Friday 14 October 2016

गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी (लिंगचयन प्रतिषेध)

 

उद्देश्य:- समाज में स्त्री भू्रण हत्या की बढ़ती हुई संख्या को रोकने लड़कियों और लड़कों के मध्य भेदभाव को रोकने एवं समाप्त करने हेतु सार्थक पहल के रूप में बनाया गया अधिनियम।
लागू:- 20.09.2014 से जम्मू कश्मीर के अतिरिक्त संपूर्ण भारत पर लागू है।
सबसे प्रमुख प्रावधान:- गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी की सहायता से लिंग चयन करना, लिंग चयन करवाना, लिंग चयन में किसी भी प्रकार की सहायता देना एवं लेना, लिंग चयन दर्शित करने वाले संकेत देना पूर्ण रूप से प्रतिषेधित है।
दंण्ड:- प्रथम अपराध पर तीन वर्ष तक सश्रम कारावास एवं 10,000/- तक जुर्माना। द्वितीय अपराध पर 05 वर्ष तक सश्रम कारावास एवं 50,000/- तक जुर्माना।
अन्य अपराध:- 01. अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत व्यक्ति या संस्था के अतिरिक्त किसी भी प्रकार के अनुवांशिक सलाह केन्द्र, लैब क्लीनिक का संचालन।
02. अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत व्यक्ति, संस्था के अतिरिक्त अन्य किसी को इन तकनीकों से संबंधित मशीनों इत्यादि का क्रय-विक्रय।
03. लिंग चयन संबंधी विज्ञापनों का किसी भी प्रचार माध्यम से प्रचार-प्रसार।
दंण्ड:- प्रथम अपराध पर तीन वर्ष तक सश्रम कारावास एवं 10,000/- तक जुर्माना।
द्वितीय अपराध पर 05 वर्ष तक सश्रम कारावास एवं 50,000/- तक जुर्माना।
अपराध की स्थिति:- अपराध संज्ञेय, अजमानतीय एवं अशमनीय होगें।
विचारण:- न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी के न्यायालय में।
संज्ञान:- परिवाद पर।
परिवाद कौन कर सकता है?:-
1. समुचित प्राधिकारी अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत अन्य अधिकारी।
2. पीड़ित व्यक्ति।
3. अन्य कोई भी व्यक्ति या संस्था जिसके द्वारा समुचित प्राधिकारी को दी गई लिखित सूचना के 15 दिन तक कोई कार्यवाही नहीं होने पर।
समुचित प्राधिकारी:- राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किये जांएगे एवं 03 सदस्य होगें।
1. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में संयुक्त निदेशक से अनिम्न अधिकारी।
2. महिला संगठन की विख्यात महिला।
3. राज्य के विधि विभाग का अधिकारी।
सलाहकार समिति:- राज्य सरकार द्वारा समुचित प्राधिकारी की सहायता हेतु गठित आठ सदस्यीय समिति में-
1. स्त्री रोग, बाल रोग, प्रसूति चिकित्सा, अनुवांशिक चिकित्सा में से तीन सदस्य।
2. एक विधि विशेषज्ञ।
3. एक सूचना एवं प्रसार विभाग का अधिकारी।
4. तीन सामाजिक कार्यकर्ता जिनमे एक महिला संगठन की प्रतिनिधि होगी।
छूट:- निम्न असमानताओं का पता लगाने में प्रसव पूर्व तकनीक की सहायता ली एवं दी जा सकती है:-
1. गुणसूत्रीय असमान्यताएं,
2. अनुवांशिक मेटाबोलिक रोग,
3. हीमोग्लोबिन (रक्त) असमान्यताएं एवं रोग,
4. लैंगिक अनुवांशिक रोग,
5. जन्मजात असमान्यताएं,
6. बोर्ड द्वारा विहित अन्य असमान्यताएं एवं रोग।
परन्तु जॉंच निम्न में से किसी शर्त की पूर्ति पश्चात ही की जायेगी:-
जब गर्भवती स्त्री-
1. पैंतीस वर्ष से अधिक आयु की है,
2. दो बार पूर्व में स्वतः गर्भपात या भ्रूण हानि हुई हो या,
3. औषधि, विकिरण, संक्रमण या केमिकल से प्रभावित हो या,
4. परिवार में कोई मानसिक या शारीरिक विरूपता या अनुवांशिक रोग से ग्रस्त हो। या
5. अन्य कोई शर्त जो बोर्ड द्वारा विहित की जाये।
इसके अतिरिक्त गर्भवती स्त्री को:-
1. तकनीकी का प्रभाव व परिणाम समझना,
2. उसे आने वाली भाषा में लिखित सहमति प्राप्त करना एवं
3. लिखित सहमति की एक प्रति उसे प्रदान करना अनिवार्य है।
चिकित्सकों/अनुवांशिक सलाह केन्द्रों, लैब एवं क्लीनिकों का दायित्व, कार्य एवं अनिवार्यताएं:- प्रसव पूर्व निदान तकनीक के उपयोग के समय:-
1. स्त्री को परिणाम समझाकर, लिखित सहमति प्राप्त कर एक प्रति देना,
2. ईलाज संबंधी समस्त दस्तावेजों को कम से कम दो वर्ष अथवा विहित अवधि तक सुरक्षित रखना,
3. पंजीकरण कराना एवं पंजीयन प्रमाणपत्र को सहज दृश्य स्थान पर लगा होना,
4. समुचित प्राधिकारी अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के मांगे जाने निरीक्षण हेतु दस्तावेज प्रदान करना,
5. न्यायालय में लंबित प्रकरणों से संबंधित अभिलेख प्रकरण के निराकरण तक सुरक्षित रखना,
6. क्लीनिक, लैब, सलाह केन्द्र के निरीक्षण में सहयोग प्रदान करना,
7.उक्त कार्य नही करने पर उनके द्वारा इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध किये जाने की उपधारण की जावेगी और वह दंड के भागी होगें जो प्रथम अपराध पर तीन वर्ष एवं 10,000/- तक अर्थदंड द्वितीय अपराध पर पांच वर्ष एवं पचास हजार रू. तक अर्थदंड हो सकता है।
समुचित प्राधिकारी की शक्तियां:-
1. अपराध की आशंका अथवा जानकारी होने पर स्वयं या प्राधिकृत अन्य अधिकारी द्वारा तलाशी लेने, अभिलेख का निरीक्षण एवं अभिगृहित करना,
2. जांच उपरांत न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना। ?
इसके अतिरिक्त:-
1. चिकित्सक के विरूद्ध आरोप विरचित होने पर उसका नाम राज्य आयु विज्ञान परिषद से निलंबित किया जावेगा,
2. दोषसिद्ध होने पर पांच वर्ष के लिए हटा दिया जावेगा,
3. द्वितीय दोषसिद्ध पर स्थायी रूप से नाम हटा दिया जावेगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:-
1. गर्भवती महिला के प्रावधानों के विपरीत गर्भधारण या प्रसव पूर्व निदान तकनीक के उपयोग किये जाने पर पति एवं नातेदारों के विरूद्ध अपराध किये जाने की उपधारण की जावेगी तब तक प्रतिकूल प्रमाणित न हो अर्थात अपराध नहीं करना अपराध को प्रमाणित करना पड़ेगा।
2. किसी गर्भवती महिला को जॉंच हेतु विवश करने पर उस महिला को अपराध नही माना जावेगा।
यदि महिला के x क्रोमोसोम से पुरूष का x क्रोमोसोम मिलता है तो लड़की का जन्म होता है। यदि महिला का x क्रोमोसोम से पुरूष का Y क्रोमोसोम मिलता है तो लड़के का जन्म होता है। अतः पुरूष ही वह प्रधान कारक है, जिसके क्रोमोसोम से लड़के या लड़की का जन्म तय होता है।

