Sunday 30 October 2016

दैनिक उपयोगी कानून की जानकारी

 

  • 18 साल की उम्र के बाद लड़की बालिग हो जाती है और उसके बाद उसे अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने का पूरा हक मिल जाता है।
  • कानूनी तौर पर कोई भी व्यक्ति किसी बालिग को उसकी इच्छा के विरूद्ध कुछ भी करने को मजबूर नहीं कर सकता, यहां तक कि अभिभावक (माता/पिता या संरक्षक) को भी इस बारे में कोई हक प्राप्त नहीं है।
  • पति-पत्नी के विवाद के चलते पति, पत्नी को घर से बेदखल नहीं कर सकता। ऐसा होने पर वह घरेलू हिंसा कानून के तहत मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आवेदन पेश कर तुरंत राहत ले सकती है।
  • तलाक के 7 वर्ष तक के बच्चे पर मां का ही कानूनी अधिकार रहता है। उसके बाद न्यायालय द्वारा बच्चे का हित देखते हुए अनुतोष दिया जाता है।
  • लड़कियों को भी लड़कों की तरह पिता की संपत्ति में बराबर का कानूनी अधिकार प्राप्त है।
  • पुलिस हिरासत में किसी भी व्यक्ति को सताना, मारपीट करना या किसी अन्य तरह से यातना देना एक गंभीर अपराध माना गया है।
  • किसी की गिरफ्तारी के समय पुलिस को उसे यह बताना आवश्यक है कि उसका अपराध जमानती है या गैर जमानती।
  • सिर्फ एक महिला पुलिस अफसर ही महिला के शरीर की तलाशी ले सकती है।
  • थाने में रिपोर्ट मुहजबानी या लिखित हो सकती है। रिपोर्ट की एक प्रति पाने का सभी को कानूनन हक है।
  • थाने में रिपोर्ट न लिखे जाने पर उसकी शिकायत उस थाने के उच्चाधिकारियों से की जा सकती है अथवा पंजीकृत डाक से पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट भेजी जा सकती है अथवा अदालत में परिवाद (ब्वउचसंपदजद्ध भी पेश किया जा सकता है।
  • घरेलू हिंसा की शिकार महिला, मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी शिकायत का आवेदन पेश कर सकती है,जिसकी सुनवायी मजिस्ट्रेट 3 दिनों के अंदर सम्पादित करेगा और फैसला 60 दिनों के अंदर करेगा।
  • जिस घर में महिला निवास कर रही हो, वहां से उसे जबरन नहीं निकाला जा सकता। मजिस्ट्रेट को आवेदन देने पर वह उस महिला को संबंधित निवास में फिर से निवास करने का आदेश दे सकता है।
  • दहेज देना, लेना या दहेज की मांग करने को कानूनी रूप से दंडनीय अपराध बनाया गया है, जिसकी शिकायत थाने या मजिस्ट्रेट के न्यायालय में की जा सकती है।
  • शादी-शुदा महिला भरण-पोषण के लिए न्यायालय में साधारण आवेदन पेश कर सकती है।
  • कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जो स्वयं आय अर्जित करने में असमर्थ है, आय अर्जित करने वाले पुत्र-पुत्री, पौत्र-पौत्री से अधिकतम दस हजार रूपये तक भरण-पोषण पाने का अधिकारी हो सकता है। इस हेतु उसे एस.डी.ओ. (राजस्व) के न्यायालय में आवेदन करना होगा।
  • बलात्कार होने की स्थिति में संबंधित महिला को तुरंत घटना की जानकारी सगे-संबंधी व दोस्तों को देनी चाहिए। थाने में रिपोर्ट लिखानी चाहिए। तत्काल डाक्टरी जांच भी करानी चाहिए और उस जांच के पूर्व तक स्नान करने से बचना चाहिए। घटना के समय पहने हुए कपड़ों को उसे धोना नहीं चाहिए और पुलिस को उसे जप्त कराना चाहिए तथा रिपोर्ट की एक प्रति काननून मुफ्त लेनी चाहिए। प्रत्येक कार्य स्थल पर कार्यरत महिला कर्मचारी को उनके विरूद्ध होने वाले यौन उत्पीड़न पर तत्काल उसकी सूचना लिखित या मौखिक रूप से अपने नियोक्ता को देनी चाहिए और संबंधित नियोक्ता को तत्काल शिकायत कमेटी से उसकी जांच करानी चाहिए।
