबंध में न्यायदृष्टांत महाराष्ट्र राज्य वि. दामू (2000) 6 एस.सी.सी. 269 में लगभग दो वर्ष पहले हुई हत्या के प्रकरण में माननीय उच्चतम न्यायालय ने पैरा 26 से 29 में निम्नानुसार अवलोकित किया है :- #26. .........--- पा 15 00४7 जञाटा। 56 पाघ 1600एथटाप् 0 था 06९८ 15 00 पांइ00एटापर 0... 8 वि... 85... थााछां58860 [56000 27 ० 16 पएप्रतहा ०6 2८,18721. 16 त6टांडांगा 0. पा८ एफ 0०पा0टा। उए एपापात्पाएं ए०ाघप्रप्8 ४... पाए छाुशा0ा32 15. फ€. 058... पुफ0॑& प्राण णि' 5पुफृणांए्ट 06 उंपटाफाटाबपिंणा पी पट *विट तां&८0एटा60? शाए़्ं&8ु60 10 ५€ 56टघं00ा शााशि80९5 6 फ1806€._ फश्णिए जञपिटी। पा6 0८! फा85 फ़ा0०0प८९१, प्ा€ 1ा०जा160हु€ 0 फ6€ 8८८प566 85 (10 1, 9... 06. फरणिएएघां0ा छांएटा। प्ापई 16186 तांडापफाटापर 1० पा थरिटा.?? पड अंप्र्धघा' फपं0टोफु1€ 985 96९ कांप 00५0 1 50916 0 धिभाशा8डाधा2 ४. 30620, 91916 0 एपाधंश0 ४. (पापा पव0ा, 90 080 प8587 7४. 91916 0 एधछाधाटा।ण, छ8ा0392ु9721 19855 ए. 58106 (९८७1' ० 060), निभाएं 58008 ४. 91916 (९७५1 ० 18) भगत पाप 908 एप02 ए. 91916 0 ५५8, 27. पण 01€. 085€ 8... शा, 85. 15 एशटहलुफंफि€, पा 16८०एथाप 980 घाटा! फिट 215 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 भ्॥2ा. फा€. णुफ्लीघ्ण ज85... 80८प560 0 था 0लििा06, 16 जाञ85 1 टपड0प् 0. 8 00०९ ण0्ीटटा, फा€ 1600एटाप् 080 घाटा! फए1806 फंए ८0०णए56पुप्हाा८€ 0 ्णिएव्वांणा पि्ांडा।€ 9प्र पंप घाएत एप एघााट। +शप1€5565 0घए८ 5प्फूफएण (606 1 इंडपा€ घाव प्रणा्॑ं0्ट 85 06६६ शिणड्टाध 00 16०८० (०0 पां5इटा९ता फाटा (€5पा010ऐ- 28. &ततांघंणाघाए, घाटा 8506८ ८81 8150 0६ घाट! 0९ 0. 116 थिटा फ8 ५€ घफुफ्टलाघिए 0980 160 फ़िड फ्णांट€ ्िंटिटा' (० पफ्िएत 00 फा€ 8्ुण ए्ाशा€ पा€ टांघा€ जा85 0णापाएंप ९, भाप ५९ पि ्ा॥टा€ ॥6 जञाघ5060 पा€ टाण65 हा0पुप्टापाए 5्ुध्वार 0 फंड एणावपटां 85 पा &8ा0€ 15. 8पाएां&डा9।€ पा €म्ष॑तद्ला८ट€ (०. €5घशिांडी। 5. 0000८, प्राधंड 00 ज€.. प्र)घ्प्.. कर्टाटा +ांएं। फाणरी (0. ५६. घपा॥ए0णांप्िि पा. एिघ्ादव5ी। (2000) 6 5006 269 5प्फा० (6 (2000) 1 500 471, (2009) 11 500 225, (2010) 2 500 583, (2011) 6 500 396, (2010) 6 50८ 1,(2013) 7 50८ 417 छाघणत 7. 5घा€ (0९0 2ताए0,.) नााटाटांप पा (0०पा1 घटा लिप (0 96. 06८टांअंगा उ0 स्रं.ए. 200, छू... (0. ए्ादडाी। 90 फापड: (लिघादवडाी। (लाघणत ८856, 300 0.95, फएभघा8 8) *8. ... पटा€ 15 8 टला फ्राडांपटांणा 09ज९था 06. 0णापपटा 0 8 ९501 8055. #॥0ए का... 0लटिए0ए€.. 15 भाष्डू6त, . छ्ाफ़ांटा। उं 8ताएांडझ9€ प्र0तटा' 560घं0ा 8 0 फ़ा€ एंप्रंत्ा०€ 20, प 8घट1 ८णातपटा 15 प्राधि्टा८€. 9४ प्र 8िटा. 15506 0 161€ए8ा1 खिटा शाएँं फ16. डघथटााटा। ए1806 (0 8... फ्णोंट€ ए्िंटटा ऊा 16 00पा5€ 0 80 216 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 प्राज€आंछुधांणा छाफिंटी। 15 1ां। 9प्र 5600 162 0 6. (0पाप्राछ्ां॥81 0८006 06०06. शणि9ा 15 €इटापत€ 9५४ 56टांणा 162 0. प्6. (पंप्र्ापाप्रा एा0060पा€ (0०066 15 प€ इधथटा06ा॥। 1806 (0 8 एणॉं८€ एकिंटटा उं0 ॥1€ ८0पा5€ 0... अफ्&8ांछुधांएाा घाव पर प्रा€ €प़रंतटा।८€ कहां (00 पा ०णावपटा 0 का 8८८५९ फ2ढा5800 (10 घाए०्पाणप्ए्ट (0 8 घाटा) +ा2ा एणाए्णि॥€0 0 पुण&ड्ंणा&0 9प्र 8 एणॉं८€ 0कऐिंटटा' _ 0प्छांपट्ठ ५६ 0०पाइ€ 0... 80 प्ाएटडंदुबंगा. 0 €दधापु1€, 016 €फए़ंतटा0€ 0 फ८ टॉक्‍्ट्फााडघाट€, . छंपफूंटांडा, फिएा 8. 80टघ560 06507 1९0 8 फणांट किंटिटा' घा0त फएणंण९0 00 पाट 186 +्ाशा€ डए068ा घाफिंटा€$. 0. जटव]ुणाई भ्ञभिटी। पांक्टीग' . 08४6 9६6€ा. ७6. पं. फ1€ ८णापां&अंणा 0. फ1€... एलिए06€. जटा€. छिपात फ़ंततटा, जण्पात 9६ 8ताएंडडांफणा€ 85 0एणावपटा, पाठंटा' 56लंणा 8 0 016 एफ़रंतटा€ 20, पा&2कुध्टांफ्€ 0 +्शाटी॥€ा' घाएप . डघटा॥टा॥ 9४ 016. 80056 ८णाष्ाए्[्णघा1€0प्ाऐ एांपी 0 ा€८€0टा। (0 50) टणावपटा थिााड. . एांपछं0 फ€.. फृपाप़्ंटजा 0 $56८घ00ा. 27 0. 0€ एंप्रांतटाट€ 20.** 29. 1. 2.९... ४#शाध्वि'€51 ए... 5086 0 ्ापाघविधि4। उ।. 985 966 पा€त 08: (500८ 0.721, ए8ा99) 9. 8पए फ़ाधप८ 0 5600 8 0 016 पंग्नतटाट€ 20, ५6. ८९०णावापटा 0. फा६ 8८८प566 ९50 15 1€1€6ए8ा, 1 इघ्टी। 0णावपटां उंप्रधिटा।८€5 0 15... एपपिटा८९8 9प . घाएए. विटा घा 1558घ€ 0. 1९16ए8701 8ि८टा.. 116 €प्रंतटा0८€ प1€.. छ्टप्राए्डघा1९€, .. डंपघरफृ॥ीटं(टा, ५8... पाट 8८८प४€ फण॑ंण॑€ 0पा।.... (0. ५6... फ्णींटट एफिं०थ€ा, फ€... फ1890€ जा॥टा€ पा€ 0९80 900 0 217 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 6 ह्ांता।घफफु6 90१४ जघ5 छिपा घाव णा फाटा' एणंणफाा्ट 0पा 016 90५४ जा85 €दापाए60, फण०्पात 9८ 8फाएंडडां9श।€ .. 85... 6ण0ातपटा पातंटा' 56000 8 ए€50€टांफ्€. 0 0९. 8िटाी. जणटापटा' ए01€ डरधि'टााटा। पा180€ फ्प्रि 1९ 8८८प56€0 ८णापष्ाए्[णघा1€0पर्ापए छाप 0 6८621 (0 इपटाा टणातठप्टा घिाइ फ्ांपिं॥ फ€ फृपाए्ंटजा 0 56001 27 ण' प0॑ 85 ॥ात 9४ प्रएंड ७०01 पं वा (ाक्षात ४... 586... (08ाां .. &तााए,). पंएटाा उप न्न६ 000 08 फ़ि6 पांडटा05पा€ डघिटिाएा॥। प्806 9प्र 6. घुफुशाघाएडिघटटप5इ6 .. फजाई, .. 015... घाव 016) उं पण 80ांडडांजि।€ पातंटाः 560घंणा 27 ० ८ एंप़रांतटाट€ 20८, डा 1 15. 121€ए8ा . पापंटा 56८घं01 8. 7110९ €प्रां0210€ ्ण 16 प्राएडांदााट्र॒.. 0किंटटा' . वात. छ४५.. 1, 2, तर 80 एा 4 16 50 एघ828ा' भ्ञधा€ 55 फिघ..... ॥€. 8८०5९. 080. घाटा पाह्टी1। (0 ५€ 50 धात फणंण९6 ०पा: 16... 180९6... जञााशा€.... ॥€6.... 0४80. 9०0 "85 0पालं€, 15 80 8तांडइडंफा€ फां९८€ 0 €पए़ंतटा10€ प्ातटा' 56टंण 8 85 (1979) 3 500 90, (1972) 1 5006 249, (2005) 7 50८6 714 006 ८णातपर्टा ० प6 80८५6, ए6€5शा0€ 0 21 घाात 22 था 8 0180€ ज1९ा€. घाा50ा1 0टापरद्ात 85 (0. 9९ पिधि&त घाव फराहोीं। 80घं0ा 0... 460 00 5फुणांएडट 16 00९ । 2:18 8 4 15 थे 1९16एघा॥ . दंकटपाएडॉघा।€€ घाव का€.. 80पाएं55डांफ1€ पातटा' 560ाघंणा 8 0 6 पएप़ंतटाट€ 20.** 176- जहां तक साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 से संबंधित विधि का प्रश्न है तो इस संबंध में माननीय उच्चतम 218 न्यायालय का न्यायदृष्टांत किमिनल अपील कं. 1617/2011 “असर मोहम्मद वि. उत्तर प्रदेश राज्य, निर्णय दिनांक 24 अक्टूबर 2018 का पैरा-13 अवलोकनीय है, जो इस प्रकार है :- 13. 11 15 8 58160 168 फ०अंपंणा पा8 पट निटा$ प्र&660 प0 9८ &र्थी फ़ाणघ्ाणपएप घाव पा जणत #विटा” 85 टणाप्शाफादचिित उं॥ 560घं00 27 0 प16 फफ़ंतह्लाट€ 20 उंड 00 ॥ाएं[ 66 (0 *8टापघा फएप्रडांट8ा पधटां8। 0जुं€ट**, पा तं500एटाए 0 दि. घाणं565 0प्र 16850 0. फ€ थ8िटा फि8ा. फिट +एणिशाघां0ा। छांप्हा। 9प्र पा€ 8८560 धद्ञपाणा&त पा८ ह0०५71608€ 0 016 प्रा्ांघा। घाशघाशा&55 0. 016 उएणिएााघाए। 85 (10 15 €शंडाशा९€ 8 8. एवांट्पाघ्चा फ8ि0€. व फ़ा्टाप्त€५ 8 पां&८0एटाए 0. 8 0जु€टा, पा 1806 श्णिए क्ाांटी। अं उंड फ़ा०00८66 806 पा दा077160॒€ 0 पा€ 80८प5606 85 (0 15 €शांड[टा10€. 1र- इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय का न्यायदृष्टांत अमित सिंह भीष्म सिंह ठाकुर वि0 महाराष्ट्र राज्य 2007 ए.आई.आर. एस. सी. 676 अवलोकनीय है, जिसमें भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 की विभिन्‍न आवश्यकताओं को निम्नानुसार सारांशित किया गया है :- (1) पफ€ थिटा 0 छाणिटी। €प़ांपा८€ 15 50080 (0 9९ छापा] ए1प51 9€ 166४8 (10 101€ 15506. 1 पा0ए51 0६ 0071€ पा आपंए0 9. प€ ा0पए़्ांडांएा 185 10712 (0 0० जाप पुणटडांणा एव 121€एघा10ऐप,. 1116 161€४8ा10घ४ 0. ॥€. विए.. पांड८0एटा९0 पड 9८ 219 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 €ड89151160 8८८० (00०. फ1€. फ€50ांफुछि 015 16188 (0. 1216ए910प 0. 0006. €पए़रांत210€ 06८08 1 छाप 1€ टाका€ 1 002 (0 8९८ 106 शि(टा. तां5८0एट€0 80ां551)91€, (2) प1€ वि पडा ॥8ए€ 9९९ तां50८0ए९1९60, (3) पट तांडट0एटाए उपडा ॥8ए€ 9९९ पा 001560पुप210€ 0. 80016 प्णिएएघां0 16060 फकिणा 116 80एप56€0 घाा0 0 9 80८प560'5 0४001 801. (4) पफा€ फहा5005 छांघा।ए ५16 पाणिपाघां00 105 9९ 800प5€0 0 घाएए 0ललटिए0€. (5) प८ ए्प$ 9€ छा 1€ ८पडा00ए एव 8 एणांट एंटटा, (6) ८ तांड0८०0एथाप 0 8 विएा प 00056पुपटा९€ 0 प्राणिए08ा0] 1€८टंए€6 फिगा था. 800प560 फए टपड00प४ एप51 9€ 0€]0०560 (0. (7). पाटाटपफ0णा 0 फ8... एणापिंए 0... 1९ प्ाणिाएघांएा एाणपिंटी। कटाघा€ड तांडतिाटपि 0 डा टषि 10 116 वि. पांड८०ए९160 ८8ा 9€ फा०ए60. 1116 1651 15 उ080ाए55121€. 178- इसी प्रकार भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 में उल्लेखित 'कणिकाघाध0ाा" का क्या तात्पर्य है, इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय का. न्यायदृष्टांत “उदयभान कि0 उत्तरप्रदेश राज्य'', ए.आई.आर. 1962 (एस सी) 1116 में निम्नानुसार अवलोकित किया है :- पुफांड (0०0, छा .2टणिावाण एटा ४. प्ा€ 586 (3) 0610 पा व. 8 फ€ा50ा पा 16 एपड00ए9 0 016 फणं८€ 220 घघ९५€5 1€ एणा०€ 10 8 एमापिट्पाघा' 50 घाए0 था पिंड प- इघा९€ 5016 91000-डघां060 €8ाी 15 1600एटा€0 घा0 1९ 9150 0005 0पा ॥€ पापा 0. 006 0 016 0680 90तां65 116 (85€ 15 00एटा९0 9४ ॥€ 1घाइपघ8छ€ 0 5. 27 घाव 111€ €फ़ंता10€ 0 पांड८०एटा1९५ 15 80ाएां55101€. पा 8 घाटा (85€ िवााद508ा) गि90191 50808 ४. 106 996 ए 8008४ (व), 1: "85 0905€४९० पा 80८00 (0 पि€ 56000 1 8 विदा 15 80811 ता5$८0०एटा€९0 1 ८णा56€पुपटा1८€ 0. पाणियाएघं01 छांप्टा1 50016 छुपवाधा€€ 15 #पपणिएटत फाटाट9प ५8 16 प्ाणिाएघां0एा 85 पिप€ 800 उप. ८8 इघषिए 96 गाणजा60 10 9€ छांएटा। 1 €ए़ंता10€. 0घए8'5 0856 (5) फाघ5 घ- ए0४60. छावछज9ा8ं, उ., 0952ाए60: "(9 8 9घा€ क€8प0ाए8 एप 016 (टापा5 0 56007 1 शुफु€8ा5 फि8. छ08ा. 15. था॥0४7९0 (0 9९ ए0४60 15 ५6 घ़ार्णिए॥घरांणा 0. 500 ए8ा1 1९1९0 85 1€1816€65. पंडां001ष४ (0 ५16 विदा 11९169ऐ४ पांड८0०एट21९0, " 179- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 में उलल्‍्लेखित “अभिरक्षा” का क्या तात्पर्य है, इस संबंध में “धरमदेव यादव बनाम स्टेट ऑफ यूपी.” 2014 कि. लॉ जर्नल पेज क. 2371 का पैरा 20 अवलोकनीय है, जो इस प्रकार है :- 116 छुा55ंणा एप 00प्*? फाफिंटी। घुफ्थ्वा5 व $56€0घ00 27 पंप 00 80 णिपए8। एटपडा00५४, एटा] 221 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 प0(10065 छाए धिएा0 0 इपा एटा घाट, 165010000 0. 16580 9४ ५€ फुट, पिएटा। 1 ९ 8000560 एा85 10 छणिाा॥8]11प्र घाक्टडा€0 9... ५6 पिए0€. ५081 116 80एप5९0 छुघ४€ 1€ प्राणिएएघाएं0एा, 16 8000560 785, णि' 811 ए8लां०8ा एपाफृ056€5, पा ५16 एप 09 0. 1€ एणां८€. पफांड (०01 पा 5196 0 #ा0ीपव शि०0251 ४. (वापपाव 5व/व गिपाव४ (1997) 1 500 272 पाठ पा 11€ 800प560 उड +ाधपिं॥ प1€ [टा। 0 इपा'एटां]1घा10€ 1116 णां८€ पप्णाा एाफिंटी। 15 उ0एटा1टा15 ा€ 165घघं016€0, प2ा 11 08 9€ क€टबाप८त 85 ८पड0०तांघ1 इपाएएटां।1घा10€. . 0णा56पुपटा॥प, 50. फटी 0 प्ाणिएाएघां0ा छांए€ा 9४ ५11€ 80८पड८6९0 पा *एपडा00प्??, पा 00ण15€पुप्टा८€ 0 #ापटा। 8 वि 15 पांडट0एट€0, 15 8प़ापंड5ं01€ 10. €प़्॑पटाट८, ए#1611€ पट) प्ाणिएाए घर घाा0पाए5 10 8. 0णाथि5डडंण। 01 00. रिटलटिटशा0€ आघप् 9150 9€ 1806 (10 ५€ उपपछा1टा। 0 पधंड (0०पा1 वा... ४टा(एवि€डी। ए.. 56 0 प्घावाधधिद्व (2005) 7 5060 714. ॥ 5800660 ५४. 509९ 222 1॥8ा शव0७5॥ (2012) 6 500 107, फपंड (0०पा। 1610 8 1. 15. पुपां।€ ८000 ५पि8. 9560 0 85591 € _ फ0घंए] 0 016. इघिथटिाएटा॥। 0... 1९ 8९टप566, ४7टा1€छ४६९1 10 जा0टा€एटा 1600एटा7९५ घाट 11806, 111€ इघा1€ घा€ 8प्ाएंड5ा५91€ पा €प्रंपटा10€ घाा0 11 15 णि'ः ५06 80056 पा. 1056 अंधघिघाए0ा5 (10 €ु1घांए (10 ५6 इघाडचिटांएा 0. 116 (0001 85 10 ॥2घपा€ ए. 1600ए€ा€५ भा 85 (0 100४7 ]1€प (घा।€ 1010 16 0556585001 0 छणि. फाघापंए् प0€ &घाा€ था. 1116 [180€ कण ए06/€ ॥16प 2९ 1600ए९60, रि€लि'टा10€ 08 8150 9€ 1806 1०0 ॥1€ उृपप0्टागहा॥ 0 प॥5 (001 1 586. 0. वाघवाधडाप8 ४. 5पा€651 (2000) 1 500 471, उए 5प्फृफणा 0 फ€ फंएटंफु1€. 55पापाछ 08 ५€ 1600एटाप 0. 8€1€[01 ४85 00 1 (टाा015 एप 56001 27 0 01€ प्रंतटा।ट€ 2, 01 1116 [शा 5€ 08 016 8000560 फ़8घ5 10 11 116 पडा 00५४ 0 01€ 0706 9४ 016 प्ए1€ 16 1806 1€ इघि'शा1€ा॥, ]1€ डघिशा।टा॥ 50 806 9प्र पाए फ70०010 223 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 96 8ताएंडझशि€ 85 *८णापपटा” पातटा' 56000 8 0 11€ पिघ्रांटा।(ट€ /(.. 1 ५1€ उा5घा0 (856, प2ा€ 15 9950पा1ष४ 00० €कुाघा0ा 9 पा€ 800प560 85 10 00५४7 11€ डएटाटा0ए एव. एंघाा8 फा85 001068160 पा 15 ॥0प5€, €5,60ंघ11घ ५1181 16 डघटा1टा॥ 1806 9 शिंए। (0 ५14 उंड 8ताएांडडाशि€ पा €प़ांतटा10€. 180- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के संबंध में न्यायदृष्टांत वसंता संपत दुपारे वि. महाराष्ट्र राज्य (2015)1 एस. सी.सी.253 की कंडिका 23 से 29 में मागदर्शक सिद्धांत प्रतिपादित किये गये हैं, जो इस प्रकार है :- 23. #ाट 8८८९छृछिएट्ट 0 उहुस्‍्टाागट्ट पट निटण5$ 0. तां800०एटापए, (८टाधा" फपं0टांफ165 86 (00 96 ९6 # ्रफं०र्त, पफ़ि€ ांछ्प् 0०पाटा कफ एपापातानं एए०ठावप्प्रथ ए. प्र छाणफुटाण 23 1985 ॥टात पापड: (१2 फ. 77) *.... 15. विधिटां०पा$ (0 फ़्€8 ५६. १3िटा... तां3८0०ए८60* . ध्ांप्रापध्ठं॥ 16 86€टांणा 85 €पुपांएशटहा।ा (1० पा णजु०टा ०00८0; 6 थिटा. तां5इ00एटा6€66 शा।जि8९6५5 16 1806 विणए भ्ञाफंटा। फिट 0णुंब्टा उ. फ़रा०्तप्८€त घएत फिट ता0५160हु6 0. फा 8८00560 85 (0 5, 800 (0 प्राणिशाघांणा छांफ्टा। पापा कटा8€ तांडापपा्टा[छि 10 ं5 नि. पार्णिशाधघांणा 85 (0 085 प&$€ा, 0 6 85. पडाणए, 0 फा€ 0जु८टा फ़ा०0प८6त उ ए0 16860 224 (10 15 पतां&८0एटाए 1 96 5608 जा +्ाांटा। पाए 15 तां&00०एा60. ॥र्णिएणधांणा 5प्फूफ्घं€त 9 8 फटा501 हा ट्पड00प् 08 थे. ज्ता॥ फाए०0प८6 8. पातांटि ८णा०९€891€0 ऊए ५6 70्ण 0 पाए 00056? 0065 00 1€80 (0 फिर पां&८0एटापए 0 8 प्ाांटि; प्ाांएट5 जाटा€ तांइ०८0एटा60 प्राघ्ाए प्र&8ा5 8०... 1 16805 (0 106 तां&8८0एथाए 0 ५€ खिटा फ8 8 ाफंटि 15 0०ण८69160 #1 016. 0056 0. ५८. छएणिएवाए (0 ॥ां$ धिा०्जा€0्ट€, ते उ फ़राट धिफ्टि 15 फा0ए60 (0 18४९ 9९6६8... 56... 0 ५६... 00550 0 06... 0लिए९€, प€ खिटां. प्रांइ८0एटा60 15 फए्टाप 1216एवा॥. 80 1 (0 016 डघिडटााटा। प16 005 9९ 8666... नाप) ाफिंटा। 1. डधघिशिशिटत 22, 1656 जण 05 घा€ उ08पाएंडडां9€ अंप0€ ५6५ 0० 10 1९186 (10 पफ€ तां&८0एटाप्र 0 ५1€ द्ाएंटि था) 016 ॥005€ 0 फिट छणिएादाए.?* 181-- इसी प्रकार भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के संबंध में न्यायदृष्टांत आफताब अहमद अंसारी वि. उत्तरांचल राज्य (2010)2 एस.सी.सी.583 में आरोपी द्वारा कपड़ों को छुपाया गया था, तब माननीय उच्चतम न्यायालय ने पैरा 25 में निम्नानुसार अवलोकित किया है :- .«.««« 11€ 81 0 फ६ तांइटा०58पा€ इघिधटिा।टा, प्रशा।टॉए, फिर ५6 शुफुटाघाए। १85 1९80प (0 ड1010४ 6 180९ 1021९ 1€ 986 ८णा८९€891€0 फा6 टण्फ्ी6५$ 0. फिट 06८68560 15 टटघाष् #पाएंडडांज॥€ पावंटा' 56टंए॥ 27. ० 6... एंप्रंतंहाट€ 2८... 96८8०५९.. 016... 8816 7618165... प्रांडछं्टा[ए (00 फ़ि६.. पांइ८0एटाप 0 225 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 6... ८०6५. 0... 06 06८९8५९० विणा ५891. फएटाप 1806. 106 ८णाद्टापंगा पा €एटा 1 1 15 855प्ा॥€06 णि. ५06 &घाद€ 0 घाछृपााटा। ५8. प€ टाण॥65 0. पा6 06८९8५60 जा 1600एटा60 धिणा। 6 ॥005€ 0 06. अंडा 0. 06. घफुफ्टाघए एपाइघक्षा। (00 ५6... फणप्राधाएँ ... तांडट105पा€ डघ(एटाा2ा॥ 866. 