Saturday 29 October 2016

बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986

 

बाल श्रम एक सामाजिक बुराई है जो एक समाज के एक कमजोर वर्ग की गरीबी व अशिक्षा से जुड़ी है। प्रसिद्ध जर्मन विद्वान मैक्स मूलर ने कहा है कि ’’ पश्चिम में बच्चे दायित्व समझे जाते हैं जबकि पूर्व में बच्चे सम्पति’’ यह कथन भारत के संदर्भ में शत्-प्रतिशत सही है। 14 वर्ष के कम उम्र के बच्चे जो नियोजित है उन्हें बाल श्रमिक कहा जाता है जिनके हित संरक्षण हेतु बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 बनाया गया है जिसकी धारा-3 के अंतर्गत अधिसूचित खतरनाक क्षेत्रों में बाल श्रमिक नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है जो मुख्यतः निम्न है:-
1. बीड़ी बनाना, तम्बाकू प्रशंसकरण
2. गलीचे बुनना
3. सीमेंट कारखाने में सीमेंट बनाना या थैलों में भरना
4. कपड़ा बुनाई, छपाई या रंगाई
5. माचिस, पटाखे या बारूद बनाना
6. अभ्रक या माईका काटना या तोड़ना
7. चमड़ा या लाख बनाना
8. साबुन बनाना
9. चमड़े की पीटाई, रंगाई या सिलाई
10. ऊन की सफाई
11. मकान, सड़क, वाहन आदि बनाना
12. स्लेट पेंसिल बनाना व पैक करना
13. गुमेद की वस्तुएं बनाना
14. मोटर गाड़ी वर्कशॉप व गैरेज
15. ईंट भट्ठा व खपरैल
16. अगरबत्ती बनाना
17. आटोमोबाईल मरम्म्त
18. जूट कपड़ा बनाना
19. कांच का सामान बनाना
20. जलाऊ कोयला और कोयला ईंट का निर्माण
21. कृषि प्रक्रिया में ट्रेक्टर या मशीन में उपयोग
22. कोई ऐसा काम जिसमें शीसा, पारा, मैगनीज, क्रोमियम, अगरबत्ती, वैक्सीन, कीटनाशक दवाई और ऐसबेस्टस जैसे जहरीली धातु व पदार्थ उपयोग में लाये जाते हैं आदि। 
खतरनाक क्षेत्रों में बाल श्रमिक नियोजित किये जाने पर धारा-14 के अंतर्गत दोषी नियोजक को कम से कम तीन माह एवं अधिकतम 1 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 10 हजार रूपये तथा अधिकतम 20 हजार रूपये का जुर्माना से दंडित किया जावेगा।
10 अक्टूबर 2006 से बच्चों को घरेलू नौकर तथा ढाबों आदि में कार्य करने पर प्रतिबंध ः- सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि बच्चों के रोजगार (बालश्रम) को निम्न क्षेत्रों में जैसे घरेलू नौकर, ढाबा (सड़क किनारे), होटल, मोटल, चाय की दुकान, सैरगाह, पिकनिक के स्थानों पर प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस प्रतिबंधित को बालश्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के अंतर्गत 10 अक्टूबर 2006 से लागू किया गया है।
गैर खतरनाक क्षेत्रों में बाल श्रमिक कार्य कर सकते हैं परंतु निम्न प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य है:-
1. बच्चों से 6 घंटे से अधिक समय तक काम नहीं करवाया जा सकता है।
2. एक साथ तीन घंटों से ज्यादा उनसे काम नहीं किया जा सकता है।
3. रात के 7 बजे से लेकर सुबह 8 बजे के बीच में उनसे कोई भी काम नहीं लिया जा  सकता।
4. सप्ताह में उन्हें कम से कम एक दिन छुट्टी दी जानी चाहिए।
सबसे अच्छा तो यह है कि बच्चों को किसी काम पर रखा ही नहीं जाये क्योंकि इससे उनके सेहत पर बुरा असर पड़ता है और शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है। उन्हें पढ़ने का मौका भी नहीं मिल पाता है। बचपन तो खेलने खाने और पढ़ने के लिए होता है। हर बच्चे को उनके यह अधिकार दिलाया जाना चाहिए। 06 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करना संविधान के अनुच्छेद 21 ’’ए’’ के तहत मौलिक अधिकार है तथा माता पिता व संरक्षक का अनुच्छेद 51 क भारतीय संविधान के तहत 06 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा दिलाया जाना मौलिक कर्तव्य है।
अतः अधिकार एवं कर्तव्य का अनिवार्य रूप से पालन होना चाहिए।
बाल श्रम केवल कानून से दूर नहीं किया जा सकता है। बाल श्रम के विरूद्ध संघर्ष में कोई भी समाज सेवी व्यक्ति या संगठन निम्नानुसार सकारात्मक योगदान प्रदान कर सकता है:-
1. जनता के बीच इस समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
2. यह मांग करना कि सरकार विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं निकायों में  बाल श्रम के उन्मूलन के लिए सघन कार्यवाही की जरूरत का मुद्दा उठाये।
3. विश्व व्यापार संगठन के ढांचे के अंतर्गत किये गये करारों सहित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार  करारों में उस सामाजिक खण्ड के आह्वान का सक्रिय (समर्थन) विरोध करना। जिसे सीधे  रूप में बाल श्रम के साथ जोड़ा गया है।