  • 21 वर्ष से कम के पुरूष और 18 वर्ष से कम युवती के मध्य विवाह गैर कानूनी है, इसलिए बालिग होने पर ही विवाह किया जाना चाहिए, अन्यथा वे दंड के भागी हो सकते हैं।
  • देश का प्रत्येक नागरिक सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत किसी भी लोक निकाय से अपने काम की सूचना प्राप्त कर सकता है, जिसके लिए उसे आवेदन के साथ 10/- रू. का नान-ज्युडिशियल स्टाम्प, नगर या चालान या मनीआर्डर से राशि अदा करनी होगी।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत प्रत्येक गांव के वयस्क को 100 दिन तक रोजगार प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
  • जिला में स्थित जिला अदालत/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा तहसील में स्थित तहसील विधिक सेवा प्राधिकरण से कोई भी व्यक्ति, जिनकी आय एक लाख रूपये वार्षिक से कम है, वे व्यक्ति अदालती कार्यवाही हेतु निःशुल्क विधिक सेवा प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
  • भारत सरकार द्वारा बनायी गई तोषण निधि योजना, 1989 के अनुसार दुर्घटना में किसी वाहन से, जिसका विवरण पता न हो, किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके वारिसानों को 25000/- रूपये, घायलशुदा व्यक्ति को 12500/- रू. मुआवजा जिला कलेक्टर अथवा उनके अधीनस्थ अधिकारी को आवेदन दिए जाने पर दिलाए जाने का प्रावधान किया गया है।
  • दुर्घटना कारित करने वाली वाहन व वाहन का नंबर जहां पता हो, तो उस संबंध में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में आवेदन कर उचित व पर्याप्त क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त की जा सकती है।
  • बाजार से उपभोग करने हेतु प्राप्त की जाने वाली वस्तुओं की सेवाओं में कमी, वस्तुओं में मिलावट होने की स्थिति या उपभोक्ता का शोषण होने की स्थिति में उस उपभोक्ता को एक आवेदन जिला मुख्यालय में स्थित जिला उपभोक्ता न्यायालय में उचित मुआवजा अनुतोष हेतु पेश करना चाहिए। इसके लिए उसे दस्तावेज के रूप में सामग्री क्रय किए जाने से संबंधित रसीद व अन्य दस्तावेज वारंटी/गारंटी कार्ड इत्यादि भी पेश करने चाहिए।
  • भ्रष्टाचार रोकने के लिए तथा भ्रष्ट सेवक को दंडित कराने के लिए उस लोक सेवक के खिलाफ लिखित शिकायत राज्य शासन द्वारा गठित विशेष शिकायत सेल या एंटीकरप्शन ब्यूरो या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को करनी चाहिए।
  • कोई भी व्यवसायी, जो वस्तुओं के पूर्व से ही प्रिंटेड रेट पर स्टीकर चिपकाकर नवीन रेट प्राइस लिखता है, वह पूर्णतया गैरकानूनी कृत्य है, जो पैकेजिंग रूल्स के विरूद्ध है। उपभोक्ता उसके विरूद्ध जिला न्यायालय में अर्जी दे सकता है, जिला उपभोक्ता न्यायालय, जो कलेक्ट्रेट परिसर में है, उनके समक्ष शिकायत दर्ज करा सकता है।