9५४ ५6. घुफुलाघाए, पाट एा056€0पघंगणा 985 थ्िंध€ (0. फा0४९ ५8 फ16 टा0्प्ा€5 50 160०एछ60 96णाइ्०0 (०0 पा त6८€8560 806 फ़राार्डाणि€, ५6 1600एथाप 0. ॥1€6 ८0065 00 0. 96. फ्€866 85. 8. फटांप्पाए 808 लंफ्ट्प्ाएडघाट€, 15 त८एणंत 0 प्राटाड,*? 182- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 में उलल्‍्लेखित “अभिरक्षा” के तात्पर्य को विवेचित करते हुए माननीय उच, चतम न्यायालय ने न्यायदृष्टांत “चंद्रप्रकाश वि0 स्टेट ऑफ रा. जस्थान'' 2014 कि. लॉ जर्नल 2884 के पैरा 57 में निम्नानुसार अवलोकित किया है :- 5 116 एंव शिएपी॥ 00 160०0 फण०्पात डा10४४, 1116 800प560 फ85 0 ५16 (पडा 009 एव 16 पाए€डां- छाए 8दा10घ घा10 116 थिटा फ116118 11€ एा85 णि- 081४ घाफड€0 0 00. एवं] 10. ए़ंपिंघा€ ५6 विटापाए 0 1688४ (0. तांड८0एटाए, निण्/८एटा, 1 पाप 2 इघि€९१6 फिा प€6. 80८पड60 फाघ5 850. घाफ्टडा€0 0 08 (8५४, ९८ 18४९ 0८91 फांप। 016 155प€ 8 णि- 11891 घाफ€51 15 101 160655घाए 85 हल. उचधाण 185 इटां- 0पड1ए 0णाटा060 फा8 प1€ घाक€5 785 00णा€ था 1116 1600एटापए, 25 ४९ ॥वए€ (धावावटत फट 90500 226 1 1४7, 16 5806 0010 00 आ8६€ घाएए पॉटि- शा(€, 183- भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 "(5०गावाबा0ा 0 50056पूप6त0 विदा" पर आधारित है। यदि $ध056पृघ6ा ५८1, जिसका तात्पर्य है, किसी तथ्य की खोज होना, नहीं है, तो आरोपी ने जो सूचना दिया है, उसका साक्षियक मूल्य ही समाप्त हो जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 यह प्रावधान करती है कि, यदि आरोपी किसी पुलिस की अभिरक्षा में है ओर वह पुलिस को कुछ सूचना देता है और सूचना के परिणामस्वरूप कोई तथ्य बरामद होता है, तो उस सूचना का उतना भाग, जो तथ्य की बरामदगी से संबंधित है, प्रमाणित किया जा सकता है भले ही वह स्वीकृति की श्रेणी में हो या न हो। 184-- इस धारा से यह स्पष्ट होता है कि, पुलिस के समक्ष किये गये मेमारेंडम के वे तथ्य जो पुलिस की जानकारी में नहीं है, सबसे पहले आरोपी के बताने पर पुलिस को उक्त तथ्य पता चले तब उक्त तथ्य का समर्थनकारी साक्ष्य प्राप्त होने पर वह साक्ष्य में ग्राहय हो जायेगा। इस परिप्रेक्ष्य में इस मेमोरेंडम कथन से पुलिस को आरोपी संदीप जैन व्दारा पता चला कि, आरोपी संदीप जैन अपने वाहन चालक राजू सोनवानी के साथ अपनी पत्नि संतोष जैन और पुत्र संयम को दल्‍ली राजहरा पहुंचाकर आया जिसका समर्थन अ.सा. 227 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 05 राजू सोनवानी ने अपने कथन में किया है। इसी तरह अ.सा.7 रोहित देशमुख ने भी कथन किया है कि, दिनांक 31.12.2017 को रात्रि में सोने आने के लिये आरोपी संदीप जैन ने मना किया था, इस तथ्य का समर्थन भी रोहित देशमुख ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में किया है इसलिये मेमोरेंडम कथन का यह तथ्य साक्ष्य में ग्राहय है कि, रावलमल एवं सूरजी बाई की हत्या के योजना के अनुकम में आरोपी संदीप जैन ने अपनी पत्नि और बच्चों को दल्‍ली राजहरा पहुंचा दिया था एवं रोहित देशमुख को रात में सोने आने के लिये मना कर दिया था। 185- अभियुक्त संदीप जैन के विव्दान अधिवक्ता ने इस तर्क पर विशेष बल दिया है कि, शेख कलीम ब.सा.13 सभी मेमोरेण्डम बयान का साक्षी है और उसके द्दारा न्यायालय में दी गई साक्ष्य विश्वसनीय नहीं है इसलिये ऐसी साक्ष्य पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिये। ऐसा कोई नियम नहीं है कि, एक व्यक्ति मेमोरेण्डम बयान और सभी जब्तियों का साक्षी नहीं हो सकता। मेमोरेण्डम के बयान, स्थान और समय के तथ्यों पर भी विचार किया गया और ऐसी कोई तात्विक विसंगति प्रकट नहीं होती, जिससे कि मेमोरेण्डम और जब्ती के तथ्य पर अविश्वास किया जावे । प्रकरण में उपरोक्त वर्णित न्याय दृष्टान्तों एवं विवेचित तथ्यों के आलोक में यह स्पष्ट है कि, मेमोरेंडम व्दारा भौतिक वस्तु की बरामदगी एवं किसी 228 नये तथ्य के खुलासा जो सिर्फ आरोपी के जानकारी में हो उसे मेमोरेंडम में बताने पर पुलिस उस तथ्य के समर्थन में साक्ष्य प्राप्त कर लेती है तो मेमोरेंडम का उक्त खुलासा साक्ष्य में ग्राहय हो जाता है। आरोपी संदीप जैन ने अपने मेमोरेंडम में खुलासा किया है कि, भगत सिंह गुरूदत्ता से उसने देशी पिस्तौल खरीदा, जिसके आधार पर प्रकरण में भगत सिंह गुरूदत्ता को आरोपी बनाया गया। 186- प्रकरण में यदि आरोपी संदीप जैन के मेमोरेंडम प्रदर्श पी.52 के संबंध में विचार करें तो उसने बताया है कि, अपराध की योजना को अंजाम देने के लिये उसने अपनी पत्नि और बच्चों को दल्‍ली राजहरा भिजवा दिया तथा नौकर रोहित देशमुख जो रोज उसके घर सोने के लिये आता था, उसे घटना वाले दिन सोने आने के लिये मना कर दिया और उसके बाद योजनानुसार अपने माता-पिता की हत्या कर दिया। आरोपी संदीप व्दारा किये गये इस तथ्य का खुलासा विवेचक को पहली बार हुआ और इस तथ्य के खुलासे के समर्थन में अ.सा.05 राजू सोनवानी और अ.सा.07 रोहित देशमुख का कथन अंकित किया जिसमें राजू सोनवानी, आरोपी संदीप जैन के साथ संतोष जैन और संयम जैन को दलल्‍ली राजहरा पहुंचाकर उसी दिन शाम तक आना अपने कथन में बताया है, जिसे बचाव पक्ष व्दारा प्रति परीक्षण में खंडित नहीं किया जा सका है और न ही चुनौती दिया गया है। इसी तरह अ.सा.07 रोहित देशमुख ने 229 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 भी अपने कथन में इस बात की पुष्टि की है कि, दिनांक 30.12.2017 को आरोपी संदीप ने उसे दिनांक 31.12.2017 की रात्रि में सोने आने से मना किया था, मेमोरेंडम में किया गया यह खुलासा आरोपी संदीप जैन के विरूद्ध साक्ष्य में ग्राहय है क्योंकि यदि यह तथ्य आरोपी नहीं बताता तो विवेचक को इन तथ्यों का पता ही नहीं चलता, आरोपी व्दारा मेमोरेंडम कथन में खुलासा किये जाने के कारण ही विवेचक व्दारा साक्षीगण राजू सोनवानी एवं रोहित देशमुख का कथन लेखबद्ध किया गया जिनका अभियोजन दव्दारा न्यायालय में साक्ष्य कराये जाने पर इन साक्षियों व्दारा उपरोक्त तथ्यों का पूर्णतः समर्थन किया गया है, इस तरह स्पष्ट है कि, आरोपी संदीप जैन ने अपने पिता रावलमल जैन और माता सूरजी बाई की हत्या की योजना के तहत ही पत्नि संतोष जैन और पुत्र संयम जैन को दल्‍ली राजहरा पहुंचा कर आया एवं रोहित देशमुख को दिनांक 31.12.2017 को रात्रि में ६. पर सोने आने के लिये मना किया था। इस संबंध में माननीय सर्वाच्च न्यायालय ने पुलिस को विश्वसनीय साक्षी माना है। मेमोरेंडम जप्ती के साक्षी जो कि, किसी अन्य प्रकरण में साक्षी रहा हो तो उसके साक्ष्य को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मान्य किया है। इस संबंध में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का न्याय दृष्टांत (० 91 अंएट्टा ४5 116 5(86 0० ए.1'. (फाकणतांदुश्ापण (ला. फाफ्ट्वा 230 1९०. 212-08 ० 2005(0&8), 0916 0 060ंडांणा: उपाफु 03, 2012 अवलोकनीय है। 187- इस प्रकरण में आई साक्ष्य के अनुसार हत्या के अपराध में उपयोग की गई पिस्तौल आर्टिकल बी.05 जिससे रावलमल जैन एवं सूरजी देवी की हत्या कारित की गई, वह घटना स्थल के मकान के पीछे संदीप के कमरे के नीचे खुले रास्ते से पुलिस ने जप्त किया है। प्रदर्श पी.52 के मेमोरेंडम में आरोपी संदीप जैन ने यह खुलासा किया है कि, पिस्तौल और कारतूस को किस तरह पीछे फेंका जिसमें उसने बताया है कि, जिस पिस्तौल से उसने अपने माता-पिता की हत्या किया उसे घर के पीछे उपर बालकनी से नीचे फेंक दिया है जो वहीं पर खड़े टाटा एस. गाड़ी में गिरा, साथ में एक लोडेड मैगजीन और दो झिल्ली में जिंदा कारतूस को नीचे गली में फेंक दिया, इस तथ्य में से अपराध में प्रयुक्त पिस्तौल बी.05 जिस तरह पीछे गली में वाहन टाटा एस. गाड़ी में मिली उसका खुलासा हो जाता है जो आरोपी के विरूद्ध समर्थनकारी साक्ष्य के रूप में ग्राहय है। 188- अब यदि प्रकरण में आई अन्य साक्ष्य पर विचार करें तो मृतक रावलमल जैन के शव के पास से चार खाली खोखा जिसमें पेंदे पर 7.65 के.एफ. लिखा है और घटना स्थल से मृतक रावलमल जैन के शव के पास फैले हुये खून के अंश को एक कॉटन 231 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 के टुकड़े में जप्ती किया गया है। एक कॉटन के टुकड़े में घटना स्थल की सादी मिट्टी भी जप्त की गई है एवं सूरजी देवी के कमरे जो कि रावलमल के शव के ठीक पास ही स्थित है उस कमरे में सूरजी देवी के शव जो बिस्तर में था, सूरजी देवी के सिर के पास से एक पिस्टल का बुलेट खून लगा एवं सूरजी देवी के बांये हाथ के कोहनी के पास से एक गोली का खाली खोखा एक कॉटन के टुकड़े में सूरजी देवी के सीने के पास से बिस्तर में गोली का खाली खोखा दोनों खाली खोखे के पेंदे में 7.65 के.एफ. लिखा है, एक कॉटन के टुकड़े में बिस्तर से खून के अंश एवं बिस्तर के पास से सादी मिट्टी का अंश एवं मेहरून कलर का चादर का टुकड़ा जिसमें खून के दाग लगे थे एवं बिना खून लगे चादर का टुकड़ा एवं सैमसंग कंपनी का मोबाईल जप्त किया गया, जिसका परीक्षण कर डॉ. चन्द्रा बैलस्टिक विशेषज्ञ ने बी.05 के पिस्तौल से फायर किया जाना बताया है, इसी तरह सूरजी देवी के शव के सिर के पास पाये गये बुलेट को भी बी. 05 के पिस्तौल से फायर किया जाना बताया गया है। 189- घटना स्थल गंजपारा स्थित रावलमल जैन के मकान में दिनांक 05.01.2018 को अ.सा.01 पटवारी छगन लाल सिन्हा ने घटना स्थल पर जाकर अ.सा.08 सौरभ गोलछा के बताये अनुसार नजरी नक्शा तैयार किया था और बताया था कि, घटना स्थल प्रदर्श पी.01 के स्थान पर रावलमल एवं बी. स्थान पर सूरजी 232 देवी दोनों मृत अवस्था में पड़े थे एवं दोनों के सिर से खून बह रहा था तथा प्रकरण के आरोपी संदीप जैन उक्त मकान के प्रथम तल पर निर्मित कमरे में सोया हुआ था। इस साक्षी ने कथन की कंडिका 08 में बचाव पक्ष के सुझाव कि, मकान घनी बस्ती में है और घटना स्थल पर धमाका होने पर आसपास के लोगों को सुनाई देगा, के संबंध में सकारात्मक उत्तर दिया है। इससे यह प्रमाणित होता है कि, यदि. घटना स्थल में गोली चलाई जाये तो आरोपी अपने कमरे में गोली की आवाज सुन सकता है, जो पूर्णतः: आरोपी संदीप जैन की दोषिता की ओर संकेत करता है। 190- अ.सा.02 प्रभात कुमार वर्मा पुलिस फोटोग्राफर ने कथन किया है कि, घटना स्थल का फोटो केनन 60 डी डिजिटल कैमरा से लिया गया है। इस साक्षी के बयान के समय एवं अ.सा.06 डॉ. टी.एल. चन्द्रा के बयान के समय बचाव पक्ष व्दारा फोटोग्राफ को आर्टिकल मार्क करने में आपत्ति किया गया है और आधार यह लिया गया है कि, डिजिटल कैमरा का न तो डी.बी. या चिप्स, मैमोरी कार्ड एवं 65-बी साक्ष्य अधिनियम का प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसकी ग्राहयता के संबंध में निर्णय के दौरान विचार किया जाना उल्‍्लेखित है इसलिये इस आपत्ति का निराकरण किया जा रहा है। साक्षी ने अपने कथन की कंडिका 25 में बताया है कि, मैमोरी कार्ड इतना मंहगा होता है कि, उसे हर प्रकरण में जप्त नहीं 233 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 किया जा सकता इससे यह प्रमाणित है कि, डिजिटल कैमरा मे मैमोरी कार्ड की जप्ती फोटोग्राफर नहीं कराते हैं और व्यावहारिक रूप से भी फोटोग्राफर अपने कैमरा, मैमोरी कार्ड को जप्ती कराता रहेगा तो हर प्रकरण के लिये उसे नया कैमरा खरीदना पड़ेगा, डिजिटल कैमरा काफी मंहगा होता है जिसकी जप्ती किया जाना संभव नहीं है तथा पुंलिस व्दारा साक्षी का कैमरा जप्त किया जाना उचित भी नहीं है। तदानुसार आपत्ति का निराकरण किया गया। 191-- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के अनुसार उसने घटना स्थल के निरीक्षण करने पर पाया कि, मृतक रावलमल जैन का निवास दुग्गड़ सदन का फोटोग्राफस, जिसे उसके द्वारा नंबर 01 से चिन्हित किया गया है, वह प्रदर्श पी 13 है, रेखाचित्र कमांक 1 में द्शये अनुसार ड्राइंग रूम में स्थित शयन कक्ष में पहुंचें कक्ष में दरवाजे के सामने कोने में स्थित बेड पर मृतिका सूरजीबाई का शव रक्त रंजित अवस्था मे पड़ा था, जो प्रदर्श पी 13 के फोटो कमांक 05 एवं 06 है, जिसके अ से अ भाग पर उसका हस्ताक्षर है एवं सील लगी हुई है। मृतिका के दाहिने भाग में सिर के पास लगभग दस सेंटीमीटर की दूरी में बुलेट रक्त रंजित अवस्था में पाया गया, जो फोटोग्राफ कमांक 07 है, मृतिका के बाई तरफ बायें हाथ के पास से लगभग 25 सेंटीमीटर की दूरी पर 7.65 234 एम.एम. केलीबर क. एफ.के. के दो फायर किए हुए कारतूस के खाली खोखे पाये गये, जो फोटोग्राफ कमांक 08 से 10 मे वर्णित है। मृतिका के शरीर का अवलोकन करने पर दाहिने हाथ की कोहनी के नीचे एक गोली का प्रवेश पाया गया, जिसका आकार 0.8 सेमी. गुणित 1.0 सेमी. बायें सीने के पार्श्व भाग में गोली का एक प्रवेश छेद पाया गया, जिसका आकार 0.8 गुणित 0.9 सेमी., जिसे कमश: फोटोग्राफ कमांक 8 से 12 अंकित किया गया है, जो प्रदर्श पी 14 है। उपरोक्त सभी प्रवेश छेद के किनारे के प्राथमिक परीक्षण पर नाइट्राइट का रासायनिक परीक्षण धनात्मक पाया गया । मृतिका के सिर के बायें भाग में कान के उपर एक प्रवेश छेद एवं इसके संगत निर्गम छेद दाये कान के पास पाये गये, इनका आकार कमश: 0.9 सेमी. गुणित 1.0 सेमी. एवं 1.2 सेमी गुणित 1.5 सेमी. पाया गया तथा पीठ के मध्य भाग मे एक गोली का प्रवेश छेद पाया गया जिसका आकार 0.9 सेमी गुणित 1.0 सेमी. पाये गये जिसे फोटोग्राफ कमांक 13 एवं 14 अंकित किया गया है। फोटोग्राफ कमांक 15 से 18 है, जिसे प्रदर्श पी 15 अंकित किया गया। कक्ष के दरवाजे के पास एक 7.65 एम.एम केलीबर के.एफ. का फायर किया हुआ खाली खोखा पाया गया। तत्पश्चात्‌ कक्ष से सटे आगे कॉरीडोर में स्थित मृतक रावलमल जैन का शव फर्श पर पेट के बल रक्त रंजित अवस्था में 235 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 पड़े हुए अवस्था में पाया गया, जो फोटोग्राफ कमांक 19 से 24 है, जिसे प्रदर्श पी 16 अंकित किया गया । 192- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के अनुसार मृतक के बायें पैर के पास एवं पैर से लगभग 30 सेमी. की दूरी पर तथा दायी ओर दरवाजे के पास कमशः तीन 7.65 एम.एम. केलीबर के.एफ. के खाली खोखे पाये गये। इसके पश्चात्‌ घर के पीछे तरफ अवलोकन करने पर दीवार के पास खड़ी टाटा एस. गाड़ी नंबर सी.जी.04-जे.ए.--8984 के ड्रायवर केबिनेट के उपर मैग्जीन युक्त 7.65 एम.एम केलीबर का देशी पिस्तौल पाया गया, जिसका मैग्जीन पूर्णतः: खाली था, जिसे उसके द्वारा कॉकिग करके विवेचना अधिकारी को दिया गया। गाड़ी के ट्राली के पीछे भाग में 7.65 केलीबर एम.एम के 6 जिंदा कारतूस युक्त एक मैग्जीन पाया गया, जो कमशः: फोटोग्राफस कमांक 31 से 34 तक का फोटोग्राफ घर के अंदर का घटना स्थल का चित्रण है तथा फोटोग्राफ कमांक 35 एवं 36 घर के बाहर का चित्रण है, जिसे प्रदर्श पी 18 अंकित किया गया। देसी पिस्तौल एवं गाड़ी के उपर केबिनेट को ध्यान से अवलोकन किया गया, उक्त गाड़ी केबिनेट में उपस्थित डेंट तथा मैग्जीन के उपरी भाग आंशिक पिचकी हुई अवस्था मे पायी गयी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि, उक्त पिस्तौल एवं मैग्जीन को दुग्गड़ निवास के प्रथम तल की बालकनी से फेंका जाना प्रतीत 236 होता है तत्पश्चात्‌ गाड़ी के आगे सड़क के मध्य दुग्गड़ निवास के पीछे के दीवार से लगभग 5.8 मीटर एवं 4.3 मीटर की दूरी पर कारतूस से भरे हुए दो पॉलीथीन के पैकेट पाये गये, जिसके अंदर कमश: 12 एवं 14 जिंदा कारतूस तथा 2 कारतूस के खाली खोखे पाये गये, जो कि फोटोग्राफ कमांक 37 से 42 तक अंकित है, जो प्रदर्श पी 19 है। उसके मत में उपरोक्त से स्पष्ट है कि, मृतक रावलमल जैन के उपर पीछे से टैटुइंग रेंज से फायर किया जाना प्रतीत होता है, तत्पश्चात्‌ मृतिका के उपर कमरे के दरवाजे के पास एक राउण्ड तथा कमरे के अंदर से फायर किया गया जो कि टैटुइंग रेंज से फायर किया जाना संभावित है। 193- अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के अनुसार सभी प्रदर्शों के परीक्षण उपरांत उसका अभिमत परीक्षण रिपोर्ट प्रदर्श पी. 23 के अनुसार इस प्रकार है कि, प्रदर्श 'ए' एक 7.65 एम.एम. कैलिबर देशी पिस्तौल है, जो कि चालू हालत में है, जिससे पूर्व में फायर किया गया हैं, प्रदर्श 'एल आर 1' से लगातार 'एल आर 32' 7.65 गुणित 17 एम.एम. केलिबर के जिंदा कारतूस है, जो कि इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से निर्मित है जिसमें से 'एल आर 1', 'एल आर 12', 'एल आर 17, 'एल आर 24', 'एल आर 27' को प्रदर्श 'ए' के 7.65 एम.एम कैलिबर के देशी पिस्तौल से प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक टेस्ट फायर किया गया है। उसके 237 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 अभिमत अनुसार प्रदर्श ई 7.65 एम.एम कैलिबर के मैग्जीन चालू हालत में थे। प्रदर्श ई सी 1 से लगातार प्रदर्श 'ई सी-6' 7.65 गुणित 17 एम.एम. कैलिबर के फायर किए हुए खाली खोखे हैं, जो इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से निर्मित है जिसमें प्रदर्श ई सी-। से लगातार ई सी-5 एवं "(टी सी एस ए) टेस्ट फॉयर कारतूस के खोखे पर उपस्थित फायरिंग पिन इंप्रेशन एवं ब्रीच फेस मार्क की विशिष्ट विशेषताओं को प्रयोगशाला में कम्परीजन माईकोस्कोप की सहायता से तुलनात्मक परीक्षण किया गया, जो कि एक समान प्रकार के पाए गए हैं, अतः प्रदर्श ई-सी-1 से लगातार ई-सी-5 प्रदर्श ए के 7.65 एम.एम. देशी पिस्तौल से फायर किया गया है। उसके अभिमत अनुसार प्रदर्श ई-बी-1 रे ई-बी-3 7.65 एम.एम. कैलिबर के फायर किए हुए बुलेट है. जिसमें लैन एंड ग्रुप्स 6+6 राईट हैंड ट्वीस्ट निर्मित है, इनमें से प्रदर्श ई-बी-1, ई-बी-2 एवं ई-बी-3 तथा प्रदर्श ए के 7.65 एम.एम. कैलिबर के देशी पिस्तौल से फायर किए हुए टेस्ट फायर बुलेट (टी.बी.एस-ए) पर उपस्थित रायफलिंग मार्क के विशिष्ट विशेषताओं को प्रयोगशाला में कम्परीजन माईकोस्कोप की सहायता से तुलनात्मक परीक्षण किया गया, जो कि एक समान प्रकार के पाए गए, अतः प्रदर्श ई-बी-1, प्रदर्श ई-बी-2 एवं प्रदर्श ई-बी-3, प्रदर्श-ए के 7.65 एम.एम. देशी पिस्तौल से फायर. किया... गया... है।. उसके. अभिमत.... अनुसार 238 प्रदर्श एच-आर एवं एच-एन दस्ताना है, प्रदर्श एच-आर में गन शॉट रेसीड्यूस उपस्थित है । 194-- इस प्रकार उपरोक्त वर्णित साक्ष्य से यह निष्कर्ष निकलता है कि, पिस्तौल आर्टिकल बी.05 से मृतिका सूरजी बाई की हत्या कारित की गई जो कि उसके पोस्टमार्टम के दौरान निकाले गये बुलेट आर्टिकल बी-42 एवं बी-43 को बैलेस्टिक एक्सपर्ट अ.सा. 6 डॉ. टी.एल. चंद्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी द्दारा परीक्षण करने पर बी-05 से बी-42 एवं बी-43 का बुलेट को फायर किया जाना प्रमाणित किया है, इसी प्रकार आर्टिकल बी-05 से बी-43 से बी-44 के बुलेट को फायर किया गया जिससे रावलमल की हत्या कारित की गई। यह बी-44 का बुलेट रावलमल के पोस्टमार्टम के दौरान डॉ. बी.एन. देवांगन व्दारा निकाला गया है। इस तथ्य का समर्थन की आर्टिकल बी-42, 43 एवं 44 मृतिका सूरजी बाई एवं मृतक रावलमल के शरीर से निकाला गया है जिसका समर्थन आरोपी संदीप जैन के अधिवक्ता व्दारा इस साक्षी को कंडिका 54 में सुझाव दिये जाने पर कि, प्रदर्श पी.22 के मेमो के अनुसार आर्टिकल बी-42, 43 एवं 44 जिसे उसने ई-बी.1, ई-बी.2 एवं ई.बी-3 चिन्हित किया है, उक्त बुलेट मृतिका सूरजी देवी एवं मृतक रावलमल जैन के शरीर से निकाली गई बुलेट है। इस साक्षी ने ६ 'टना के समय आरोपी संदीप जैन व्दारा हाथ में पहने गये काले रंग 239 के दस्ताना, इस न्यायालय के आर्टिकल बी-45 अंकित किया गया है उसमें गन शॉट रेसीडयूस पाई गई है जो बुलेट को फायर करने पर हाथ में हाथ में पहने हुये दस्ताने पर पाया जाता है। 195- अब यदि प्रकरण में सी.डी.आर. एवं टॉवर लोकेशन के संबंध में उपलब्ध साक्ष्य पर विचार करें तो प्रकरण के विवेचक अ.सा.15 भावेश साव ने कथन किया है कि, पुलिस अधीक्षक दुर्ग कार्यालय द्वारा प्रदर्श पी-78, प्रदर्श पी-79 एवं प्रदर्श पी-80 का पत्र नोडल आफिसर जियो, आईडिया एवं रिलायंस को लिखा था, जिसके परिपालन में नोडल आफिसरों द्वारा सीडीआर और 65 बी का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था। प्रकरण में परीक्षित साक्षी अ.सा.10 हुसैन एम. जैदी, नोडल ऑफिसर व्दारा इस आशय की साक्ष्य दी है कि, आरोपी संदीप जैन का नंबर आईडिया कंपनी का है, जिसका सिम नंबर 76975-62121 है जिसका सी.डी.आर. प्रदर्श पी.36 है, जिसमें कंपनी की सील एवं तत्कालीन नोडल अधिकारी के हस्ताक्षर है एवं धारा 65-बी साक्ष्य अधिनियम का प्रमाण पत्र जारी किया गया है जो प्रदर्श पी.37 है। प्रकरण में इस आशय की साक्ष्य उपलब्ध है कि, दिनांक 31 दिसम्बर, 2017 को रात्रि 23:43:38 बजे आरोपी संदीप जैन के मोबाईल सिम नंबर 76975-62121 का टॉवर आई.डी. 40078-43101-432121 में उपस्थित था, जो कि गंजपारा दुर्ग क्षेत्र का है और दिनांक 01.01.2018 को प्रातः 06:43:40 बजे भी 240 उक्त नंबर इसी टॉवर लोकेशन में था। इस साक्षी के सम्पूर्ण प्रति परीक्षण का अवलोकन किये जाने से यह दर्शित हो रहा है कि, इस साक्षी व्दारा मुख्य परीक्षण में दी गई साक्ष्य प्रति परीक्षण में भी अखंडित रही है। इस साक्षी व्दारा प्रति परीक्षण की कंडिका 08 में आरोपी संदीप जैन की ओर से पूछे जाने पर यह स्वीकार किया गया है कि, कंपनी व्दारा लगाये गये गंजपारा स्थित टॉवर के रेडियस लोकेशन में मोबाईल नंबर 76975-62121 उपस्थित था। 196- इस प्रकार प्रकरण में उपलब्ध उपरोक्त साक्ष्य से यह प्रमाणित हो जाता है कि, आरोपी संदीप जैन का मोबाईल नंबर 76975-62121 गंजपारा टॉवर लोकेशन में दिनांक 31.12.2017 को रात्रि 23:43:38 बजे से दिनांक 01.01.2018 को प्रातः 06:43:40 बजे तक घटना स्थल गंजपारा स्थित रावलमल जैन के मकान में था। प्रकरण में यह भी अविवादित है कि, घटना दिनांक को आरोपी संदीप जैन का मोबाईल उसके पास ही था क्योंकि इस बिन्दु के संबंध में बचाव पक्ष ने न तो इस साक्ष्य को खंडित किया है न ही इस संबंध में बचाव पक्ष की ओर से कोई प्रतिकूल साक्ष्य पेश किया गया है। प्रकरण में यह भी अविवादित है कि, दिनांक 01.01.2018 को सुबह 05:54:50 _ बजे इनकमिंग कॉल मोबाईल. नंबर 94064-19291 जो कि मृतिका सूरजी बाई का है इससे अ.सा.08 सौरभ गोलछा के मोबाईल नंबर 70002-91510 में फोन आया है। 241 अ.सा.08 सौरभ गोलछा के मोबाईल नंबर 70002-91510 का टॉवर लोकेशन दिनांक 01.01.2018 को 05:54:50 बजे बसंत कटारिया, पता तुषार निगम ऋषभ हैरिटेज है एवं सौरभ गोलछा के इस मोबाईल का टॉवर लोकेशन 06:02:36 बजे के बाद गंजपारा का है। 197- इस संबंध में प्रकरण में परीक्षित साक्षी अ.सा. 12 संजीव नेमा, नोडल आफिसर रिलायंस जियो का कथन अवलोकनीय है, इस साक्षी के अनुसार. उसें मोबाईल नंबर 70002-91510 का ग्राहक आवेदन पत्र एवं 01.01.2018 के दिन का सी.डी.आर. उपलब्ध कराने हेतु मांग किया गया था, जिसके तारतम्य में उसके द्वारा प्रदर्श पी-41 का पत्र जो पुलिस अधीक्षक दुर्ग को संबोधित है, दिया गया है जिसमें उपरोक्त मोबाईल नंबर का सीडीआर एवं ग्राहक आवेदन पत्र एवं धारा 65 बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम का प्रमाण पत्र के साथ प्रेषित किया गया था। सी.डी.आर. मोबाईल नंबर 7000291510 प्रपी-46 है, जो कि दिनांक 01.01.18 के दिन का है। प्रदर्श पी-47 मोबाईल नंबर 7000291510, दिनांक-01. 01.2018 के दिन का टावर लोकेशन है। दिनांक-01.01.2018 के सुबह 05:54:50 पर इनकमिंग काल है, जो. मोबाईल नंबर 94064-19291 से आया है, जिसका टावर लोकेशन बसंत कटारिया पता तुषार निगम ऋषभ हैरिटेज है एवं इसी दिनांक का दूसरा कॉल एक आउट गोंईग कॉल है जो मोबाईल नंबर 7000291510 से 242 मोबाईल नंबर 700049985 पर किया गया है जिसका टावर लोकेशन अनूप शर्मा गंजपारा, दुर्ग है। इस तरह प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य से यह प्रमाणित हो जाता है कि, मृतिका सूरजी देवी ने सौरभ गोलछा को 05:54:50 बजे मृतक रावलमल जैन के गिरने की आवाज सुनने पर सौरभ गोलछा को फोन किया जिस पर से अ.सा.08 सौरभ गोलछा 06:02:36 बजे घटना स्थल पहुंच गया जहां सूरजी देवी मृत अवस्था में मिली । उपरोक्त तथ्य को साक्षी सौरभ गोलछा के कथन की कंडिका 52 के माध्यम से समर्थित किया गया है एवं विवेचक अ.सा.15 भावेश साव निरीक्षक के प्रति परीक्षण की कंडिका 136 से भी होता है जिसमें बचाव पक्ष व्दारा पूछे जाने पर इस साक्षी ने यह स्वीकार किया है कि, अभियोजन की कहानी के अनुसार सूरजी बाई की मृत्यु का समय साक्षी सौरभ को, सूरजी बाई व्दारा फोन करने के बाद एवं सौरभ के घटना स्थल पर पहुंचने के बीच की है। इस प्रकार स्पष्ट है कि, सूरजी बाई व्दारा सौरभ गोलछा को फोन करने के बाद सूरजी देवी की हत्या आरोपी संदीप जैन व्दारा की गई है। उक्त संबंध में आरोपी संदीप जैन के मेमोरेंडम प्रदर्श पी.52 में उसने स्वयं होकर यह खुलासा किया है कि, उसकी मां, सौरभ को फोन करके बुला रही थी तब उसने मां के कमरे का दरवाजा खोला और राज खुल जाने के डर से उसे भी गोली मारकर हत्या कर दिया। मेमोरेंडम के इस तथ्य के खुलासे का समर्थन साक्षी सौरभ गोलछा 243 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 के कथन एवं साक्षी सौरभ गोलछा के मोबाईल नंबर 70002-91510 जिसका सी.डी.आर. प्रदर्श पी.46 है, से होता है। 198- प्रकरण में उपरोक्त विवेचन से यह प्रमाणित है कि, दिनांक 31.12.2017 से 01.01.2018 की सुबह 06:02:36 में घटना स्थल पर आरोपी संदीप उसके मृतक पिता रावलमल एवं आरोपी संदीप की माता मृतिका सूरजी देवी घटना स्थल पर एक साथ निवासरत थे, इसका समर्थन इस बिन्दु के संबंध में पूर्व में विवेचित विस्तृत उपरोक्त साक्ष्य से होता है। प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य कि, घटना स्थल पर दिनांक 31.12.2017 की रात्रि से लेकर 01.01. 2018 की सुबह तक आरोपी संदीप जैन घटना स्थल में था, इस साक्ष्य का न तो प्रति परीक्षण में खण्डन किया गया है और न ही चुनौती दी गई है, न ही कोई अतिरिक्त साक्ष्य पेश की गई है, ऐसी स्थिति में यह प्रमाणित पाया जाता है कि, घटना दिनांक को घटना स्थल पर मृतक गण रावलमल जैन, सूरजी बाई एवं आरोपी संदीप जैन ही निवासरत थे तथा दिनांक 01.01.2018 को 06:02:36 बजे सूरजी देवी के फोन करने पर अ.सा.08 सौरभ गोलछा घटना स्थल पर गंजपारा स्थित रावलमल के घर पहुंचा तो यह पाया कि, सूरजी देवी एवं रावलमल की हत्या हो गई है एवं आरोपी संदीप जैन अपने कमरे में स्वस्थ एवं जीवित पाया गया है। 244 199- प्रकरण में यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि, किसी बाहरी व्यक्ति को रावलमल जैन एवं सूरजी देवी की हत्या करने का कोई उद्देश्य नहीं है, क्योंकि प्रकरण के महत्वपूर्ण साक्षी अ.सा.08 सौरभ गोलछा ने प्रति परीक्षण की कंडिका 15 में बचाव पक्ष व्दारा पूछे जाने पर यह सकारात्मक उत्तर दिया है कि, घर में रखा सभी सामान सुरक्षित अवस्था में था। इसी तरह विवेचक भावेश साव के प्रति परीक्षण की कंडिका 112 में बचाव पक्ष ने यह सुझाव दिया है कि, अन्वेषण के दौरान मृतक गण के सभी सामान सुरक्षित अवस्था में थे, बचाव पक्ष की ओर से प्रकरण के विवेचक को यह भी सुझाव दिया गया है कि, आरोपी संदीप जैन ही मृतकगण की संपत्ति का एकमात्र दावेदार है। आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता ने प्रकरण के विवेचक को प्रति परीक्षण की कंडिका 55 में यह सुझाव दिया है कि, मृतक रावलमल जैन की छवि पूरे भारत वर्ष में थी और रावलमल जैन की अंत्येष्टि में छ.ग. शासन के तत्कालीन मुख्यमंत्री शामिल हुये थे, इससे स्पष्ट है कि, मृतक रावलमल जैन एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, उनकी अच्छी छवि पूरे भारत वर्ष में थी अर्थात्‌ इस साक्ष्य से यह स्पष्ट प्रकट हो रहा है कि, रावलमल जैन की हत्या करने का उद्देश्य किसी बाहरी व्यक्ति के पास नहीं है साथ ही यह भी प्रमाणित है कि, रावलमल जैन की हत्या करने वाला व्यक्ति यदि कोई बाहरी व्यक्ति होता तो घटना स्थल पर हत्या 245 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 में प्रयोग किये गये पिस्टल एवं कारतूस को घटना स्थल पर छोड़कर नहीं जाता, अपराधी हमेशा घटना में प्रयोग किये गये हथियार को दूर ले जाकर नष्ट करता या छिपा देता है, घटना स्थल पर नहीं छोड़ता। प्रकरण में दर्ज आरोपी के मेमोरेंडम प्रदर्श पी.52 से स्पष्ट है कि, आरोपी संदीप ने घर के पीछे ग्रिल में लगी बालकनी से घटना में प्रयुक्त किये गये पिस्टल एवं कारतूस को फेंक दिया था। इसके अलावा प्रकरण में यह साक्ष्य भी आई है कि, मृतकगण रावलमल जैन एवं श्रीमती सूरजी बाई का अन्तिम संस्कार उनके नाती संयम जैन व्दारा किया गया है जबकि आरोपी संदीप जैन उनकी इकलौती संतान है। इस संबंध में आरोपी संदीप जैन की पत्नि अर्थात ब.सा.01 श्रीमती संतोष जैन ने अपने न्यायालयीन साक्ष्य में कथन किया है कि, पुलिस वालों ने उसके पति को उसके सास-ससुर का अन्तिम संस्कार नहीं करने दिये। हालांकि सम्पूर्ण अभिलेख के अवलोकन से इस तथ्य की वास्तविकता कुछ और ही सामने आई है वह यह है कि, चूंकि आरोपी संदीप जैन व्दारा जघन्य रूप से अपने माता-पिता की हत्या का अपराध कारित किया गया था इसलिये समाज के व्यक्तियों व्दारा आरोपी को मृतकगण के अन्तिम संस्कार हेतु रोका गया, इससे भी आरोपी संदीप जैन की अपराध में संलिप्तृता दर्शित होती है। 246 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 200- यदि प्रकरण में हत्या के हेतुक (00४९) के संबंध में विचार करें तो आरोपी संदीप जैन से उसके पिता अर्थात्‌ मृतक रावलमल जैन, आरोपी संदीप के आचरण के कारण हमेशा नाराज रहते थे और उसे सम्पत्ति से बेदखल किये जाने की धमकी भी दिये थे, मृतक रावलमल जैन अपने पुत्र अर्थात्‌ आरोपी संदीप जैन की महिला मित्रों के कारण भी उससे नाराज रहते थे तथा आरोपी संदीप का यह आचरण उन्हें नागवार गुजरता था साथ ही मृतक रावलमल और सूरजी देवी की हत्या हो जाने से आरोपी संदीप जैन, रावलमल की समस्त संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त कर लिया । 201- इस तरह आरोपी संदीप जैन के पास उसके पिता रावलमल जैन की हत्या किये जाने का पर्याप्त कारण अर्थात्‌ मोटिव था। प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य से यह दर्शित हो रहा है कि, आरोपी संदीप जैन के पिता अर्थात्‌ रावलमल जैन व्दारा आरोपी को उसके आचरण एवं उसके कृत्यों तथा उसकी महिला मित्रों के कारण उससे नाराजगी थी तथा मृतक व्दारा आरोपी को अपनी सम्पत्ति से बेदखल किये जाने की धमकी भी दी गई थी, इसी कारण से आरोपी संदीप जैन व्दारा योजना के तहत्‌ अपने पिता रावलमल जैन की हत्या किया एवं उसकी माता सूरजी देवी को उक्त बात की जानकारी होने पर वह अन्य किसी को घटना के संबंध में न बता 247 सके इस उद्देश्य से उसके व्दारा अपनी माता की भी हत्या किये जाने का अपराध कारित किया गया है जो प्रंकरण में प्रस्तुत उपरोक्त साक्ष्य से भलीभांति सिद्ध भी हुआ है। इस प्रकार उपरोक्त साक्ष्य से आरोपी संदीप जैन व्दारा मृतक गण को मारे जाने का हेतुक (मोटिव) साफ तौर पर दर्शित हो रहा है जो कि प्रकरण में उपरोक्त विवेचित विस्तृत विवेचन के प्रकाश में विश्वसनीय होना प्रकट हो रहा है। न्याय दृष्टान्त बक्शीश सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब, ए.आई.आर. 2013 सुप्रीम कोर्ट 3403 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय व्दारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि, साक्षियों के बयानों में यदि तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है या विरोधाभास आया है तो मात्र इसी आधार पर अभियोजन के प्रकरण को अस्वीकार नहीं किया जा सकता और छोटी-मोटी विसंगतियों को आधार नहीं बनाया जा सकता। 