No comments:
Write comments

महत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
इस ब्लॉग की सामग्री का किसी भी कानूनी उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हमने सामग्री की सटीकता, पूर्णता, उपयोगिता या अन्यथा के संबंध में कोई ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं की है। उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी पर कार्य करने से पहले किसी भी जानकारी को सत्यापित / जांचें और किसी भी उचित पेशेवर से सलाह प्राप्त करें।

Category

03 A Explosive Substances Act 149 IPC 295 (a) IPC 302 IPC 304 IPC 307 IPC 34 IPC 354 (3) IPC 399 IPC. 201 IPC 402 IPC 428 IPC 437 IPC 498 (a) IPC 66 IT Act Aanand Math Abhishek Vaishnav Ajay Sahu Ajeet Kumar Rajbhanu Anticipatory bail Arun Thakur Awdhesh Singh Bail CGPSC Chaman Lal Sinha Civil Appeal D.K.Vaidya Dallirajhara Durg H.K.Tiwari HIGH COURT OF CHHATTISGARH Kauhi Lalit Joshi Mandir Trust Motor accident claim News Patan Rajkumar Rastogi Ravi Sharma Ravindra Singh Ravishankar Singh Sarvarakar SC Shantanu Kumar Deshlahare Shayara Bano Smita Ratnavat Temporary injunction Varsha Dongre VHP अजीत कुमार राजभानू अनिल पिल्लई आदेश-41 नियम-01 आनंद प्रकाश दीक्षित आयुध अधिनियम ऋषि कुमार बर्मन एस.के.फरहान एस.के.शर्मा कु.संघपुष्पा भतपहरी छ.ग.टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम छत्‍तीसगढ़ राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण जितेन्द्र कुमार जैन डी.एस.राजपूत दंतेवाड़ा दिलीप सुखदेव दुर्ग न्‍यायालय देवा देवांगन नीलम चंद सांखला पंकज कुमार जैन पी. रविन्दर बाबू प्रफुल्ल सोनवानी प्रशान्त बाजपेयी बृजेन्द्र कुमार शास्त्री भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मुकेश गुप्ता मोटर दुर्घटना दावा राजेश श्रीवास्तव रायपुर रेवा खरे श्री एम.के. खान संतोष वर्मा संतोष शर्मा सत्‍येन्‍द्र कुमार साहू सरल कानूनी शिक्षा सुदर्शन महलवार स्थायी निषेधाज्ञा स्मिता रत्नावत हरे कृष्ण तिवारी