  • बालिग हिंदू महिला-पुरूष के विवाह हेतु कर्मकाण्ड (अग्नि के समक्ष मंत्रोच्चार सात फेरे) आवश्कता है, किसी मंदिर में माला बदलने या सिंदूर लगा दिए जाने से विवाह संपन्न नहीं होता है। उसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं होगी।
  • प्रत्येक कलेक्टर कार्यालय में विवाह अधिकारी नियुक्त होता है। उसके समक्ष महिला व पुरूष उचित आवेदन पत्र भरकर शपथ पत्र सहित आयु संबंधी प्रमाण पत्र लगाकर कानूनन विवाह कर सकते हैं। उसकी मान्यता वेद या अग्नि के समक्ष किए गए विवाह से किसी भी तरह से कम नहीं होती है। यह सबसे कम खर्चीला कानूनी विवाह होता है।
  • जिला न्यायालय में जनोपयोगी सेवा से संबंधित स्थायी लोक अदालत है, जिसमें कोई भी नागरिक, जो लोकोपयोगी सेवा, जिसमें परिवहन (सड़क, वायु या जल द्वारा सेवा) पोस्ट आफिस, टेलीग्राफ, टेलीफोन विद्युत आपूर्ति, रोशनी, लोगों हेतु जल सेवा वाले किसी भी संस्था द्वारा प्रदाय होती हो, स्वच्छता संबंधी सुविधाओं की सेवा, अस्पताल अथवा डिस्पेंसरी संबंधी सेवा, बीमा संबंधी सेवा, जो राज्य शासन अथवा केंद्रीय शासन से संबंधित हो, उन संस्थाओं के विरूद्ध एक साधारण या सामान्य आवेदन बिना शुल्क का पेश किया जा सकता है और संबंधित स्थायी लोक अदालत से अतिशीघ्र अनुतोष प्राप्त किया जा सकता है।
  • पहली पत्नी के जीते जी दूसरी शादी करना कानूनन अपराध है। पहली पत्नी, चाहे तो पति के खिलाफ थाने में या सीधे मजिस्ट्रेट के न्यायालय में शिकायत दर्ज करा सकती है। कानूनन उस पति को सात साल कैद की सजा हो सकती है।
  • पहली पत्नी की सहमति से भी गई दूसरी शादी गैर कानूनी होती है और ऐसी दूसरी पत्नी कानूनन अपने पति की संपत्ति में कोई हक या भरण-पोषण खर्चा पाने की अधिकारिणी नहीं होती है।
  • किसी विवाहित स्त्री की मृत्यु अग्नि या शारीरिक क्षति द्वारा कारित की जाती है और ऐसी मृत्यु के कुछ समय पूर्व उसके पति या रिश्तेदारों ने दहेज की मांग की हो, तो ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध दहेज मृत्यु का मुकदमा चलता है, जिसमें आजीवन कारावास की सजा तक का प्रावधान किया गया है।
  • हवाई यात्रा में वरिष्ठ नागरिक को आने-जाने की टिकट खरीदने पर 50 प्रतिशत तक की छूट का प्रावधान है।
  • शासकीय कर्मचारी/अधिकारी शासन के नियम अनुसार एक ही पत्नी रख सकता है।
  • शादी-शुदा पत्नी के रहते दूसरी पत्नी रखने से उस पर विभागीय कार्यवाही का प्रावधान किया गया है।
  • वरिष्ठ नागरिक को रेल यात्रा भाड़ा में 30 प्रतिशत तक की छूट का प्रावधान है, जिसके लिए आयु प्रमाण पत्र रखना अनिवार्य है।
  • 60 वर्ष का निराश्रित वृद्ध और 50 वर्ष से ऊपर की निराश्रित वृद्धा गरीबी रेखा के नीचे 6 से 14 वर्ष के नागरिक के बच्चों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन की पात्रता है, जिसमें उन्हें नगरीय निकाय या ग्राम पंचायत से राशि प्राप्त होती है।

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महत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
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