202- प्रकरण में आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता व्दारा प्रकरण के न्यायिक निराकरण के लिए. परिस्थितिजन्य साक्ष्य के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णित न्याय दृष्टान्त सरद विरदीचंद सारडा वि. महाराष्ट्र राज्य (उपरोक्त) के प्रकरण में बनाए गए सिद्धांतों की पूर्ति किया जाना अति आवश्यक होना व्यक्त किया गया है। यदि इस प्रकरण के संबंध में विचार करें तो अभियोजन पक्ष व्दारा उक्त न्याय 248 दृष्टान्त में निष्कर्षित सम्पूर्ण परिस्थितियों की श्रृंखला की कड़ी को कमानुसार एक सूत्र में पिरोते हुये प्रकरण में उपलब्ध ठोस एवं समाधानपरक साक्ष्य के माध्यम से समस्त युक्तियुक्त सन्देहों से परे प्रमाणित किया गया है, ऐसी स्थिति में इस न्याय दृष्टान्त का लाभ इस बिन्दु के संबंध में प्रतिरक्षा पक्ष को प्रदान नहीं किया जा सकता । 203- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा व्यक्त किया गया है कि, निराधार अभिकथनों के आधार पर ऐसे संगीन अपराध में किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उनकी ओर से अपने तर्क के समर्थन में न्याय दुृष्टान्त 20032) 0.0७.1... - 886 - 104 पवार रे एड. 5181 (0 ा.?.(१0४४ 0.0७.) पेश किया गया है। प्रकरण में उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित हुआ है कि, साक्षियों व्दारा निराधार कथनों को साक्ष्य में अभिलिखित नहीं कराया गया है बल्कि उनके व्दारा आरोपीगण के विरूद्ध आरोपित अपराध को प्रमाणित किये जाने हेतु सटीक न्यायालयीन साक्ष्य अभिलिखित कराई गई है जो प्रकरण में की गई विवेचना कार्यवाही से पूर्णतः समर्थित है, ऐसी स्थिति में इस न्याय दृष्टान्त का लाभ आरोपी संदीप जैन को प्रदत्त नहीं किया जा सकता। 249 204- आरोपी संदीप जैन की ओर से व्यक्त किया गया है कि, शंका कितनी भी बलवान क्यों न हो, निश्चयात्मक साक्ष्य का स्थान नहीं ले सकती । उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में न्याय दृष्टान्त प्रहार था.हा, ४5. 511४ 0फ का? (उपरोक्त) पेश किया है, कितु उक्त न्याय दृष्टान्त के अनुकम में यदि विशिष्ट रूप से इस प्रकरण के तथ्यों पर विचार करें तो अभियोजन द्दारा प्रस्तुत सारगर्भित साक्ष्य के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि, प्रकरण में आरोपी संदीप जैन के विरूद्ध अभियोजन व्दारा शंका के आधार पर प्रकरण को प्रमाणित किया गया है बल्कि प्रस्तुत साक्ष्य से यह सिद्ध एवं प्रमाणित हुआ है कि, अभियोजन पक्ष व्दारा आरोपी संदीप जैन के विरूद्ध ठोस साक्ष्य का प्रस्तुतीकरण अभिलेख के माध्यम से किया गया है जो पूर्णतः विश्वसनीय होना पाया गया है, ऐसी स्थिति में आरोपी संदीप जैन की ओर से प्रस्तुत इस न्याय दृष्टान्त का लाभ तथ्यों की भिन्‍नता के कारण उसे प्रदान नहीं किया जा सकता। 205- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता व्दारा व्यक्त किया गया है कि, अन्वेषण अधिकारी द्वारा पिस्टल बदलकर साक्ष्य गढ़ा गया है, उनके व्दारा अपने तर्क के समर्थन में न्याय दृष्टान्त 0211 इाइ0८स एड. पाए 8781४ 0 08 (उपरोक्त) पेश किया गया है, यदि इस प्रकरण के संबंध 250 में विचार करें तो अन्वेषण अधिकारी तथा समर्थन में प्रस्तुत अन्य साक्ष्य के आधार पर अभियोजन व्दारा समस्त युक्तियुक्त सन्देहों से परे यह प्रमाणित किया गया है कि, आरोपी संदीप जैन व्दारा घटना में जिस पिस्टल का प्रयोग किया गया था वही पिस्टल को विवेचना अधिकारी व्दारा जप्त किया गया है। ऐसी स्थिति में उक्त बिन्दु के संबंध में प्रकरण में प्रस्तुत ठोस साक्ष्य के अनुकम में तथ्यों की भिन्‍नता के कारण आरोपी संदीप जैन को प्रस्तुत न्याय दृष्टान्त का लाभ प्रदान नहीं किया जा सकता। 206- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा व्यक्त किया गया है कि, प्रकरण में चिकित्सकीय साक्ष्य संग्रहण के अनुकम में हुई अनियमित्‌ता के आधार पर आरोपी की दोषसिद्धि को अपास्त किया गया है। इस संबंध में उनके व्दारा न्याय दृष्टान्त 1$ाा&ार आइए 5. 5211 0 9.0. (उपरोक्त) पेश किया गया है, यदि इस न्याय दुृष्टान्त में विवेचित उक्त परिस्थिति का मिलान इस प्रकरण की परिस्थितियों से किया जावे तो वर्तमान प्रकरण की परिस्थिति सर्वथा अलग होना प्रकट हो रही है। वर्तमान प्रकरण में नियमानुसार प्रकिया. का. पालन करते हुये चिकित्सकीय साक्ष्य का संग्रहण किया गया है ऐसी स्थिति में तथ्यों 251 की भिन्‍नता को दृष्ट्गित रखते हुये इस न्याय दृष्टान्त का लाभ भी आरोपी सन्दीप जैन को प्रदान नहीं किया जा सकता। 207- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा यह व्यक्त किया गया है कि, साक्षी के बयान को प्रकरण में प्रस्तुत ना करना एवं उन्हें छिपाया जाना अभियोजन की कहानी एवं विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है एवं संदिग्ध बनाता है। इस संबंध में उनके व्दारा न्याय दृष्टान्त (७१021 1.81. & 0२५. छ&. प्नाए इ#पए 0 शा... (उपरोक्त) पेश किया गया है। यदि वर्तमान प्रकरण की परिस्थितियों में विचार करें तो उपरोक्त न्याय दृष्टान्त में विवेचित तथ्य एवं परिस्थितियां वर्तमान प्रकरण के तथ्यों से पूर्णतः भिन्‍न होना प्रकट हो रही है क्योंकि वर्तमान प्रकरण में साक्षियों के बयान को प्रकरण में प्रस्तुत नहीं करने जैसी कोई स्थिति नहीं है, ऐसी स्थिति में आरोपी संदीप जैन को प्रस्तुत न्याय दृष्टान्त का लाभ तथ्यों की भिन्‍नता के कारण प्रदान नहीं किया जा सकता। 208- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा यह व्यक्त किया गया है कि, अभियुक्त द्वारा निरपराध प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं किन्तु अभियोजन को संदेह से परे अपराध स्थापित करना होता है, अपने उक्त तर्क के समर्थन में उनके व्दारा न्याय दृष्टान्त छन्तश५७/0१/ ४५. $5ा#1६ 0 ॥ा”? (उपरोक्त) पेश किया गया है, उक्त न्याय दृष्टान्त में निष्कर्षित न्यायमत के 252 अनुकम में यदि इस प्रकरण की परिस्थितियों के संबंध में विचार करें तो इस प्रकरण में अभियोजन व्दारा समस्त युक्तियुक्त सन्देहों से परे अपना मामला प्रमाणित किया है, ऐसी स्थिति में प्रस्तुत न्याय दृष्टान्त का लाभ आरोपी सन्दीप जैन को प्रदान नहीं किया जा सकता। 209- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा यह व्यक्त किया गया है कि, भारतीय दण्ड संहिता-1860 की धारा-302 के प्रकरण में अभियुक्त के कपड़ों के रासायनिक परीक्षण या सीरम विज्ञानी के रिपोर्ट के अभाव में तथा खुले स्थान से लोहे के रॉड की जब्ती के आधार पर किसी अभियुक्त को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, उनके व्दारा अपने उक्त तर्क के समर्थन में न्याय दृष्टान्त 1/1.00 +#0/५४/ & #.शर. ४५. $5ा#1£ 0# ८.७ (उपरोक्त) पेश किया गया है। चूंकि वर्तमान प्रकरण की परिस्थितियां इस न्याय दृष्टान्त में विवेचित प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों से सर्वथा भिन्‍न होना प्रकट हो रही है ऐसी स्थिति में प्रस्तुत न्याय दृष्टांत का लाभ आरोपी सन्दीप जैन को प्रदान नहीं किया जा सकता । 210- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा तर्क किया गया है कि, अभियुक्त के मेमोरेण्डम के पूर्व ही उन वस्तुओं की. फोटोग्राफी, उन्हें हटाया... जाना, वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा उनका परीक्षण कर लिया जाना इस तथ्य का 253 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 शाश्वत प्रमाण है कि, उक्त वस्तुओं की जप्ती अभियुक्त की निशानदेही (मिमोरेण्डम) के आधार पर नहीं हुई है। अतः ऐसे मेमोरेण्डम को साक्ष्य की श्रृंखला के रूप में नहीं जोड़ा जा सकता, अभियुक्त की ओर से अपने उक्त तर्क के समर्थन में न्याय दृष्टान्त 15 &ार डाइए छ४. 51817 एगर' हा.ए. (उपरोक्त) पेश किया गया है, यदि प्रस्तुत न्याय दृष्टान्त के प्रकरण के संदर्भ यदि इस वर्तमान प्रकरण की परिस्थितियों पर विचार किया जावे तो वर्तमान प्रकरण में मेमोरेंडम और जप्ती कार्यवाही को विश्वसनीय साक्ष्य के माध्यम से अभियोजन पक्ष व्दारा प्रमाणित किया गया है ऐसी स्थिति में वर्तमान प्रकरण में यह नहीं कहा जा सकता कि, वस्तुओं की जप्ती अभियुक्त संदीप जैन की निशानदेही के आधार पर नहीं हुई है अर्थात्‌ अभियोजन पक्ष ने मेमोरेंडम और जप्ती कार्यवाही को सम्पुष्ट साक्ष्य के माध्यम से न्यायालय में सिद्ध किया है, ऐसी स्थिति में प्रस्तुत न्याय दृष्टान्त का लाभ आरोपी संदीप जैन प्राप्त नहीं कर सकता । 211- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा अन्तिम तर्क के दौरान यह व्यक्त किया गया है कि, अपीलार्थीगण के. विरूद्ध प्रयोग किए जाने हेतु ईप्सित परिस्थितियाँ अत्यधिक कमजोर तथा दोषसिद्धि को कायम रखने के लिए वैध रूप से ग्राह्म साक्ष्य के तुल्य नहीं होना इसलिए विचारण 254 न्यायालय ने मृतक की हत्या करने हेतु अपीलार्थीगण को दोषसिद्धि करने के द्वारा विधि की त्रुटि किया तब दोषसिद्धि एवं दण्डादेश अपास्त की गई और अपीलार्थीगण दोषमुक्त किये गये, उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में न्याय दृष्टान्त $1५/ह२/॥५ & 01२५ ४५. 511६ 07 ८.७ (उपरोक्त) पेश किया है। उक्त न्याय दुृष्टान्त में विवेचित तथ्यों के अनुकम में यदि वर्तमान प्रकरण की परिस्थितियों पर विचार करें तो प्रकरण में आरोपी संदीप जैन सहित अन्य आरोपीगण के विरूद्ध उनके अपराध में संलिप्त होने के समर्थन में अत्यन्त ही ठोस / मजबूत एवं सम्पुष्टिकारक साक्ष्य पेश की गई है जिस पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण नहीं पाया गया है, ऐसी स्थिति में प्रस्तुत न्याय दृष्टान्त के तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा वर्तमान प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों में भिन्‍नता पाये जाने से प्रस्तुत न्याय दृष्टान्त का लाभ प्रतिरक्षा पक्ष को प्रदान नहीं किया जा सकता । 212- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा यह व्यक्त किया गया है कि, जब परिस्थितिजन्य साक्ष्य की परिस्थितियों की श्रृंखला लुप्त हो और सम्पूर्ण मानवीय अधिसंभाव्यता में यह सिद्ध हो जाये कि, अपराध कारित किया गया था और अभियुक्त के दोष की परिकल्पना को छोड़कर अन्य किसी भी परिकल्पना के बारे में स्पष्टीकरण के अयोग्य हो तो दोषसिद्धि का 255 समर्थन नहीं किया जा सकता है, उनके व्दारा अपने तर्क के समर्थन में न्याय दृष्टान्त प्हारपादार ०9 0४७७७ फ४. 8121४ 0 0.6. एवं ७6#0(/2२/.॥५ & #0ान्नाहार ४५. 53:1६ 0#+ ८.७ (उपरोक्त) पेश किया गया है। उक्त न्याय दुृष्टान्त में विवेचित तथ्यों के प्रकाश में यदि इस प्रकरण की परिस्थितियों पर विचार करें तो अभियोजन पक्ष व्दारा परिस्थितिजन्य साक्ष्य की परिस्थितियों की श्रृंखला को कमबद्ध रूप से ठोस साक्ष्य के माध्यम से न्यायालय में सिद्ध व प्रमाणित किया गया है तथा उपरोक्त विवेचन अनुसार सम्पूर्ण परिस्थितियां सिर्फ और सिर्फ आरोपी संदीप जैन व्दारा ही अपराध कारित किया गया है इस ओर इंगित की है, ऐसी स्थिति में प्रस्तुत न्याय दृष्टान्तों का लाभ आरोपी संदीप जैन को प्रदान नहीं किया जा सकता । 213- बचाव पक्ष की ओर से. अभियुक्तगण के अधिवक्ता व्दारा यह तर्क किया गया है कि, प्रकरण में आरोपीगण के विरूद्ध आयुध अधिनियम की धारा में विचारण के संबंध में विधि के सम्यक अनुकमानुसार अनुमति प्राप्त नहीं की गई है, उनके व्दारा यह भी तर्क किया गया है कि, जिस अधिकारी के व्दारा अभियोजन की स्वीकृति दी गई है उसका न्यायालय में परीक्षण कराकर संबंधित दस्तावेज को. प्रमाणित नहीं कराया गया है। बचाव पक्ष के अधिवक्तागण का उक्त तर्क मान्य किये जाने योग्य नहीं है हालांकि 256 इस संबंध में पूर्व में भी विवेचन किया जा चुका है जिसके अनुसार पुलिस अधीक्षक, दुर्ग द्वारा प्रदर्श पी-60 सी का पत्र जिला दंडाधिकारी, दुर्ग को आरोपी संदीप जैन, आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता एवं आरोपी शैलेन्द्र सागर के विरूद्ध आर्म्स एक्ट में अभियोजन अनुमति बाबत पत्र लिखा गया था एवं पत्र के साथ प्रकरण की डायरी एवं दस्तावेज भेजे गए थे, जिसके आधार पर अभियोजन अनुमति जिला दंडाधिकारी द्वारा दिया गया था। इस संबंध में प्रकरण में परीक्षित साक्षी अ.सा. 14 नरसिंह राम का कथन अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है जिसने बताया है कि, वह कलेक्टर कार्यालय दुर्ग में माह मई 1987 से पदस्थ है तथा वर्तमान में लायसेंस शाखा में प्रभारी लिपिक के पद पर पदस्थ है। पुलिस अधीक्षक, दुर्ग के पत्र कमांक पु.अधी. ,/ दुर्ग / रीडर / 3418 दुर्ग दिनांक 18/04/2018 एवं पु. अघी. / दुर्ग / रीडर ,/ 34ए / 2018 दिनांक 24 / 04 / 2018 के पत्र के आधार पर एवं थाने के प्रकरण के अंतिम प्रतिवेदन, प्रथम सूचना पत्र के अवलोकन के उपरांत अपराध कमांक 01,//2018, अंतर्गत धारा 30234 भा.दं.वि. एवं 25, 27 आर्म्स एक्ट मे आरोपी संदीप जैन, आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता, आरोपी शैलेन्द्र सागर, के विरूद्ध धारा 25, 27 आर्म्स एक्ट मे अभियोजन की स्वीकृति आयुध अधिनियम की धारा 39 के तहत जिला मजिस्टेट के अनुमोदन के उपरांत अति. जिला दंडाधिकारी द्वारा अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गयी है जो 257 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 प्रदर्श पी. 59 है। इस संबंध में माननीय मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय व्दारा प्रतिपादित न्याय दृष्टान्त विजय बहादुर उर्फ बहादुर वि. म.प्र. राज्य 2002(4)एम.पी.एच.टी. 167 का पैरा-05 एवं 07 अवलोकनीय है जिसमें यह अवधारित किया गया है कि :- 5. 1.&ाए6€6 (०पाा5€ छणि पा घफृफूपांटघाणा ॥85 उच्ां560 प६ 50 पुप&डघंणा 9€णि९€ पं; (06०पा।1 00घ छा 0. 8घाटघंणा 00 ए10560प€. 06. घृफृषषंट्वा। 85... फटा 1€पुपांक्‍्ााद्ाा। प्राआतटा 56०४० 39 0 पा€ तताए5 0, भघ5$ 0 सात, प1€ &घााटांगा ए, 0-4 ५85 00. 80८0ण660 9ए 0६. एंडापाट चवट्टांधी वा 90 फिट 20तांपंणाघा त8्टांडा'81€ ॥85 छ्राधा।€6 16 इ&घ(धघं0 ४010 985 00: 0पाए €ाफु०्जटा९त जल फंड 9टार्भा, पा इप्फकुफण।, 18160 (0०पा581 क्शां& णा पट पुपतछ्रापहाा' 85560 9५४ पा€ (ज्धांग 82ाटा 0 पांड 06०पा1 1 ५1€ ८856 0... छापप््फुटाता8 जाया ४. 5(ग6 0 ण.?. 12001 (1) छलएएार 2941. पूफांड पुंपतट्ठागदाए' 985 06९ वर्पिा।€0 9प 16 $पफृााशा।€ 0०पा1 1 प1€ 0८856 0... 50०6 ५.९. ४. 8प0लाताव आप ,200001) हि. ए.प.1', 505 .. 20010(1) एप 2961. '1€ पुपत राह क्दावटा€त 9 फांड (06०01 85 जा 85 धर्फिा1€0 9५४ ॥1€ 5प्फृााशा।€ 0०01 1 छिपफृटाता8 आएट्टी।'5 ८856 (5पफुा8) 85 00 258 121<€एघा10प् पा 16हु2। घात विटापि8। फ0डंपंणा भाप पा फा€56ा ८856. पाए ५€ ८856 ०0 छ0फ्ूटाता8 आांपड्ा। (5प्फकृाा8) फिट पुप्ड्पंणा ०9 छा 0 5क्ाटांणा 985 प्ा0टा' 5८०८५००7 0 16 एफ 108ांए€ 5फ्08घाट€5 20८, 1908 (णि शिटप़ापि 'प।€ ६:105४० 2८); पा. एप़िंटी। पाट (था (5०४टापा16। 15 शाफुणभ/€ा6 00 छाक्षा। ८0587 णि' फ€ फा0०560पाएंगा. 116 (था (5०४टापाए0€ा॥। 085 021€हुआ 60 व (0 6 फंडपांटा त8छ्टांबघ.8€. '€ार्टाणि€, 016 फ़॑टाा ॥85 9६६ा घाटा] पफ8ा. पा€ 5(081€ (50एटा॥0€ा॥ 1$ 101 0णाफुटटा। (0 पिएएटा 0€ुध€ प्रफ्ंड ०४ (० फा६ 2ततांघंणावा िंडापांटा '8छ्ांडा 81८. 7. पा ज़०्पात 96 कटा८एवा॥। (0 ए्!टाएंगा ॥€ा€ 08 16860 1.0४7€ा ठफुफलाघा€ 0०पा1 1 ए8ा8छ्टा8ा1 10 0० 15 उुप्रतट्टा।हाएा ए0ं12 0«भाएट्ट +ांपी। पाएं पुष&5घं0ा, 185 थिं।€0 (0० ८णांटा 215. पिपा€5... ्ा्ापंणा€0 ॥टाशा॥8090ए€ 800 ॥85 घाटा] 16000ा56 (0 ६९८०० 20. 