4. सरकार से मांग करना कि ऐसी नीति अपनाये जो विकासशील देशों में आर्थिक पुनः संरचना कार्यक्रमों को प्रभावित करने वाली हो। ताकि वे शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य ऐसी सेवाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करें जिन पर परिवार व बच्चे विशेष रूप से आश्रित हैं।
5. मांग करना कि निर्णायक अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही सुनिश्चित की जावे और आवश्यक होने पर संबंधित सरकारों पर कठोर प्रतिबंध लगाये जायें ताकि बाल श्रम पर तुरंत प्रतिबंध लगाने और उनके उपर हो रही ज्यादतियों को रोकने के लिए विवश हो सके। जिन कार्यों में बच्चों का शारीरिक अथवा मानसिक विकास खतरे में है उन्हें रोकने के उपाय करने के लिए विवश हो सके।
6. ऐसी विकास सहायता परियोजनाओं के कार्यन्वयन की मांग करना जिनके प्रत्यक्ष प्रयोजन निर्धनता दूर करना, वयस्क रोजगार को बढ़ाना, शिक्षा के पहुंच में सुधार करना और अन्य दशाओं को प्रभावित करना हो ताकि बाल श्रम को सीमित और अन्ततः उसका उन्मूलन किया जा सके।
7. उन देशों के विकास और सहायता परियोजनाओं का कार्यन्वयन करना और उनका समर्थन करना जो बाल श्रम के विरूद्ध संघर्ष में अपना योगदान देना चाहते हैं। जिससे उनकी ट्रेड यूनियनों की क्षमताओं में सुधार आ सके।
8. अपनी घरेलू बाजारों में बाल श्रमिकों द्वारा नियमित समान की खरीद व वितरण पर प्रतिस्पर्धा के एक घटक के रूप में बाधा उत्पन्न करके बाल श्रम के इस्तेमाल को अधिक कठिन बनाना अन्ततः इसके इस्तेमाल को असंभव बना देना।
9. एक प्रभावी दबाव के समूह के रूप में कार्य करना।
10. राज्य और जिला स्तर पर बाल श्रम प्रकोष्ठ स्थापित करना।
11. अपने समस्त करारों और कार्ययोजनाओं में बाल श्रमिकों का मुद्दा शामिल करना।
12. बाल श्रमिकों के स्थान पर वयस्कों को काम दिये जाने पर जोर देना और व्यावसायिक शिक्षा, पोषाहार, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन का समर्थन करना।
13. बाल श्रम कार्यक्षेत्रों का अध्ययन और विश्लेषण करना और बाल श्रम को प्रभावित करने वाली नीतियों का समर्थन करना जिससे वैकल्पिक रणनीति बनाने में सहयोग मिले।
14. बाल श्रम के बारे में सूचना का प्रचार करना।
15. बाल श्रम दिवस मनाये जाने का आह्वान करना।
16. ऐसी परियोजनायें शुरू करना जिनकी आवश्यकता बाल श्रम के समस्या वाले क्षेत्रों में महसूस की जा रही है और इस समस्या को हल करने में सहयोग देना।
17. अधिक अनुभव होने के कारण जमीनी हकीकत के अधिक निकट सरकार के प्रवर्तन-तंत्र के आंख कान की तरह काम करना।
18. क्षेत्र में लगे अपने सदस्यों (खास करके जो बाल श्रम बहुल क्षेत्रों में लगे हुए) को बाल श्रम को समाप्त करने संबंधी कानूनों की जानकारी प्रदान करना।
19. समस्या और उससे जुड़े कानूनों के बारे में बताना ताकि सजग प्रहरी के रूप में अधिक दक्षतापूर्वक कार्य किया जा सके।
20. अपनी खुद की कार्योन्मुख परियोजनाएं और कार्यक्रम चलाना।
व्यक्तिगत रूप से बाल श्रम के विरूद्ध संघर्ष में निम्नानुसार सहयोग प्रदान किया जा सकता है:-
1. कार्यकर्ता अपने घर में किसी बच्चे को काम पर न रखे।
2. अपने साथी कार्यकर्ताओं को बाल श्रमिक न रखने की सलाह दें।
3. अन्य ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ताओं को बाल श्रमिक न रखने की सलाह दें।
4. मजदूर कालोनी में मजदूरों के घर में बाल श्रमिकों को काम करने से रोकने की कोशिश करें।
काम करने के स्थान पर:-
1. कार्यकर्ता जहां काम कर रहा है उस स्थान पर किसी भी बाल श्रमिक को काम पर न लगाने की सलाह प्रबंधकों को दे सकता है।
2. कारखानों की कैंटीनों में काम करने वाले बाल श्रमिकों को काम करने से रोकने के लिए अपने ट्रेड यूनियनों में सक्रिय भूमिका अदा कर सकता है।
3. कार्य स्थल पर ठेकेदार द्वारा किये जाने वाले कार्यों के लिए, जिसमें अधिकतर बाल श्रमिक काम करते हैं यूनियन के माध्यम से किये जाने वाले एग्रीमेंट में बाल श्रमिकों को काम पर न रखने की शर्त को शामिल करवा सकता है।
4. अपने कार्यस्थल पर प्रबंधकों को बाल श्रम मुद्दे पर संवेदनशील बनाने की कोशिश कर सकता है।
रास्ते में चलते हुए उन छोटे बच्चों को होटलों में कप प्लेट धोते और बड़ी बड़ी बाल्टियों में पानी भरकर पहुंचाते हुए देखा करते हैं किन्तु हमें इसका ध्यान नहीं रहता कि यदि ये बालक जीवन में अशिक्षित रह जायेंगे तो पशुओं की भांति निरर्थक श्रम ही करते रहेंगे और अपने नागरिक दायित्वों और अधिकारों से वंचित रह जायेंगे।
‘‘आइये इन्हे काम से हटाकर स्कूल भिजवाने में मदद करें’’

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