0 पा6 (0०6८ 0र्हीविफाड एज८टपापंएट चिवट्टां(पा-घ€ ज्ञााटा€85 पिंड एा0प़्ंअं0ा 15 01 घफुफृप्रिंटघश1€ उए करत$2ा९€ 0. फि६ 8कुट्टांपिट प्पर्टिघांएा शाफु०्ज/टांपट्ट पा६ 2ततांपंणावा च8ट्टां(प-8घ€ (0 56 फा€ 0४४6 0. 01९ जिंडापंटा तघछ्टांपिघा€ पातटा' पा€ &पा5 /0., पुफहा€ 15 00० 50 ए्र०णघारिटघापंणा जि0्पट्टागा (0० 6 एणं८€ (10 फंड 0०पा। उ55प606 9५४ प1€ 50816 (50०एथाणा1€ा। 8प्प्107घंटा718 1€ 259 सत्र प्रकरण कमांक 56 2018 &0तांपिंणाघा धिघ्टांअघा€ (0 प$€. ०४८ पा1वटा' 5८०४०) 39 0 प€..... ठापा15 2८. (0 छाक्षा' &घाटांणा णि. फा०560पांगा.पांड 0०पा1 15 0 06 एृ॥ंपांगा पफाघां फिा€ &घााटांणा छा €0 9४ फ1€ 20तांपंणाना 9्टांघाट, छा 1€ छा€5€॥। ८856 छा. 0-4 उंड 8 ए्ात इक्षाटांणा 85 फ€ा प€ एा0प़ांडांगा प्रापटा' 5०८०० 39 0 फि६ 215 20 1680 पंप पपा८ 2 (0) (पं) 0 पफ्€ 2ाए5 एपा€८५. 'पाटार्टाणि८, ५2ा€ 15 10 इफ08काट€ पा पा€ &पशिएं58ंणा 0 पट (०पा158 छणि' 0९ घफुफांटवणा टीाघाशाइांपाड पट $घाटपंणा (10. फाए0560पा€ 01€ घफुफूांटवाए छाक्षा[€0 9४ फा६ 2ततांपिंणाघा त8्टांा 86, प़ातण€. 214- इस प्रकार उपरोक्त विवेचित तथ्यों के प्रकाश में यह स्पष्ट है कि, प्रकरण में आरोपीगण के विरूद्ध आयुध अधिनियम की धारा में विचारण के संबंध में विधि के सम्यक अनुकमानुसार अनुमति प्राप्त की गई है। 215- प्रकरण के विवेचक अ.सा.15 भावेश साव के प्रति परीक्षण के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता व्दारा उनसे आयुध अधिनियम के प्रकरणों में जिस विवेचना साक्षी व्दारा प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया गया हो, जप्ती एवं आरोपी की गिरफ्तारी संबंधी कार्यवाहियां की हो उसे प्रकरण में अन्य विवेचना नहीं किया जाना चाहिये, का सुझाव दिया गया है, जिस पर राज्य की ओर से 260 उपस्थित विशेष लोक अभियोजक श्री सुरेश प्रसाद शर्मा व्दारा आपत्ति की गई है, जिसका निर्णय के दौरान विचार किया जाना उल्‍्लेखित है इसलिये इस आपत्ति का निराकरण किया जा रहा है। बचाव पक्ष की ओर से अपने उक्त बचाव के संबंध में अन्तिम तर्क के दौरान कोई ठोस एवं समाधानप्रद तथ्यों को न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया गया है। दूसरी ओर राज्य की ओर से उपस्थित विशेष लोक अभियोजक दव्दारा यह व्यक्त किया गया है कि, ऐसी कोई विधि नहीं है कि, जिस विवेचक साक्षी व्दारा आयुध अधिनियम से संबंधित प्रकरणों में प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया गया हो, जप्ती एवं आरोपी की गिरफ्तारी संबंधी कार्यवाहियां की हो वह अग्रिम विवेचना नहीं कर सकता। चूंकि बचाव पक्ष की ओर से अपने तर्क के समर्थन में कोई ठोस एवं समाधानप्रद तथ्यों का प्रस्तुतिकरण नहीं किया गया है ऐसी स्थिति में बचाव पक्ष का यह तर्क कि, जिस विवेचक साक्षी व्दारा आयुध अधिनियम से संबंधित प्रकरणों में प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया गया हो, जप्ती एवं आरोपी की गिरफ्तारी संबंधी कार्यवाहियां की हो वह अग्रिम विवेचना नहीं कर सकता, मान्य किये जाने योग्य नहीं है, तदानुसार आपत्ति का निराकरण किया गया। 216- आरोपी संदीप जैन की ओर से उसके अधिवक्ता व्दारा विवेचना के दौरान विवेचक व्दारा की गई कार्यवाही में कई गलतियां किया जाना उल्‍्लेखित करते हुये उनका लाभ प्रतिरक्षा पक्ष 261 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 को दिये जाने का तर्क किया है, किंतु वर्तमान प्रकरण में विवेचक व्दारा की गई कार्यवाही के समग्र अवलोकन से ऐसी स्थिति कदापि दर्शित नहीं हो रही है कि, विवेचक व्दारा विवेचना के दौरान ऐसी कोई गलती की गई हो जिसका लाभ बचाव पक्ष प्राप्त कर सके । इस सबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्दारा प्रतिपादित न्याय दृष्टान्त गज्जू वि. उत्तराखंड राज्य, आपराधिक अपील कं.1856/ 2009, निर्णय दिनांक 13 सितम्बर 2012 अवलोकनीय है।इस. प्रकार उपरोक्त विवेचन एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उक्त न्याय दृष्टान्त में अवधारित बिन्दुओं के प्रकाश में यह स्पष्ट दर्शित हो रहा है कि, प्रकरण में विवेचना के दौरान विवेचक व्दारा की गई त्रुटियों का लाभ प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों के अनुकम में आरोपी पक्ष को नहीं दिया जा सकता। 217- आरोपीगण की एक अन्य प्रतिरक्षा यह भी है कि, इस प्रकरण के विवेचक अ.सा.15 भावेश साव ने ही संपूर्ण विवेचना की है। अतः ऐसी स्थिति में विवेचक ने मिथ्या साक्ष्य गढ़कर आरोपीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है और उसके द्वारा की गई विवेचना माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय के न्यायदृष्टांतों के अनुसार विधिक रूप से मान्य नहीं है, लेकिन आरोपीगण की उक्त प्रतिरक्षा माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायदृष्टांत “वरिन्दर कुमार वि0 स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश” निर्णय 262 दिनांक 11/02/2019 क़िमिनल अपील नं. 2450.2451 0 2010 के पैरा 15 के अनुसार स्वीकार योग्य नहीं है, जो इस प्रकार है :-- 15. 50एंशलवां घाषशा'€डा पराश्शणा'९ घाभावा€ड पाठ पार क्र आंत त0०ाता पा चिणीका वां (डापफाा8) एवाघाएं 0९ वा- 10ज९५ (0 9९९णा€ 8 ड्षाए 908 0४ था 8एताइ९ थणि' $9शोाएछ एगवफूपार्त (० एपुर्णाधिता, उकर्ड्क्श्तांए९ ण दो ण्ाटा' एणाधंपेश'घ्घंणाई एपा'5्ताए (0 था प्राइटडाींछुवांणा भाप फु'०5९एपाघिंणा प्रोाशा पार 19४ पा पाता कस्‍्छूवाएं 8५ पशपांणाड, (प्तावाावां पुंपातंडकृपाप्तेशाए९ प्ाधावघा ९5 0वाो- गाताधाछू पार संछााड एव पार 8एताइ९व भाव पार फा05९ता- पंणा, व घा€ विटॉड पा चिणीाका 1.81 (डा) जथा€ (शााछु अ्ांपी कस्‍्छूवा'त (०0 पा फा'05९एपापंणा, पार विटॉड पा पा€ फ1"९5९ा1 085९ वा धपुषमभाए (्लाघाए स्ांपा उस्‍्छूमात (10 पार 85९0. पाश'€९ उं 8 डि0ण'ए 0 फाा'र्त्ंणाड एणाइांटां0ाा5 व पार घकफूशाता पा50, ९ एआाताएं 9९ एजांफ्रांफाड 0 पार वि. पाता स्ाधोर पार 19४ 5000 उशपाणाइ, लावा'छुट डश€श5 ४९ 9€थशथा 5पाजाधरिव, पंघाड पा फा0छा'९55 01' एणाताप्त९त, भाव गुफृथ्यड फ्शातााए भा एग च्तांता जता प९ए९५५घापीड 9९ पा. 218- इस प्रकार स्पष्ट है कि, एक ही विवेचक दव्दारा प्रकरण की सम्पूर्ण विवेचना कार्यवाही की जा सकती है और 263 उसके द्वारा की गई विवेचना तभी दूषित होगी, जब आरोपीगण यह दर्शित करें कि, उसके द्वारा की गई विवेचना से उनके साथ पक्षपात हुआ है या विवेचक ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर विवेचना की है, जबकि ऐसा कोई तर्क आरोपीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही अभियोजन ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किया है, उससे यह दर्शित होता है कि, आरोपीगण के साथ पक्षपात हुआ है। अतः ऐसी स्थिति में आरोपीगण के विद्वान अधिवक्तागण का यह तक॑ मान्य किये जाने योग्य नहीं है कि, विवेचक ने मिथ्या साक्ष्य गढ़कर आरोपीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है। 219- आरोपीगण के विद्वान अधिवक्तागण ने संदेह से परे मामला प्रमाणित नहीं होने का तर्क पुरजोर रूप से प्रस्तुत किया है, लेकिन युक्तियुक्त शंका और शंका से परे शब्द को माननीय उच्चतम न्यायालय ने न्यायदृष्टांत “अशोक देबरमा उर्फ अचाक देब. रमा वि0 स्टेट ऑफ त्रिपुरा” 2014 कि. लॉ जर्नल 1830 में विस्तार से विवेचित किया है :- 27. / घ00प$66 085 8 र्ण्णिपाए छा 00 10 9६ 00णा- भट16 एप. का एललिएएट छ्ापिटी1 15 101 ८9506 0प्र ५2 ८शछटाविघा। 5धाावघाए . 0... फाए0्0छ फिटफ्णाए 16850719016 0०प0, फा$ (०पा। ता 12008) 200 20006 ४. ७1216 264 1ट[ूृश५टा॥८0 0४ 506८0 एप. ?णा८्८ (2003) 7 500: 56, 0616 फघि9.. प16 00095 फ़0पाॉए 06 ८9166 1625078016 1 ५८४ शा एि€६६ फएएए 8 2651 णि ्0डाघ८ 5्कु6८पाघिधिणा, 1. 00 र्णिएं घाष धिशणपाए£ एटा पिघा पिएपा घाए 10 ८0६ 168507180916 (0प09, 1 पडा 96 पिध€ फएणाा 81. 0४टाटा1एघ0181 15015. 12095 पड 9८. 80ए81 का 5फ058घा वि (095 85 10 ५0८ छूपां॥ 0 16 8200प566 [टा5015 घाभाा फि0एा। ५8८ €पशर्पंटा८€, 0 पा 06 12६ एव. ॥, 85 [0566 (0 आटा ४898््प८ घूकुगटााटाडाणाड,. 1685071809016 (0०प9 15 0 भा प्रा्छाघाषए, परिधि 0 8 प1टाटषप्र 0०0551016 ०प9, 0पा 9 कता, 0009 98566 प्फृणा 16850 910 0ए0ाएा0एा इटा56. 11 प5। छा0फ 00 0 11८ ८शटा८€ पा ५९६ ८856. 1 1रि209 08901 1९21 ४. 8091 रि21 206 065 (2002)12 5010: 395, ५६ 00४८ [ावाटा- [16 ५85 06६6 1टॉ1टा. 220- इसी प्रकार माननीय उच्चतम न्यायालय ने न्यायदृष्टांत “प़त€ा 5ंण्ठाग & 0 झ5. 96 586 (06 ता,” (1978) 4 एससीसी 372 में यह अभिमत दिया है कि :- "' छा'00ण 9८जणापएं 18508 प०पा0: पड 8 छुपा ट- प्ाट, हा0 8 लिघिडी घाव छुपापाषि आशा (शा छूट घना 265 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 नाच प। 9€८८8प४९ प्िपाप्ि इपधि' 5 50ा€ पाणिवापडि, भापटा फा'णुटटत घित'0पछ्री1 प्र्पााका का00€५५,'' अतः स्पष्ट है कि, इस प्रकरण में आरोपीगण के संबध में ऐसी कोई भी शंका नहीं है, जिसका लाभ उन्हें दिया जावे, बल्कि अभियोजन पक्ष व्दारा आरोपीगण के विरूद्ध ठोस एवं समाधानप्रद साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है, जिस पर किसी प्रकार की शंका नहीं की जा सकती, बल्कि अभियोजन पक्ष व्दारा जो साक्ष्य पेश की गई है वह समस्त युक्तियुक्त सन्देहों से परे हैं, जिस पर शंका नहीं की जा सकती । 221- प्रकरण में पूर्व विवेचन से यह स्पष्ट हुआ है कि, रावलमल जैन का कारीडोर पर गोली लगने से मृत मिलना एवं मृतिका सूरजी बाई का अपने कमरे में गोली लगने से बिस्तर पर मृत मिलना एवं चोंट से खून बहना यह प्रमाणित करता है कि, चोंट तत्काल कारित की गई थी। घटना दिनांक को सुबह समय 05.54 मिनट 50 सेकंड में सूरजी बाई का फोन सौरभ गोलछा को आना और यह कहना कि, नाना गिर गये है जल्दी आओं, यह प्रमाणित करता है कि, 05.54 मिनट 50 सेकंड के तुरंत पहले रावलमल की हत्या कारित की गई थी एवं 06.02 मिनट 36 सेकंड के पूर्व सूरजी बाई की हत्या कारित किया है। प्रकरण में उपलब्ध कॉल डिटेल भी अभियोजन दव्दारा प्रमाणित की गई, जो कि अचुनौतित रही है। घटना 266 स्थल घर में दिनांक 31.12.2017 के शाम से एवं दिनांक 31.12.2017 के रात्रि तक एवं 01.01.2018 के सुबह सौरभ गोलछा के आने तक आरोपी संदीप जैन घटना स्थल पर अकेला मौजूद था। जिसकी पुष्टि आरोपी संदीप जैन के मोबाईल के सीडीआर से होती है जिससे यह सहज रूप से सिद्ध हो जाता है कि, आरोपी ने अपने माता-पिता सूरजी बाई एवं रावलमल की हत्या कारित किया है। 222- साक्ष्य अधिनियम धारा 106 - विशेषत: - ज्ञात तथ्य को साबित करने का भार- जबकि कोई तथ्य विशेषत: किसी व्यक्ति के ज्ञान में है, तब, उस तथ्य को साबित करने का भार उस पर है। जब घर में सिर्फ आरोपी एवं उसके माता-पिता है तब हत्या किसने किया, यह बताने का दायित्व आरोपी का है क्योकि यह मान्य तथ्य है कि, घर का दरवाजा स्वाभाविक रूप से अंदर से बंद रहता है, दरवाजा किसने खोला, उसके दस्ताना में बारूद का कण केसे आया। इन सभी तथ्यों का स्पष्टीकरण सिफ आरोपी दे सकता है, इस बिन्दु पर आरोपी ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। इस प्रकरण में आरोपी का आचरण एक अभ्यस्त अपराधी की तरह है क्योकि इसने 294 द.प्र.सं. के तहत अभियोजन द्वारा पेश आवेदन पत्र पर वर्णित समस्त तथ्यों को इंकार किया है, जिसमें घटना स्थल का नक्शा जहाँ आरोपी निवास करता है माता-पिता का शव पंचनामा एवं सीन ऑफ क्राईम में पाई गई वस्तुयें सम्मिलित हैं। 267 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 मृतकगण की हत्या किये जाने का हेतुक सिर्फ आरोपी संदीप जैन के पास है अन्य किसी के पास नहीं है क्योकि रावलमल एवं सूरजी बाई के हत्या हो जाने से समस्त संपत्ति का मालिक आरोपी संदीप जैन हो गया है जो कि, रावलमल एवं सूरजी बाई के रहते संभव नहीं था एवं रावलमल ने संदीप के आचरणों को देखते हुये संपत्ति से बेदखल करने की धमकी दिया था, जिसके कारण आरोपी रावलमल की हत्या किया एवं सूरजी बाई ने इसके संबंध में अपने नाती सौरभ गोलछा को फोन किया, जिसके कारण आरोपी ने अपने विरूद्ध साक्ष्य आ जायेगा समझकर अपने माँ की हत्या कारित कर दिया, पूरे प्रकरण में किसी बाहरी व्यक्ति का अपराध कारित करने का उद्धेश्य नहीं है। प्रकरण में आई उपरोक्त ठोस एवं समाधानप्रद साक्ष्य के आलोक में आरोपी संदीप जैन की ओर से प्रस्तुत अन्य प्रतिरक्षा को निष्कर्षित किया जाना उचित प्रतीत नहीं हो रहा है क्योंकि उक्त प्रतिरक्षा के संबंध में उपरोक्त विस्तृत विवेचन में उनका समाधान किया जा चुका है। 223- प्रकरण में उपरोक्त वर्णित सम्पूर्ण साक्ष्य से अभियोजन दव्दारा सम्पूर्ण युक्तियुक्त सन्देहों से परे यह प्रमाणित किया गया है कि, घटना दिनांक को हुई मृतक गण रावलमल जैन एवं श्रीमती सूरजी बाई की मृत्यु आपराधिक मानव वध स्वरूप की थी। आरोपी संदीप जैन गंजपारा आलोकचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स 268 के सामने अपने माता-पिता के साथ अपनी पत्नि और लड़के के साथ मकान के उपर में रहता था, उसके माता-पिता नीचे रहते थे। आरोपी संदीप जैन अपने माता-पिता की इकलौती संतान है तथा अपने घर के बाजू में ही स्थित स्वयं की दुकान में साड़ी विकय का व्यवसाय करता था। उसके साथ उसका भांजा सौरभ गोलछा भी व्यवसाय में उसकी मद्‌द करता था। आरोपी संदीप जैन के पिता स्व. रावलमल जैन पुरानी रूढ़ीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे तथा वह स्वतंत्र तथा खुले विचारों का इंसान होने से उसके पिता का उससे अक्सर हर काम में टकराव होता था। मृतक रावलमल जैन उसे अक्सर टोका करते थे कि, जैसे पूजा के लिये शिवनाथ नदी से प्रतिदिन नौकर से पानी मंगवाते थे तथा घर के नल के पानी को ही उपयोग करने को कहने पर उसे डॉट-डपट करते थे। आरोपी संदीप जैन के पिता को आरोपी संदीप जैन का उसकी महिला मित्रों से मेलजोल काफी नागवार गुजरता था। कई बार मृतक रावलमल जैन अपने पुत्र अर्थात्‌ आरोपी संदीप जैन को संपत्ति से बेदखल करने की धमकी देते थे जिसके कारण व्यथित होकर अभियुक्त संदीप जैन ने पिता को मारने की योजना बनाया। आरोपी ने इन्हीं कारणों से पहले से ही एक देशी पिस्टल एवं कारतूस भगत सिंग गुरूदत्ता, निवासी अग्रसेन चौक, दुर्ग से 1,35,000,/-रू में खरीद कर रखा था। आरोपी संदीप जैन ने योजना को अंजाम देने के लिये 269 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 दिनांक 27.12.2020 को पत्नि और बच्चे को मायके दल्‍ली राजहरा भेज दिया और नौकर रोहित देशमुख जो रात्रि में घर में रोज सोता था उसे आगामी रात्रि में घर आने से मना कर दिया। आरोपी संदीप जैन ने उसके बाद योजनानुसार घटना दिनांक को प्रातः लगभग 05.45 बजे अपने रूम से उपर से नीचे आकर अपनी माँ के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। उस समय उसके पिता कारीडोर में बाथरूम तरफ से वापस आ रहे थे और कारीडोर का दरवाजा बंद कर रहे थे, तभी उसने अपने पिता को पीछे से पीठ में गोली मार दिया। आरोपी संदीप जैन ने गोली की आवाज सुनकर उसकी माँ के चिल्‍लाने पर वह अपने उपर कमरे में भाग गया फिर उसके मोबाईल पर उसकी मॉँ का फोन आने लगा लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया और नीचे माँ के कमरे के पास पुनः वापस आया तो उसकी मां, सौरभ को फोन करके बुला रही थी तब उसने अपनी माँ के कमरे का दरवाजा खोला और उसका राज खुल जाने के डर से उन्हे भी गोली मारकर हत्या कर दिया। आरोपी संदीप जैन ने उसके बाद बाहर जाने वाले कारीडोर का दरवाजा और बैठक का दरवाजा खोल दिया तथा सबसे बाहर मेन गेट का ताला खोलकर चाबी उसी में छोड़ दिया ताकि लगे कि कोई बाहर का आदमी आकर हत्या कर चला गया है। आरोपी संदीप जैन ने गोली मारते समय काले रंग के दस्ताने पहन रखे थे जो उसके कमरे के 270 बिस्तर में सिराहने के नीचे रखे मिले थे तथा घटना के समय पहना चेक आसमानी कलर का हॉप कुर्ता जिसमें खून के दाग लगे थे, को बिस्तर के नीचे छिपाकर रखा, जिसे जप्त किया गया है। आरोपी संदीप जैन ने जिस पिस्टल से अपने माता-पिता की हत्या की उसे घर के पीछे उपर बालकनी के नीचे फेंक दिया। जो वही पर खड़ी टाटा एस गाड़ी में गिरा तथा साथ में एक लोडेड मैग्जीन और 02 झिल्ली में जिंदा कारतूस को भी नीचे गली में फेक दिया। 224- इस प्रकार उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचन से यह स्पष्ट है कि, अभियोजन ने ठोस, सुसंगत साक्ष्य /निश्चयात्मक साक्ष्य के माध्यम से आरोपी संदीप जैन के व्दारा ही कथित अपराध को कारित करना पूर्ण रूप से सिद्ध किया है, अभियोजन पक्ष व्दारा समस्त युक्तियुक्त सन्देहों से परे यह भी प्रमाणित किया गया है कि, साक्ष्य की कड़ियां एक-दूसरे से ऐसी जुड़ी हुई है जिससे कि, आरोपी संदीप जैन के अलावा अन्य किसी व्यक्ति व्दारा कथित अपराध को कारित किया जाना माना ही नहीं जा सकता, जिसमें उसके व्दारा आरोपीगण भगत सिंह गुरूदत्ता एवं शैलेन्द्र सागर से अपराध में प्रयुक्त पिस्टल प्राप्त किया गया है। 225- उपरोक्त सम्पूर्ण अभिलेखगत साक्ष्य से अभियोजन पक्ष ने आरोपी संदीप जैन के विरूद्ध यह प्रमाणित किया है कि, उसने दिनांक 01/01/2018 के प्रातः 04:30 बजे से 05:54 271 बजे के मध्य गंजपारा स्थित रावलमल जैन के मकान में रावलमल जैन एवं सूरजीबाई को साशय व ज्ञानपूर्वक पिस्टल 7.65 कैलीबर से गोली मारकर उनकी मृत्यु कारित कर हत्या का अपराध कारित किया, आरोपी संदीप जैन ने उक्त अपराध कारित किये जाने में बिना किसी अनुज्ञप्ति या आज्ञापत्र के आयुध अधिनियम की धारा 3 के उल्लंघन में पिस्टल 7.65 कैलीबर को अपने आधिपत्य में रखकर आयुध अधिनियम की धारा 7 के उल्लंघन में उक्त पिस्टल का प्रयोग अपने अवैध उद्देश्यों के लिए करके दण्डनीय अपराध कारित किया। इस प्रकार अभियोजन पक्ष ने आरोपी संदीप जैन के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 302 (दो बार), आयुध अधिनियम की धारा 25 (1-ख) (क) एवं 27 (2) के अधीन दण्डनीय अपराध के आरोपों को समस्त युक्तियुक्त सन्देहों से परे प्रमाणित किया है। 226- इसी प्रकार अभियोजन पक्ष व्दारा आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता के विरूद्ध उसके व्दारा दिनांक 03.01.2018 के 5-6 माह पूर्व या उसके लगभग बिना किसी अनुज्ञप्ति या आज्ञापत्र के आयुध अधिनियम की धारा 3 के उल्लंघन में एक पिस्टल 7.65 कैलीबर अपने आधिपत्य में रखने तथा उसे अन्य आरोपी संदीप जैन को अवैध उद्देश्यों के लिए उपलब्ध कराकर दण्डनीय अपराध कारित किया जो आयुध अधिनियम की धारा 25(1-खो)(क) के अंतर्गत दंडनीय है। इसी प्रकार अभियोजन पक्ष, आरोपी शैलेन्द्र 272 सागर के विरूद्ध समस्त युक्तियुक्त सन्देहों से परे यह आरोप प्रमाणित करने में सफल रहा है कि, उसने दिनांक 03.01.2018 के 5-6 माह पूर्व या उसके लगभग बिना किसी अनुज्ञप्ति या आज्ञापत्र के आयुध अधिनियम की धारा 3 के उल्लंघन में एक पिस्टल 7.65 कैलीबर अपने आधिपत्य में रखा, जिसे अन्य आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता को अवैध उद्देश्यों के लिए उपलब्ध कराकर दण्डनीय अपराध कारित किया जो आयुध अधिनियम की धारा 25 (1-ख) (क) के अंतर्गत दंडनीय है। 227- फलत: आरोपी संदीप जैन को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 302 (दो बार), आयुध अधिनियम की धारा 25 (1-खो(क) एवं 2700) के अधीन दण्डनीय अपराध के आरोपों में तथा आरोपीगण भगत सिंह गुरूदत्ता एवं आरोपी शैलेन्द्र सागर को आयुध अधिनियम की धारा 25(1-ख)(क) के अधीन दण्डनीय अपराध के आरोप में दोषी पाते हुये दोषसिद्ध घोषित किया जाता है। 228- दण्ड के प्रश्न पर आरोपीगण, उनके विद्वान अधिवक्तागण एवं राज्य की ओर से उपस्थित विशेष लोक अभियोजक को सुने जाने के लिये निर्णय लेखन अल्पकाल के लिये स्थगित किया जाता हे । 120] ऊ5ं0ण60 उप 5त 2 नह पाचन ) रा उडी 025 0123 16:38:47 +0530 दुर्ग, (शैलेश कुमार तिवारी) दिनांक 23 जनवरी, 2023 अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग (छत्तीसगढ़) 273 दण्डादेश....दिनांक 23 जनवरी, 2023 "पु€6. १००0 णा. ५८. ००"(1956) से अपनी लेखन यात्रा प्रारंभ करने वाले प्रसिद्ध लेखक ०5100 806 ने अपनी पुस्तक “065 र्णिए पाप न्ांत्त०09 (2019) में (फालंड्ा8 ०५५९5 की निम्न कविता उद्रित किया है जो इंसानी संवेदनाओं की अदृभुत अभिव्यक्ति है :- "पिएतारप' 0 1ाधाषए पप्लाध; कारण, पर छापपासाप,र, पार एप धप णएदप४ 1ाएए, घएगर (साफ (पा़शणापए (ाहिरायात, घएगर (ारवददााएणिययार 50 एप (पर व, घएगर 020 (21, पर छिरिपाव छिप, पएगर सजारावावर 5५ पएगरावड पपाअ' (रा, " जबकि प्रस्तुत प्रकरण में एक पुत्र व्दारा बेबस माता-पिता की हत्या के मामले में विचारण चला है इसलिये दंड के प्रश्न पर उभय पक्ष का तर्क एवं गम्भीर मनन समीचीन है। 229- दण्ड के प्रश्न पर आरोपीगण; उनके विद्वान अधिवक्तागण एवं राज्य की ओर से उपस्थित विशेष लोक अभियोजक को सुना गया। आरोपी संदीप जैन ने व्यक्त किया है कि, वह अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला अकेला सदस्य है, यदि उसे कठोर दंड दिया गया तो उसके परिवार को परेशानियों का सामना 274 करना पड़ेगा, ऐसी स्थिति में उसकी ओर से व्यक्त किया गया है कि, उसे न्यूनतम दंड से दंडित किया जावे। आरोपी के विद्वान अधिवक्ता ने यह व्यक्त किया है कि, आरोपी संदीप जैन का यह अपराध विरल से विरलतम अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, अतः उन्होंने व्यक्त किया है कि, आरोपी संदीप जैन को भा.दं.सं. की धारा 302 में उलल्‍्लेखित न्यूनतम दण्ड से दण्डित किया जावे । 230- अभियुक्तगण भगत सिंह गुरूदत्ता एवं शैलन्द्र सागर द्दारा एवं उनके विद्वान अधिवक्तागण दव्दारा भी व्यक्त किया गया है कि, अभियुक्तगण कमजोर आर्थिक परिस्थिति वाले व्यक्ति हैं, इसलिए अभियुक्तगण के प्रति सजा के संबंध में उदारता बरती जावे और अर्थदण्ड के संबंध में भी उदारता बरती जावे । 231- राज्य की ओर से. विव्दान विशेष लोक अभियोजक ने यह निवेदन किया कि, अभियुक्त संदीप जैन का कृत्य अत्यन्त ही गंभीर प्रकृति का है, जो कि विरल से विरलतम अपराध की श्रेणी का है क्योंकि उसके द्दारा निर्दयता का परिचय देते हुये अपने माता-पिता की हत्या किये जाने का अपराध कारित किया गया है, इसलिए अभियुक्त संदीप जैन को मृत्यु-दण्ड से दंडित किया जावे जो कि, समाज के लिये एक उदाहरण हो। विशेष लोक अभियोजक दव्दारा अन्य आरोपीगण भगत सिंह गुरूदत्ता एवं शैलन्द्र 275 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 सिंह को भी कड़ी से कड़ी सजा दिये जाने का निवेदन किया गया है। 232- उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया गया । 233- मृत्यु के कठोर दण्ड, कठोर आपराधिकता के गंभीरतम मामलों में दिया जाना चाहिये । मृत्यु दण्ड का विकल्प चयन करने के पूर्व “अपराधी” की परिस्थितियों को भी “अपराध” की परिस्थितियों के साथ विचार किये जाने की अपेक्षा है। आजीवन कारावास नियम है और मृत्युदण्ड एक अपवाद। मृत्युदण्ड तभी अधिरोपित किया जाना चाहिये, जब आजीवन कारावास अपराध की सुसंगत परिस्थितियों को देखते हुए पूर्ण रूप से अपर्याप्त प्रतीत हो । गुरूत्तर कारी (एग्रीव्हेंटिंग ] और शमनकारी (मिटिग्रेटिंग ]) परिस्थितियाँ का तुलना पत्र तैयार किया जाना चाहिए और ऐसा करने में परिशमनकारी परिस्थितियों को पूर्ण महत्व दिया जाना चाहिए और विकल्प का प्रयोग करने के पूर्व गुरूत्तर तथा परिशमनकारी परिस्थितियों के मध्य एक उचित संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए। दण्ड प्रकिया संहिता की धारा 354 के तहत भी यदि मृत्यु-दण्ड दिया जाता है तो विशेष कारण दर्शित करने का प्रावधान है। विरल से विरलतम मामले को निर्धारित करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय व्दारा कुछ कसौदटियां निर्धारित की गई हैं, और क्या यह प्रकरण उक्त श्रेणी का है, उसकी कसौटी को देखा जाना 276 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 चाहिए। इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय का न्यायदृष्टांत “रोनल जेम्स बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र” (1998) 3 एससीसी 625, “अलाउद्‌्दीन मियान बनाम स्टेट ऑफ बिहार” (1989) 3 एससीसी 5, “नरेश गिरि वि0 स्टेट ऑफ एम.पी.” (2001) 9 एससीसी 615 अवलोकनीय है । 234- इसी प्रकार माननीय उच्चतम न्यायालय ने न्यायदृष्टांत “हरेश मोहन दास राजपूत वि0 स्टेट ऑफ महाराष्ट” (2011) 12 एससीसी 56 में “विरल से विरलतम मामला'' कब होता है, इस संबंध में पैरा 12 में विवेचित किया है :- "रिघ्ा€ड 0 फ€ घा€ 0856" ८णा।€5 एटा 8 टणाए़ंटा ज/ञ०पात 9९ 8 प्राटा8(९€ 0 पिफ€वां' (0 ५९ वा णां0प5 घाव ए0€8८6पि। ८0०-6शंड18106 0. 11९ 50टंढष, 16 टांपा€ प्8प४ 9€ ॥टहाघ005 0 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पुत्रों के कारण अपवादित होना पड़ा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वैवाहिक आदर्शों के अभाव में जहां श्रीकृष्ण की संततियां अपने पिता की अवज्ञा कर जीवन विनष्ट हुई तो वैवाहिक आदर्शों का सम्मान करने के फलस्वरूप लव-कुश ने एक बार भी अपनी माता की लोक उपेक्षा के विरुद्ध श्रीराम को कठघरे में खड़ा नहीं किए कि सीता का पालन जन्य शिक्षा से अनुप्राणित थे। संबंधों को सार्वकालिक व्याख्या कदापि संभव नहीं है कि संबंध सृजन एवं संपोषण संबंधों के भीतर संभावनाओं का निर्माण करता है। परंतु इन सारे उदाहरणों से इतना स्पष्ट है कि एक संतान अपने माता-पिता के विचार का विस्तार होता है। पौराणिक ग्रन्थ देवीभागवत में लिखा गया है :- घिक त॑ सुर्त॑ यः पितुरीप्सितार्थ क्षयोअषि सनन प्रतिपादयेद यः / जातेन किं तेन सुतेन काम पितुर्न चिन्‍तां हि सतुद्धरेद यः /। 281 अर्थात, उस पुत्र को घिककार है, जो समर्थ होते हुए भी पिता के मनोरथ को पूर्ण करने में उद्यत नहीं होता। जो पिता की चिन्ता को दूर नहीं कर सकता, उस पुत्र के जन्म से क्या प्रयोजन है? मनुस्मृति में महर्षि मनु पिता की असीम महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं :- उपाध्यान्दशाचार्य आचायार्णां शर्त पिता । सहस्त्रं तु पिठून माता गौरवेणातिरिच्यते /। अर्थात, दस उपाध्यायों से बढ़कर 'आचार्य', सौ आचार्यों से बढ़कर 'पिता' और एक हजार पिताओं से बढ़कर 'माता' गौरव में अधिक है, यानी बड़ी है। पदमपुराण में माता-पिता की महत्ता बडे ही सुनहरे अक्षरों में इस प्रकार अंकित है :- सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता । मातरं पितरं तस्मात सर्वयत्रेन पुतयेत ।। प्रदक्षिणीकृता तेन सप्त द्वीपा वसुंधरा / जानुनी च करो यस्य पित्रो? प्रणमतः शिर । निपतन्ति प्थ्वियां च सोअक्षयं लगते दिवस // अर्थात, माता सभी तीर्थों और पिता सभी देवताओं का स्वरूप है। इसलिए सब तरह से माता-पिता का आदर सत्कार करना 282 चाहिए। जो. माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सात द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता को प्रणाम करते समय जिसके हाथ घुटने और मस्तिष्क पृथ्वी पर टिकते हैं, वह अक्षय स्वर्ग को प्राप्त होता है। हरिवंश पुराण के विष्णुपर्व में पिता की महत्ता का बखान करते हुए कहा गया है :- दारूणे च पिता पुत्र नैव दारूणतां पुत्रार्थ पद:कष्टाः पितरः प्रान्युवन्ति हि।। अर्थात, पुत्र क्रूर स्वभाव का हो जाए तो भी पिता उसके प्रति निष्ठुर नहीं हो सकता, क्योंकि पुत्रों के लिए पिताओं को कितनी ही. कष्टदायिनी विपत्तियाँ झेलनी पड़ती हैं [इससे बड़ी विडम्बना का विषय और क्या हो सकता है कि एक “पिता” अपने पुत्र के मुख से सिर्फ प्रेम व आदर के दो शब्द की उम्मीद करता है, लेकिन उसे पुत्र से उपेक्षित, तिरस्कृत और अभद्र आचरण के अलावा कुछ नहीं मिलता है। निःसन्देह, यह हमारी आधुनिक शिक्षा आधुनिक जीवन पद्धति के अवमूल्यन का ही दुष्परिणाम है।वैदिक संस्कृति कहती है कि पुत्र का कर्तव्य है कि माता-पिता की आज्ञा का पालन करे। जो पुत्र माता-पिता एवं आचार्य का अनादर करता है, उसकी सब क्रियाएं निष्फल हो जाती हैं, क्योंकि माता-पिता के ऋण से मुक्त होना. असम्भव है। इसीलिए, माता-पिता तथा आचार्य की 283 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 सेवा-सुश्रुषा ही श्रेष्ठ तप है। लेकिन, विडम्बना का विषय है कि आधुनिक युवा वर्ग अपने पथ से विचलित होकर अपनी प्राचीन भारतीय वैदिक सभ्यता एवं संस्कृति को निरन्तर भुलाता चला जा रहा है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। आज घर-घर में पिता-पुत्रों के बीच आपसी कटुता, वैमनस्ता और झगड़ा देखने को मिलता है। भौतिकवाद आधुनिक युवावर्ग के सिर चढ़कर बोल रहा है। उसके लिए संस्कृति और संस्कारों से बढ़कर सिर्फ निजी स्वार्थपूर्ति और पैसा ही रह गया है। पुत्र (महाभारत संदर्भ “पुत्र स्पर्शव्तां वर” स्पर्श करने योग्य वस्तुओं में पुत्र का स्पर्श सब से अच्छा है। “्रतिकूलः प्ितुर्यश्व न स पुत्रा सतां मत /” जो पिता के अनुकूल नहीं है सज्जन उस पुत्र को अच्छा नहीं मानते । “स पुत्रा पुत्रवदृू यश्च वर्तति पितमातूव ।” माता पिता के साथ पुत्रवत्‌ व्यवहार करने वाला ही वास्तव में पुत्र है । “इत्यर्थमिष्यतेडपत्यं तारयबष्यिति मासिति/” संतान की इच्छा इसीलिये की जाती है कि यह मुझे संकट से तार देगी। “ते भर्तीरि पुत्रश्च वाच्यो मातुररक्षिता ।” पिता के मरने पर पुत्र यदि माँ की रक्षा नहीं करता तो वह निन्‍्दनीय है । 284 “न हि पुत्रेण हैडिम्बे पिता न्याय्यः प्रबाधितुम/” घटोत्कच! पुत्र पिता को पीड़ित करे, यह न्यायोचित नहीं । “पुत्रार्थों विहितो ह्ोव वार्धिकि परिपालनमस/” वृद्धावस्था में पालन करना ही पुत्र होने का फल है। “निदेशवर्ती च पिठुः पुत्री भवति धर्मतः” धर्म के अनुसार पुत्र पिता की आज्ञा के अधीन होता दे ''सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता / मातरं पितरं तस्मात सर्वयत्नेन पुजयेतू //” माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये । 237- वर्तमान प्रकरण के संबंध में यदि विचार करें तो प्रश्नाधीन प्रकरण का आरोपी संदीप जैन अपने मृत माता-पिता की इकलौती संतान है तथा अपने घर के बाजू में ही स्थित स्वयं की दुकान में साड़ी विकय का व्यवसाय करता था, उसके साथ उसका भांजा सौरभ गोलछा भी व्यवसाय में उसकी मद्द करता था। आरोपी संदीप जैन के पिता स्व. रावलमल जैन पुरानी रूढ़ीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे तथा वह स्वतंत्र तथा खुले विचारों का इंसान होने से उसके पिता का उससे अक्सर हर काम में टकराव होता था। मृतक 285 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 रावलमल जैन उसे अक्सर टोका करते थे जैसे पूजा के लिये शिवनाथ नदी से प्रतिदिन नौकर से पानी मंगवाते थे तथा घर के नल के पानी को ही उपयोग करने को कहने पर उसे डॉट-डपट करते थे। आरोपी संदीप जैन के पिता को आरोपी संदीप जैन का उसकी महिला मित्रों से मेलजोल पसंद नहीं था। कई बार मृतक रावलमल जैन अपने पुत्र अर्थात्‌ आरोपी संदीप जैन को संपत्ति से बेदखल करने की धमकी देते थे जिसके कारण ही आरोपी ने व्यधित होकर पिता को मारने की योजना बनाया। आरोपी संदीप जैन ने एक देशी पिस्टल एवं कारतूस भगत सिंग गुरूदत्ता से खरीद कर रखा था। आरोपी संदीप जैन ने योजना को अंजाम देने के लिये दिनांक 27.12.2020 को पत्नि और बच्चे को मायके दल्‍ली राजहरा भेज दिया और नौकर रोहित देशमुख जो रात्रि में घर में रोज सोता था उसे आगामी रात्रि में घर आने से. मना. कर दिया। उसके बाद योजनानुसार घटना दिनांक को प्रातः अपने रूम से उपर से नीचे आकर अपनी माँ के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। उस समय उसके पिता कारीडोर में बाथरूम तरफ से वापस आ रहे थे और कारीडोर का दरवाजा बंद कर रहे थे, तभी उसने अपने पिता को पीछे से पीठ में गोली मार दिया। गोली की आवाज सुनकर उसकी माँ के चिल्‍लाने पर आरोपी संदीप जैन, अपने कमरे में उपर भाग गया फिर उसके मोबाईल पर उसकी माँ का फोन आने लगा 286 लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया और नीचे माँ के कमरे के पास पुनः वापस आया तो उसकी मां, सौरभ को फोन करके बुला रही थी तब उसने अपनी माँ के कमरे का दरवाजा खोला और उसका राज खुल जाने के डर से उन्हे भी गोली मारकर हत्या कर दिया। 238- मेरे समक्ष विचाराधीन प्रकरण में एक पुत्र जो कि आरोपी संदीप जैन है, ने अपने माता-पिता अर्थात्‌ मृतक गण रावलमल जैन एवं सूरजी देवी की हत्या की है अर्थात्‌ आरोपी संदीप जैन ने अपने जन्मदाता माता-पिता को गोली मारकर उनकी मृत्यु कारित कर हत्या का अपराध किया है जो कि अत्यन्त ही गंभीरतम, विरल से विरलतम एवं अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए कूरतम रुप से किया गया है। चूंकि आरोपी संदीप जैन का यह कृत्य सामान्य हत्या के अपराधों से सर्वथा भिन्‍न प्रकृति का अपराध है यदि ऐसे अपराधों में आरोपी को कठोरतम दंड से दंडित नहीं किया जायेगा तो समाज का ताना-वबाना प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा । सामाजिक ताना-बाना नियमानुसार एक सूत्र में पिरोया हुआ रहे इस हेतु न्यायालयों का भी दायित्व है तथा ऐसे प्रकरणों में न्यायालयों से भी सामाजिक अपेक्षा होती है कि, इस प्रकार की निर्दयतापूर्ण मानसिकता वाले आरोपी को उदाहरणस्वरूप कठोर से कठोर दंड से दंडित किया जावे। फलस्वरुप उपरोक्त न्याय दृष्टान्तों के आलोक में यह प्रकरण भी विरल से विरलतम मामले की श्रेणी में आता है और 287 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 उपरोक्त उल्लिखित न्याय दृष्टान्तों के आलोक में मेरे समक्ष विचाराधीन प्रकरण की परिस्थितियों में समरुपता है। आरोपी दव्दारा कारित अपराध एक पूर्व नियोजित एवं सम्पूर्ण मानव समाज का रोंगटे खड़ा कर देने वाला है। इस अमानुषिक, बर्बरतापूर्वक की गई हत्याएं अत्यधिक पाशविक, विकृतत, पैशाचिक, वीभत्स या कायरतापूर्ण है, जो आरोपी को उसके पिता व्दारा सम्पत्ति से बेदखल न कर दे इस हेतुक के अधीन की गई है, जो उसकी सहज दुष्टता तथा नीचता का साक्ष्य देता है और इससे समुदाय की सामूहिक चेतना को आघात पहूँचता है। मृतकों ने न तो आरोपी के प्रति कोई अत्याचार किया था और न ही उसें किसी प्रकार की शारीरिक अथवा आर्थिक क्षति पहूँचाई थी। ऐसी कोई परिस्थिति प्रकट नहीं हुई है, जिससे यह उपदर्शित हो कि, आरोपी को कोई पश्चाताप हो। ऐसी कोई परिशमनकारी परिस्थिति नहीं पाई जाती, जिससे आरोपी को मृत्युदण्ड का दण्डादेश न दिया जावे बल्कि ऐसे अपराधों को गंभीरतापूर्वक और कठोरता से हतोत्साहित किया जाना उचित होगा, जिससे कि समाज में ऐसे अपराध और ऐसे अपराधी पनप ही न सके या ऐसे अपराध करने की हिम्मत कोई भी व्यक्ति न कर सकें। 239- प्रकरण में जो गुरूत्तरकारी परिस्थितियां (एग्रीव्हेंटिंग सरकमस्टासेंस) पाई गई हैं, वे निम्नानुसार हैं :-- 288 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 1८: परिवार के प्रमुख सदस्य माता और पिता की हत्या कर दी गई है। 2/7- मृतिका जो आरोपी की मां थी उसने रक्षा के लिये जिस बेटे पर विश्वास कर उसे फोन किया उसी बेटे ने अपनी मां को साक्ष्य नष्ट करने की नीयत से निर्ममतापूर्व गोलियों से भून दिया । 3८7 उनके पास प्रतिरक्षा का भी कोई अवसर नहीं था। इस घटना ने ईश्वर तुल्य माता-पिता एवं संतान के पवित्र और वैस्वासिक रिश्तों को कलंकित किया है। 4 /:-- मृतकगण घटना के संबंध में अबोध एवं असहाय थे । 5/ पा ऐसी स्थिति भी नहीं है कि, मृतकों में से किसी ने आरोपी पर कोई हमला कर उसे कोई शारीरिक उपहति पहुंचाया हो, अथवा आरोपी, मृतकों के किसी अत्याचार का शिकार रहा हो। 240- प्रकरण में जो परिशमनकारी परिस्थितियाँ मिटिगेटिंग सरकमस्टासेंस) है, उन पर विचार किया जा रहा है, जो निम्नानुसार है :- 1/ न सिद्धदोषी पूर्व में कभी दोषसिद्ध ठहराये गये हों, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है । 2/- सिद्धदोषी का कम आयु का होना । 3,/- तर्क के दौरान यह कहा गया है कि, कोरोना काल में आरोपी जमानत पर स्वतंत्र था तब 289 उसने जमानत की सुविधा का कोई दुरूपयोग नहीं किया था। कितु न्यायालय के मत में उक्त दर्शित परिस्थितियों को इसे परिशमनकारी परिस्थिति की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। 241-- माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सिशील मुरमू वि. बिहार राज्य] 2003 ए.आई.आर. एस.सी.डब्ल्यू, 6782 में सम्प्रकाशित न्यायिक निर्णय के प्रकरण के निर्णय की कंडिका-16 में बिचन सिंह वि. पंजाब राज्य] ए.आई.आर. 1980 सुप्रीम कोर्ट 898 के प्रकरण में प्रतिपादित सिद्धांतों का अवलम्ब लेते हुए अभिनिश्चय लिया गया है कि, प्रत्येक ऐसे प्रकरण में जहाँ मृत्यु दण्ड देने का प्रश्न उत्पन्न होता है, वहां निम्नलिखित मार्गदर्शन जो “बचन सिंह वि. पंजाब राज्य” वाले मामले (पूर्वोक्त) में लिये गये हैं, का प्रयोग किया जाना चाहिए : - ए)) मृत्यु के कठोर दण्ड, कठोर आपराधिकता एक्सट्रीम कल्पेबिलिटी) के गंभीरतम मामलों में दी जानी चाहिए । बी] मृत्यु दण्ड का विकल्प चयन करने के पूर्व अपराधी” की परिस्थितियों को भी “अपराध” की परिस्थितियों के साथ विचार किये जाने की अपेक्षा है । 290 सि.) आजीवन कारावास नियम है और मृत्युदण्ड एक अपवाद। मृत्युदण्ड तभी अधिरोपित की जानी चाहिये, जब आजीवन कारावास अपराध की सुसंगत परिस्थितियों को देखते हुए पूर्ण रूप से अपर्याप्त प्रतीत हो । डी) गुरूत्तर कारी (एग्रीव्हेंटिंग) और शमनकारी मिटिग्रेटिंग ) परिस्थितियाँ का तुलना पत्र तैयार किया. जाना चाहिए और ऐसा करने में परिशमनकारी परिस्थितियों को पूर्ण महत्व दिया जाना चाहिए और विकल्प का प्रयोग करने के पूर्व गुरूत्तर तथा परिशमनकारी परिस्थितियों के मध्य एक उचित संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए । 242- माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा [सूशील मुरमू वि. बिहार राज्य) पूर्वोक्त)] वाले मामले में आगे कंडिका-17 में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि, विरल से विरलतम मामलों में जब समुदाय की सामूहिक चेतना किलेक्टिंग कांशस) को इतना अधिक आघात पहुंचता है कि, वह न्यायिक शक्ति केन्द्र को धारण करने वाले से मृत्यु दण्ड को प्रतिधारित करने के अन्यथा या वांछनीयता के संबंध में उसकी व्यक्तिगत राय का विचार किये बिना मृत्यु दण्ड प्रदान करने की प्रत्याशा करेगा तो मृत्यु दण्ड दिया जा सकता है। समुदाय निम्नलिखित परिस्थितियों में ऐसी भावना रख सकता है :-- 1 पल जब हत्या अत्यधिक पाशविक ह्रूटल), विकृत ग्रिटैस्क) पैशाचिक डियबोलिक), बिभत्स रिभोल्टींग) या कायरतापूर्ण डिस्टर्डली) ढंग से कारित की जाती है, जिससे समुदाय में गंभीर एवं अत्यधिक रोष उत्पन्न हो । /2 :- जब हत्या उस हेतुक के लिए कारित की जाती है, जो पूर्ण सहज दुष्टता तथा नीचता का साक्ष्य देता है । उदाहरण के लिए--धन या पारितोषिक के लिये भाड़े पर लिये. गये हत्यारों द्वारा हत्या, या व्यक्ति के लाभ के लिए निष्दूर हत्या, जिसके मुकाबले में हत्यारा अधिशासी स्थिति या विश्वास की स्थिति में है या हत्या मातृभूमि से विश्वासघात के अनुकम में की जाती है । /3 पा जब अनुसूचित जाति या अल्पसंख्यक इत्यादि के सदस्य की हत्या व्यक्तिगत्‌ कारणों से नहीं, बल्कि उन परिस्थिति में कारित की जाती है, जो सामाजिक रोष उत्पन्न करे या. वधू जलाने या दहेज-हत्या के मामले में या जब हत्या एक बार पुनः दहेज ऐंठने के लिए पुनः विवाह करने के कम में या प्रेम के कारण एक अन्य महिला के साथ विवाह करने के लिए कारित की जाती है । /4 :-- जब अपराध... अनुपाततः . अत्यधिक. है, उदाहरणार्थ-परिवार के सभी या लगभग सभी सदस्यों की या विशिष्ट व्यक्ति, समुदाय या 292 बस्ती के व्यक्तियों की काफी संख्या में हत्याएं कारित की जाती हैं । /5 जब हत्या का भुक्‍तभोगी निर्दोष शिशु या असहाय महिला, या. वृद्ध अथवा. अशक्त व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति है, जिसके मुकाबले में हत्यारा अधिशासित करने की स्थिति में है या ऐसा लोक व्यक्ति है जिससे सामान्यतः पसन्द किया. जाता. है. और जिसका समुदाय द्वारा सम्मान किया जाता है। 243- उपर्युक्त कंडिका-239 में उल्लेखित गुरूत्तर परिस्थितियों तथा कंडिका-240 में वर्णित शमनकारी परिस्थितियों का तुलनात्मक तालिका में वर्णित उपर्युक्त परिस्थितियों को [बिचन सिंह वि. पंजाब राज्य) पूर्वोक्त) वाले मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये मार्गदर्शक सिद्धान्तों की कसौटी पर रख कर विचार करने के उपरान्त यह न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि, यह प्रकरण एक “विरल से विरलतम” रियरेस्ट ऑफ रेयर केसेज) है। 244- इस प्रकरण में सिद्धदोषी आरोपी संदीप जैन को मृत्युदण्ड के दण्ड से दण्डित किया जाना ही एकमात्र उचित एवं पर्याप्त दण्ड होगा, इस दण्ड का चयन करने के लिए दंड प्रकिया संहिता, 1973 की धारा-354 के अधीन निम्नलिखित विशेष कारण हैं जो इस प्रकार है :-- 1. अपराध एक पूर्व नियोजित एवं समाज व परिवार के सदस्यों का रोंगटे खड़ा कर देने वाला है। 2. इस घटना से समाज व आम जनता के मध्य रिश्तों के प्रति एक अविश्वास व भय का वातावरण निर्मित हुआ है। 3. असहाय एवं प्रतिरक्षा करने में असमर्थ वृद्ध माता-पिता की हत्या की गई है। 4. भुक्तभोगियों व्दारा घटना का कोई प्रतिरोध नहीं किया जा सका है। 5. सम्पूर्ण घटना में किसी भी मृतक का कोई दोष नहीं था। 6. इस अमानुषिक बर्बरतापूर्ण की गई हत्यायें अत्यधिक पाशविक, विकृत, पैशाचिक, विभत्स व कायरतापूर्ण है जो सम्पत्ति प्राप्ति के हेतुक भी की गई है, जो आरोपी सन्दीप जैन की सहज दुष्टता तथा नीचता का साक्ष्य देता है और इससे समुदाय की सामूहिक चेतना को आघात पहुंचता है। 7. मृतकों ने आरोपी के प्रति न तो कोई अत्याचार किया है और न ही उसे किसी प्रकार की शारीरिक अथवा आर्थिक क्षति पहुंचाया है। 8. ऐसी भी कोई परिस्थिति प्रकट नहीं हुई है जिससे यह उपदर्शित हो कि, आरोपी को कोई पश्चाताप हो। 9. ऐसी कोई परिशमनकारी परिस्थति नहीं पाई जाती जिससे आरोपी को मृत्युदंड का दंडादेश न दिया जावे। 245- न्याय दृष्टान्त रामदेव चौहान उर्फ राजनाथ वि. असम राज्य) 2001 किमिनल लॉ रिपोर्टर 397 सिप्रीम कोर्ट) में सम्प्रकाशित न्यायिक निर्णय की कंडिका-01 में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा युवा अपराधी को मृत्यु दण्ड देने के संबंध में जो अभिनिश्चय दिया. गया है, उसका उल्लेख किया गया है। 2000:7:एस.सी.सी. 455) में लिये गये अभिनिश्चय के अनुसार .. “जहां प्रकरण अपवादित प्रकरण की श्रेणी में आता है, वहां अभियुक्त को विधि द्वारा निर्धारित उच्चतम दण्ड दिया जाना आवश्यक है। अपीलार्थी का घटना के समय युवा होने का आधार प्रकरण में जिस निर्दयतापूर्वक, निर्मम एवं कायरतापूर्ण ढंग से हत्या की गई है, उसके लिए कम दण्ड दिया जाना एक परिशमनकारी परिस्थिति नहीं होगा।” 246- मेरे समक्ष विचाराधीन प्रकरण में जिन मृतकगण रावलमल जैन एवं सूरजी देवी जो कि आरोपी संदीप जैन के माता-पिता थे, की हत्या की गई है वह कूरतम श्रेणी का अपराध है। ऐसे अपराध को समाज में किसी भी प्रकार से मान्य नहीं किया जाना चाहिए और ऐसे अपराध के करने वालों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए और ऐसे अपराध को करने वाले के प्रति दण्ड अत्यन्त कठोर होना चाहिए, जिससे कि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके। माननीय सर्वोच्च न्यायालय व्दारा सुन्दर उर्फ सुन्दराराजन बनाम राज्य-दव्दारा इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस, 2013 ए.आई.आर. एस.सी. डब्ल्यू 1058 के मामले में एक 07 वर्षीय बच्चे को धन मुक्ति के लिए व्यपपहरण कर उसकी हत्या कारित किए जाने के प्रकरण को विरल से विरलतम मान्य किया गया है और मृत्यु-दण्ड की पुष्टि की गई है। इसी तरह के एक अन्य प्रकरण अपील (किमिनल) 947 / 2003 सुशील मुरमु बनाम झारखंड राज्य में, जिसमें काली की मूर्ति के समक्ष एक 09 वर्षीय बच्चे की बलि दी गई थी, और जो परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था, में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उसे भी विरल से विरलतम मामले की श्रेणी में रखा है और मृत्यु-दण्ड की पुष्टि की है। 247- उपरोक्त विवेचित न्याय दुष्टान्तों एवं उनमें विवेचित तथ्यों के आलोक में एवं इस प्रकरण में उपलब्ध परिस्थितियों के अनुकम में विचार करें तो अभियुक्त संदीप जैन का यह कृत्य बर्बरता की उत्ततुंग सीमा को दर्शाता है, क्योंकि उसके व्दारा अपने जन्मदाता माता-पिता की हत्या का अपराध कारित किया गया है, अतः इसे अपवादों में अपवादात्मक श्रेणी का अपराध मानते हुए अभियुक्त संदीप जैन आ. स्व. रावलमल जैन, आयु लगभग-42 वर्ष, साकिन-गंजपारा आलोकचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स के सामने, दुर्ग, थाना-दुर्ग, जिला-दुर्ग (छ.ग.) को अपने पिता रावलमल जैन की हत्या कारित किये जाने से धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत मृत्यु-दण्ड एवं 1,000/-रुपये (अक्षरी एक हजार रुपये) के अर्थदण्ड, अर्थदंड अदा न करने पर सुसंगत स्थिति में 06 माह (अक्षरी छः माह) के अतिरिक्त सश्रम कारावास, माता सूरजी देवी की हत्या कारित किये जाने से धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत मृत्यु-दण्ड एवं 1,000/-रुपये (अक्षरी एक हजार रुपये) के अर्थदण्ड, अर्थदंड अदा न करने पर सुसंगत स्थिति में 06 माह (अक्षरी छः माह) के अतिरिक्त सश्रम कारावास से दंडित किया जाता है। आरोपी संदीप जैन को आयुध अधिनियम की धारा 25 (1-ख) (क) के अंतर्गत 05 वर्ष (अक्षरी पांच वर्ष) के सश्रम कारावास एवं 1,000/-रुपये (अक्षरी एक हजार रुपये) के अर्थदण्ड, अर्थदंड अदा न करने पर सुसंगत स्थिति में 06 माह (अक्षरी छः माह) के अतिरिक्त सश्रम कारावास तथा आयुध अधिनियम की धारा 27 (2) के अंतर्गत 10 वर्ष (अक्षरी दस वर्ष) के सश्रम कारावास एवं 1,000/-रुपये (अक्षरी एक हजार रुपये) के अर्थदण्ड, अर्थदंड अदा न करने पर सुसंगत स्थिति में 06 माह (अक्षरी छः माह) के अतिरिक्त सश्रम कारावास के दण्ड से दंडित किया जाता है। 248- चूंकि जीवन एक ही है तथा मृत्यु-दण्ड संख्या में ज्यादा होने पर भी एक साथ निष्पादित होंगे, तथा ऐसे मृत्यु-दण्ड के समग्रतः एक साथ निष्पादित होने की दशा में अन्य अधिरोपित सश्रम कारावास के दण्ड भी उक्त समग्रत: निष्पादित मृत्यु-दण्ड में विधि अनुसार स्वयंमेव समाहित होंगे। चूंकि मृत्यु-दण्ड के निष्पादन उपरान्त अन्य दण्डादिष्ट धाराओं में अधिरोपित कारावास के दण्ड को स्वाभाविक रुप से भुगताया जाना संभव नहीं हो सकेगा, इसलिए समग्र रुप से अभियुक्त संदीप जैन आ. स्व. रावलमल जैन, आयु लगभग-42 वर्ष, साकिन-गंजपारा आलोकचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स के सामने, दुर्ग, थाना-दुर्ग, जिला-दुर्ग (छ.ग.) को मृत्यु-दण्ड से दंडित किया गया है, तद्नुसार आदेशित किया जाता है कि, अभियुक्त संदीप जैन आ. स्व. रावलमल जैन को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जावे, जब तक कि उसका प्राणान्त न हो जाए। 249- आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता को आयुध अधिनियम की धारा 25 (1-ख) (क) के अंतर्गत 05 वर्ष (अक्षरी पांच वर्ष) के सश्रम कारावास एवं 1,000/- रुपये (अक्षरी एक हजार रुपये) के अर्थदण्ड, अर्थदंड अदा न करने पर 06 माह (अक्षरी छः माह) के अतिरिक्त सश्रम कारावास के दण्ड से दंडित किया जाता है। 250-- इसी प्रकार आरोपी शैलेन्द्र सागर को आयुध अधिनियम की धारा 25 (1-ख) (क) के अंतर्गत 05 वर्ष (अक्षरी पांच वर्ष) के सश्रम कारावास एवं 1,000/-रुपये (अक्षरी एक हजार रुपये) के अर्थदण्ड, अर्थदंड अदा न करने पर 06 माह (अक्षरी छः माह) के अतिरिक्त सश्रम कारावास के दण्ड से दंडित किया जाता है। 251- अभियुक्त संदीप जैन को इस तथ्य से अवगत कराया गया कि, वह दोषसिध्दि और दण्डादेश के संबंध में माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर के समक्ष विहित अवधि के भीतर अपील प्रस्तुत कर सकता हैं और यदि चाहें तो विधिक सहायता के अंतर्गत और जेल से भी अपील प्रस्तुत कर सकता है। आरोपीगण भगत सिंह गुरूदत्ता एवं शैलेन्द्र सागर भी विहित अवधि में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकते हैं । 252- अभियुक्तगण के व्दारा अभिरक्षा में बितायी गई अवधि के संबंध में धारा 428 दण्ड प्रकिया संहिता के अंतर्गत प्रमाण-पत्र संलग्न किया जावे । 253- प्रकरण को धारा 366 उपधारा 01 दण्ड प्रकिया संहिता के अंतर्गत तत्काल व्यवस्थित कर प्रकरण की समग्र कार्यवाहियां माननीय उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़, बिलासपुर की ओर व्दारा रजिस्ट्रार जनरल, उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़, बिलासपुर (छ.ग.) के, आवश्यक अग्र कार्यवाही हेतु, जैसा कि दण्ड प्रकिया संहिता के अध्याय 28 में उल्लिखित है, सादर प्रस्तुत की जावे तथा दण्डादेश की पुष्टि हेतु निवेदन के साथ माननीय उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़, बिलासपुर (छ.ग.) के समक्ष रखा जावे। 254- अभियुक्त संदीप जैन को दण्ड प्रकिया संहिता की धारा 366(2) के तहत जेल अभिरक्षा में सुपुर्द किया जावे । आरोपी भगत सिंह गुरूदत्ता एवं आरोपी शैलेन्द्र सागर के बंधपत्र निरस्त किये गये, उन्हें सजा भुगताये जाने हेतु सजा वारंट तैयार कर केन्द्रीय कारागार, दुर्ग भेजा जावे। 255- निर्णय की सत्य प्रतिलिपि अभियुक्तों को निःशुल्क प्रदान की जावे । निर्णय की एक-एक सत्य प्रतिलिपि जिला दण्डाधिकारी, दुर्ग तथा विशेष लोक अभियोजक, दुर्ग को भी प्रदान की जावे, तथा निर्णय की एक सत्य प्रतिलिपि जेल अधीक्षक, केन्द्रीय कारागार, दुर्ग (छ.ग.) को अभियुक्तों के हित रक्षा में प्रयोग हेतु प्रेषित किया जावे। 256-(1). प्रकरण में जप्तशुदा सम्पत्ति जो कि इस प्रकार है :-- (0 1. एक काटन के टुकड़े में मृतिका सूरजी देवी के सिर के पास से पिस्टल के गोली का बुलेट खून लगा है, एक काटन में मृतिका सूरजी देवी के दांये हाथ के कोहनी के पास से एक गोली का खाली खोखा एक काटन के टुकडे में मृतिका सूरजी देवी के सीने के पास विस्तर से गोली का खाली खोखा दोनों खाली खोखा के पेन्दे में 7.65 1९६1 लिखा है। 2. एक काटन के टुकड़े में विस्तर में फेले खून के अंश । 3. एक काटन के टुकड़े में विस्तर के पास के सादी मिट्टी के अंश । 4. एक मेहरून कलर का चादर का टुकड़ा जिसमें खून के दाग लगे है, मृतिका सूरजीदेवी के शव के पास का। 5. एक मेहरून कलर का चादर का सादा टुकड़ा मृतिका सूरजी देवी के शव के पास का। 301 सत्र प्रकरण कमांक 56 ,/ 2018 6. सफेद कलर का सैमसंग कंपनी का मोबाईल जिसके सामने ड्यूक्स सैमसंग तथा पीछे सैमसंग अंग्रेजी में लिखा है, मृतिका के शव के पास से जप्त किया गया है। (्थ 1. घटनास्थल से दरवाजे के चौखट के पास गोली का एक खाली खोखा मृतक के पैर पास एक खोखा दाहिने पैर के एक फीट पर एक खोखा, दरवाजे के चौखट से 5, 6 इंच दूर एक खोखा (कुल 4 नग गोली के खाली खोखा सभी खोखा के पेन्दे में 7.65 1९1 लिखा है। 2. एक काटन के टुकड़ा में मृतक रावलमल जैन के शव के पास फैले खून के अंश । 3. एक काटन के टुकड़ा में घटनास्थल के पास मृतक रावलमल के शव के पास का सादी मिट्टी का अंश । (8) 1. एक नग 7.65 कैलिबर का देशी पिस्टल सिल्वर कलर का खाली मैगजीन सहित वाहन टाटा एस कमांक सी.जी.04 / जेए / 8984 के केबिन के उपर से । 302 2. एक झिल्ली में 14 नग कारतूस एवं दो नग खाली खोखा, सभी कारतूस एवं खाली खोखा में 7.65 7९1 पेन्दे में लिखा है। 3. एक झिल्ली में 12 नग कारतूस पेन्दे में 7. 65 1९1 लिखा है। 4. एक सिल्वर कलर का मैगजीन जिसमें 6 नग .. कारतूस है. वाहन टाटा. एस.कमांक . सी.जी. 04 / जेए / 8984 के डाला के पीछे दरवाजे के पास से मैगजीन में भरे कारतूस के पीछे 7.65 117 लिखा है। (8) 1. एक प्लास्टिक के शीलबंद डिब्बी में जिसके उपर पर्ची में दो नग बुलेट लिखा है। 2. एक सीलबंद पैकेट में मृतिका सूरजी देवी के घटना के समय पहने साडी एवं ब्लाउज जिसके पैकेट के उपर मृतिका सूरजी देवी का नाम लिखा है। (6) 1. एक सीलबंद प्लास्टिक की डिब्बी में जिसमें शासकीय अस्पताल, दुर्ग का पर्ची लगा है. मृतक रावलमल लिखा है, एक बुलेट लिखा है। 2. एक सीलबंद पैकेट में मृतक रावलमल के घटना के समय पहने कपड़े जिसमें खून के दाग लगे है, 303 जिसमें खून के दाग लगे हे जिसमें शासकीय अस्पताल दुर्ग का पर्ची लगा है. (७) 1. दो नग काला रंगा का उलन का दस्ताना। 2. दो नग नाज मास्क ग्रीन रंग का जिसमें सफेद का पट्टी लगा है कान में बांधने हेतु इलास्टिक लगा हुआ है। 3. एक आसमानी रंग छोटे चेकदार गोल कालर का कुर्ती हाफ बांह का जिसके बांये तरफ एक जेब है, कुर्ता में सफेद कलर का बटन लगा है, जिसके दाहिने तरफ सीना के पास पेट के पास तथा दाहिने जेब में खून के दाग लगे है। 4. एक ओपपो कंपनी का मोबाईल जिसमें सामने सफेद कलर पीछे कीम कलर पीछे अप्पो मॉडल सी. पी.एच.1609 लिखा है, जिसके कव्हर में आरापी संदीप जैन का फोटो बना है, स्वर माला लिखा है जिसमें 70008-31319 जियो कंपनी का सीम लगा है। 5. एक नग ताला एवं एक नग चाबी जिसमें अंग्रेंजी में शुभ ताला एवं चाबी में लिखा है चाबी में सिल्वर कलर का लॉकेट है लॉकेट में अंग्रेंजी में गछार७छात्र&1' 5त2पारतार 304 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 20२८८. डाशागप0 0एणरारतटााणर ए0ण शापतारण 2621२ छत्ता.हा लिखा है। 0) आरोपी द्वारा भंवरलाल जी बोहरा को स्वयं की हस्तलिपि से लिखा गया पत्र जिसका मजमून अशुभ कर्म उदय के जबरदस्त गोद लेकर अच्छा जीवन दे दे। संतोष को भी नया जीवन दे दो। उसी पत्र में आदरणीय पापा हीरालाल जी को भी संबोधित करते हुए लिखा गया है. जिसका मजमून कृपया आप भी उपरोक्त कार्य में सहमति करते हुए जल्द से जल्द कार्यवाही करवा दे। (8) थाना दुर्ग के अप.क. 1/2018 धारा 302, 34 भा.दं.वि. एवं 25, 27 आयुध अधिनियम के घटना स्थल मृतक रावलमल जैन का मकान दुगड़ निवास गंजपारा दुर्ग में घटना के बाद मृतक रावलमल जैन मृतिका सूरजी देवी एवं घटनास्थल के खीचें गये 45 नग फोटोग्राफ को फोटोग्राफर प्रभात वर्मा के पेश करने जप्त किया गया है तथा एक सीलबंद पैकेट में 02 नग काले रंग का उलन का दस्ताना जिसमें बारूद की गंध है, को भी जप्त किया गया है। ) प्रकरण में घटना स्थल मृतक रावलमल जैन के पैर के पास 7.65 एम.एम. के कुल चार नग चले गोली के चार खोखे, एक सीलबंद पैकेट में एक देशी पिस्टल 7.65 305 सत्र प्रकरण कमांक 56 // 2018 कैलिबर सिल्वर कलर की खाली मैगजीन सहित, एक सीलबंद झिल्ली में 14 नग 7.65 एम.एम. जिन्दा कारतूस एवं दो नग खाली खोखा, एक झिल्ली में 12 नग 7.65 एम.एम. जिंदा कारतूस, एक सिल्वर कलर के मैगजीन में भरे 06 नग 7.65 एम.एम. जिन्दा कारतूस, एक प्लास्टिक की सीलबंद डिब्बी में सूरजी देवी के शरीर से निकाले गये दो नग बुलेट, एक प्लास्टिक की सीलबंद डिब्बी में मृतक रावलमल जैन के शरीर से निकाला गया एक नग बुलेट, 04 नग 7.65 के जिंदा कारतूस जप्त किये गये हैं। इनके अलावा सी.सी.टी. व्ही.फुटेज की रिकार्डिंग 10 डी.व्ही.डी. में, जप्त किया गया है। 256. (श)- प्रकरण में उपरोक्त कंडिका में वर्णित जप्तशुदा सम्पत्तियाँ एक सीलबंद पैकेट में एक देशी पिस्टल 7.65 कैलिबर सिल्वर कलर की खाली मैगजीन सहित, जिन्दा कारतूस, मृतकगण के शरीर से निकाले गये बुलेट एवं गोली के खाली खोखे एवं आयुध से संबंधित अन्य सम्पूर्ण संपत्तियां उचित निराकरण हेतु जिला दंडाधिकारी, दुर्ग, जिला-दुर्ग (छ.ग.) को भेजी जावे । प्रकरण में जप्त मोबाईल स्वामित्व संबंधी दस्तावेजों को पेश किये जाने पर उसके स्वामी को प्रदाय किया जावे, उपरोक्त कंडिका में वर्णित शेष सम्पत्तियां मूल्यहीन होने से अपील अवधि पश्चात्‌ नष्ट की जावे। 306 यह आदेश अपील अवधि पश्चात्‌ लागू होगा, अपील होने की दशा में माननीय अपीलीय न्यायालय के आदेशानुसार सम्पूर्ण सपंत्तियों का निराकरण किया जावे। मेरे निर्देश पर टंकित । फ 12पुकलि! 1, 50760 सि श5ात ही 1९6 023.01.23 4 +0530 दुर्ग, दिनांक 23 जनवरी, 2023. (शेलेश कुमार तिवारी) अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़) 307 न्यायालय : अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) . धारा 428 दण्ड प्रकिया संहिता के अंतर्गत अभिरक्षा अवधि का प्रमाण-पत्र मैं, शैलेश कुमार तिवारी, अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़), माननीय उच्च न्यायालय के मेमो कमांक 4742, दिनांक 22-05-75 के पालन में इस न्यायालय के सत्र प्रकरण कमांक 56, 2018, राज्य विरुध्द संदीप जैन एवं अन्य, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 302 (दो बार), आयुध अधिनियम की धारा 25(1-ख)(क) एवं 270) के अपराध के आरोपों में दोषसिध्द एवं दंडादिष्ट किए गए अभियुक्त संदीप जैन आ. स्व. रावलमल जैन, आयु लगभग-42 वर्ष, साकिन-गंजपारा. आलोकचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स के सामने, दुर्ग, थाना-दुर्ग, जिला-दुर्ग (छ.ग.) का निम्न प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करता हूं :- 1... अभियुक्त का नाम: संदीप जैन 2. ..... गिरफ्तारी दिनांक दिनांक 01.01.2018 3. .... पुलिस अभिरक्षा की अवधि दिनांक 01.01.2018 से 03. 01.2018 तक. 4. न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 03.01.2018 से 30.05. 2020 एवं. 26.08.2020 से आज निर्णय दिनांक 23.01.2023 तक. 5. ..... निरोध में व्यतीत कूल अवधि (01.) 01.01.2018 से जिसका समायोजन किया जाना 30.05.2020 एवं है। (02, 26.08.2020 से. आज निर्णय दिनांक 23.01.2023 तक. 1.02 वर्ष 04 माह 27 दिन-878 दिन, 2. 02 वर्ष 04 माह 28 दिन-880 दिन, कुल दिन-1758 दिन, नोट: उक्त अवधि का समायोजन दण्ड प्रकिया संहिता की धारा 433(ए) के निर्बन्धनों के अनुसार होगा । ............... डिपिशा पठत खक्ाफकृल्त गगफरर 1 2023 00.23 दुर्ग, दिनांक 23 जनवरी, 2023. भा वी अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़) 308 न्यायालय : अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) . धारा 428 दण्ड प्रकिया संहिता के अंतर्गत अभिरक्षा अवधि का प्रमाण-पत्र मैं, शैलेश कुमार तिवारी, अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़), माननीय उच्च न्यायालय के मेमो कमांक 4742, दिनांक 22-5-75 के पालन में इस न्यायालय के सत्र प्रकरण कमांक 56, 2018, राज्य विरुध्द संदीप जैन एवं अन्य, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 302 (दो बार), आयुध अधिनियम की धारा 25(1-ख)(क) एवं 27(2) के मामले में आयुध अधिनियम की धारा 25 (1-ख) (क) के अपराध के आरोप में दोषसिध्द एवं दंडादिष्ट किए गए अभियुक्त भगत सिंह गुरूदत्ता आ. सतनाम सिंग गुरूदत्ता, आयु लगभग-47 वर्ष, साकिन-काली बाड़ी के पास, थाना-मोहन नगर, दुर्ग, जिला-दुर्ग (छ.ग.) का निम्न प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करता हूं :- 1... अभियुक्त का नाम : भगत सिंह गुरूदत्ता 2. .... गिरफ्तारी दिनांक दिनांक 03.01.2018 3. ... पुलिस अभिरक्षा की अवधि निरंक 4. ... न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 03.01.2018 से. 30.05. 2018 तक. 5. ... निरोध में व्यतीत कुल अवधि 03.01.2018 से 30.05. जिसका समायोजन किया जाना... 2018 तक. है। 04 माह 27 दिन. कुल दिन-147 दिन नोट: उक्त अवधि का समायोजन दण्ड प्रकिया संहिता की धारा 433(ए) के निर्बन्धनों के अनुसार होगा । एजपुबक्षि[7 50760 रवि ही रिकिरा दि पु ५५८० 530 दुर्ग, दिनांक 23 जनवरी, 2023. (र कुमार तिवारी) अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़) 309 न्यायालय : अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) . धारा 428 दण्ड प्रकिया संहिता के अंतर्गत अभिरक्षा अवधि का प्रमाण-पत्र मैं, शैलेश कुमार तिवारी, अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़), माननीय उच्च न्यायालय के मेमो कमांक 4742, दिनांक 22-5-75 के पालन में इस न्यायालय के सत्र प्रकरण कमांक 56, 2018, राज्य विरुध्द संदीप जैन एवं अन्य, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 302 (दो बार), आयुध अधिनियम की धारा 25(1-ख)(क) एवं 2702) के मामले में आयुध अधिनियम की धारा 25(1-ख)(क) के अपराध के आरोप में दोषसिध्द एवं दंडादिष्ट किए गए अभियुक्त शैलेन्द्र सागर पिता अवतार सिंग, आयु लगभग-47 वर्ष, साकिन-गुरूनानक नगर, थाना-मोहन नगर, दुर्ग, जिला-दुर्ग (छ.ग.) का निम्न प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करता हूं :- 1... अभियुक्त का नाम : शैलेन्द्र सागर 2. .... गिरफ्तारी दिनांक दिनांक 03.01.2018 3. ... पुलिस अभिरक्षा की अवधि निरंक 4. ... न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 03.01.2018 से. 30.05. 2018 तक. 5. .... निरोध में व्यतीत कुल अवधि 03.01.2018 से 30.05. जिसका समायोजन किया जाना... 2018 तक. है। 04 माह 27 दिन. कुल दिन-147 दिन नोट: उक्त अवधि का समायोजन दण्ड प्रकिया संहिता की धारा 433(ए) के निर्बन्धनों के अनुसार होगा । उप्त शा 5 एक दसर" एन रे पफाछा 8रा पारा चा2 250५6 दुर्ग, दिनांक 23 जनवरी, 2023. (शैलेश कुमार ) अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़) 310 मैं पुष्टि करता हूँ कि, इस पी.डी.एफ. फाईल की अं्तवस्तु अक्षरश: वैसी ही है जो मूल निर्णय पत्र में टंकित की गई है। स्टेनोग्राफर का नाम- एन.एस. बिसेन

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03 A Explosive Substances Act 149 IPC 295 (a) IPC 302 IPC 304 IPC 307 IPC 34 IPC 354 (3) IPC 399 IPC. 201 IPC 402 IPC 428 IPC 437 IPC 498 (a) IPC 66 IT Act Aanand Math Abhishek Vaishnav Ajay Sahu Ajeet Kumar Rajbhanu Anticipatory bail Arun Thakur Awdhesh Singh Bail CGPSC Chaman Lal Sinha Civil Appeal D.K.Vaidya Dallirajhara Durg H.K.Tiwari HIGH COURT OF CHHATTISGARH Kauhi Lalit Joshi Mandir Trust Motor accident claim News Patan Rajkumar Rastogi Ravi Sharma Ravindra Singh Ravishankar Singh Sarvarakar SC Shantanu Kumar Deshlahare Shayara Bano Smita Ratnavat Temporary injunction Varsha Dongre VHP अजीत कुमार राजभानू अनिल पिल्लई आदेश-41 नियम-01 आनंद प्रकाश दीक्षित आयुध अधिनियम ऋषि कुमार बर्मन एस.के.फरहान एस.के.शर्मा कु.संघपुष्पा भतपहरी छ.ग.टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम छत्‍तीसगढ़ राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण जितेन्द्र कुमार जैन डी.एस.राजपूत दंतेवाड़ा दिलीप सुखदेव दुर्ग न्‍यायालय देवा देवांगन नीलम चंद सांखला पंकज कुमार जैन पी. रविन्दर बाबू प्रफुल्ल सोनवानी प्रशान्त बाजपेयी बृजेन्द्र कुमार शास्त्री भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मुकेश गुप्ता मोटर दुर्घटना दावा राजेश श्रीवास्तव रायपुर रेवा खरे श्री एम.के. खान संतोष वर्मा संतोष शर्मा सत्‍येन्‍द्र कुमार साहू सरल कानूनी शिक्षा सुदर्शन महलवार स्थायी निषेधाज्ञा स्मिता रत्नावत हरे कृष्ण तिवारी